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विमर्श

अंतर्राष्ट्रीय शत्रुता एवं संघर्ष: कारण व समाधान

18 Jul, 2024 | चार्वी दवे

20वीं सदी में मशहूर शायर साहिर लुधियानवी ने ‘ऐ शरीफ इंसानों’ शीर्षक के साथ एक नज़्म लिखी थी, जिसकी कुछ पंक्तियाँ हैं– “जंग तो ख़ुद ही एक मसअला हैजंग क्या मसअलों का हल...

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ईरान में उदारवाद का उदय!

15 Jul, 2024 | वर्षा भम्भाणी मिर्ज़ा

ईरान हमारा सदियों पुराना मित्र रहा है। सांस्कृतिक आदान-प्रदान के आलावा ईरान से हमारे व्यापारिक रिश्तों की कहानी, ईसा से भी 600 साल पहले से शुरू हो जाती है। भारतीय कला,...

विमर्श

क्यों नहीं रुक रहे युद्ध?

15 Jul, 2024 | रईस सिंह

वर्ष 1945 में जब संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई, तो भरोसा दिया गया कि अब विश्वयुद्ध जैसी विभीषिकाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी और कोई भी शहर हिरोशिमा व नागासाकी जैसे हस्र...

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चुनाव बजट का निर्धारण कैसै होता है?

11 Jul, 2024 | कपिल शर्मा

लोकतांत्रिक देशों में चुनाव एक महंगा और जटिल कार्य है। लोकतंत्र में सरकार बनाने के लिए समय-समय पर चुनाव कराए जाते हैं। ऐसे में नियमित चुनावों के संपादन के लिए देश के...

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मतदान की पहेली

10 Jul, 2024 | कपिल शर्मा

देश के शासन को चलाने के लिए सरकार के गठन में मतदाता वोटिंग के लिए जो व्यवहार अपनाते है, वह व्यवहार ही तय करता है कि सरकार बहुमत प्राप्त कर शासन करेगी या गठबंधन में रहकर कार्य...

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भारत की प्रमुख संधियाँ एवं समझौते

10 Jul, 2024 | गरिमा दुबे

पाकिस्तान की एक महिला पत्रकार ने अटल बिहारी वाजपेई जी से कहा, “आप कुंवारे हैं, मैं आपसे शादी करने के लिए तैयार हूं। लेकिन मुझे मुंह दिखाई में कश्मीर चाहिए।” इस पर अटल जी...

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यूरोपीय संघ का 'राइट टर्न'!

02 Jul, 2024 | वर्षा भम्भाणी मिर्ज़ा

यूरोपीय संघ केवल ‘एक बाजार-एक मुद्रा’ वाला व्यापारिक संगठन नहीं है बल्कि यह गारंटी है लोकतंत्र की, आज़ादी की, न्याय की और मानव अधिकारों की। जो राष्ट्र इन गारंटियों की...

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गैर सरकारी संगठन: सरकार और सहभागिता

13 Jun, 2024 | वर्षा भम्भाणी मिर्ज़ा

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सरकार और जनता के बीच एक कड़ी है जिसमें दोनों की सहभागिता के बड़े मायने है। आधुनिक NGO के स्वरूप में आने से पहले भी साम्राज्यों में जत्थे या संगठन जनता की...

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भारतीय लोकतंत्र में अवसर की लागत

13 Jun, 2024 | कपिल शर्मा

जीवन में कोई भी मूर्त या अमूर्त चीज तभी मिलती है, जब उसकी कीमत चुका दी गई हो। ये यूं ही कही गई बात नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक आर्थिक सिद्धांत है, अवसर की लागत का सिद्धांत। अवसर...

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गर्भावस्था में ध्यान रखने योग्य बातें

12 Jun, 2024 | शालिनी श्रीवास्तव

गर्भावस्था यानी प्रेग्नेंसी, एक स्त्री के जीवन का एक अनूठा एवं कभी न भूलने वाला दौर होता है। इसके साथ ही मां बनने के पहले प्रेग्नेंसी के नौ महीनों के दौरान कुछ विशेष...

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मतदान

12 Jun, 2024 | सौरभ कुमार

लोकतान्त्रिक देशों में मत देने का अधिकार सभी को प्राप्त है। चुनाव किसी भी लोकतांत्रिक समाज की आधारशिला हैं। वे नागरिकों को अपने नेताओं को चुनने और कार्यालय में उनके...

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सतत विकास लक्ष्य और शहरीकरण

12 Jun, 2024 | शालिनी बाजपेयी

इंदौर का रहने वाला मानस बेंगलुरु की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता है और टू बीएचके के फ्लैट में अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता है। आज मानस ऑफिस से देर से घर पहुँचा है।...

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विलय के लिए रियासतों को एक कर पाने की टेढ़ी खीर कहानी

30 May, 2024 | संजय श्रीवास्तव

वर्ष 1946 के अक्टूबर महीने तक तय हो चुका था कि भारत को आजादी दे दी जाएगी। जब 24 मार्च 1947 को लार्ड माउंटबेटन को सत्ता हस्तांतरण के लिए नया वायसराय बनाकर भारत भेजा गया तो उन्होंने...

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वैक्सीन: क्या, क्यों और कैसे?

14 May, 2024 | चार्वी दवे

हम में से अधिकांश के लिये चिकित्सालय के भीतर की पहली स्मृति उस समय की होती है, जब हमें बालपन में किसी गंभीर बीमारी से बचने के लिये टीका (Vaccine) लगवाने ले जाया जाता था। यदि यह टीका...

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महिलाओं के लिए राष्ट्रीय नीति - 2016

06 May, 2024 | श्रुति गौतम

कोई भी समाज अपने स्वरूप में विविधता लिए हुए होता है। समाज के वैविध्य से ही सामाजिक व्यवहार भी तय होता है। इन्हीं सामाजिक व्यवहारों व प्रतिक्रियाओं से फिर राजनीतिक व...

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सिसक रही धरती

06 May, 2024 | अनुज कुमार वाजपेई

दुनियाभर में लोग अब ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले खतरों को पहचानने लगे हैं। इसकी बानगी हाल में आए स्विट्जरलैंड बनाम क्लिमासेनियोरिनन श्वेइज केस में यूरोप की शीर्ष...

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युवाओं की ज़िंदगी को लीलता हार्ट अटैक

03 May, 2024 | शालिनी बाजपेयी

दिल एक धड़कता हुआ बहुत ही खूबसूरत शय है, यह न होता तो न हम होते और न ही हमें प्यार का दिलकश अहसास होता। बॉलीवुड के गानों और संवादों में भी इसे बहुत ही खूबसूरत तरीके से पिरोया...

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कश्मीर और जूनागढ़ के विलय की कहानी

03 May, 2024 | संजय श्रीवास्तव

1947 में विभाजन से पहले अविभाजित भारत में करीब 584 रियासतें थीं। जिनका कामकाज राजा देखते थे। इसके लिए अंग्रेजों के साथ उनका एक खास करार था। ये रियासतें 40 फीसदी क्षेत्र और 23...

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बढ़ती प्राकृतिक आपदाएँ: अनसुनी ख़तरे की घंटी

03 May, 2024 | चार्वी दवे

“अशक्यं प्रकृते: ऋते जीवनम्” अर्थात्– प्रकृति के बिना मानव जीवन संभव नहीं है। मानव हमेशा से ही अपनी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रकृति पर निर्भर रहा है। चाहे...

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कैसे दुनियाभर में अब ग्रीन छतें बदल रहीं इको सिस्टम

02 May, 2024 | संजय श्रीवास्तव

जब पूरी दुनिया में बात ग्रीन वर्ल्ड की हो रही हो, तेजी से खत्म होते प्राकृतिक संसाधनों को बचाने की हो रही हो तो ग्रीन हाउस की परिकल्पना भी बहुत तेजी से हकीकत में बदल रही है।...

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