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UPSC इंटरव्यू 2025 की तैयारी कैसे करें: DAF रणनीति, पैनल अंतर्दृष्टि और आवश्यक गुण

  • 26 Nov, 2025
  1. लिखित परीक्षा से मौखिक परीक्षा की ओर: आगे क्या?
  2. DAF: आपकी पहचान का दस्तावेज़ और चर्चा हेतु ब्लूप्रिंट
  3. व्यक्तित्व परीक्षण: यह वास्तव में किस बात का मूल्यांकन करता है
  4. वे गुण जो आपको अन्य प्रतिस्पर्द्धियों के बीच विशिष्ट बनाते हैं
  5. अंतिम टिप्पणी: यह आपकी कहानी है - इसे शालीनता से सुनाएँ

"निर्धारित लक्ष्य के निकट पहुँचने पर हार्दिक बधाई; और जिन्हें पुनः प्रयास करना है, उन्हें निरंतर प्रयास एवं दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ने के लिए शुभकामनाएँ।"

सर्वप्रथम, UPSC सिविल सेवा मेन्स में सफलता प्राप्त करने वाले सभी अभ्यर्थियों को हार्दिक बधाई। यह उपलब्धि केवल आँकड़ों से मापी जाने वाली नहीं है; यह वर्षों की एकाग्र साधना, बौद्धिक अनुशासन और असाधारण व्यक्तिगत त्याग का समेकित परिणाम है। यह UPSC की तैयारी की मूल भावना है कि उतना ही आदर और प्रशंसा उन अभ्यर्थियों को भी मिलनी चाहिये, जिनके नाम इस बार की सूची में नहीं आ सके।

उनकी साधना की निष्ठा और संघर्ष की कठिन प्रकृति स्वयं में उच्च सम्मान की पात्रता रखती है। महाभारत जैसा महाकाव्य भी विपरीत परिस्थितियों में आपको संबल देने वाला यह शाश्वत तत्त्वज्ञान प्रदान करता है कि “एक योद्धा केवल विजय से नहीं, अपितु प्रत्येक पराजय के बाद पुनः उठ खड़े होने के साहस से परिभाषित होता है।” यद्यपि इस परीक्षा-चक्र का दौर उनके लिये समाप्त हो गया है, किंतु उनके भीतर की मूल संकल्पशक्ति अब भी अटूट बनी रहनी चाहिये। इस चुनौतीपूर्ण मार्ग पर किया गया प्रत्येक प्रयास किसी अभ्यर्थी के दृष्टिकोण को आकार प्रदान करता है, उसकी रणनीति को परिष्कृत करता है, आधार को सुदृढ़ बनाता है और उसे अपरिहार्य रूप से उसके अंतिम लक्ष्य के और निकट ले जाता है। UPSC की इस यात्रा को किसी परिणाम-निर्धारित एकाकी घटना के रूप में नहीं, बल्कि व्यक्तित्व और बौद्धिकता के गहन एवं सतत् रूपांतरण की प्रक्रिया के रूप में देखा जाना चाहिये।

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लिखित परीक्षा से मौखिक परीक्षा की ओर: आगे क्या?

मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण करने का आरंभिक उत्साह जब धीरे-धीरे स्थिर होता है तो सफल अभ्यर्थियों के मन में स्वाभाविक जिज्ञासाएँ और कहीं-कहीं हल्की-सी आशंकाएँ भी उभरने लगती हैं। ध्यान अब इस प्रश्न कि “DAF में क्या लिखा जाए?” से हटकर इस पर केंद्रित हो जाता है कि “साक्षात्कार में कौन-सी बातें अभिव्यक्त की जाएँ?” प्रायः मन में यह प्रश्न भी उठता है कि “U PSC के इंटरव्यू में वास्तव में होता क्या है और यह चरण अब तक की वस्तुनिष्ठ एवं विश्लेषणात्मक परीक्षा से मूलतः कैसे भिन्न है?”

यहीं से यह यात्रा लिखित अभिव्यक्ति और विश्लेषण क्षमता की कठोर दुनिया से व्यक्तित्व, आचरण और उपस्थिति की सूक्ष्म संरचना की ओर सहजता से रूपांतरित होती है। प्रायः इस चरण को सामान्य अर्थ में ‘इंटरव्यू’ कह दिया जाता है, जबकि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने अत्यंत सजगता और सटीकता से इसे व्यक्तित्व परीक्षण (Personality Test) का नाम दिया है।

यह नामकरण मंशापूर्वक किया गया है। व्यक्तित्व परीक्षण पिछले चरणों में परीक्षित तैयार उत्तरों और तथ्यात्मक स्मरणशक्ति से आगे देखने का प्रयास करता है। इसका प्राथमिक उद्देश्य अभ्यर्थी के व्यक्तित्व को समझना - यानी उसके मूल गुणों का पता लगाना है, जिसमें उसकी विचार प्रक्रिया, भावनात्मक संतुलन, विश्वास की गहराई, विनम्रता और अंतर्निहित प्रशासनिक क्षमता की परख करना शामिल है। बोर्ड जटिल तथ्यों या दुर्लभ सूचनाओं के आधार पर अभ्यर्थी की परख करने का ध्येय नहीं रखता, बल्कि यह संवाद वस्तुतः अभ्यर्थी की समग्र योग्यता, उसके स्वभाव और शासन-प्रशासन के वृहत उत्तरदायित्वों के लिये उसके नैतिक ढाँचे को समझने की एक सुविचारित प्रक्रिया है। यह मूल्यांकन सर्वांगीण होता है जहाँ अभ्यर्थी में नेतृत्व और सुशासन के लिये आवश्यक गुणों की खोज की जाती है।

महत्त्वपूर्ण है कि यह चरण केवल औपचारिकता भर नहीं है। व्यक्तित्व परीक्षण के 275 अंक इतने निर्णायक होते हैं कि वे अभ्यर्थी की अंतिम रैंकिंग और सेवा-आवंटन को स्पष्ट रूप से प्रभावित कर सकते हैं। इसके व्यापक महत्त्व और विशिष्ट मूल्यांकन मानदंडों को देखते हुए, यह एक ऐसी तैयारी रणनीति की मांग करता है जो प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में सफलता की ओर ले जाने वाली रणनीति से पूरी तरह अलग होती है। इस चरण में केवल अवधारणात्मक स्पष्टता और आत्मविश्वास ही पर्याप्त नहीं, बल्कि अपने विस्तृत आवेदन-पत्र (DAF) की गहरी समझ का होना भी अनिवार्य है, क्योंकि साक्षात्कार का अधिकांश संवाद इसी पर आधारित होता है।

DAF: आपका पहचान दस्तावेज़ और चर्चा के लिये ब्लूप्रिंट

आपका विस्तृत आवेदन-पत्र (DAF) केवल एक प्रशासनिक आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह आपके UPSC व्यक्तित्व परीक्षण का केंद्रीय स्तंभ भी है। वास्तव में, यह इंटरव्यू कक्ष में प्रवेश करने से पहले ही बोर्ड के समक्ष आपके ‘फर्स्ट इम्प्रेसन’ का निर्माण करता है। पैनल के लिये DAF आपके जीवन, आपकी रुचियों, आपके मूल्यों और आपकी अब तक की पूरी यात्रा को देखने-समझने का एक सशक्त माध्यम है। यह आधिकारिक रूप में प्रस्तुत आपका व्यक्तिगत आख्यान है और बोर्ड इसका गंभीरता से अध्ययन करता है। आपकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि से लेकर आपके वैकल्पिक विषय तक, आपके गृह राज्य से लेकर आपकी रुचि तक, आपके कार्य अनुभव से लेकर आपकी उपलब्धियों तक, हर विवरण एक संभावित संवाद का विषय बन जाता है। इंटरव्यू किसी भी प्रकार की अव्यवस्थित या मनमानी पूछताछ नहीं है; यह आपके द्वारा अपने बारे में बताई गई बातों के इर्द-गिर्द व्यापक रूप से आकार ग्रहण करने वाला सुचिंतित संवाद है।

इसलिये, DAF को जल्दबाज़ी में नहीं, बल्कि स्पष्टता, ईमानदारी और गंभीर आत्मचिंतन के साथ भरना चाहिये। आप जो भी लिखते हैं, वह आपके व्यक्तित्व के उन पहलुओं को प्रकट करे जिसे आप आत्मविश्वास और निष्ठा के साथ चर्चा में सामने रख सकें। सुचिंतित DAF साक्षात्कार को आपकी परिचित भूमिकाओं में सहजता से प्रवाहमान बनाता है—जहाँ आप अपने अनुभवों, रुचियों, प्रेरणाओं और विचारों पर सहजता से बोल पाते हैं। यह आपको पूर्वानुमेयता का लाभ प्रदान करता है—आप पहले से ही उन व्यापक विषयों से अवगत होते हैं जिनके बारे में आपसे पूछा जा सकता है क्योंकि वे आपके अपने जीवन से संबंधित होते हैं।

दूसरी ओर, लापरवाही से या बिना सोच-विचार के भरा गया DAF अनावश्यक चुनौतियाँ पैदा कर सकता है। कोई ऐसा शौक जिसे आपने अपनाया नहीं है, कोई ऐसी उपलब्धि जिसे आप समझा नहीं सकते, कोई ऐसी कार्यभूमिका जिसका आप औचित्य सिद्ध नहीं कर सकते या कोई ऐसी रुचि जिसका आपने अस्पष्ट रूप से उल्लेख किया हो, पैनल को ऐसे क्षेत्रों में संवाद के लिये प्रेरित कर सकता है जिसके लिये आप तैयार नहीं हैं। कभी-कभी, कोई एक अस्पष्ट कथन भी कई ऐसे गहन प्रश्नों को जन्म दे सकता है जो आपके संतुलन को भंग कर सकते हैं।

यही कारण है कि DAF को पर्याप्त गंभीरता और सतर्कता के साथ भरा जाना चाहिये। एक अर्थ में, यह आपके प्रशासनिक दायित्व-बोध की पहली परीक्षा है—यह दर्शाता है कि आप अपने ही विवरणों को प्रस्तुत करते समय कितने सावधान, आत्मसजग और उत्तरदायी बने रहे हैं।

महाभारत हमें स्मरण कराता है कि युद्धभूमि में प्रवेश करने से पहले योद्धा केवल अपने अस्त्र-शस्त्र ही नहीं, अपनी सजगता को भी तीक्ष्ण करता है। इसी तरह, किसी अभ्यर्थी को बोर्ड के समक्ष उपस्थित होने से पहले अपने DAF को परिष्कृत करना चाहिये, जहाँ प्रत्येक विवरण को स्पष्ट रूप से प्रकट करें, प्रत्येक भाग को प्रामाणिकता के साथ संरेखित करें और प्रस्तुत प्रत्येक तत्त्व पर आत्मविश्वास से उत्तर देने की तैयारी करें।

व्यक्तित्व परीक्षण: यह वास्तव में किस बात का मूल्यांकन करता है

UPSC इंटरव्यू कक्ष में प्रवेश करते ही यह उल्लेखनीय दृश्य घटित होता है कि संपूर्ण परीक्षा चक्र में पहली बार अब आपका ज्ञान एक ओर शांत होकर बैठ जाता है और आपका व्यक्तित्व आगे बढ़कर केंद्र में आ जाता है। बोर्ड, जिसमें आमतौर पर अध्यक्ष और चार प्रतिष्ठित सदस्य शामिल होते हैं, इस बात की परख में रुचि नहीं रखते कि आप तथ्यों, तिथियों, रिपोर्टों या पारिभाषिक शब्दों की कितनी स्मृति रखते हैं, क्योंकि प्रारंभिक और मेन्स के माध्यम से इनका मूल्यांकन किया जा चुका है। अब वे जो मूल्यांकन करते हैं वह कहीं अधिक गहन और मानवीय तत्त्वों पर आधारित होता है; यानी उन गुणों का मूल्यांकन जो एक सक्षम, संवेदनशील और संवैधानिक रूप से संरेखित सिविल सेवक का निर्माण करते हैं। इंटरव्यू कक्ष में आयोजित संवाद यद्यपि सहज एवं सरल होता है, लेकिन इसका उद्देश्य आपके व्यक्तित्व की विभिन्न परतों को उद्घाटित करना होता है। वे इस बात की परख करते हैं कि आप कैसे सोचते हैं, आप कैसे सुनते हैं, आप कैसे प्रतिक्रिया देते हैं और सहज या असहज क्षणों में स्वयं को किस आत्मसंयम एवं संतुलन के साथ प्रस्तुत करते हैं।

कई अभ्यर्थी अज्ञात से भय रखते हैं और चिंता करते हैं कि “यदि मुझे अधिकांश प्रश्नों के उत्तर ही न आएँ तो क्या होगा?” लेकिन UPSC इंटरव्यू बोर्ड अज्ञानता को दंडित नहीं करता; वे केवल यह देखते हैं कि आपने उस प्रश्न का उत्तर कैसे दिया। " सर/मैम, क्षमा करें, इस समय मुझे उसका सटीक विवरण याद नहीं आ रहा है” जैसे- शांत, ईमानदार और विचारशील उत्तर महज अनुमान से उत्तर देने के तत्पर प्रयास से अधिक परिपक्वता को परिलक्षित करते हैं। भले ही आप कई सवालों के जवाब न दे पाएँ, लेकिन जब तक आपकी गरिमा, दृढ़ता और तर्कशीलता बनी रहती है, आपके अंक कम नहीं होंगे।

अभ्यर्थियों, विशेष रूप से B.Tech या MBBS जैसी तकनीकी पृष्ठभूमि रखने वाले की एक और सामान्य चिंता यह होती है कि उनके वैकल्पिक विषय या यहाँ तक कि स्नातक के विषय से भी प्रश्न पूछे जा सकते हैं। बोर्ड ऐसे प्रश्न इसलिये नहीं पूछता कि आपकी शैक्षणिक गहराई को परखे, बल्कि यह समझने के लिये कि अपने विषय से आपका संबंध कैसा है—आप किसी अवधारणा को कितनी स्पष्टता से समझा सकते हैं, आप ईमानदारी से स्वीकारते हैं कि क्या नहीं जानते और जिन बातों का ज्ञान है, उन्हें कितने आत्मविश्वास से प्रस्तुत करते हैं। UPSC का मानना है कि एक अभ्यर्थी जो औपचारिक रूप से अध्ययन की गई चीज़ों के बारे में स्पष्टता से बोल सकता है, वह वास्तविक प्रशासनिक उत्तरदायित्वों को सँभालते समय भी उसी स्पष्टता का प्रदर्शन करने की संभावना रखता है। यहाँ तकनीकी विशेषज्ञता नहीं—सरलता, संप्रेषण कौशल और संयम—मुख्य कसौटियाँ हैं।

सिविल सेवकों का परीक्षण शायद ही कभी आदर्श परिस्थितियों में किया जाता है। वास्तविक चुनौतियाँ बिना किसी पूर्व संकेत के उनके समक्ष प्रस्तुत होती हैं—जैसे कोई संकट, जनता की शिकायत, आकस्मिक राजनीतिक निर्देश, दो विभागों के बीच टकराव या मानवीय आपात-स्थिति। ऐसी परिस्थितियों में, उन्हें जो चीज़ बचाती है वह विश्वकोशीय स्मृति नहीं, बल्कि भावनात्मक स्थिरता है। UPSC बोर्ड इसी गुण की खोज करता है।

गीता में कृष्ण ने कहा है कि “भ्रम के समय स्थिर मन ही सबसे बड़ी शक्ति होती है।” व्यक्तित्व परीक्षण यह देखने का प्रयास करता है कि क्या आपके पास एक स्थिर मन है—ऐसा मन जो अनिश्चितता, आलोचना या अप्रत्याशित स्थिति से विचलित नहीं होता।

इस प्रकार, इंटरव्यू का उद्देश्य प्रत्येक प्रश्न का सही उत्तर देना नहीं है; बल्कि यह प्रदर्शित करना है कि आप संयमित, विचारशील एवं संतुलित हैं और सार्वजनिक सेवा के उत्तरदायित्व को गरिमा एवं दृढ़ विश्वास के साथ निभाने में सक्षम हैं।

वे गुण जो आपको अन्य प्रतिस्पर्द्धियों के बीच विशिष्ट बनाते हैं

UPSC व्यक्तित्व परीक्षण में अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित करने वाले अभ्यर्थी वे नहीं होते जो त्रुटिहीन उत्तर देते हैं या तथ्यों को सटीकता से दोहराते हैं। वस्तुतः बोर्ड प्रायः उन अभ्यर्थियों को याद रखता है जो संवाद में ऊष्मा, प्रामाणिकता और संतुलन प्रदर्शित करते हैं। उनकी विशिष्ट पहचान उनके ज्ञान की चमक से नहीं, बल्कि उनके चरित्र की दृढ़ता से बनती है

इन गुणों के मूल में ईमानदारी निहित है और वह भी ऐसी ईमानदारी जो परिस्थितियों से नहीं डगमगाती। बोर्ड ऐसे अभ्यर्थी की सराहना करता है जो बिना भय के यह स्वीकार कर सके कि वह क्या नहीं जानता और जो बिना दिखावे के अपने विचार अभिव्यक्त कर सके। यही ईमानदारी आगे चलकर एक और महत्त्वपूर्ण गुण—विनम्र आत्मविश्वास—की नींव रखती है। यह वह अतिरंजित आत्मविश्वास नहीं है जो इंटरव्यू कक्ष में हावी होने का प्रयास करता है, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति का कोमल, स्थिर आत्मविश्वास है जो स्वयं को जानता है और स्वयं के साथ सहज है।

दूसरा प्रमुख गुण है समानुभूति या तद्नुभूति—भूमिकाओं और आँकड़ों से परे लोगों को समझने की क्षमता। समानुभूति भावनात्मक कोमलता नहीं है; यह प्रशासनिक शक्ति है जो एक अधिकारी को नियमों और मानवता के बीच संतुलन रखने वाले निर्णय-निर्माण में सक्षम बनाती है। यह समानुभूति यथार्थवाद पर आधारित होनी चाहिये, न कि व्यावहारिक शासन से विमुख आदर्शवाद पर।

विचारों की स्पष्टता एक अन्य ऐसा गुण है जिसे बोर्ड अत्यंत महत्त्व देता है। वे ऐसे अभ्यर्थियों की तलाश करते हैं जो जटिल मुद्दों को सरल, संरचित और तर्कसंगत तरीके से व्यक्त कर सकें। स्पष्टता न केवल बुद्धिमत्ता, बल्कि एक संगठित मन का भी प्रतीक है, जो लोक प्रशासन के लिये आवश्यक है।

दबाव की स्थिति में भी आत्म-संयम बनाए रखना संभवतः सबसे महत्त्वपूर्ण गुणों में से एक है। संयत अभ्यर्थी भावनात्मक बुद्धिमत्ता, धैर्य और आत्म-नियंत्रण का परिचय देता है—वे गुण जो संकटपूर्ण या संवेदनशील परिस्थितियों में अधिकारी के आचरण को निर्धारित करते हैं। शांतचित्तता का यही गुण किसी व्यक्ति को कार्य करने से पहले विचार करने की अनुमति देता है, विशेष रूप से जब जीवन और आजीविका प्रशासनिक निर्णयों पर निर्भरता रखती है।

बोर्ड जिज्ञासा—सीखते रहने, विकसित होते रहने और नए विचारों से संवाद करने की निरंतर इच्छा, की भी सराहना करता है। सिविल सेवकों को आजीवन सीखते रहना चाहिये और लगातार बदलती दुनिया में स्वयं को लगातार अद्यतन करते रहना चाहिये। जिज्ञासा अनुकूलनशीलता का प्रतीक है, जो व्यवस्था के साथ विकसित होने और उसमें सार्थक योगदान देने की क्षमता है।

इन सबसे बढ़कर, किसी अभ्यर्थी को वास्तव में उत्कृष्ट बनाती है उसकी संवैधानिक मूल्यों पर आधारित आंतरिक नैतिकता। सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता, न्याय, समानता, समानुभूति—ये केवल नैतिक आदर्श नहीं, बल्कि प्रशासन की अनिवार्य आवश्यकताएँ हैं। UPSC बोर्ड संवैधानिक नैतिकता से संरेखित मन और जनसेवा के लिये समर्पित हृदय की तलाश करता है।

इन गुणों को रटने या दुहराने से नहीं पाया जा सकता या इन्हें बनावटी ढंग से प्रदर्शित नहीं किया जा सकता। ये जीवन की ईमानदारी और सजगता से स्वाभाविक रूप से प्रस्फुटित होते हैं। इसीलिये, UPSC इंटरव्यू किसी प्रदर्शन की परीक्षा नहीं है, यह व्यक्तित्व की परीक्षा है। जब व्यक्ति सच्चा, संतुलित और मूल्यों से प्रेरित होता है तो उसका प्रदर्शन स्वतः ही प्रभावशाली हो जाता है।

एक सुदृढ़ व्यक्तित्व को आकार देने वाले इन सभी गुणों के बीच, अभ्यर्थियों के लिये शैक्षणिक या कॅरियर में आए अंतराल का प्रश्न एक व्यावहारिक चिंता उत्पन्न करता है। UPSC के लिये अंतराल का प्रश्न महत्त्वपूर्ण नहीं, बल्कि यह महत्त्वपूर्ण है कि आप किस स्पष्टता और गंभीरता से इसका कारण स्पष्ट करते हैं। यहाँ, ईमानदारी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक सुविचारित एवं ईमानदार स्पष्टीकरण, चाहे वह स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, व्यक्तिगत उत्तरदायित्वों, केंद्रित तैयारी या एक सचेत कॅरियर परिवर्तन के कारण हो, परिपक्वता और आत्म-जागरूकता को परिलक्षित करता है। बोर्ड उन उम्मीदवारों की सराहना करता है जो अपने निर्णयों का उत्तरदायित्व ग्रहण करते हैं, जो इस अंतराल अवधि के दौरान सीखी गई बातों को स्पष्ट रूप से व्यक्त कर सकते हैं और जो यह प्रदर्शित करते हैं कि उन्होंने उस समय का सार्थक उपयोग किया। स्वयं अंतराल किसी प्रोफाइल को कमज़ोर नहीं करता; एक अस्पष्ट या रक्षात्मक स्पष्टीकरण इसे कमज़ोर करता है।

अंतिम टिप्पणी: यह आपकी कहानी है - इसे शालीनता से सुनाएँ

मूल रूप से, UPSC का व्यक्तित्व परीक्षण आपके बीते हुए अनुभवों का आकलन नहीं, बल्कि आपके भीतर निहित भविष्य की संभावनाओं को परखने का प्रयास है। यह बोर्ड द्वारा गहन प्रश्न पूछने की मंशा यह होती है कि "क्या यह वह व्यक्ति है जो उत्तरदायित्व से, संवेदनशीलता से और विवेक से भारत के नागरिकों की सेवा कर सकता है?"

आप इंटरव्यू में यह सिद्ध करने नहीं जा रहे हैं कि आपको कितना पता है—मेन्स में यह पहले ही सिद्ध हो गया है। आप यह दिखाने जा रहे हैं कि आप वस्तुतः कौन हैं। जब आप उस कक्ष में प्रवेश करते हैं तो आप एक परीक्षार्थी के रूप में नहीं, बल्कि एक संभावित भावी प्रशासक के रूप में प्रवेश करते हैं। स्वयं को गरिमा, दृढ़ आत्मविश्वास और सेवा भावना के साथ प्रस्तुत करें। अपने व्यक्तित्व में अपने वर्षों के अनुशासन को प्रतिबिंबित करें। अपने मूल्यों को हर उत्तर का मार्गदर्शन करने दें। अनिश्चितता के क्षणों में भी अपनी शांत सहजता को अपनी पहचान बनने दें।

याद रखें कि इंटरव्यू कोई रणभूमि नहीं है, बल्कि एक संवाद है। एक ऐसा संवाद जहाँ आपकी सच्चाई आपकी प्रतिभा से अधिक मायने रखती है, जहाँ आपकी विनम्रता आपकी वाक्पटुता से अधिक महत्त्वपूर्ण होती है और जहाँ आपकी आंतरिक स्थिरता आपके बाहरी प्रदर्शन से अधिक प्रभाव उत्पन्न करती है।

जैसा कि गीता हमें संदेश देती है कि "निष्ठापूर्वक कर्त्तव्य करो, फल की चिंता न करो।" एक बार जब आप शुद्ध मन और स्थिर हृदय से अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं तो परिणाम स्वाभाविक रूप से आपके भाग्य के साथ संरेखित हो जाता है।

इस चरण में मॉक इंटरव्यू वास्तव में सहायक सिद्ध होते हैं, क्योंकि ये अभ्यर्थियों को अभ्यास करने, आत्मचिंतन करने और अपने आत्मविश्वास को सुदृढ़ करने का अवसर देते हैं। वर्षों से दृष्टि आईएएस  ऐसे समग्र मॉक इंटरव्यू कार्यक्रमों का आयोजन करता रहा है, जो UPSC के वास्तविक वातावरण को अत्यंत निकटता से प्रतिबिंबित करते हैं। ये सत्र अभ्यर्थियों को यह समझने में सहायता करते हैं कि साक्षात्कार बोर्ड किस प्रकार सोचता है, उनके DAF से किस प्रकार के अनुवर्ती प्रश्न उठ सकते हैं और उनका शारीरिक हाव-भाव कैसा प्रभाव निर्मित करता है। ऐसे मंच अभ्यर्थियों को बार-बार वास्तविक-सदृश साक्षात्कार परिस्थितियों में रखकर उन्हें अधिक आत्मसजग, भावनात्मक रूप से स्थिर और आत्मविश्वासी बनने में सक्षम बनाते हैं। ये वे गुण हैं जो वास्तविक व्यक्तित्व परीक्षण में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये अत्यंत आवश्यक हैं।

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अब आप UPSC की यात्रा के अंतिम पड़ाव पर खड़े हैं। वर्षों की तैयारी, अध्ययन के अनगिनत घंटों, आत्म-संदेह से संघर्षों, असफलता एवं पुनः प्रयास के बीच निर्मित प्रत्यास्थता—इन सबने आपको इस क्षण के लिये तैयार किया है। स्पष्टता, उद्देश्य और शालीनता के साथ इंटरव्यू कक्ष में प्रवेश करें। याद रखें कि आपका व्यक्तित्व और आचरण आपकी पहली पहचान का निर्माण करते हैं। शालीन एवं औपचारिक पोशाक पहनें, साफ-सुथरे रहें और संवाद के दौरान शांत एवं आत्मविश्वासपूर्ण मुद्रा बनाए रखेंशिष्टाचार के साथ प्रवेश करें, बोर्ड का सम्मानपूर्वक अभिवादन करें और संयमित शारीरिक हाव-भाव के साथ सीधे बैठें। ये छोटे लेकिन प्रभावशाली गैर-मौखिक संकेत मौन रूप से आपकी सच्चाई, गंभीरता और जन सेवा के लिये तत्परता को पुष्ट करते हैं। कठिन श्रम के साथ शुरू हुई यात्रा को अपने व्यक्तित्व के साथ पूर्ण होने दें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

UPSC के व्यक्तित्व परीक्षण (Personality Test) में DAF कितना महत्त्वपूर्ण है? +

अत्यंत महत्त्वपूर्ण। लगभग 90% इंटरव्यू प्रश्न प्रत्यक्ष रूप से DAF I और DAF II से पूछे जाते हैं। बोर्ड आपके DAF का उपयोग आपको समझने, आपकी प्रामाणिकता की पुष्टि करने और आपकी पृष्ठभूमि, रुचियों एवं शैक्षणिक यात्रा से आपकी संबद्धता की गहराई का पता लगाने के लिये करता है। एक सुविचारित रूप से तैयार DAF आपको पूर्वानुमानित और सहज प्रश्न क्षेत्र प्रदान करता है।

मेरे जीवन संबंधी विवरण से किस प्रकार के व्यक्तिगत प्रश्न पूछे जा सकते हैं? +

अत्यंत महत्त्वपूर्ण। लगभग 90% इंटरव्यू प्रश्न प्रत्यक्ष रूप से DAF I और DAF II से पूछे जाते हैं। बोर्ड आपके DAF का उपयोग आपको समझने, आपकी प्रामाणिकता की पुष्टि करने और आपकी पृष्ठभूमि, रुचियों एवं शैक्षणिक यात्रा से आपकी संबद्धता की गहराई का पता लगाने के लिये करता है। एक सुविचारित रूप से तैयार DAF आपको पूर्वानुमानित और सहज प्रश्न क्षेत्र प्रदान करता है।

क्या मुझसे मेरे स्नातक विषय से प्रश्न पूछे जाएँगे, भले ही वह मेरा वैकल्पिक विषय न हो? +

हाँ। बोर्ड आपसे अपेक्षा करता है कि आप अपने स्नातक विषय में भी बुनियादी दक्षता रखते हों। इंजीनियर, डॉक्टर और प्रबंधन स्नातकों को प्रायः अपने वैकल्पिक विषयों के साथ-साथ तकनीकी प्रश्नों का भी सामना करना पड़ता है।

मैं इंजीनियरिंग या कॉर्पोरेट नौकरियों से सिविल सेवाओं की ओर आने का औचित्य कैसे सिद्ध करूँ? +

आपका उत्तर सामान्य घिसे-पिटे शब्दों तक सीमित न हो। अपने मौजूदा कौशल—जैसे विश्लेषण, परियोजना प्रबंधन या तकनीकी विशेषज्ञता—को लोक प्रशासन के परिणामों से जोड़ें। उद्देश्य की स्पष्टता और वृहत प्रभाव उत्पन्न करने की इच्छा प्रदर्शित करें।

मुझे अपनी शैक्षणिक या व्यावसायिक समय-रेखा में आए अंतराल पर क्या कहना चाहिये? +

अंतराल को उत्पादक अवधियों की तरह देखें, न कि बोझ की तरह। ईमानदारी से उन्हें स्वीकार करें और दिखाएँ कि तैयारी करने, नए कौशल सीखने, स्वयंसेवा करने या आत्म-विकास के माध्यम से उन्होंने किस प्रकार आगे बढ़ने में आपकी मदद की। बोर्ड जवाबदेही और परिपक्वता को महत्त्व देता है।

यदि स्नातक में मेरे अंक कम रहे हों? क्या इसका मेरे इंटरव्यू पर असर पड़ेगा? +

बिल्कुल नहीं। कम अंक, उनके प्रति आपके रवैये से कम मायने रखते हैं। कारणों को संक्षेप में स्वीकार करें और संवाद को अपनी हाल की निरंतरता, UPSC परीक्षा में प्रदर्शन तथा परिपक्वता की ओर मोड़ें। आत्मविश्वास अंकों से अधिक महत्त्व रखता है।

मुझे अपनी सेवा और कैडर वरीयताओं का बचाव कैसे करना चाहिये? +

आपके विकल्पों में स्पष्टता और सम्मान झलकना चाहिये। संवाद में निर्वात न छोड़ें, क्योंकि बोर्ड इसे अहंकार समझ सकता है। यह स्पष्ट करने के लिये तैयार रहें कि आप किसी विशेष सेवा या संवर्ग को क्यों पसंद करते हैं और सुनिश्चित करें कि आपका स्पष्टीकरण आपकी पृष्ठभूमि एवं आकांक्षाओं के अनुरूप हो।

मैं इंटरव्यू में मत-आधारित उत्तर कैसे प्रस्तुत करूँ? +

प्रशासनिक परिपक्वता रूपरेखा (Administrative Maturity Framework) का उपयोग करें:

  • बहुआयामिता: विभिन्न हितधारकों को स्वीकार करें
  • संवैधानिक नैतिकता: अनुच्छेदों, अधिकारों और मूल्यों का उपयोग करें
  • रचनात्मक समाधान: सकारात्मक, कार्यान्वयन योग्य परिणामों के साथ समाप्त करें

यह नेतृत्व और संतुलन को दर्शाता है।

मुझे परिस्थितिजन्य प्रश्नों का उत्तर किस प्रकार देना चाहिये? +

थ्री Cs रूपरेखा (Three Cs Framework) का उपयोग करें:

  • संदर्भ (Context): हितधारकों और गंभीरता की पहचान करें
  • संवैधानिक मूल्य (Constitutional Values): विधि का शासन, धर्मनिरपेक्षता, प्राकृतिक न्याय
  • रचनात्मक कार्रवाई (Constructive Action): चरण-दर-चरण योजना निर्माण, तत्काल + दीर्घकालिक

यह विधि सुनिश्चित करती है कि आपकी प्रतिक्रियाएँ प्रशासनिक हों, भावनात्मक न हों।

मुझे अपनी रुचियों से संबंधित प्रश्नों की कितनी गहन तैयारी करनी चाहिये? +

बहुत गहराई से। रुचियाँ (Hobbies) उच्च स्कोर प्रदान करने वाला सुरक्षित क्षेत्र है। अपनी रुचियों से जुड़े इतिहास, वर्तमान रुझान, संभावित विवादों और उनके तकनीकी पहलुओं की भी सुविचारित तैयारी करें। स्टैंड-अप कॉमेडी या मिमिक्री जैसी अपरंपरागत रुचियों के लिये, नैतिकता, सामाजिक सीमाओं और कलात्मक उत्तरदायित्व से जुड़े सवालों के लिये तैयार रहें।

UPSC इंटरव्यू के लिये मुझे क्या पहनना चाहिये? +
  • पुरुष: गहरे रंग का औपचारिक सूट उपयुक्त माना जाता है, साथ ही स्वच्छ और सुसज्जित उपस्थिति भी आवश्यक है।
  • महिलाएँ: सादी साड़ी या औपचारिक सलवार-सूट उपयुक्त है, साथ ही सहायक वस्तुओं का प्रयोग यथासंभव न्यूनतम होना चाहिये। आपकी पोशाक से व्यावसायिकता, सादगी और गरिमा स्पष्ट रूप से परिलक्षित होनी चाहिये।
मैं इंटरव्यू में विनम्रतापूर्वक कैसे कहूँ कि “मुझे नहीं पता”? +

एक शांत और ईमानदार प्रतिक्रिया, जैसे:
"मुझे खेद है सर/मैम, मुझे इस समय इसकी अधिक जानकारी नहीं है।"
यह ईमानदारी और धैर्य को दर्शाता है—जो ऐसे गुण हैं जिन्हें बोर्ड अनुमान लगाने भर से अधिक महत्त्व देता है।

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