राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
अजय वारियर-25 अभ्यास
चर्चा में क्यों?
भारत और यूनाइटेड किंगडम ने भारतीय सेना तथा ब्रिटिश सेना के मध्य द्विपक्षीय सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास अजय वारियर-25 के 8वें संस्करण की शुरुआत की है।
मुख्य बिंदु
- अभ्यास के बारे में:
- अजय वारियर भारतीय सेना और ब्रिटिश सेना के बीच एक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास है, जो वर्ष 2011 से द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है।
- इसका उद्देश्य अंतर-संचालनीयता बढ़ाना, सामरिक समन्वय में सुधार लाना तथा आतंकवाद-रोधी और शांति अभियानों में श्रेष्ठ प्रथाओं का आदान-प्रदान करना है।
- यह अभ्यास संयुक्त राष्ट्र के अधिदेश के तहत आयोजित किया जाता है, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के अनुरूप, जो शांति के लिये खतरे, शांति भंग और आतंकवाद रोधी परिदृश्यों से सम्बंधित शांति स्थापना कर्तव्यों से संबंधित है।
- संस्करण 2025
- 8वाँ संस्करण 17 से 30 नवंबर, 2025 तक फॉरेन ट्रेनिंग नोड, महाजन फील्ड फायरिंग रेंज, राजस्थान में आयोजित किया जा रहा है।
- इसमें दोनों सेनाओं से समान प्रतिनिधित्व के साथ कुल 240 कर्मी भाग ले रहे हैं। भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व सिख रेजिमेंट कर रही है।
- प्रशिक्षण में सिमुलेशन-आधारित परिदृश्य, ब्रिगेड-स्तरीय मिशन योजना तथा वास्तविक जीवन की आतंकवाद विरोधी परिस्थितियों से संबंधित क्षेत्रीय अभ्यास शामिल हैं।
मध्य प्रदेश Switch to English
पन्ना हीरों को GI टैग मिला
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश के पन्ना ज़िले में खनन किये गए हीरों को आधिकारिक रूप से भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रदान किया गया है, जिससे उन्हें राष्ट्रीय और वैश्विक बाज़ारों में एक मान्यता प्राप्त पहचान तथा प्रीमियम मूल्य प्राप्त हुआ है।
मुख्य बिंदु
- पन्ना हीरों के बारे में:
- पन्ना भारत का एकमात्र हीरा-उत्पादक ज़िला है और इस टैग के अंतर्गत इन हीरों को 14-प्राकृतिक वस्तुओं की श्रेणी में "पन्ना डायमंड" के रूप में विपणन किया जाएगा।
- राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (NMDC) द्वारा संचालित पन्ना स्थित मझगवाँ खान भारत में वर्तमान में संचालित एकमात्र संगठित तथा मशीनीकृत हीरा खान है।
- पन्ना में हीरा खनन की प्रक्रिया में छोटे पट्टे (आम तौर पर 8 × 8 मीटर) दिये जाते हैं, जहाँ मिट्टी की खुदाई, छनाई, धुलाई तथा पृथक्करण किया जाता है।
- वहाँ मिलने वाले हीरे ज़िला हीरा कार्यालय में जमा किये जाते हैं, जहाँ उनकी त्रैमासिक नीलामी होती है।
- पन्ना हीरों के GI टैग प्राप्त करने के साथ, मध्य प्रदेश के GI टैग वाले उत्पादों की कुल संख्या 21 हो गई है, जिनमें चंदेरी साड़ी, रतलामी सेव, गोंड पेंटिंग आदि शामिल हैं।
- पन्ना भारत का एकमात्र हीरा-उत्पादक ज़िला है और इस टैग के अंतर्गत इन हीरों को 14-प्राकृतिक वस्तुओं की श्रेणी में "पन्ना डायमंड" के रूप में विपणन किया जाएगा।
- भौगोलिक संकेतक (GI) टैग के बारे में:
- वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 GI टैग को नियंत्रित करने वाला भारतीय कानून है; जो 15 सितंबर, 2003 को लागू हुआ था।
- GI टैग यह प्रमाणित करता है कि कोई वस्तु किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होती है तथा उसकी गुणवत्ता, प्रतिष्ठा या अन्य विशेषता अनिवार्यतः उसी स्थान से संबंधित है।
- केवल उस क्षेत्र के अधिकृत उपयोगकर्त्ता ही पंजीकृत GI नाम का उपयोग कर सकते हैं। यह उत्पाद को अंतर्राष्ट्रीय दुरुपयोग और नकली विकल्पों से बचाने में मदद करता है।
राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (NMDC):
- NMDC भारत का सबसे बड़ा लौह-अयस्क उत्पादक तथा इस्पात मंत्रालय के अधीन एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है, जिसकी स्थापना वर्ष 1958 में हुई थी।
- यह लौह-अयस्क, हीरे, ताँबा, चूना-पत्थर तथा डोलोमाइट सहित विभिन्न खनिजों के अन्वेषण, निष्कर्षण तथा उत्पादन में संलग्न है।
राजस्थान Switch to English
ऑपरेशन मुस्कान
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश से लापता 17 वर्षीय किशोरी को ऑपरेशन मुस्कान के तहत समन्वित प्रयासों के माध्यम से राजस्थान में पाकिस्तान सीमा के निकट से ढूँढकर सुरक्षित बचा लिया गया।
मुख्य बिंदु
- लापता बच्चों को बचाने, बाल-तस्करी को रोकने तथा सुरक्षित प्रत्यावर्तन सुनिश्चित करने के लिये गृह मंत्रालय द्वारा ऑपरेशन मुस्कान प्रारम्भ किया गया था।
- इसे आमतौर पर ऑपरेशन स्माइल के नाम से भी जाना जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 2014 में गाज़ियाबाद पुलिस द्वारा एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में की गई थी, जिसे उल्लेखनीय सफलता प्राप्त होने के उपरांत जुलाई 2015 में गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा अपनाया गया तथा देशभर में लागू किया गया।
- इस अभियान में पुलिस, बाल कल्याण समितियाँ, श्रम एवं सामाजिक कल्याण विभाग शामिल हैं, तथा इसमें लापता बच्चों के राष्ट्रीय डेटाबेस, नागरिक सूचनाओं तथा अंतर-राज्यीय समन्वय जैसे उपकरणों का उपयोग किया जाता है।
- ये टीमें गृह मंत्रालय के TrackChild पोर्टल का उपयोग करती हैं तथा बचाए गए बच्चों का मिलान लापता बच्चों के राष्ट्रीय डेटाबेस से करने के लिये प्रायः फेस-रिकग्निशन सॉफ्टवेयर (जैसे दर्पण) का उपयोग करती हैं।
- प्रमुख गतिविधियों में गुमशुदा बच्चों का पंजीकरण, संवेदनशील स्थानों का मानचित्रण, बचाव अभियान, पुनर्वास तथा तस्करों या शोषकों के विरुद्ध अभियोजन की कार्रवाई शामिल है
मध्य प्रदेश Switch to English
भारत का पहला निजी रेलवे स्टेशन
चर्चा में क्यों?
भोपाल का रानी कमलापति रेलवे स्टेशन भारत का पहला ऐसा स्टेशन बन गया है, जिसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत पुनर्विकसित कर संचालित किया जा रहा है, जो शहर के द्वितीयक पारगमन केंद्र के रूप में कार्य करता है।
- पश्चिम मध्य रेलवे ज़ोन में स्थित इस स्टेशन का नाम वर्ष 2021 में गोंड रानी कमलापति के नाम पर रखा गया, इससे पहले इसका नाम हबीबगंज था।
मुख्य बिंदु
- स्टेशन का पुनर्विकास लगभग 450 करोड़ रूपये की लागत से IRSDC और बंसल ग्रुप के बीच PPP मॉडल के तहत किया गया।
- इसमें एयरपोर्ट जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हैं जैसे पूरी तरह एयर-कंडीशन्ड कंकोर्स, हाई-स्पीड एस्केलेटर, ट्रैवेलैटर, प्रीमियम प्रतीक्षालय, फ़ूड कोर्ट और मल्टी-लेवल पार्किंग।
- इसका स्वामित्व भारतीय रेलवे के पास है, जबकि संचालन, रखरखाव और वाणिज्यिक प्रबंधन निजी संविदाकार द्वारा किया जाता है।
- इसमें सौर ऊर्जा प्रणाली, ऊर्जा-कुशल लाइटिंग और विकलांग यात्रियों के लिये बाधा-मुक्त सुविधाएँ शामिल हैं।
- यह स्टेशन भोपाल की एक प्रमुख पारगमन केंद्र के रूप में भूमिका को सुदृढ़ करता है और इसे राष्ट्रीय स्टेशन पुनर्विकास कार्यक्रम के तहत भविष्य के स्टेशन पुनर्विकास के लिये एक मॉडल माना जाता है।
भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम (IRSDC)
- यह रेल मंत्रालय की एक विशेष प्रयोजन इकाई (SPV) है, जिसे नए स्टेशनों के निर्माण और कार्यरत रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिये बनाया गया है।
- यह भारतीय रेलवे निर्माण कंपनी लिमिटेड (IRCON) और रेल भूमि विकास प्राधिकरण (RLDA) के बीच एक संयुक्त उद्यम है।
- IRSDC को कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत 12 अप्रैल, 2012 को स्थापित किया गया था।
- इसका मुख्य उद्देश्य ऐसे विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशनों का निर्माण करना है, जो अत्याधुनिक तथा सतत् प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं।
- पुनर्विकास कार्य को PPP मॉडल (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) के तहत संचालित किया जाता है।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान का iStart पोर्टल
चर्चा में क्यों?
राजस्थान सरकार ने घोषणा की कि iStart पोर्टल राज्य की स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का एक प्रमुख प्रवर्तक बन चुका है, जिसमें 7,100 से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत हैं और 1,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश सुनिश्चित किये गए हैं।
मुख्य बिंदु
- iStart राजस्थान सरकार का प्रमुख स्टार्टअप प्रोत्साहन कार्यक्रम है, जिसे सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग (DOIT&C) के माध्यम से संचालित किया जाता है।
- यह स्टार्टअप पंजीकरण, इनक्यूबेशन, फंडिंग, मेंटरशिप और बाज़ार पहुँच के लिये एक सिंगल-विंडों ऑनलाइन प्लेटफोर्म प्रदान करता है।
- कार्यक्रम हरित प्रौद्योगिकी, विनिर्माण, सेवाएँ, मोबाइल/IoT और स्थानीय चुनौती सहित विभिन्न क्षेत्रों के स्टार्टअप्स को कवर करता है।
- इनक्यूबेशन सहायता iStart Nest Center और Technohub, जयपुर के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है, जिसमें निःशुल्क कार्यस्थल, इंटरनेट कनेक्टिविटी, हार्डवेयर संसाधन तथा मेंटरशिप शामिल हैं।
- वित्तीय प्रोत्साहनों में विचार-स्तर अनुदान, प्रारंभिक वित्तपोषण, सरल ऋण और इक्विटी निवेश शामिल हैं, साथ ही महिला नेतृत्व वाले तथा ग्रामीण स्टार्टअप्स को अतिरिक्त प्राथमिकता दी जाती है।
- इस पारिस्थितिकी तंत्र में स्टार्टअप्स की निवेश तत्परता का आकलन करने के लिये QRATE रेटिंग प्रणाली और प्रारंभिक चरण के उद्यमों के लिये बाज़ार में प्रवेश सुनिश्चित करने हेतु सरकारी खरीद के प्रावधान भी शामिल हैं।
- पोर्टल के माध्यम से स्टार्टअप गतिविधियों द्वारा राज्य में 42,500 से अधिक रोज़गार सृजित हुए हैं।
झारखंड Switch to English
जैव-इनपुट संसाधन केंद्र
चर्चा में क्यों?
झारखंड के पलामू ज़िले के नीलांबर-पीतांबरपुर ब्लॉक स्थित नौडीहा गाँव में एक नए जैव-इनपुट संसाधन केंद्र (BRC) का उद्घाटन किया गया है, जिसका उद्देश्य स्थानीय स्तर पर उत्पादित जैव-उर्वरक और जैविक इनपुट उपलब्ध कराकर प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को सहायता प्रदान करना है।
मुख्य बिंदु
- पलामू केंद्र के बारे में:
- इसका प्रबंधन एक महिला उद्यमी द्वारा किया जाता है, जो ग्रामीण महिलाओं द्वारा संचालित कृषि व्यवसाय को प्रोत्साहित करती है। यह केंद्र क्षेत्र के 600 से अधिक किसानों को सेवा प्रदान करेगा।
- इसे राज्य के प्राकृतिक कृषि विस्तार प्रयासों के तहत स्थापित किया गया है तथा झारखंड राज्य आजीविका संवर्द्धन सोसाइटी (JSLPS) के सहयोग से संचालित किया जाता है।
- यह पूरे भारत में जैव-इनपुट संसाधन केंद्रों की स्थापना के लिये राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) की राष्ट्रीय रणनीति के अनुरूप कार्य करता है।
- जैव-इनपुट संसाधन केंद्र (BRC) के बारे में:
- BRC क्लस्टर-स्तरीय इकाइयाँ हैं, जिन्हें प्राकृतिक कृषि इनपुट जैसे जैव-उर्वरक, जैव-कीटनाशक, जीवामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र और अन्य सूक्ष्मजीवी फार्मूलेशन का उत्पादन तथा आपूर्ति करने के लिये विकसित किया गया है।
- ये राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) का हिस्सा हैं, जिसके तहत वर्ष 2022-23 से 2025-26 के बीच 15,000 BRC स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
- BRC का संचालन किसान उत्पादक संगठनों (FPO), स्वयं सहायता समूहों (SHG), सहकारी समितियों या प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों द्वारा सरकार से वित्तीय और तकनीकी सहायता के साथ किया जा सकता है।
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