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कुल प्रश्नों की संख्या : 1131
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प्रश्न. सुशासन की मूल विशेषताएँ क्या हैं? समालोचनात्मक रूप से मूल्यांकन कीजिये कि भारत में ई-गवर्नेंस पहलों ने पारदर्शिता, दायित्व और नागरिक सहभागिता को बढ़ाने में किस प्रकार योगदान दिया है। (150 शब्द)
13 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
प्रश्न. नैतिक अंतःप्रज्ञा (Moral Intuition) और नैतिक तर्क (Moral Reasoning) मिलकर नैतिक निर्णय (Ethical Judgment) को किस प्रकार प्रभावित करते हैं, व्याख्या कीजिये। अपने उत्तर को सिविल सेवा के उदाहरणों से स्पष्ट कीजिये। (150 शब्द)
13 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
तेज़ी से शहरीकृत होते एक महानगर के नगर आयुक्त (Municipal Commissioner) के रूप में कार्यरत भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी अरुण मेहता शहर में प्रदूषित वायु के कारण हो रही मृत्यु दर और श्वसन संबंधी बीमारियों की बढ़ती घटनाओं से बहुत चिंतित हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एक प्रतिष्ठित चिकित्सीय संस्थान की हालिया रिपोर्टों से यह तथ्य सामने आया है कि वायु में सूक्ष्म कणिका पदार्थों (PM2.5) की मात्रा अनुमेय सीमा से 4–5 गुना अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप बच्चों और वृद्ध जनों में फेफड़ों की बीमारियों में तेज़ी से वृद्धि हुई है।
इन चेतावनियों के बावजूद कई प्रभावशाली निर्माण कंपनियाँ और परिवहन संघ धूल नियंत्रण, उत्सर्जन और अपशिष्ट निपटान मानदंडों का उल्लंघन करते रहते हैं। जब अरुण नियमों का सख्त पालन करने और प्रदूषणकारी निर्माण स्थलों को अस्थायी रूप से बंद करने का प्रस्ताव रखते हैं, तो उन्हें स्थानीय राजनेताओं एवं व्यावसायिक समूहों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ता है, जिनका तर्क है कि ऐसे कदम “विकास और रोज़गार को नुकसान पहुँचाएँगे।” कुछ मीडिया संस्थान भी उनकी पहलों को “विकास-रोधी” कहकर आलोचना करते हैं।
इसी बीच, नागरिक समूह और पर्यावरणीय गैर-सरकारी संगठन (NGOs) अनुच्छेद 21 के अंतर्गत स्वस्थ पर्यावरण के संवैधानिक अधिकार का हवाला देते हुए त्वरित कार्रवाई की मांग करते हैं। दूसरी ओर, नगर निगम के कर्मचारी अपर्याप्त सुरक्षा उपकरणों और विभागों के बीच समन्वय की कमी की शिकायत करते हैं। जनाक्रोश की आशंका से राज्य सरकार, ठोस कार्रवाई करने के बजाय ‘मामले का अध्ययन’ करने के लिये एक समिति का गठन करती है, जिससे ठोस कार्रवाई में विलंब होता है।
अब अरुण को यह तय करना है कि उल्लंघनकर्त्ताओं के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए और प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों को सख्ती से लागू किया जाए, या निहित स्वार्थों और राजनीतिक प्रतिक्रिया से संघर्ष से बचने के लिये क्रमिक दृष्टिकोण अपनाया जाए। उनका यह निर्णय उनके प्रशासनिक साहस, नैतिक दृढ़ता और जन कल्याण के प्रति कर्त्तव्य-निष्ठा की वास्तविक परीक्षा होगा।
प्रश्न:
1. इस परिस्थिति में अरुण मेहता को किन प्रमुख नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है?
2. इस मामले में शामिल परस्पर विरोधी मूल्यों और सिद्धांतों की का अभिनिर्धारण कर उनका विश्लेषण कीजिये।
3. अरुण के समक्ष उपलब्ध संभावित कार्यवाही की समीक्षा कीजिये तथा उनके संभावित परिणामों का मूल्यांकन कीजिये।
4. पर्यावरण संरक्षण और विकासात्मक आवश्यकताओं के बीच संतुलन स्थापित करते हुए सबसे नैतिक तथा प्रशासनिक दृष्टि से उपयुक्त कार्यवाही प्रस्तावित कीजिये।
07 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़ -
प्रश्न. अंतरात्मा का संकट (Crisis of conscience) शब्द से आप क्या समझते हैं? अपने व्यक्तिगत या सार्वजनिक जीवन के किसी उदाहरण की सहायता से स्पष्ट कीजिये कि आपने ऐसी स्थिति का सामना किस प्रकार किया। (150 शब्द)
06 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
प्रश्न. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह उद्धरण आपको क्या संदेश देता है?
06 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
"ज्ञान का सर्वोच्च रूप सहानुभूति है, क्योंकि इसके लिये हमें अपने अहंकार को त्यागकर दूसरों के संसार में प्रवेश करना पड़ता है।"
— बिल बुलार्ड (150 शब्द) -
उत्तरी राज्य में उप महानिरीक्षक (DIG) के पद पर कार्यरत एक IPS अधिकारी, रोहित कुमार ने हाल ही में पुलिसकर्मियों में पदोन्नति और तैनाती से जुड़े निर्णयों को लेकर बढ़ती असंतुष्टि को देखा है। अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के कई अधिकारियों का आरोप है कि उन्हें प्रमुख परिचालन पदों के लिये नियमित रूप से जानबूझकर दूर रखा जाता है तथा उत्कृष्ट सेवा रिकॉर्ड होने के बावजूद समय पर पदोन्नति नहीं दी जाती। कुछ विशेष सामाजिक पृष्ठभूमि के अधिकारियों को प्रायः शहरी और संवेदनशील ज़िलों में प्रभावशाली पदों पर नियुक्तियों के लिये वरीयता दी जाती है, भले ही उनसे अधिक योग्य अधिकारी उपलब्ध क्यों न हों।
SC/ST अधिकारी संघ द्वारा की गई एक आंतरिक शिकायत में प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (APAR) में पूर्वाग्रह के संकेत मिलने की बात कही गयी है, जहाँ सूक्ष्म भेदभाव के कारण कम ग्रेड दिये जाते हैं। संघ ने रोहित से कार्रवाई करने और निष्पक्ष प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है। हालाँकि, जब रोहित विभागीय बैठकों में इस मुद्दे को उठाते हैं, तो वरिष्ठ अधिकारी उन्हें ‘जातिगत मुद्दों को भड़काने से बचने’ और संस्थागत एकता बनाए रखने की सलाह देते हैं। कुछ तो यह भी चेतावनी देते हैं कि इस मुद्दे को आगे बढ़ाने से उनके कॅरियर की प्रगति प्रभावित हो सकती है तथा राजनीतिक प्रतिक्रिया हो सकती है।
पुलिस पोस्टिंग में जाति-आधारित पूर्वाग्रह पर हालिया मीडिया रिपोर्टों के बाद सार्वजनिक आलोचना का सामना कर रही राज्य सरकार ने एक बयान जारी कर आंतरिक जाँच का वादा किया है। हालाँकि, इस मुद्दे को व्यवस्थागत भेदभाव के बजाय ‘गलतफहमी मात्र’ बताकर कमतर आँकने की कोशिश की जा रही है। इस बीच प्रभावित अधिकारी निराश महसूस कर रहे हैं और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से संपर्क करने पर विचार कर रहे हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी होने के नाते, रोहित से अपेक्षा की जाती है कि वे संस्थागत अनुशासन और प्रशासनिक दक्षता बनाए रखते हुए समता एवं न्याय के संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखें। यह स्थिति कार्मिक प्रबंधन में निष्पक्षता सुनिश्चित करने तथा संगठनात्मक स्थिरता बनाए रखने के बीच एक सावधानीपूर्वक संतुलन की माँग करती है।
प्रश्न:
A. इस स्थिति में रोहित कुमार के समक्ष कौन-कौन सी प्रमुख नैतिक दुविधाएँ क्या हैं?
B. इस मामले में शामिल परस्पर विरोधी मूल्यों और सिद्धांतों का अभिनिर्धारण कर उनका विश्लेषण कीजिये।
C. रोहित के लिये उपलब्ध संभावित कार्यवाही और उनके संभावित परिणामों का मूल्यांकन कीजिये।
D. निष्पक्षता और संस्थागत अखंडता सुनिश्चित करने के लिये रोहित को कौन-सा सबसे नैतिक एवं प्रशासनिक रूप से सही कदम उठाना चाहिये, इसका सुझाव दीजिये।
31 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़ -
प्रश्न “वैश्विक राजनीति के रंगमंच पर प्रायः सबसे पहले नैतिकता की बलि चढ़ती है।” उस नैतिक द्वन्द्व का विश्लेषण कीजिये जिसका सामना राष्ट्र तब करते हैं जब उनके सामरिक हित मानवतावादी उत्तरदायित्वों से असंगत होते हैं। हाल के उदाहरणों से स्पष्ट कीजिये। (150 शब्द)
30 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
प्रश्न. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में निम्नलिखित उद्धरण आपको क्या संदेश देता है?
30 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
“बुराई की विजय के लिये केवल इतना ही पर्याप्त है कि अच्छे लोग कुछ न करें।” — एडमंड बर्क (150 शब्द) -
एक दुखद घटना में, राज्य के एक ज़िले में बीस से अधिक बच्चों ने एक व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली कफ सिरप पीने से अपनी जान गँवा दी, जो बाद में मिलावटी पाई गई। राज्य के औषधि नियंत्रण विभाग में तैनात एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अनन्या को इस मामले की जाँच एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है।
जब वह रिकॉर्ड की जाँच करती हैं, तो उन्हें औषधि परीक्षण प्रक्रियाओं में गंभीर लापरवाहियाँ, निरीक्षणों में विलंब तथा कुछ स्थानीय वितरकों और निर्माताओं के बीच मिलीभगत जैसी चिंताजनक बातें पता चलती हैं। अभिभावक और नागरिक समाज संगठन जाँच रिपोर्ट को तुरंत सार्वजनिक करने, दोषियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई करने तथा भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिये तंत्रगत सुधारों की माँग कर रहे हैं।
इस दौरान, राज्य के स्वास्थ्य विभाग पर जनता के आक्रोश को नियंत्रित करने और नकारात्मक मीडिया कवरेज को रोकने का भारी राजनीतिक दबाव है। कुछ वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अनन्या को सरकार और प्रभावशाली हितधारकों की प्रतिष्ठा को नुकसान से बचाने के लिये ‘मामले को चुपचाप निपटाने’ की सलाह देते हैं, साथ ही यह चेतावनी भी देते हैं कि सख्त प्रवर्तन उनके कॅरियर को खतरे में डाल सकता है।
नमूना परीक्षण और रिपोर्टिंग में शामिल कनिष्ठ अधिकारियों को डर है कि अगर वे तथ्यों का पूरा खुलासा करते हैं तो उन्हें उत्पीड़न, स्थानांतरण या कानूनी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। साथ ही, न्यायालय ने स्वप्रेरणा से संज्ञान (Suo motu cognisance) लिया है, जिनमें जाँच में पारदर्शिता, प्रभावित परिवारों को मुआवज़ा एवं औषधि सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी में सुधार की माँग करते हुए कई जनहित याचिकाएँ दायर की गई हैं।
प्रश्न:
A. इस परिप्रेक्ष्य में डॉ. अनन्या के समक्ष कौन-सी नैतिक दुविधाएँ हैं?
B. उनके पास उपलब्ध विकल्पों का मूल्यांकन कीजिये तथा उनके संभावित परिणामों का विश्लेषण कीजिये।
C. प्रशासनिक उत्तरदायित्व और नागरिक कल्याण के बीच संतुलन के आधार पर डॉ. अनन्या के लिये सबसे उपयुक्त कार्रवाई का सुझाव दीजिये।
D. औषधि सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिये दीर्घकालिक प्रणालीगत सुधारों को प्रस्तावित कीजिये।
24 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़ -
प्रश्न. “नैतिक निरपेक्षवाद कठोरता को जन्म दे सकती है, जबकि नैतिक सापेक्षवाद अन्याय को उचित ठहरा सकता है। नैतिक निर्णय लेने में इन दोनों के बीच संतुलन आवश्यक है।” उपयुक्त उदाहरण देकर इसकी पुष्टि कीजिये। (150 शब्द)
23 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
प्रश्न. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में निम्नलिखित उद्धरण आपको क्या संदेश देता है?
23 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
“हम ऐसी शिक्षा चाहते हैं जिससे चरित्र का निर्माण हो, मानसिक शक्ति बढ़े, बुद्धि का विकास हो और व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा हो सके।” — स्वामी विवेकानंद। (150 शब्द) -
एक राज्य विभाग में लोक सूचना अधिकारी (PIO) के पद पर तैनात IAS अधिकारी ऋतिका, RTI अनुरोधों के निपटान में व्यापक कुप्रबंधन के कारण बढ़ती चुनौतियों का सामना कर रही हैं। नागरिक लगातार शिकायत कर रहे हैं कि सूचना देने में विधिक समय-सीमा से अधिक विलंब किया जा रहा है, सूचनाएँ अधूरी हैं या मनमाने ढंग से छूट (Exemption) के आधार पर अस्वीकार की जा रही हैं। कई RTI आवेदन सार्वजनिक खरीद, पर्यावरणीय मंज़ूरी और निधि उपयोग से संबंधित हैं, जिससे भ्रष्टाचार एवं प्रशासनिक अस्पष्टता की चिंताएँ बढ़ रही हैं।
ऋतिका के बार-बार स्मरण कराने और फॉलो-अप करने के बावजूद, लंबित RTI प्रकरणों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारी समयबद्ध अनुपालन से बचने का परोक्ष दबाव बना रहे हैं क्योंकि उन्हें आशंका है कि सूचनाओं के खुलासे से कुछ अनियमितताएँ उजागर हो सकती हैं और प्रभावशाली ठेकेदारों या राजनीतिक संरक्षण प्राप्त व्यक्तियों की संलिप्तता सामने आ सकती है। कुछ कनिष्ठ अधिकारी भी यह भय व्यक्त कर चुके हैं कि यदि वे RTI अधिनियम का सख्ती से पालन करेंगे तो उन्हें उत्पीड़न, स्थानांतरण या न्यायिक मामलों का सामना करना पड़ सकता है। दूसरी ओर, नागरिक समाज संगठन तथा मीडिया संस्थान पारदर्शिता, समयबद्ध सूचना और सार्वजनिक उत्तरदायित्व की माँग कर रहे हैं।
राज्य सरकार, संभावित नकारात्मक प्रचार और राजनीतिक परिणामों को ध्यान में रखते हुए, ऋतिका को परोक्ष रूप से यह निर्देश दे रही है कि वह “अनावश्यक खुलासों से बचें” और विभागीय समरसता बनाए रखें। साथ ही, केंद्रीय सूचना आयोग एवं स्थानीय न्यायालय RTI अनुपालन पर सक्रिय निगरानी रखे हुए हैं तथा विलंब व आंशिक सूचनाओं के विरुद्ध कुछ जनहित याचिकाएँ (PILs) भी दायर की जा चुकी हैं।
प्रश्न:
A. इस स्थिति में ऋतिका के सामने कौन-सी नैतिक दुविधाएँ हैं?
17 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
B. उसके लिये उपलब्ध विकल्पों और उनके संभावित परिणामों का मूल्यांकन कीजिये।
C. प्रशासनिक उत्तरदायित्व और नागरिक-केंद्रित शासन के आधार पर ऋतिका के लिये सबसे उपयुक्त कार्रवाई प्रस्तावित कीजिये।
D. पारदर्शिता और सहभागी शासन सुनिश्चित करते हुए, RTI कार्यान्वयन में सुधार, लंबित मामलों को कम करने तथा अधिकारियों को प्रतिशोध से बचाने के लिये दीर्घकालिक प्रणालीगत सुधारों का प्रस्ताव कीजिये। -
प्रश्न. “प्रशासन में नैतिक दुविधाएँ अपरिहार्य हैं, लेकिन नैतिक निर्णय लेना अपरिहार्य है।” नैतिक तर्क और संघर्ष समाधान के संदर्भ में व्याख्या कीजिये। (150 शब्द)
16 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
प्रश्न. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), बिग डेटा और डिजिटल गवर्नेंस जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्पन्न नैतिक चुनौतियों का मूल्यांकन कीजिये। लोक प्रशासन में नैतिक ढाँचों को इनकी स्वीकृति के लिये किस प्रकार मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिये? (150 शब्द)
16 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
केस स्टडी
किसी नदी तटीय ज़िले में ज़िला मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात एक IAS अधिकारी अशोक को नदी के किनारे बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध रेत खनन के कारण बढ़ती चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मानसून के मौसम में प्रतिबंध और सख्त पर्यावरणीय नियमों के बावजूद, स्थानीय ठेकेदारों, ट्रांसपोर्टरों और प्रभावशाली राजनीतिक हस्तियों के बीच साझेदारी के कारण अवैध रेत निष्कर्षण जारी है।
अवैध खनन के कारण गंभीर पर्यावरणीय क्षति हुई है, जिसमें नदी तट का क्षरण, भूजल स्तर में गिरावट और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान शामिल है। इसके अलावा, ओवरलोडेड ट्रकों के कारण बार-बार सड़क दुर्घटनाएँ हो रही हैं और सरकारी राजस्व में कमी आ रही है।
अशोक के नेतृत्व में प्रशासन ने कई छापेमारी की है, वाहन जब्त किये हैं और प्राथमिकी दर्ज की हैं, लेकिन राजनीतिक संरक्षकों के समर्थन से स्थानीय खनिकों ने प्रशासन पर ‘विकास-विरोधी’ कार्रवाई का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किये हैं। कुछ अधिकारियों को धमकियाँ मिली हैं और कुछ ने यह भी संकेत दिया है कि रेत माफिया का सामना करना उनकी सुरक्षा या पोस्टिंग पर असर डाल सकता है। इस बावजूद, ईमानदार कनिष्ठ अधिकारी, अशोक से नैतिक नेतृत्व की अपेक्षा रखते हैं, जबकि स्थानीय मीडिया और पर्यावरण कार्यकर्त्ता कड़ी कार्रवाई और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।
राज्य सरकार ने बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये निर्माण सामग्री की आवश्यकता को देखते हुए अशोक से “संघर्ष से बचने” और कानून-व्यवस्था बनाए रखने का अनुरोध किया है। हालाँकि, पर्यावरणीय क्षति जारी है और न्यायपालिका ने हाल ही में खनन नियमों के अनुपालन पर एक रिपोर्ट भी माँगी है।
प्रश्न:
A. इस स्थिति में अशोक के समक्ष कौन-सी नैतिक दुविधाएँ हैं?
B. अशोक के समक्ष उपलब्ध विकल्पों और उनके संभावित परिणामों का मूल्यांकन कीजिये।
C. पर्यावरणीय नैतिकता और प्रशासनिक उत्तरदायित्व के आधार पर अशोक के लिये सबसे उपयुक्त कार्यवाही को प्रस्तावित कीजिये।
D. विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाते हुए अवैध रेत खनन पर अंकुश लगाने के लिये दीर्घकालिक प्रणालीगत सुधारों का सुझाव दीजिये। (250 शब्द)
10 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़ -
प्रश्न. “भारत की तीव्र आर्थिक प्रगति के बावजूद सामाजिक असमानता और पर्यावरणीय क्षरण जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।” समावेशी एवं सतत् विकास सुनिश्चित करने हेतु एक नैतिक कार्यढाँचे की आवश्यकता पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
09 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
प्रश्न. “सहानुभूति अधिकार को सेवा में रूपांतरित करती है।” प्रशासनिक उत्तरदायित्वों में भावनात्मक बुद्धिमत्ता एवं करुणा की प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
09 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
रवि, एक IAS अधिकारी, एक राजनीतिक रूप से संवेदनशील ज़िले में ज़िला मजिस्ट्रेट के पद पर कार्यरत हैं। शासक दल द्वारा अपनी ताकत दिखाने के लिये एक विशाल राजनीतिक रैली आयोजित की गई थी, जिसमें लगभग दो लाख लोग शामिल होने की संभावना थी। वरिष्ठ नेता इसमें शामिल होने वाले थे तथा इस कार्यक्रम का व्यापक स्तर पर प्रचार किया गया था। हालाँकि रवि के कार्यालय ने पहले ही बैरिकेडिंग, निकासी मार्ग, पुलिस तैनाती और चिकित्सा तैयारियों के संबंध में सलाहें जारी की थीं, आयोजकों ने कई निर्देशों की अनदेखी की, यह कहकर कि बजट की सीमाएँ और तात्कालिकता की वजह से ऐसा करना संभव नहीं है।
रैली के दिन स्थिति अराजक हो गई। प्रवेश एवं निकास द्वार अत्यधिक भीड़ से भर गए, भीड़ प्रबंधन ठीक से नहीं किया गया तथा चिकित्सा सुविधाएँ अपर्याप्त थीं। रैली के दौरान, मंच के पास जाने के लिये लोगों द्वारा अचानक धक्का-मुक्की ने दहशत उत्पन्न कर दी, जिससे भगदड़ मची। इस घटना में कई लोगों की जान चली गई, कई घायल हुए तथा यह घटना व्यापक गुस्से और आक्रोश को जन्म देने वाली सिद्ध हुई।
विभिन्न हितधारकों की प्रतिक्रियाएँ तीव्र रही। मृतकों के परिवारों ने न्याय, जवाबदेही और त्वरित मुआवज़े की मांग की। नागरिक समाज के समूहों व मीडिया ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। विपक्षी दलों का दावा था कि सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिये लोगों की जान को खतरे में डाला। वहीं, शासक दल ने रवि पर दबाव डाला कि वह इस घटना को कम महत्त्व दें एवं इसे एक “अपरिहार्य त्रासदी” के रूप में प्रस्तुत करें। कुछ अधिकारियों ने यह भी सुझाव दिया कि गलतियों को उजागर करने से अशांति उत्पन्न सकती है तथा यह रवि के कॅरियर के लिये जोखिम भी बन सकता है।
अब रवि एक द्वंद का सामना कर रहे हैं। ज़िले के प्रशासनिक प्रमुख के रूप में, वे जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा कानून के शासन को बनाए रखने के लिये ज़िम्मेदार हैं। वहीं, उन्हें राजनीतिक दबाव, ट्रांसफर का खतरा एवं व्यक्तिगत धमकियों का भी सामना करना पड़ रहा है। उनके विकल्पों के परिणाम न केवल उनके कॅरियर पर, बल्कि शासन की विश्वसनीयता व जनता के विश्वास पर भी प्रभाव डालेंगे।
प्रश्न
1. रवि इस स्थिति में किन नैतिक द्वंद्वों का सामना कर रहे हैं?
2. रवि के पास उपलब्ध विकल्पों का मूल्यांकन कीजिये और प्रत्येक के संभावित परिणाम बताइए।
3. संवैधानिक मूल्यों और अच्छे शासन के सिद्धांतों के संदर्भ में रवि के लिये सबसे उपयुक्त कार्यवाही क्या हो सकती है, सुझाव दीजिये।
4. भीड़ प्रबंधन में सुधार करने और बड़े राजनीतिक एवं सार्वजनिक आयोजनों में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये दीर्घकालीन सुधार क्या लागू किये जा सकते हैं? (250 शब्द)
03 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़ -
आप अनिल हैं, भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के एक अधिकारी, जो वर्तमान में एक राजनीतिक रूप से संवेदनशील ज़िले में ज़िला निर्वाचन अधिकारी (DEO) के पद पर कार्यरत हैं। चुनाव आने वाले दो हफ्तों में होने वाले हैं तथा आपकी ज़िम्मेदारी एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करना है।
पिछले कुछ दिनों में आपको राजनीतिक दलों, नागरिक समाज समूहों और स्वतंत्र पर्यवेक्षकों से गंभीर अनियमितताओं की अनेक शिकायतें प्राप्त हुई हैं। कई वास्तविक मतदाताओं के नाम रहस्यमय ढंग से मतदाता सूची से हटा दिये गए हैं, जबकि मृत व्यक्तियों के नाम और फर्जी प्रविष्टियाँ अब भी बनी हुई हैं। सत्तारूढ़ दल के प्रत्याशियों पर सरकारी वाहन, कल्याणकारी योजनाओं और सार्वजनिक धन का दुरुपयोग कर चुनाव प्रचार करने का आरोप है। कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में विपक्षी कार्यकर्त्ताओं और मतदाताओं को डराने-धमकाने के लिये बाहुबलियों के उपयोग की भी रिपोर्ट मिली है। कुछ निम्न स्तर के चुनावी कर्मचारी पक्षपातपूर्ण दिखाई देते हैं और उन पर प्रभावशाली प्रत्याशियों से मिलीभगत करने का संदेह है। इसके अतिरिक्त, वोट खरीदने के लिये नकद, शराब और मुफ्त उपहार बाँटने के व्यापक आरोप भी सामने आए हैं।
जब आप इन मामलों को वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाते हैं, तो आपको इन्हें “गैर-महत्त्वपूर्ण परिचालन संबंधी मुद्दे” मानकर आगे न बढ़ाने की सलाह दी जाती है। राजनेता आपको चेतावनी देते हैं कि सख्त कार्रवाई से अशांति उत्पन्न हो सकती है, हिंसा भड़क सकती है एवं आपके कॅरियर व परिवार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। वहीं दूसरी ओर, नागरिक समाज समूह, चुनाव आयोग के प्रेक्षक एवं मीडिया के कुछ वर्ग जवाबदेही तथा चुनावी कानूनों के सख्त अनुपालन की मांग कर रहे हैं।
जोखिम बहुत अधिक हैं। एक ओर, आपका कर्त्तव्य चुनावों की पवित्रता को बनाए रखना है, जो लोकतंत्र की नींव है। दूसरी ओर, यदि आप इस मामले को पूरी पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ाते हैं, तो आपको राजनीतिक प्रतिशोध, कॅरियर में बाधाएँ और व्यक्तिगत जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।
प्रश्न.
A. इस परिस्थिति में अनिल के समक्ष कौन-से नैतिक द्वंद्व उपस्थित हैं?
B. अनिल के समक्ष उपलब्ध विभिन्न विकल्पों का मूल्यांकन कीजिये तथा प्रत्येक विकल्प के संभावित परिणाम का विश्लेषण कीजिये।
C. संवैधानिक मूल्यों, नैतिक तर्क और सुशासन के सिद्धांतों के आलोक में अनिल के लिये सर्वोत्तम कार्यवाही का सुझाव दीजिये।
D. कैसे प्रणालीगत सुधारों को लागू किया जा सकता है ताकि लंबे समय में ऐसे चुनावी दुराचारों को कम किया जा सके? (250 शब्द)
26 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़ -
प्रश्न. “आवश्यक सेवाओं को वस्तुओं के रूप में नहीं देखा जा सकता।” आधुनिक समाज में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के व्यवसायीकरण से उत्पन्न नैतिक चिंताओं का विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)
25 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
प्रश्न. क्या मूल्य कानूनों से पहले स्थापित होते हैं, या कानून मूल्य निर्माण करते हैं? समाज में नैतिक मानदंडों के विकास के संदर्भ में विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)
25 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
केस स्टडी
आप भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी राहुल हैं, जो एक कृषि प्रधान ज़िले में ज़िला विकास अधिकारी के पद पर तैनात हैं। मौसमी बेरोज़गारी और संकटपूर्ण प्रवास से प्रभावित एक कृषि प्रधान ज़िले में ज़िला विकास अधिकारी के पद पर तैनात हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MNREGA) इस क्षेत्र के लिये जीवनयापन का प्रमुख सहारा है, जो ग्रामीण परिवारों को मज़दूरी-आधारित रोज़गार उपलब्ध कराता है तथा साथ ही संवहनीय ग्रामीण परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक है। हालाँकि, हाल ही में, स्थानीय कार्यकर्त्ताओं और एक व्हिसलब्लोअर समूह ने कई ग्राम पंचायतों में MNREGA के कार्यान्वयन में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट तैयार किया है।
रिपोर्ट में जिन अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है, वे हैं —
a. मस्टर रोल पर फर्ज़ी लाभार्थी और फर्ज़ी जॉब-कार्ड।
b. ग्रामीण विकास कार्यों (जैसे: सड़कें, जल-संचयन संरचनाएँ आदि) का मापन और बिलों की राशि वास्तविकता से कहीं अधिक दिखायी गई, जबकि ज़मीनी स्तर पर काम बहुत कम हुआ है या बिल्कुल हुआ ही नहीं है।
c. स्थानीय ठेकेदारों, पंचायत पदाधिकारियों और कुछ कनिष्ठ अधिकारियों के बीच मिलीभगत जो कमीशन बाँटते हैं।
d. वेतन भुगतान में विलंब जिसके कारण श्रमिकों को शीघ्र भुगतान के लिये रिश्वत लेने के लिये विवश होना पड़ता है।
e. निजी ठेकेदारों को धनराशि अंतरित करने के लिये जानबूझकर कार्य का गलत वर्गीकरण।
f. हाल ही में हुए एक सामाजिक अंकेक्षण से पता चला है कि कई परिसंपत्तियाँ न तो बनीं और न ही मानक के अनुरूप थीं।
g. राज्य ग्रामीण विकास विभाग के पिछले ऑडिट नोट्स में भी इसी तरह के मुद्दों को उठाया गया था, लेकिन उन पर नाममात्र की कार्रवाई हुई।
MNREGA के परिणामों का आकलन करने के लिये केंद्रीय मंत्रालय की एक टीम अगले सप्ताह ज़िले का दौरा करने वाली है। आपके राजनीतिक वरिष्ठों और ज़िला के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने आपको ऐसी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है जिसमें ‘संचालन संबंधी बाधाओं’ एवं प्राकृतिक कारकों (खराब मॉनसून, प्रवासन) को कमियों के लिये उत्तरदायी बताया गया हो, तथा व्यवस्थागत भ्रष्टाचार का उल्लेख न किया गया हो। आपको चेतावनी दी गई है कि सच्चाई उजागर करने पर आपका तबादला हो सकता है, आपके सेवा रिकॉर्ड में नकारात्मक प्रविष्टियाँ दर्ज हो सकती हैं तथा आपके परिवार पर राजनीतिक प्रतिशोध हो सकता है। वहीं यदि आप आज्ञा का पालन कर के सच्चाई छुपाते हैं तो लाखों श्रमिकों के अधिकारों का वंचन होता रहेगा और भ्रष्टाचार जारी रहेगा।
स्थानीय ग्रामवासी, श्रमिक संघ और नागरिक समाज समूह एक पूर्ण, पारदर्शी सार्वजनिक रिपोर्ट, दोषियों पर मुकदमा चलाने, समय पर मज़दूरी भुगतान और वास्तविक MNREGA कार्यों की बहाली की माँग कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर के मीडिया और उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (PIL) ने भी ज़िले की समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
प्रश्न:
1. राहुल के समक्ष कौन-कौन सी नैतिक दुविधाएँ हैं?
2. उनके समक्ष उपलब्ध विकल्पों और प्रत्येक विकल्प के संभावित परिणामों का मूल्यांकन कीजिये।
3. राहुल के लिये सर्वोत्तम कार्ययोजना का सुझाव दीजिये।
4. नैतिक तर्क और सुशासन के सिद्धांतों के आधार पर अपनी अनुशंसा का औचित्य प्रस्तुत कीजिये। (250 शब्द)
19 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़ -
प्रश्न. “संस्थाओं में जनविश्वास प्राय: कानूनों के अभाव से नहीं, बल्कि नैतिक मूल्यों के क्षरण से कम होता है।” सिविल सेवाओं में जवाबदेही, विवेक और भ्रष्टाचार की चुनौतियों के संदर्भ में इस कथन का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)
18 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
प्रश्न. “कल्याणकारी नीतियों के माध्यम से सामाजिक पुनर्निर्माण के लिये न केवल प्रशासनिक दक्षता, बल्कि सिविल सेवकों द्वारा नैतिक तर्क और आलोचनात्मक विश्लेषण की भी आवश्यकता होती है।” उपयुक्त उदाहरणों के साथ विवेचना कीजिये। (150 शब्द)
18 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
केस स्टडी:
अर्जुन एक IAS अधिकारी हैं जो एक पिछड़े ज़िले में जिला मजिस्ट्रेट (DM) के रूप में नियुक्त हैं। हाल ही में इस ज़िले को ‘आकांक्षी ज़िला’ घोषित किया गया है तथा इसे शिक्षा, स्वास्थ्य और अवसंरचना विकास हेतु विशेष निधि प्राप्त हो रही है।
नियमित समीक्षा के दौरान अर्जुन को पता चलता है कि शिक्षा हेतु प्राप्त बड़ी राशि का एक हिस्सा मध्य-स्तरीय अधिकारियों द्वारा एक नये VIP गेस्ट हाउस के निर्माण में लगा दिया गया है। इसके पीछे यह तर्क दिया गया है कि मंत्रियों एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के लगातार दौरे के लिये बेहतर आवास सुविधाओं की आवश्यकता होती है, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से ज़िले को अधिक ध्यान और परियोजनाएँ मिल सकेंगी।
जब अर्जुन इस पर आपत्ति जताते हैं तो अधिकारी तर्क देते हैं कि:
I. इस परियोजना को राजनीतिक समर्थन प्राप्त है और इसे रोकने से प्रभावशाली नेताओं की नाराज़गी हो सकती है।
II. गेस्ट हाउस ‘तकनीकी दृष्टि से जनहित’ में है।
II. इस दुरुपयोग को उजागर करने से राजनीतिक प्रतिशोध के कारण अन्य योजनाओं में विलंब हो सकता है।
इसी बीच अर्जुन को स्थानीय नागरिक समाज समूहों से शिकायत मिलती है कि कई विद्यालयों में शौचालय, स्वच्छ पेयजल और शिक्षक जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है। अर्जुन पाते हैं कि निधि का इस प्रकार दुरुपयोग जारी रहने पर बच्चों की शिक्षा प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होगी तथा असमानता और भी बढ़ेगी।
यदि वे इसका विरोध करते हैं तो राजनीतिक नेताओं से संबंध बिगड़ने, स्थानांतरण की संभावना और ज़िले में उनके कार्य की निरंतरता पर संकट उत्पन्न हो सकता है। यदि वे चुपचाप इसे स्वीकार कर लेते हैं तो बच्चों के मूल अधिकारों का हनन होगा।
प्रश्न:
A. इस प्रकरण में अर्जुन किन नैतिक दुविधाओं का सामना कर रहे हैं?
B. यदि आप युवा लोक सेवकों को इस प्रकरण पर मार्गदर्शन दे रहे हों, तो ऐसी परिस्थितियों से निपटने हेतु आप किन नैतिक सिद्धांतों एवं नेतृत्व गुणों पर विशेष बल देंगे?
C. प्रशासनिक यथार्थवाद और नैतिक उत्तरदायित्व के बीच संतुलन बनाते हुए, अर्जुन के लिये सर्वाधिक उपयुक्त कार्रवाई क्या हो सकती है?
12 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़ -
प्रश्न. क्या सच्ची निष्पक्षता समानुभूति के साथ सह-अस्तित्व में रह सकती है या क्या समानुभूति अनिवार्य रूप से पूर्वाग्रह को जन्म देती है? लोक सेवा के संदर्भ में समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)
11 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
प्रश्न. क्या कर्त्तव्य का कठोर पालन कभी करुणा पर हावी हो सकता है? कांट के नैतिक सिद्धांत और लोक प्रशासन के संदर्भ में विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)
11 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
केस स्टडी
आप एक महानगर के ज़िलाधिकारी हैं। राज्य सरकार ने हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित प्रेडिक्टिव पुलिसिंग प्रणाली लागू की है, जिसका उद्देश्य अपराध की पूर्वानुमानित रोकथाम है। इसके लिये नागरिकों से संबंधित बिग डाटा, जैसे: CCTV फुटेज, मोबाइल रिकॉर्ड, ऑनलाइन गतिविधियों के पैटर्न आदि का विश्लेषण किया जा रहा है।
हालाँकि इस प्रणाली ने सड़क अपराधों को कम करने और प्रतिक्रिया समय में सुधार करने में प्रारंभिक सफलता तो दिखाई है, फिर भी कई चिंताएँ सामने आई हैं। नागरिक समाज समूहों और डिजिटल अधिकार कार्यकर्त्ताओं का आरोप है कि यह तकनीक सीमांत समुदायों को असमान रूप से निशाना बनाती है, जिससे भेदभाव और प्रोफाइलिंग जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। आम नागरिकों ने बिना सहमति लिये डाटा संग्रहण और सामूहिक निगरानी (Mass Surveillance) की संभावना पर आपत्ति जताई है।
इसी बीच गृह विभाग आप पर दबाव डाल रहा है कि सभी थानों में इस प्रणाली का विस्तार किया जाये, क्योंकि यह दक्ष, कम लागत वाली और विधि-व्यवस्था के लिये लाभकारी बताई जा रही है। दूसरी ओर, कुछ पुलिस अधिकारी अनौपचारिक रूप से यह चिंता जता रहे हैं कि AI पर अंध-निर्भरता के कारण उनकी व्यावसायिक समझ और विवेक (Discretion) कमज़ोर हो सकता है।
आपसे अपेक्षा की गई है कि आप राज्य सरकार के लिये एक रिपोर्ट तैयार करें जिसमें सार्वजनिक सुरक्षा तथा मूल अधिकारों के संरक्षण की दोहरी अनिवार्यताओं को संतुलित किया गया हो।
प्रश्न:
(a) प्रेडिक्टिव पुलिसिंग को लेकर उठी चिंताओं पर आपकी तत्काल प्रतिक्रिया क्या होगी?
(b) इस मामले में निहित नैतिक मुद्दों का अभिनिर्धारण कर उनकी विवेचना कीजिये।
(c) यदि आपसे सार्वजनिक सुरक्षा हेतु AI के उपयोग को उचित ठहराने के लिये कहा जाये, तो आप कौन-से तार्किक और नैतिक तर्क प्रस्तुत करेंगे?
(d) एक लोकसेवक के रूप में आप कौन-से ठोस उपाय सुझाएँगे ताकि शासन में AI का प्रयोग करते समय उत्तरदायित्व, निष्पक्षता तथा नागरिकों के अधिकारों का सम्मान सुनिश्चित किया जा सके?
05 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़ -
प्रश्न 2. “अंतरात्मा आत्मा की आवाज़ है, समाज की प्रतिध्वनि नहीं।” लोक सेवकों के लिये निर्णय लेने में अंतरात्मा की भूमिका का विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)
04 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न -
प्रश्न 1. लोक सेवा को प्रायः करुणा और लगाव-मुक्तता के बीच संतुलन के रूप में वर्णित किया जाता है। उपयुक्त उदाहरणों के साथ इस कथन का विश्लेषण कीजिये।
04 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न