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कुल प्रश्नों की संख्या : 1144
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आपने हाल ही में एक अर्ध-शहरी ज़िले के ज़िलाधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला है, जहाँ प्रशासन को प्रायः अतिक्रमण विवादों और बढ़ती जन-अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है। पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद आप देखते हैं कि आपके एक कनिष्ठ अधिकारी राघव, जो उप-मंडल अधिकारी (SDM) हैं, सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हो गये हैं। वे नियमित रूप से निरीक्षणों, जन-संपर्कों और प्रवर्तन कार्यवाहियों से संबंधित अपडेट पोस्ट करते हैं और स्वयं को एक ऊर्जावान व सक्रिय अधिकारी के रूप में प्रस्तुत करते हैं।
हालाँकि आप धीरे-धीरे देखते हैं कि उनकी पोस्ट्स में प्रायः औचक निरीक्षणों के वीडियो, उनके पीछे तनाव में खड़े कनिष्ठ कर्मचारियों की तस्वीरें तथा दुकानों को सील किये जाने जैसी दण्डात्मक कार्यवाहियों के क्लिप (कभी-कभी “कार्रवाई कथनी से अधिक मायने रखती है” जैसे कड़े कैप्शन के साथ) शामिल होते हैं। इनमें से एक वीडियो, जिसमें उन्होंने एक व्यावसायिक प्रतिष्ठान को सील किया है, वायरल हो जाता है। इसे कुछ लोगों की प्रशंसा मिलती है, परंतु इस बात की आलोचना भी होती है कि प्रक्रियात्मक निष्पक्षता स्पष्ट रूप से नहीं दिखाई गई।
सहकर्मी दबे स्वर में बताते हैं कि इस प्रकार सत्ता के सार्वजनिक प्रदर्शन से विश्वास की बजाय भय का वातावरण बन सकता है। दुकानदार एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को बताते हैं कि वे SDM कार्यालय जाने में हिचकते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि उनकी सामान्य शिकायतें भी रिकॉर्ड होकर ऑनलाइन पोस्ट हो सकती हैं। एक स्थानीय विधायक की अनौपचारिक शिकायत में SDM के आचरण को ‘मनमानी’ और प्रचार से प्रेरित बताया गया है। एक गुमनाम याचिका भी आपके कार्यालय तक पहुँचती है जिसमें सीलिंग कार्यवाही में अपर्याप्त सूचना का आरोप लगाया गया है, हालाँकि आधिकारिक रिकॉर्ड में इसका पालन न होने की बात दर्ज है।
आप समझते हैं कि इस मुद्दे में कोई स्पष्ट कानूनी उल्लंघन शामिल नहीं है, बल्कि इसमें सूक्ष्म नैतिक दुविधाएँ, पारदर्शिता एवं भय-सृजन की सीमा, सोशल मीडिया का जिम्मेदार उपयोग, प्रवर्तन के दौरान व्यक्तियों की गरिमा और युवा अधिकारियों के लिये उत्साह व संस्थागत औचित्य के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता शामिल है।
ज़िलाधिकारी के रूप में आपको यह तय करना है कि इस स्थिति को किस प्रकार नियंत्रित किया जाये, जिससे प्रशासनिक सत्यनिष्ठा बनी रहे, एक प्रतिभाशाली अधिकारी का मनोबल क्षीण न हो तथा नागरिक स्वयं को अपमानित या अनजाने में सत्ता-दुरुपयोग का शिकार महसूस न करें।प्रश्न
12 Dec, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
1. इस मामले में निहित मूल नैतिक मुद्दों का अभिनिर्धारण कीजिये तथा लोक प्रशासन में उनकी प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिये।
2. क्या आपको लगता है कि SDM का सोशल मीडिया उपयोग यद्यपि विधिक है, फिर भी इससे नैतिक चिंताएँ उत्पन्न होती हैं? लोक सेवा, मर्यादा तथा व्यक्तियों की गरिमा के सिद्धांतों के आधार पर अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये।
3. ज़िलाधिकारी के रूप में आप इस स्थिति को निष्पक्ष, संतुलित तथा रचनात्मक ढंग से निपटने के लिये क्या कदम उठाएँगे? इस दिशा में अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपाय सुझाइये।
4. सोशल मीडिया के प्रयोग के लिये ऐसे दिशा-निर्देश या आचार-संहिता प्रस्तावित कीजिये जो पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और नैतिक संयम तीनों के बीच संतुलन बनाये रखें। -
प्रश्न. “जीनोम इंजीनियरिंग में अभूतपूर्व प्रगति के बावजूद कृत्रिम मानव-जीनोम परियोजनाएँ नैतिक तथा जैव-सुरक्षा संबंधी चिंताओं से अब भी घिरी हुई हैं।” विवेचना कीजिये। (150 शब्द)
11 Dec, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
प्रश्न. “शुचिता किसी लोक सेवक के नैतिक मूल्यों को सुनिश्चित करती है, जबकि अभिरुचि उसकी कार्यकुशल उत्कृष्टता को निर्धारित करती है।” उपयुक्त उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिये। (150 शब्द)
11 Dec, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
आप एक बाढ़–प्रभावित ज़िले के उप-मण्डलीय दण्डाधिकारी (SDM) हैं। हाल ही में आयी बाढ़ के कारण हज़ारों लोग विस्थापित हो गये हैं। राज्य सरकार ने आपातकालीन राहत कोष भेजा है, जो आवश्यकतानुसार की तुलना में काफी कम है। आपको निर्देश दिया गया है कि इस कोष का वितरण “आपातकाल एवं संवेदनशीलता के आधार पर” कीजिये
05 Dec, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
किंतु आपके समक्ष निम्नलिखित परिस्थिति है:
ग्राम A राजनीतिक रूप से प्रभावशाली है। स्थानीय विधायक आप पर दबाव डालते हैं कि राहत कोष का बड़ा हिस्सा वहाँ आवंटित किया जाए। वे संकेत करते हैं कि “भविष्य का सहयोग” आपके निर्णय पर निर्भर करेगा।
ग्राम B अत्यधिक रूप से प्रभावित है, परंतु वहाँ सड़क संपर्क अत्यंत कमज़ोर है। वहाँ राहत पहुँचाने में अतिरिक्त समय एवं संसाधन लगेंगे।
ग्राम C में जनहानि अपेक्षाकृत कम है, परंतु वहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर रहते हैं, जिनके पास आधिकारिक राहत वितरण के लिये आवश्यक दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं हैं।
आपका क्षेत्रीय स्टाफ निजी तौर पर यह सुझाव देता है कि आप लॉजिस्टिक्स (वाहन, ईंधन, भोजन आदि) के लिये कुछ धनराशि कोष से ही निकाल लें। आधिकारिक दिशा-निर्देश ऐसा करने की अनुमति नहीं देते, परंतु इन व्ययों के बिना दूरदराज़ क्षेत्रों में राहत पहुँचने में विलंब होगा।
मीडिया यह रिपोर्ट कर रहा है कि प्रशासन “धीमा और लापरवाह” है, जिससे आप पर अतिरिक्त दबाव बढ़ रहा है।
आपको सीमित संसाधनों का निष्पक्ष, कुशल तथा नैतिक तरीके से उपयोग करते हुए इस राहत को आवंटित करना है, साथ ही राजनीतिक दबाव, प्रशासनिक सीमाओं और मानवीय सरोकारों के बीच संतुलन भी बनाए रखना है।
प्रश्न:
प्रश्न 1. इस स्थिति में निहित प्रमुख नैतिक मुद्दों की पहचान कीजिये।
प्रश्न 2. SDM के रूप में आपके पास उपलब्ध विकल्पों का उल्लेख कीजिये तथा प्रत्येक विकल्प का मूल्यांकन नैतिक सिद्धांतों के आलोक में कीजिये।
प्रश्न 3. आपका अंतिम कार्यपथ क्या होगा? अपने निर्णय को उपयुक्त तर्कों, नैतिक सिद्धांतों तथा लोकसेवा के मूल्यों का संदर्भ देते हुए न्यायोचित ठहराइये। -
प्रश्न: भावनाएँ नैतिक तर्कशीलता में अवरोध नहीं होतीं; बल्कि मूल संसाधन होती हैं। लोक सेवाओं में निर्णयन के परिप्रेक्ष्य में इस कथन का परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)
04 Dec, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
प्रश्न: सतता का सार प्रलोभन का प्रतिरोध करने में कम और उन परिस्थितियों को समाप्त करने में अधिक निहित है जो प्रलोभन उत्पन्न करती हैं। विवेचना कीजिये। (150 शब्द)
04 Dec, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
एक विकसित हो रहे औद्योगिक ज़िले की ज़िला मजिस्ट्रेट मीरा राव बढ़ती भाषा-आधारित हिंसा की घटनाओं का सामना कर रही हैं जो देश के विभिन्न हिस्सों से आये प्रवासी मज़दूरों को लक्षित कर रही है। हाल के सप्ताहों में कई चिंताजनक घटनाओं ने भय का माहौल उत्पन्न कर दिया है। स्थानीय भाषा न बोल पाने के कारण एक समूह को स्थानीय युवाओं द्वारा पीटा गया। दो डिलीवरी कर्मचारियों को उनकी मातृभाषा प्रयोग करने पर अपमानित किया गया तथा माफी मांगते हुए वीडियो रिकॉर्ड करने के लिये विवश किया गया। एक फैक्ट्री सुपरवाइज़र पर आरोप है कि उसने स्थानीय भाषा न जानने वाले श्रमिकों को कार्य-शिफ्ट देने से मना कर दिया।
अस्पतालों में प्रवासी श्रमिकों के साथ हमले के मामलों में स्पष्ट बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। पुलिस के अनुसार डराने-धमकाने की गतिविधियाँ सोशल मीडिया समूहों के माध्यम से संगठित रूप से संचालित हो रही हैं, जो भाषायी शुचिता का समर्थन करते हैं और स्थानीय लोगों से नौकरियाँ वापस लेने का आग्रह करते हैं। जाँचकर्त्ताओं को संदेह है कि कुछ सांस्कृतिक संगठन, जिनका राजनीतिक प्रभाव है, सार्वजनिक सभाओं में विभाजनकारी कथाएँ बढ़ाकर तनाव को परोक्ष रूप से बढ़ावा दे रहे हैं।
मीरा एक बहु-स्तरीय योजना तैयार करती हैं जिसमें प्रासंगिक प्रावधानों के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई, बहुभाषी शिकायत हेल्पलाइन, औद्योगिक क्षेत्रों में संवेदनशीलता कार्यक्रम, फैक्ट्रियों के लिये अनिवार्य भेदभाव-रोधी दिशा-निर्देश तथा मज़दूर संघों एवं सामुदायिक समूहों के साथ भागीदारी शामिल है।
उनकी योजना का विरोध तुरंत सामने आता है। स्थानीय व्यापार संगठनों को आशंका है कि सख्त पुलिसिंग से भर्ती प्रणालियाँ बाधित होंगी तथा आर्थिक दबाव झेल रहे छोटे उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। सांस्कृतिक समूह प्रशासन पर क्षेत्रीय पहचान को कमज़ोर करने का आरोप लगाते हैं और तर्क देते हैं कि प्रवासियों की बढ़ती संख्या स्थानीय संस्कृति को क्षीण कर रही है। कुछ मीडिया चैनल मीरा के प्रयासों को बाहरी लोगों का पक्ष लेने का प्रयास बताते हैं जिससे ध्रुवीकरण और बढ़ता है। कुछ राजनीतिक नेता आगामी चुनावों की संवेदनशीलता का हवाला देते हुए उन्हें गति धीमी करने की सलाह देते हैं।
उसी समय श्रमिक कल्याण संगठनों, अधिकार-आधारित NGO और कई उद्योगपतियों ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि विलंब से की गयी कार्रवाई उग्रवादी व्यवहार को बढ़ावा देगी तथा बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर ज़िले से पलायन कर सकते हैं इससे आवश्यक सेवाओं, सप्लाई चेन और औद्योगिक उत्पादन में भारी व्यवधान उत्पन्न होगा। मीरा असुरक्षित मज़दूरों की सुरक्षा के कर्त्तव्य और सामाजिक स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता, कानून को दृढ़ता से लागू करने व सांस्कृतिक पहचान का सम्मान करने तथा प्रशासनिक तटस्थता और राजनीतिक दबाव के बीच फँसी हुई महसूस करती हैं।
प्रश्न:
1. इस परिस्थिति में मीरा के समक्ष उपस्थित प्रमुख नैतिक दुविधाएँ क्या हैं?
28 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
2. इस मामले में सम्मिलित परस्पर-विरोधी मूल्यों तथा सिद्धांतों की पहचान कर उनका विश्लेषण कीजिये।
3. मीरा के समक्ष उपलब्ध संभावित कार्य-प्रणालियों का मूल्यांकन तथा उनके संभावित परिणामों पर चर्चा कीजिये।
4. प्रवासी श्रमिकों के विरुद्ध भाषा-आधारित हिंसा से निपटने के लिये मीरा का सबसे नैतिक तथा प्रशासनिक रूप से उचित कार्य-मार्ग क्या होना चाहिये? (250 शब्द) -
प्रश्न. “एक सिविल सेवक की सफलता उसकी संज्ञानात्मक क्षमता से अधिक उसकी भावनात्मक दक्षता पर निर्भर करती है।” क्या आप सहमत हैं? उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिये। (150 शब्द)
27 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
प्रश्न.“करुणा से रहित नवोन्मेष शोषण को जन्म देता है।” कृत्रिम बुद्धिमत्ता, निगरानी तकनीकों तथा डिजिटल एकाधिकारों के युग में तकनीकी रूप से विकसित राष्ट्रों को डिजिटल उपनिवेशीकरण की प्रवृत्ति रोकने तथा विश्व-स्तर पर न्यायसंगत तकनीकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये कौन-से नैतिक सिद्धांतों का पालन करना चाहिये? (150 शब्द)
27 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
एक तेज़ी से डेवलप हो रहे ज़िले की डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट रितिका शर्मा को छात्रों और युवा पेशेवरों में मादक द्रव्य के बढ़ते उपयोग में लगातार वृद्धि की चिंताजनक रिपोर्ट्स मिली हैं। पिछले कुछ हफ्तों में, कई घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है: एक बर्थडे पार्टी के दौरान सिंथेटिक ड्रग्स का सेवन करने के बाद पाँच कॉलेज छात्रों को ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया; पुलिस ने हेल्थ सप्लीमेंट्स के नाम पर रखे गए मादक पदार्थों से भरे एक कूरियर पार्सल को पकड़ा, साथ ही कई स्कूल काउंसलरों ने छात्रों में व्यवहारगत परिवर्तन तथा कक्षा में अनुपस्थित रहने के मामलों की सूचना दी जो संभवतः नशे की लत से जुड़े प्रतीत होते हैं।
प्रारंभिक जाँच से पता चलता है कि मादक पदार्थों का वितरण एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स और एनॉनिमस डिजिटल वॉलेट्स के माध्यम से किया जा रहा है। गुप्त सूचनाओं से संकेत मिलता है कि इस नेटवर्क में एक स्थानीय नाइटक्लब मालिक, कुछ प्रभावशाली बिज़नेसमैन तथा कुछ कॉलेज स्टाफ शामिल हैं जो कथित तौर पर कैंपस इवेंट्स के दौरान तथ्यों पर ‘ध्यान न देने’ का रवैया अपनाते हैं। रीतिका एक कार्ययोजना प्रस्तावित करती हैं जिसमें NDPS अधिनियम के लक्षित प्रवर्तन, औचक निरीक्षण, शैक्षणिक संस्थानों में अनिवार्य परामर्श सत्र और अभिभावकों व सामुदायिक समूहों के साथ सहयोग शामिल है।हालाँकि जैसे ही यह प्रस्ताव सार्वजनिक होता है, विरोध शुरू हो जाता है। अभिभावक संघ प्रशासन पर ‘युवाओं के प्रयोगात्मक चरण को अपराधीकरण’ करने का आरोप लगाते हैं और तर्क देते हैं कि सख्त कार्रवाई से छात्रों पर कलंक लग सकता है। नाइटक्लब तथा हॉस्पिटैलिटी लॉबी चेतावनी देती है कि छापेमारी और सख्त पुलिसिंग से ज़िले के व्यावसायिक वातावरण को नुकसान पहुँचेगा। कुछ गैर-सरकारी संगठन प्रशासन की कार्यशैली को हस्तक्षेपकारी बताते हैं और बल देते हैं कि नशे की समस्या को मुख्यतः स्वास्थ्य और अधिकार-आधारित दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिये। स्थानीय मीडिया चैनल इस कार्रवाई को सार्वजनिक सुरक्षा की आवश्यकता के बजाय मोरल पुलिसिंग के तौर पर दिखाते हुए डिबेट चलाते हैं। राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति रीतिका पर दबाव डालने लगते हैं कि आगामी स्थानीय चुनावों से पहले ऐसे निर्णय लेने से बचने की सलाह देते हैं जिनसे विवाद हो सकता है।
इसी बीच ज़िला एंटी-नारकोटिक्स यूनिट चेतावनी देती है कि विलंब से उभरते हुए ड्रग नेटवर्क को और मज़बूती मिल सकती है। चिकित्सा विशेषज्ञ मादक द्रव्य संबंधी आपात मामलों में तीव्र वृद्धि पर चिंता व्यक्त करते हैं और आगाह करते हैं कि उपचार न होने पर नशे की प्रारंभिक अवस्था शीघ्र ही गंभीर रूप ले सकती है। रीतिका स्वयं को कठिन दुविधा के बीच पाती हैं, जहाँ उनके समक्ष युवाओं की भलाई की रक्षा एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं का सम्मान करने तथा कठोर विधिक प्रवर्तन एवं संवेदनशील, पुनर्वास-उन्मुख दृष्टिकोण के बीच संतुलन स्थापित करने की चुनौती है। उन्हें पता है कि उनके इस निर्णय का सार्वजनिक स्वास्थ्य, प्रशासनिक विश्वसनीयता तथा युवाओं एवं राज्य के बीच भरोसे पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा।प्रश्न:
21 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
(A) इस परिस्थिति में रीतिका किन प्रमुख नैतिक दुविधाओं का सामना कर रही हैं?
(B) इस प्रकरण में परस्पर-विरोधी मूल्यों और सिद्धांतों का अभिनिर्धारण कर उनका विश्लेषण कीजिये।
(C) रीतिका के पास उपलब्ध संभावित कार्रवाइयों का मूल्यांकन कीजिये तथा उनके संभावित परिणाम स्पष्ट कीजिये।
(D) रीतिका द्वारा अपनायी जाने वाली सबसे नैतिक और प्रशासनिक दृष्टि से उचित कार्रवाई क्या होनी चाहिये जिससे मादक पदार्थ के सेवन की बढ़ती समस्या का समाधान हो सके? -
“सत्यनिष्ठा कोई क्षणिक आचरण नहीं बल्कि जीवन के सूक्ष्म निर्णयों से विकसित होने वाली परिष्कृत प्रवृत्ति है।”
20 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
अरस्तू की सद्गुण-नैतिकता के दृष्टिकोण से यह विवेचना कीजिये कि सूक्ष्म निर्णय किस प्रकार व्यक्ति के नैतिक चरित्र का निर्माण करते हैं। (150 शब्द) -
“सच्ची नीति वही है जिसमें व्यक्ति ‘अच्छा’ अधिक आकर्षक प्रतीत होने पर भी ‘उचित’ का ही चयन करे।”
20 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
इस कथन पर विचार करते हुए सार्वजनिक जीवन में दायित्व-आधारित कर्त्तव्यवाद और परिणामवाद-आधारित नैतिकता के बीच अंतर्विरोध की विवेचना कीजिये। (150 शब्द) -
केस स्टडी
उप पुलिस आयुक्त (साइबर एवं आंतरिक सुरक्षा) के पद पर कार्यरत IPS अधिकारी अनन्या राव अत्यधिक शिक्षित युवाओं के कट्टरपंथीकरण से प्रेरित 'व्हाइट-कॉलर टेररिज़्म (सफेदपोश आतंकवाद)' में तीव्र वृद्धि के संकेत देने वाली खुफिया सूचनाओं से बेहद चिंतित हैं। हाल की कई घटनाएँ इस प्रवृत्ति को उजागर करती हैं— इंजीनियरिंग स्नातकों द्वारा प्रतिबंधित उग्रवादी नेटवर्क के लिये एन्क्रिप्टेड संचार उपकरण विकसित करना, एक वित्त-विशेषज्ञ द्वारा क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से विदेशी आतंकी संगठनों को धन उपलब्ध कराना तथा विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा बौद्धिक बहस के नाम पर उग्रवादी साहित्य का प्रसार करना।
हालाँकि ठोस डिजिटल प्रमाण कुछ तकनीकी उद्यमियों, शिक्षाविदों एवं ऑनलाइन इन्फ्लुएंसर्स को इन गतिविधियों में संलिप्तता का दोषी ठहराते हैं, परंतु लक्षित निगरानी, भर्ती करने वालों को प्लेटफॉर्म से हटाने और UAPA-आधारित कार्रवाई शुरू करने के अनन्या के प्रस्ताव की कड़ी आलोचना हो रही है। नागरिक समाज समूह उन पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन करने और निजता मानकों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हैं। प्रभावशाली शैक्षणिक संस्थान राजनीतिक नेतृत्व पर ‘अनावश्यक विवाद’ से बचने हेतु दबाव डालते हैं। मीडिया विमर्श इस कार्रवाई को राष्ट्रीय सुरक्षा की अनिवार्यता के बजाय ‘विचारधारा-आधारित पुलिसिंग’ के रूप में प्रस्तुत कर रहा है। आरोपी युवाओं के माता-पिता इसे अपरिपक्वता का परिणाम मानते हुए नरमी बरतने की माँग करते हैं।
इसी दौरान, केंद्रीय खुफिया एजेंसियाँ चेतावनी देती हैं कि निष्क्रियता एक गुप्त आतंकवादी तंत्र के विकास को बढ़ावा दे सकती है, जो साइबर अटैक, वित्तीय अपराध तथा परिसरों में विचारधारात्मक पैठ जैसे खतरों को जन्म दे सकता है। अनन्या नागरिक स्वतंत्रता की सुरक्षा और एक तात्कालिक सुरक्षा संकट के समाधान के बीच उलझी हुई हैं। उसके निर्णय से सार्वजनिक विवाद, राजनीतिक प्रतिघात एवं संभावित विधिक चुनौतियों का खतरा है, किंतु कार्रवाई में विलंब से जन- सुरक्षा से समझौता हो सकता है और उग्रवादी नेटवर्कों का मनोबल बढ़ सकता है।
प्रश्न:
1. इस परिस्थिति में अनन्या राव के समक्ष कौन-कौन से प्रमुख नैतिक दुविधाएँ उपस्थित हैं ?
2. इस केस में अंतर्निहित परस्पर-विरोधी मूल्यों एवं नैतिक सिद्धांतों का अभिनिर्धारण कर उनका विश्लेषण कीजिये।
3. अनन्या के लिये उपलब्ध संभावित कार्रवाई का मूल्यांकन कीजिये तथा उनके संभावित परिणामों का आकलन कीजिये।
4. सबसे नैतिक और प्रशासनिक रूप से विवेकपूर्ण कार्रवाई का सुझाव दीजिये जो नागरिक स्वतंत्रता तथा बढ़ते कट्टरपंथ एवं सफेदपोश आतंकवाद का मुकाबला करने की आवश्यकता के बीच संतुलन बनाए रखे।
14 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़ -
प्रश्न. नैतिक अंतःप्रज्ञा (Moral Intuition) और नैतिक तर्क (Moral Reasoning) मिलकर नैतिक निर्णय (Ethical Judgment) को किस प्रकार प्रभावित करते हैं, व्याख्या कीजिये। अपने उत्तर को सिविल सेवा के उदाहरणों से स्पष्ट कीजिये। (150 शब्द)
13 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
प्रश्न. सुशासन की मूल विशेषताएँ क्या हैं? समालोचनात्मक रूप से मूल्यांकन कीजिये कि भारत में ई-गवर्नेंस पहलों ने पारदर्शिता, दायित्व और नागरिक सहभागिता को बढ़ाने में किस प्रकार योगदान दिया है। (150 शब्द)
13 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
तेज़ी से शहरीकृत होते एक महानगर के नगर आयुक्त (Municipal Commissioner) के रूप में कार्यरत भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी अरुण मेहता शहर में प्रदूषित वायु के कारण हो रही मृत्यु दर और श्वसन संबंधी बीमारियों की बढ़ती घटनाओं से बहुत चिंतित हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एक प्रतिष्ठित चिकित्सीय संस्थान की हालिया रिपोर्टों से यह तथ्य सामने आया है कि वायु में सूक्ष्म कणिका पदार्थों (PM2.5) की मात्रा अनुमेय सीमा से 4–5 गुना अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप बच्चों और वृद्ध जनों में फेफड़ों की बीमारियों में तेज़ी से वृद्धि हुई है।
इन चेतावनियों के बावजूद कई प्रभावशाली निर्माण कंपनियाँ और परिवहन संघ धूल नियंत्रण, उत्सर्जन और अपशिष्ट निपटान मानदंडों का उल्लंघन करते रहते हैं। जब अरुण नियमों का सख्त पालन करने और प्रदूषणकारी निर्माण स्थलों को अस्थायी रूप से बंद करने का प्रस्ताव रखते हैं, तो उन्हें स्थानीय राजनेताओं एवं व्यावसायिक समूहों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ता है, जिनका तर्क है कि ऐसे कदम “विकास और रोज़गार को नुकसान पहुँचाएँगे।” कुछ मीडिया संस्थान भी उनकी पहलों को “विकास-रोधी” कहकर आलोचना करते हैं।
इसी बीच, नागरिक समूह और पर्यावरणीय गैर-सरकारी संगठन (NGOs) अनुच्छेद 21 के अंतर्गत स्वस्थ पर्यावरण के संवैधानिक अधिकार का हवाला देते हुए त्वरित कार्रवाई की मांग करते हैं। दूसरी ओर, नगर निगम के कर्मचारी अपर्याप्त सुरक्षा उपकरणों और विभागों के बीच समन्वय की कमी की शिकायत करते हैं। जनाक्रोश की आशंका से राज्य सरकार, ठोस कार्रवाई करने के बजाय ‘मामले का अध्ययन’ करने के लिये एक समिति का गठन करती है, जिससे ठोस कार्रवाई में विलंब होता है।
अब अरुण को यह तय करना है कि उल्लंघनकर्त्ताओं के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए और प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों को सख्ती से लागू किया जाए, या निहित स्वार्थों और राजनीतिक प्रतिक्रिया से संघर्ष से बचने के लिये क्रमिक दृष्टिकोण अपनाया जाए। उनका यह निर्णय उनके प्रशासनिक साहस, नैतिक दृढ़ता और जन कल्याण के प्रति कर्त्तव्य-निष्ठा की वास्तविक परीक्षा होगा।
प्रश्न:
1. इस परिस्थिति में अरुण मेहता को किन प्रमुख नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है?
2. इस मामले में शामिल परस्पर विरोधी मूल्यों और सिद्धांतों की का अभिनिर्धारण कर उनका विश्लेषण कीजिये।
3. अरुण के समक्ष उपलब्ध संभावित कार्यवाही की समीक्षा कीजिये तथा उनके संभावित परिणामों का मूल्यांकन कीजिये।
4. पर्यावरण संरक्षण और विकासात्मक आवश्यकताओं के बीच संतुलन स्थापित करते हुए सबसे नैतिक तथा प्रशासनिक दृष्टि से उपयुक्त कार्यवाही प्रस्तावित कीजिये।
07 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़ -
प्रश्न. अंतरात्मा का संकट (Crisis of conscience) शब्द से आप क्या समझते हैं? अपने व्यक्तिगत या सार्वजनिक जीवन के किसी उदाहरण की सहायता से स्पष्ट कीजिये कि आपने ऐसी स्थिति का सामना किस प्रकार किया। (150 शब्द)
06 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
प्रश्न. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह उद्धरण आपको क्या संदेश देता है?
06 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
“ज्ञान का सर्वोच्च रूप समानुभूति है, क्योंकि इसमें व्यक्ति अपने अहंकार से परे दूसरों के अनुभव और संवेदनाओं को समझने का प्रयास करता है।”
— बिल बुलार्ड (150 शब्द) -
उत्तरी राज्य में उप महानिरीक्षक (DIG) के पद पर कार्यरत एक IPS अधिकारी, रोहित कुमार ने हाल ही में पुलिसकर्मियों में पदोन्नति और तैनाती से जुड़े निर्णयों को लेकर बढ़ती असंतुष्टि को देखा है। अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के कई अधिकारियों का आरोप है कि उन्हें प्रमुख परिचालन पदों के लिये नियमित रूप से जानबूझकर दूर रखा जाता है तथा उत्कृष्ट सेवा रिकॉर्ड होने के बावजूद समय पर पदोन्नति नहीं दी जाती। कुछ विशेष सामाजिक पृष्ठभूमि के अधिकारियों को प्रायः शहरी और संवेदनशील ज़िलों में प्रभावशाली पदों पर नियुक्तियों के लिये वरीयता दी जाती है, भले ही उनसे अधिक योग्य अधिकारी उपलब्ध क्यों न हों।
SC/ST अधिकारी संघ द्वारा की गई एक आंतरिक शिकायत में प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (APAR) में पूर्वाग्रह के संकेत मिलने की बात कही गयी है, जहाँ सूक्ष्म भेदभाव के कारण कम ग्रेड दिये जाते हैं। संघ ने रोहित से कार्रवाई करने और निष्पक्ष प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है। हालाँकि, जब रोहित विभागीय बैठकों में इस मुद्दे को उठाते हैं, तो वरिष्ठ अधिकारी उन्हें ‘जातिगत मुद्दों को भड़काने से बचने’ और संस्थागत एकता बनाए रखने की सलाह देते हैं। कुछ तो यह भी चेतावनी देते हैं कि इस मुद्दे को आगे बढ़ाने से उनके कॅरियर की प्रगति प्रभावित हो सकती है तथा राजनीतिक प्रतिक्रिया हो सकती है।
पुलिस पोस्टिंग में जाति-आधारित पूर्वाग्रह पर हालिया मीडिया रिपोर्टों के बाद सार्वजनिक आलोचना का सामना कर रही राज्य सरकार ने एक बयान जारी कर आंतरिक जाँच का वादा किया है। हालाँकि, इस मुद्दे को व्यवस्थागत भेदभाव के बजाय ‘गलतफहमी मात्र’ बताकर कमतर आँकने की कोशिश की जा रही है। इस बीच प्रभावित अधिकारी निराश महसूस कर रहे हैं और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से संपर्क करने पर विचार कर रहे हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी होने के नाते, रोहित से अपेक्षा की जाती है कि वे संस्थागत अनुशासन और प्रशासनिक दक्षता बनाए रखते हुए समता एवं न्याय के संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखें। यह स्थिति कार्मिक प्रबंधन में निष्पक्षता सुनिश्चित करने तथा संगठनात्मक स्थिरता बनाए रखने के बीच एक सावधानीपूर्वक संतुलन की माँग करती है।
प्रश्न:
A. इस स्थिति में रोहित कुमार के समक्ष कौन-कौन सी प्रमुख नैतिक दुविधाएँ क्या हैं?
B. इस मामले में शामिल परस्पर विरोधी मूल्यों और सिद्धांतों का अभिनिर्धारण कर उनका विश्लेषण कीजिये।
C. रोहित के लिये उपलब्ध संभावित कार्यवाही और उनके संभावित परिणामों का मूल्यांकन कीजिये।
D. निष्पक्षता और संस्थागत अखंडता सुनिश्चित करने के लिये रोहित को कौन-सा सबसे नैतिक एवं प्रशासनिक रूप से सही कदम उठाना चाहिये, इसका सुझाव दीजिये।
31 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़ -
प्रश्न. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में निम्नलिखित उद्धरण आपको क्या संदेश देता है?
30 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
“बुराई की विजय के लिये केवल इतना ही पर्याप्त है कि अच्छे लोग कुछ न करें।” — एडमंड बर्क (150 शब्द) -
प्रश्न “वैश्विक राजनीति के रंगमंच पर प्रायः सबसे पहले नैतिकता की बलि चढ़ती है।” उस नैतिक द्वन्द्व का विश्लेषण कीजिये जिसका सामना राष्ट्र तब करते हैं जब उनके सामरिक हित मानवतावादी उत्तरदायित्वों से असंगत होते हैं। हाल के उदाहरणों से स्पष्ट कीजिये। (150 शब्द)
30 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
एक दुखद घटना में, राज्य के एक ज़िले में बीस से अधिक बच्चों ने एक व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली कफ सिरप पीने से अपनी जान गँवा दी, जो बाद में मिलावटी पाई गई। राज्य के औषधि नियंत्रण विभाग में तैनात एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अनन्या को इस मामले की जाँच एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है।
जब वह रिकॉर्ड की जाँच करती हैं, तो उन्हें औषधि परीक्षण प्रक्रियाओं में गंभीर लापरवाहियाँ, निरीक्षणों में विलंब तथा कुछ स्थानीय वितरकों और निर्माताओं के बीच मिलीभगत जैसी चिंताजनक बातें पता चलती हैं। अभिभावक और नागरिक समाज संगठन जाँच रिपोर्ट को तुरंत सार्वजनिक करने, दोषियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई करने तथा भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिये तंत्रगत सुधारों की माँग कर रहे हैं।
इस दौरान, राज्य के स्वास्थ्य विभाग पर जनता के आक्रोश को नियंत्रित करने और नकारात्मक मीडिया कवरेज को रोकने का भारी राजनीतिक दबाव है। कुछ वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अनन्या को सरकार और प्रभावशाली हितधारकों की प्रतिष्ठा को नुकसान से बचाने के लिये ‘मामले को चुपचाप निपटाने’ की सलाह देते हैं, साथ ही यह चेतावनी भी देते हैं कि सख्त प्रवर्तन उनके कॅरियर को खतरे में डाल सकता है।
नमूना परीक्षण और रिपोर्टिंग में शामिल कनिष्ठ अधिकारियों को डर है कि अगर वे तथ्यों का पूरा खुलासा करते हैं तो उन्हें उत्पीड़न, स्थानांतरण या कानूनी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। साथ ही, न्यायालय ने स्वप्रेरणा से संज्ञान (Suo motu cognisance) लिया है, जिनमें जाँच में पारदर्शिता, प्रभावित परिवारों को मुआवज़ा एवं औषधि सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी में सुधार की माँग करते हुए कई जनहित याचिकाएँ दायर की गई हैं।
प्रश्न:
A. इस परिप्रेक्ष्य में डॉ. अनन्या के समक्ष कौन-सी नैतिक दुविधाएँ हैं?
B. उनके पास उपलब्ध विकल्पों का मूल्यांकन कीजिये तथा उनके संभावित परिणामों का विश्लेषण कीजिये।
C. प्रशासनिक उत्तरदायित्व और नागरिक कल्याण के बीच संतुलन के आधार पर डॉ. अनन्या के लिये सबसे उपयुक्त कार्रवाई का सुझाव दीजिये।
D. औषधि सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिये दीर्घकालिक प्रणालीगत सुधारों को प्रस्तावित कीजिये।
24 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़ -
प्रश्न. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में निम्नलिखित उद्धरण आपको क्या संदेश देता है?
23 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
“हम ऐसी शिक्षा चाहते हैं जिससे चरित्र का निर्माण हो, मानसिक शक्ति बढ़े, बुद्धि का विकास हो और व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा हो सके।” — स्वामी विवेकानंद। (150 शब्द) -
प्रश्न. “नैतिक निरपेक्षवाद कठोरता को जन्म दे सकती है, जबकि नैतिक सापेक्षवाद अन्याय को उचित ठहरा सकता है। नैतिक निर्णय लेने में इन दोनों के बीच संतुलन आवश्यक है।” उपयुक्त उदाहरण देकर इसकी पुष्टि कीजिये। (150 शब्द)
23 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
एक राज्य विभाग में लोक सूचना अधिकारी (PIO) के पद पर तैनात IAS अधिकारी ऋतिका, RTI अनुरोधों के निपटान में व्यापक कुप्रबंधन के कारण बढ़ती चुनौतियों का सामना कर रही हैं। नागरिक लगातार शिकायत कर रहे हैं कि सूचना देने में विधिक समय-सीमा से अधिक विलंब किया जा रहा है, सूचनाएँ अधूरी हैं या मनमाने ढंग से छूट (Exemption) के आधार पर अस्वीकार की जा रही हैं। कई RTI आवेदन सार्वजनिक खरीद, पर्यावरणीय मंज़ूरी और निधि उपयोग से संबंधित हैं, जिससे भ्रष्टाचार एवं प्रशासनिक अस्पष्टता की चिंताएँ बढ़ रही हैं।
ऋतिका के बार-बार स्मरण कराने और फॉलो-अप करने के बावजूद, लंबित RTI प्रकरणों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारी समयबद्ध अनुपालन से बचने का परोक्ष दबाव बना रहे हैं क्योंकि उन्हें आशंका है कि सूचनाओं के खुलासे से कुछ अनियमितताएँ उजागर हो सकती हैं और प्रभावशाली ठेकेदारों या राजनीतिक संरक्षण प्राप्त व्यक्तियों की संलिप्तता सामने आ सकती है। कुछ कनिष्ठ अधिकारी भी यह भय व्यक्त कर चुके हैं कि यदि वे RTI अधिनियम का सख्ती से पालन करेंगे तो उन्हें उत्पीड़न, स्थानांतरण या न्यायिक मामलों का सामना करना पड़ सकता है। दूसरी ओर, नागरिक समाज संगठन तथा मीडिया संस्थान पारदर्शिता, समयबद्ध सूचना और सार्वजनिक उत्तरदायित्व की माँग कर रहे हैं।
राज्य सरकार, संभावित नकारात्मक प्रचार और राजनीतिक परिणामों को ध्यान में रखते हुए, ऋतिका को परोक्ष रूप से यह निर्देश दे रही है कि वह “अनावश्यक खुलासों से बचें” और विभागीय समरसता बनाए रखें। साथ ही, केंद्रीय सूचना आयोग एवं स्थानीय न्यायालय RTI अनुपालन पर सक्रिय निगरानी रखे हुए हैं तथा विलंब व आंशिक सूचनाओं के विरुद्ध कुछ जनहित याचिकाएँ (PILs) भी दायर की जा चुकी हैं।
प्रश्न:
A. इस स्थिति में ऋतिका के सामने कौन-सी नैतिक दुविधाएँ हैं?
17 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
B. उसके लिये उपलब्ध विकल्पों और उनके संभावित परिणामों का मूल्यांकन कीजिये।
C. प्रशासनिक उत्तरदायित्व और नागरिक-केंद्रित शासन के आधार पर ऋतिका के लिये सबसे उपयुक्त कार्रवाई प्रस्तावित कीजिये।
D. पारदर्शिता और सहभागी शासन सुनिश्चित करते हुए, RTI कार्यान्वयन में सुधार, लंबित मामलों को कम करने तथा अधिकारियों को प्रतिशोध से बचाने के लिये दीर्घकालिक प्रणालीगत सुधारों का प्रस्ताव कीजिये। -
प्रश्न. “प्रशासन में नैतिक दुविधाएँ अपरिहार्य हैं, लेकिन नैतिक निर्णय लेना अपरिहार्य है।” नैतिक तर्क और संघर्ष समाधान के संदर्भ में व्याख्या कीजिये। (150 शब्द)
16 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
प्रश्न. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), बिग डेटा और डिजिटल गवर्नेंस जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्पन्न नैतिक चुनौतियों का मूल्यांकन कीजिये। लोक प्रशासन में नैतिक ढाँचों को इनकी स्वीकृति के लिये किस प्रकार मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिये? (150 शब्द)
16 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
केस स्टडी
किसी नदी तटीय ज़िले में ज़िला मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात एक IAS अधिकारी अशोक को नदी के किनारे बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध रेत खनन के कारण बढ़ती चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मानसून के मौसम में प्रतिबंध और सख्त पर्यावरणीय नियमों के बावजूद, स्थानीय ठेकेदारों, ट्रांसपोर्टरों और प्रभावशाली राजनीतिक हस्तियों के बीच साझेदारी के कारण अवैध रेत निष्कर्षण जारी है।
अवैध खनन के कारण गंभीर पर्यावरणीय क्षति हुई है, जिसमें नदी तट का क्षरण, भूजल स्तर में गिरावट और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान शामिल है। इसके अलावा, ओवरलोडेड ट्रकों के कारण बार-बार सड़क दुर्घटनाएँ हो रही हैं और सरकारी राजस्व में कमी आ रही है।
अशोक के नेतृत्व में प्रशासन ने कई छापेमारी की है, वाहन जब्त किये हैं और प्राथमिकी दर्ज की हैं, लेकिन राजनीतिक संरक्षकों के समर्थन से स्थानीय खनिकों ने प्रशासन पर ‘विकास-विरोधी’ कार्रवाई का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किये हैं। कुछ अधिकारियों को धमकियाँ मिली हैं और कुछ ने यह भी संकेत दिया है कि रेत माफिया का सामना करना उनकी सुरक्षा या पोस्टिंग पर असर डाल सकता है। इस बावजूद, ईमानदार कनिष्ठ अधिकारी, अशोक से नैतिक नेतृत्व की अपेक्षा रखते हैं, जबकि स्थानीय मीडिया और पर्यावरण कार्यकर्त्ता कड़ी कार्रवाई और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।
राज्य सरकार ने बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये निर्माण सामग्री की आवश्यकता को देखते हुए अशोक से “संघर्ष से बचने” और कानून-व्यवस्था बनाए रखने का अनुरोध किया है। हालाँकि, पर्यावरणीय क्षति जारी है और न्यायपालिका ने हाल ही में खनन नियमों के अनुपालन पर एक रिपोर्ट भी माँगी है।
प्रश्न:
A. इस स्थिति में अशोक के समक्ष कौन-सी नैतिक दुविधाएँ हैं?
B. अशोक के समक्ष उपलब्ध विकल्पों और उनके संभावित परिणामों का मूल्यांकन कीजिये।
C. पर्यावरणीय नैतिकता और प्रशासनिक उत्तरदायित्व के आधार पर अशोक के लिये सबसे उपयुक्त कार्यवाही को प्रस्तावित कीजिये।
D. विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाते हुए अवैध रेत खनन पर अंकुश लगाने के लिये दीर्घकालिक प्रणालीगत सुधारों का सुझाव दीजिये। (250 शब्द)
10 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़ -
प्रश्न. “सहानुभूति अधिकार को सेवा में रूपांतरित करती है।” प्रशासनिक उत्तरदायित्वों में भावनात्मक बुद्धिमत्ता एवं करुणा की प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
09 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
प्रश्न. “भारत की तीव्र आर्थिक प्रगति के बावजूद सामाजिक असमानता और पर्यावरणीय क्षरण जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।” समावेशी एवं सतत् विकास सुनिश्चित करने हेतु एक नैतिक कार्यढाँचे की आवश्यकता पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
09 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न