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दृष्टि आईएएस ब्लॉग

इंटरनेट इन्फ्लुएंसर्स बनाम रियल-लाइफ मेंटर्स - युवाओं के लिये सही मार्गदर्शन की आवश्यकता

  • 09 Jun, 2025

21वीं सदी का डिजिटल युग न केवल सूचना की गति और पहुँच के संदर्भ में क्रांतिकारी है, बल्कि इसने युवा पीढ़ी के सोचने, सीखने और निर्णय लेने की प्रक्रिया को भी गहराई से रूपांतरित किया है। पारंपरिक समाजों में मार्गदर्शन का स्वरूप अनुभव-संपन्न वरिष्ठों, जैसे– माता-पिता, गुरु या सामुदायिक नेताओं के सुझावों और जीवनानुभवों पर आधारित होता था। किंतु आज तकनीक-संपन्न युवाओं की एक पूरी पीढ़ी इंटरनेट, सोशल मीडिया और कंटेंट प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद इन्फ्लुएंसर्स से परामर्श प्राप्त कर रही है। मार्गदर्शन के इस आधुनिक द्वंद्व में एक ओर वे इंटरनेट इन्फ्लुएंसर्स हैं, जो अपने व्यक्तित्व एवं डिजिटल कंटेंट के माध्यम से करोड़ों युवाओं तक त्वरित प्रेरणा, कॅरियर संबंधी जानकारी, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सुझाव और जीवनशैली के आदर्श स्वरूप प्रस्तुत करते हैं, तो दूसरी ओर रियल-लाइफ मेंटर्स हैं, जो युवाओं के जीवन में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेते हैं, उन्हें समझते हैं, सुनते हैं और परिस्थिति के अनुरूप व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

यह द्वंद्व महज़ सूचना के स्रोतों का नहीं है, बल्कि मार्गदर्शन की प्रकृति—गहराई बनाम गति, दीर्घकालिकता बनाम क्षणिक प्रेरणा—का भी है। Pew Research Center (2022) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 16 से 24 वर्ष के लगभग 70% युवा सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स का अनुसरण करते हैं और जीवन-निर्णयों में उनसे प्रभावित होते हैं। दूसरी ओर बॉयड (Boyd, 2014) ने अपने शोध (It’s Complicated) में आगाह किया है कि अपरिपक्व युवा डिजिटल दुनिया में मार्गदर्शन के नए रूपों को अपनाते तो हैं, परंतु व्यक्तिगत समझ और संदर्भ की कमी उन्हें भ्रमित भी कर सकती है।

इस संदर्भ में यह प्रश्न अत्यंत प्रासंगिक हो उठता है कि क्या इंटरनेट आधारित इन्फ्लुएंसर्स मार्गदर्शन यथार्थ जीवन की जटिलताओं और भावनात्मक गहराइयों को समझने में सक्षम    हैं? क्या डिजिटल इन्फ्लुएंसर्स का प्रभाव वास्तविक जीवन की चुनौतियों के लिये पर्याप्त दिशा प्रदान कर सकता है या रियल-लाइफ मेंटर्स की भूमिका और भी महत्त्वपूर्ण हो गई है? 

ऐतिहासिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य

  • गुरु-शिष्य परंपरा और भारतीय सामाजिक संरचना
    • भारतीय सभ्यता में मार्गदर्शन की जड़ें अत्यंत गहरी रही हैं। वैदिक युग से लेकर आधुनिक युग तक गुरु-शिष्य परंपरा एक पवित्र संबंध का निर्माण करती रही है, जहाँ गुरु या गाइड केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि जीवन-दर्शन, नैतिक मूल्य और आत्मानुशासन भी सिखाता रहा है। यह संबंध केवल शिक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि समग्र जीवन को दिशा प्रदान करता है।
  • पूर्व-आधुनिक सामुदायिक मार्गदर्शक
    • औद्योगीकरण से पूर्व ग्रामीण समाजों में बुज़ुर्गों, धर्मगुरुओं और पारिवारिक संरचनाओं की भूमिका मार्गदर्शन में अहम रही। बच्चे और युवा अपने आस-पास के विश्वसनीय एवं अनुभवी व्यक्तियों से सीखते थे। ज्ञान और जीवन कौशल पीढ़ियों के अंतर्संवाद एवं परंपरा के माध्यम से हस्तांतरित होते थे।
  • डिजिटल संक्रमण के बाद सामाजिक भूमिकाओं में बदलाव
    • 21वीं सदी में तकनीकी विकास के साथ ही सूचना का केंद्रीकरण टूटा और इंटरनेट ने हर व्यक्ति को सूचना का उत्पादक बना दिया। इसके फलस्वरूप, पारंपरिक मार्गदर्शकों की भूमिका कम होने लगी और डिजिटल इन्फ्लुएंसर्स की भूमिका बढ़ने लगी। अब मार्गदर्शन का स्रोत केवल व्यक्तिगत अनुभव नहीं, बल्कि 'वायरल कंटेंट' और 'फॉलोवर्स की संख्या' भी बन गया है।
  • सिद्धांतात्मक पृष्ठभूमि
    • Erik Erikson (1968) के अनुसार, अस्मिता निर्माण (identity formation) किशोरावस्था की एक प्रमुख मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें युवा बाह्य और आंतरिक दोनों प्रकार के मार्गदर्शन के प्रति अत्यंत संवेदनशील होते हैं। ऐसे में महत्त्वपूर्ण है कि यह मार्गदर्शन संतुलित, नैतिक और दीर्घकालिक हितों पर आधारित हो।

इंटरनेट इन्फ्लुएंसर्स: आकर्षण और प्रभाव

  • इंटरनेट इन्फ्लुएंसर्स की परिभाषा और प्रकार
    • इंटरनेट इन्फ्लुएंसर्स (Internet Influencers) वे व्यक्ति होते हैं जो सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म्स पर बड़ी संख्या में अनुयायियों के माध्यम से अपनी राय, जीवनशैली, ज्ञान और अनुभव साझा करते हैं। ये इन्फ्लुएंसर्स विभिन्न प्रकार के होते हैं—लाइफस्टाइल ब्लॉगर, करियर कोच, फिटनेस एक्सपर्ट, मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार, वित्तीय सलाहकार और मनोरंजनकर्त्ता। 
  • युवाओं के जीवन में उनकी पहुँच और लोकप्रियता
    • आज की युवा पीढ़ी, जो ‘डिजिटल नेटिव’ कहलाती है, अपना वृहत् समय इंटरनेट पर बिताती है। Pew Research Center (2022) के अनुसार, 70% युवा किसी-न-किसी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर को फॉलो करते हैं। ये इन्फ्लुएंसर्स उनके आदर्श, प्रेरणा और व्यवहार के स्रोत बन गए हैं। इनकी पहुँच छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों तक भी है, जहाँ परंपरागत मेंटरशिप विकल्प सीमित रहे हैं।
  • इन्फ्लुएंसर्स द्वारा दी जाने वाली सलाह का स्वरूप
    • इंटरनेट इन्फ्लुएंसर्स कॅरियर टिप्स, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सुझाव, फिटनेस रूटीन, सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता और फैशन एवं लाइफस्टाइल की जानकारी देते हैं। इनका स्वरूप युवा जीवन की त्वरित आवश्यकताओं और ट्रेंड्स के अनुरूप होता है। 
  • प्रभाव के सकारात्मक पहलू
    • प्रेरणा और आत्मविश्वास: Bandura (2001) के ‘सामाजिक अधिगम सिद्धांत’ के अनुसार, लोग उन मॉडलों को अपनाते हैं जिन्हें वे देख सकते हैं। इंटरनेट इन्फ्लुएंसर्स के सकारात्मक उदाहरण युवा में आशा और प्रेरणा का संचार करते हैं।
    • सूचना की सुलभता: डिजिटल माध्यम युवाओं को किसी भी विषय पर त्वरित गति से ज्ञान और संसाधन उपलब्ध कराते हैं, जिससे ज्ञान के अपरिमित क्षेत्र की संभावनाएँ प्रबल होती हैं। UNICEF (2021) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि डिजिटल शिक्षा ने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा दिया है।
  • प्रभाव के नकारात्मक पहलू
    • अधूरी या भ्रामक जानकारी: सोशल मीडिया पर व्याप्त भ्रामक या अपूर्ण जानकारी युवाओं के निर्णयों को प्रभावित कर सकती है। कई बार ऐसे इन्फ्लुएंसर्स की सलाह वैज्ञानिक तथ्यों से परे भी होती है।
    • ‘ग्लैमराइज़ेशन’ और अवास्तविक अपेक्षाएँ: अध्ययन में पाया गया है कि ग्लैमर और भव्यता की झलक दिखाने वाले इन्फ्लुएंसर्स से युवाओं में तुलना करने एवं असंतोष की भावना बढ़ती है, जो मानसिक तनाव को जन्म देता है।
    • आत्म-सम्मान और तुलना की समस्याएँ: सोशल मीडिया पर लगातार अन्य लोगों की सफलताओं को देखकर कई युवा अपने आपको कमतर आँकने लगते हैं, जिससे उनके आत्म-सम्मान में कमी और अवसाद की संभावना उत्पन्न होती है।

रियल-लाइफ मेंटर्स की भूमिका और गुणवत्ता 

  • मेंटर-मेंटी संबंध की विशेषताएँ
    • रियल-लाइफ मेंटर्स (Real-life Mentors) और उनके मेंटी (Mentee) के बीच प्रत्यक्ष, गहरा एवं व्यक्तिगत संबंध होता है। यह संबंध पारदर्शिता, विश्वास, सहानुभूति और भावनात्मक जुड़ाव पर आधारित होता है। NEP 2020 के अनुसार, शैक्षिक संस्थानों में मेंटरशिप का उद्देश्य केवल अकादमिक सहायता प्रदान करना नहीं, बल्कि जीवन-मूल्य, नैतिकता और नेतृत्व कौशल का विकास करना भी है।
  • अनुभव आधारित मार्गदर्शन
    • रियल-लाइफ मेंटर्स अपने व्यक्तिगत अनुभवों से युवाओं को वास्तविक दुनिया की चुनौतियों और संभावनाओं के लिये तैयार करते हैं। यह मार्गदर्शन सम्यक् और आवश्यकताओं के अनुरूप होता है, जिससे युवा अधिक आत्मनिर्भर और सोच-समझकर निर्णय लेने वाले बनते हैं।
  • दीर्घकालिक परिवर्तन और आत्म-रूपांतरण की प्रक्रिया
    • शिक्षक, अभिभावक और गाइड जैसे मेंटर्स युवाओं के जीवन में दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करते हैं। MHRD Report (2022) में उल्लेख है कि मेंटरशिप से युवाओं में न केवल आत्मविश्वास बढ़ता है, बल्कि उनमें नेतृत्व, अनुशासन और नैतिक मूल्य भी सुदृढ़ होते हैं। यह रूपांतरण सतत् और स्थायी होता है।
  • सीमाएँ: सीमित उपलब्धता और ‘जेनरेशन गैप’
    • हालाँकि रियल-लाइफ मेंटर्स की भूमिका महत्त्वपूर्ण है, लेकिन वर्तमान युग में युवाओं के लिये इनकी सीमित उपलब्धता एक बड़ी बाधा है। परिवारों के एकल एवं आधुनिक स्वरूप, व्यस्तता और तकनीकी अंतराल के कारण मेंटरशिप कम हो रही है। इसके साथ ही, पीढ़ीगत अंतराल या जेनरेशन गैप के कारण कभी-कभी युवा ऐसे मेंटर्स की सलाह को समय-प्रतिकूल और अप्रासंगिक मानने लगते हैं।

इंटरनेट इन्फ्लुएंसर्स बनाम रियल-लाइफ मेंटर्स

  • संपर्क की प्रकृति: आभासी बनाम प्रत्यक्ष
    • इंटरनेट इन्फ्लुएंसर्स के साथ युवाओं का संबंध मुख्यतः आभासी होता है। इसमें संवाद एकतरफा हो सकता है, जहाँ युवा मात्र कंटेंट उपभोक्ता होते हैं। इसके विपरीत, रियल-लाइफ मेंटर्स के साथ संबंध प्रत्यक्ष, द्विपक्षीय और संवादात्मक होता है, जो गहन भावनात्मक एवं सामाजिक जुड़ाव की अनुमति देता है। Livingstone & Helsper (2007) ने इस भेद को ‘सामाजिक उपस्थिति’ की अवधारणा से समझाया है, जहाँ प्रत्यक्ष संबंधों में अधिक सामाजिक उपस्थिति और प्रभाव परिलक्षित होता है।
  • समय और गहनता का अंतर
    • इन्फ्लुएंसर्स द्वारा दिये गए संदेश त्वरित और तात्कालिक होते हैं, जो कई बार सतही ज्ञान और मोटिवेशन तक सीमित रहते हैं। मेंटर्स के साथ संबंध समय के साथ विकसित होता है, जिसमें निरंतर फीडबैक, व्यक्तिगत सहायता और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर मार्गदर्शन शामिल होता है। यह गहन संबंध दीर्घकालिक व्यक्तित्व विकास के लिये आवश्यक होता है।
  • विश्वास और जवाबदेही
    • रियल-लाइफ मेंटर्स के प्रति भरोसा अधिक होता है क्योंकि वे मेंटी के जीवन और परिवेश को समझते हैं। उनकी जवाबदेही सामाजिक और नैतिक रूप से स्थापित होती है। इसके विपरीत, इंटरनेट इन्फ्लुएंसर्स के प्रति भरोसा कभी-कभी सतही लोकप्रियता, फॉलोवर्स की संख्या और मीडिया छवि पर निर्भर होता है, जिसमें जवाबदेही का अभाव हो सकता है। 
  • मूल्य आधारित मार्गदर्शन की गुणवत्ता
    • मेंटरशिप में नैतिकता, जीवन-मूल्यों और व्यक्तिगत विकास पर अधिक बल दिया जाता है, जो युवाओं के चरित्र निर्माण में सहायक होता है। इंटरनेट इन्फ्लुएंसर्स का फोकस व्यक्तिगत ब्रांडिंग और लोकप्रियता पर अधिक होता है, जिससे मार्गदर्शन की गुणवत्ता कभी-कभी कमज़ोर हो जाती है।
  • दीर्घकालिक परिणामों की दृष्टि से तुलना
    • रियल-लाइफ मेंटर्स के प्रभाव से युवाओं में आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और सामाजिक ज़िम्मेदारी विकसित होती है, जो जीवन भर उनके काम आती है। इंटरनेट इन्फ्लुएंसर्स की प्रेरणा तात्कालिक होती है, जो प्रायः अस्थायी, असरकारी और परिवर्ती भी होती है।
  • युवाओं की सोच और प्राथमिकताओं में बदलाव के कारण
    • डिजिटल युग में युवाओं की सोच अधिक त्वरित, सतही और ट्रेंड-आधारित हो गई है। वे तत्काल प्रभावी समाधान और लोकप्रियता चाहते हैं। यह प्रवृत्ति रियल-लाइफ मेंटर्स के गहरे और निरंतर मार्गदर्शन के अनुरूप नहीं बैठती। इसके विपरीत, इंटरनेट इन्फ्लुएंसर्स इस प्रवृत्ति के अनुकूल हैं, जो तेज़ी से बढ़ रही युवा मांग को पूरा करते हैं।

मनोवैज्ञानिक और समाजशास्त्रीय विश्लेषण

  • युवा मन की विशेषताएँ और मार्गदर्शन की आवश्यकता
    • युवावस्था व्यक्ति के जीवन का वह कालखंड है जब आत्म-परिचय, आत्म-स्वीकृति और सामाजिक पहचान का विकास होता है। इस समय वे अपनी क्षमताओं, मूल्यों और जीवन के उद्देश्यों को समझने का प्रयास करते हैं। इस संवेदनशील दौर में सही मार्गदर्शन आवश्यक होता है, क्योंकि युवा आसानी से भ्रमित हो सकते हैं और अवास्तविक अपेक्षाओं के शिकार बन सकते हैं।
  • ऑनलाइन प्रभाव का मनोवैज्ञानिक प्रभाव
    • डिजिटल युग में युवा मुख्य रूप से सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के प्रभाव में आते हैं। Bandura (2001) के सामाजिक अधिगम सिद्धांत के अनुसार, वे इन्फ्लुएंसर्स को एक आदर्श या मॉडल के रूप में देखकर उनके व्यवहार, सोच और भावनाओं का अनुकरण करते  हैं। किंतु ऑनलाइन कंटेंट प्रायः ‘डोपामाइन-ड्राइवन’ होते हैं—अर्थात् ये तात्कालिक शी एवं तृप्ति प्रदान करते हैं, जो सतही और अस्थायी होती है। इसके परिणामस्वरूप मानसिक असंतुलन, तुलना की भावना और आत्म-सम्मान में कमी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • सोशल कनेक्शन बनाम गाइडेड रिलेशनशिप
    • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ‘फॉलोवर्स’ और ‘लाइक्स’ के आधार पर बने संबंध सतही हो सकते हैं, जिनमें गहन संवाद और समझ का अभाव होता है। इसके विपरीत रियल-लाइफ मेंटरशिप संबंधों में सहानुभूति, संवेदनशीलता और समर्थन के तत्त्व होते हैं, जो युवाओं की मानसिक एवं सामाजिक सुदृढ़ता को बढ़ावा देते हैं।
  • डिजिटल युग में अस्मिता निर्माण का संघर्ष
    • डिजिटल युग में युवा अपनी पहचान बनाने के लिये विविध और कभी-कभी विरोधाभासी संदर्भों का सामना करते हैं। वे वास्तविक और आभासी ‘सेल्फ’ के बीच संतुलन की तलाश करते हैं, जिससे मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है। यदि यह संतुलन न बन पाए तो ‘पहचान संकट’ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे भ्रम और अस्थिरता बढ़ती है।

नीति और शिक्षा में सुधार की आवश्यकता

  • शिक्षण संस्थानों में मेंटरशिप कार्यक्रम की भूमिका
    • NEP 2020 ने शिक्षा में ‘मेंटरशिप’ और ‘गाइडेंस काउंसलिंग’ को व्यापक महत्त्व दिया है। स्कूल-कॉलेजों में मेंटरशिप प्रोग्राम युवाओं को केवल अकादमिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि करियर, मानसिक स्वास्थ्य और जीवन कौशल के क्षेत्र में भी मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं। यह मॉडल व्यक्तिगत फोकस और नियमित फीडबैक प्रदान करता है।
  • युवाओं को इंटरनेट उपयोग के प्रति जागरूक बनाना
    • डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना आवश्यक है ताकि युवा ऑनलाइन सामग्री की गुणवत्ता पहचान सकें और भ्रामक या अवास्तविक सूचना से बच सकें। सरकार, शैक्षणिक संस्थान और सामाजिक संगठन मिलकर मीडिया साक्षरता, साइबर सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता की दिशा में कार्य कर सकते हैं।
  • परिवार और समाज का मार्गदर्शक रूप
    • परिवार और समुदाय की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण है। अभिभावकों को युवाओं के डिजिटल व्यवहार को समझते हुए संतुलित निगरानी और समर्थन प्रदान करना चाहिये। समाज में युवाओं के लिये प्रेरक और नैतिक रोल मॉडल उपलब्ध कराने पर भी पर्याप्त ध्यान देना होगा।
  • सरकार और संगठनों द्वारा उठाए जा सकने वाले कदम
    • सरकारी नीतियों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिये नियम और नैतिक दिशा-निर्देश तय किये जाने चाहिये। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापक रूप से सुलभ बनाया जाना चाहिये। युवाओं के लिये डिजिटल वर्कशॉप, ऑनलाइन हेल्पलाइन और मेंटरशिप पोर्टल्स विकसित किये जा सकते हैं।

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