नीतीश कुमार वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल | बिहार | 06 Dec 2025
चर्चा में क्यों?
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन ने नीतीश कुमार को दस बार शपथ लेने वाले भारत के पहले मुख्यमंत्री बनने पर सम्मानित किया है।

मुख्य बिंदु
- प्रशंसा:
- वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने उनके दीर्घकालिक शासन, सार्वजनिक सेवा तथा दस कार्यकालों तक राज्य का नेतृत्व करने के लोकतांत्रिक महत्त्व की विशेष सराहना की है।
- संगठन ने इसे भारतीय लोकतांत्रिक परंपरा में एक दुर्लभ और उल्लेखनीय उपलब्धि बताया।
- प्रमा-पत्र:
- वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने घोषणा की है कि इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिये नीतीश कुमार को एक औपचारिक प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा।
- कार्यकाल:
- नीतीश कुमार ने पहली बार वर्ष 2000 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन बहुमत साबित न कर पाने के कारण उन्हें सात दिनों के भीतर त्याग-पत्र देना पड़ा।
- वर्ष 2005 से वे लगभग निरंतर मुख्यमंत्री रहे हैं, केवल 2014–15 में जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाले संक्षिप्त अंतराल को छोड़कर।
- वर्ष 2025 के चुनाव में NDA को 243 में से 202 सीटें मिलने के बाद उन्होंने दसवीं बार शपथ ली।
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स
- संगठन: वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स लिमिटेड (यूके) एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जो विश्वभर में असाधारण रिकॉर्डों को प्रमाणिक रूप से सूचीबद्ध और सत्यापित करती है।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर की घटनाओं, उपलब्धियों और कीर्तिमानों को रिकॉर्ड करना, सम्मानित करना, प्रमाणित करना तथा निर्णीत करना है।
- स्थापना: इस संस्था की स्थापना वर्ष 2017 में हुई थी और तब से यह यूरोप, उत्तर तथा दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, एशिया तथा ऑस्ट्रेलिया में अपनी उपस्थिति का तेज़ी से विस्तार कर चुकी है।
- टीमवर्क: इसका संचालन स्वयंसेवकों, अधिकारियों और निर्णायकों के परिश्रमी योगदान पर निर्भर करता है।
- भारत शाखा: वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स फाउंडेशन, भारत, एशियाई देशों में व्यक्तियों और संस्थाओं द्वारा स्थापित उपलब्धियों को मान्यता देने का कार्य करता है।
- यह सम्मान प्रमाणित करने, विशिष्ट स्थलों/संस्थाओं को सूचीबद्ध करने तथा WBR यूके के साथ CSR सहयोग जैसे कार्यों का भी निर्वहन करता है।
राजस्थान में फिरोज़पुर फीडर का पुनर्निर्माण | राजस्थान | 06 Dec 2025
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने साधूवाली में फ़िरोज़पुर फीडर नहर के पुनर्निर्माण का शिलान्यास किया, जो उत्तरी राजस्थान में सिंचाई सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल को दर्शाता है।

मुख्य बिंदु
- परियोजना के बारे में: यह परियोजना दूरस्थ कृषि क्षेत्रों में विश्वसनीय सिंचाई जल आपूर्ति सुनिश्चित करके किसानों की समृद्धि के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
- पुनर्निर्माण: 647 करोड़ रुपये की लागत से फीडर के पुनर्निर्माण का उद्देश्य हरिके बैराज से अधिशेष जल के मार्ग परिवर्तन में सुधार करना तथा रबी और खरीफ फसलों के लिये सिंचाई विश्वसनीयता को बढ़ाना है।
- 300 करोड़ रुपये के अलग आवंटन से बीकानेर नहर का जीर्णोद्धार किया जाएगा, जिससे लाखों किसानों को सीधा लाभ होगा और राज्य का सदियों पुराना नहर नेटवर्क मज़बूत होगा।
- स्वचालन: 695 करोड़ रुपये के निवेश से 3.14 लाख हेक्टेयर में सिंचाई को स्वचालित किया जाएगा, जिससे दक्षता बढ़ेगी, जल प्रवाह को विनियमित किया जाएगा और कमांड क्षेत्र में कृषि उत्पादकता को बढ़ावा मिलेगा।
- क्षमता वृद्धि: उन्नत फिरोज़पुर फीडर की वहन क्षमता 9,000 क्यूसेक से बढ़कर 13,842 क्यूसेक हो जाएगी, जिससे अतिरिक्त मानसून जल का भंडारण संभव हो सकेगा, जो अन्यथा पाकिस्तान की ओर बह जाता है।
- समय-सीमा: परियोजना के तहत कंक्रीट लाइनिंग, रेगुलेटरों के पुनर्निर्माण तथा रेलवे क्रॉसिंग की मरम्मत जैसे सभी प्रमुख कार्य अक्तूबर 2027 तक पूर्ण करने की योजना बनाई गई है, ताकि यह समय-सीमा नहर के ऐतिहासिक उद्घाटन दिवस के साथ सामंजस्य स्थापित कर सके।
- शताब्दी-वर्ष: 1,717 करोड़ रुपये की इन परियोजनाओं का शुभारम्भ गंग नहर की 100वीं वर्षगाँठ के अवसर पर किया गया है, जिसे मूलतः महाराजा गंगा सिंह द्वारा निर्मित किया गया था और जो राजस्थान के शुष्क ज़िलों के लिये जीवनरेखा है।
- विरासत: यह परियोजना महाराजा गंगा सिंह द्वारा 20वीं सदी के प्रारंभ में बीकानेर के लिये सतलुज नदी का पानी सुरक्षित करने के लिये किये गए निरंतर संघर्ष का सम्मान करती है, जिसमें कड़े राजनीतिक प्रतिरोध, तकनीकी संदेहों और प्रथम विश्व युद्ध के कारण हुई देरी के बावजूद भी उन्होंने यह कार्य पूर्ण किया।
EARTH समिट 2025 | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 06 Dec 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल तथा अनेक विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति में गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में EARTH समिट 2025 का उद्घाटन किया।

मुख्य बिंदु
- सम्मेलन के बारे में:
- EARTH समिट (तीन-भागीय शृंखला) का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना, ग्रामीण विकास से संबद्ध चार मंत्रालयों के समक्ष उपस्थित चुनौतियों का समाधान करना तथा अगले वर्ष दिल्ली में आयोजित होने वाले अंतिम शिखर सम्मेलन तक एक राष्ट्रीय नीति ढाँचा तैयार करना है।
- यह ग्रामीण नवाचार, सहकारी-संचालित विकास और प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत के दृष्टिकोण के लिये एक सहयोगी ढाँचा बनाने हेतु 10,000 से अधिक प्रतिनिधियों, 1,200 कॉर्पोरेट्स, 500 विशेषज्ञों, 300 स्टार्टअप्स तथा 250 प्रदर्शकों को एक मंच पर एकत्र करता है।
- आयोजक:
- डिजिटल शुभारंभ:
- कार्यक्रम के दौरान, गृह मंत्री ने ‘सहकार सारथी’ के अंतर्गत 13 से अधिक नई सहकारी डिजिटल सेवाओं का शुभारम्भ किया, जिनमें Digi-KCC, सहकारी शासन सूचकांक, ePACS, अनाज भंडारण अनुप्रयोग, शिक्षा सारथी तथा ग्रामीण और शहरी सहकारी बैंकों को एकीकृत करने के लिये प्रौद्योगिकी मंच शामिल हैं।
- प्रौद्योगिकी एकीकरण:
- नाबार्ड का ‘सहकार सारथी’ मंच समस्त सहकारी बैंकों को एक तकनीकी छत्र के अंतर्गत लाएगा, जो वैश्विक ऋण प्रणालियों के समकक्ष आधुनिक बैंकिंग उपकरण, वास्तविक समय ट्रैकिंग, KYC, दस्तावेजीकरण तथा e-KCC सेवाएँ उपलब्ध कराएगा।
- मॉडल विस्तार:
- गुजरात के ‘सहकारों के मध्य सहकार’ मॉडल के अंतर्गत सहकारी संस्थाएँ स्वयं सहकारी तंत्र के भीतर बैंकिंग कार्य करती हैं, जिससे कम-लागत वाली जमा राशि में हज़ारों करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। इस मॉडल का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार किया जाएगा।
- जैविक और प्राकृतिक खेती:
- भारत में वर्तमान में 49 लाख प्राकृतिक किसान सक्रिय हैं तथा 40 से अधिक जैविक उत्पाद ऑनलाइन उपलब्ध हैं। अमूल तथा भारत ऑर्गेनिक्स के सहयोग से एक राष्ट्रीय जैविक प्रयोगशाला नेटवर्क का विकास किया जा रहा है, जो निर्यात को प्रोत्साहन देगा। इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक 20% तथा वर्ष 2035 तक 40% वैश्विक बाज़ार हिस्सेदारी अर्जित करना है।
राजस्थान में संयुक्त सैन्य अभ्यास | राजस्थान | 06 Dec 2025
चर्चा में क्यों?
आतंकवाद-निरोध तथा शांति-स्थापना परिदृश्यों में अंतर-संचालनीयता को सशक्त बनाने हेतु भारत–मलेशिया द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास ‘हरिमाउ शक्ति’ का पाँचवाँ संस्करण राजस्थान में शुरू हुआ।
मुख्य बिंदु
अभ्यास के बारे में:
- यह भारतीय सेना तथा मलेशियाई सेना के मध्य आयोजित एक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास है, जो वन क्षेत्रीय तथा आतंकवाद-रोधी अभियानों पर केंद्रित है।
- यह अभ्यास वर्ष 2012 में प्रारंभ हुआ था तथा भारत की एक्ट ईस्ट नीति तथा वैश्विक शांति-स्थापना ढाँचे के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को और अधिक दृढ़ करता है।
सहभागी (2025):
- भारतीय सेना की डोगरा रेजिमेंट तथा मलेशियाई सेना की 25वीं बटालियन (Royal Malaysian Army) इस संस्करण में भाग ले रही हैं।
उद्देश्य और अधिदेश:
- संयुक्त राष्ट्र अध्याय VII के अधिदेश के अंतर्गत उप-पारंपरिक अभियानों का संयुक्त पूर्वाभ्यास किया जाएगा, जिसमें घेराबंदी/तलाशी अभियान, हेलीबोर्न ऑपरेशन तथा हताहतों की निकासी जैसे आतंकवाद-रोधी अभ्यासों पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा।
- सेना मार्शल आर्ट्स रूटीन (AMAR), कॉम्बैट रिफ्लेक्स शूटिंग तथा योग भी पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगे।
- संयुक्त राष्ट्र अध्याय VII अंतर्राष्ट्रीय शांति प्रवर्तन के लिये सैन्य/गैर-सैन्य कार्रवाइयों (प्रतिबंध, नाकाबंदी, सैन्य तैनाती) को अधिकृत करता है।
अन्य सैन्य अभ्यास:

भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF), 2025 | हरियाणा | 06 Dec 2025
चर्चा में क्यों?
भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF) का 11वाँ संस्करण 6-9 दिसंबर, 2025 तक हरियाणा के पंचकूला में आयोजित किया जा रहा है।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य:
- वर्ष 2015 में शुरू किये गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रदर्शनियों, B2B मीटिंग्स, प्रतियोगिताओं, संपर्क गतिविधियों और प्रौद्योगिकी प्रदर्शनों के माध्यम से प्रयोगशालाओं तथा समाज के बीच सेतु का काम करना है।
- IISF वैज्ञानिकों, छात्रों, स्टार्टअप्स, उद्योग जगत के नेताओं, निवेशकों, मीडिया, नीति निर्माताओं और सामुदायिक समूहों को एक साथ लाता है तथा विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देता है।
- प्रतिभागी:
- IISF 2025 में भारत और विदेश से 40,000 से अधिक प्रतिभागी शामिल होंगे, जो इसे देश के सबसे बड़े विज्ञान संपर्क कार्यक्रमों में से एक बनाता है।
- आयोजक:
- IISF 2025 का आयोजन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा और इसका समन्वय IITM पुणे द्वारा किया जा रहा है, जिसमें DST, DBT, CSIR, अंतरिक्ष विभाग, DAE तथा संपर्क पार्टनर विजना भारती का प्रमुख योगदान शामिल है।
- व्यापक वैज्ञानिक सत्र: इस महोत्सव में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, उद्योग और नवाचार के उभरते क्षेत्रों को कवर करने वाले 150 से अधिक तकनीकी तथा विषयगत सत्र शामिल हैं।
- थीम और विज़न:
- वर्ष 2025 की थीम "विज्ञान से समृद्धि: आत्मनिर्भर भारत के लिये", विज्ञान आधारित विकास, राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता और वैश्विक कल्याण में भारत के योगदान पर ज़ोर देती है।
- पाँच विषयगत क्षेत्र: IISF निम्नलिखित पर प्रकाश डालेगा:
- उत्तर-पश्चिम भारत और हिमालयी विज्ञान
- समाज और शिक्षा के लिये विज्ञान
- S&T के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत
- जैव प्रौद्योगिकी और जैव-अर्थव्यवस्था
- पारंपरिक ज्ञान का आधुनिक विज्ञान के साथ एकीकरण।
- समावेशी कार्यक्रम: विशेष सत्र विज्ञान क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं, स्कूली छात्रों, युवा उद्यमियों, नवप्रवर्तकों और शुरुआती करियर वाले शोधकर्त्ताओं को लक्षित करते हैं, जो IISF की समावेशी प्रकृति को सुदृढ़ करते हैं।
- अग्रणी प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन: प्रमुख ट्रैकों में AI/AGI, क्वांटम प्रौद्योगिकी, जीन संपादन, जैव-अर्थव्यवस्था, अंतरिक्ष प्रणालियाँ, उपग्रह, प्रक्षेपण वाहन और जलवायु विज्ञान पर प्रकाश डाला गया, जिसमें राष्ट्रीय संस्थानों के विशेषज्ञ भाग लेंगे।
हस्तशिल्प पुरस्कार | राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स | 06 Dec 2025
चर्चा में क्यों?
वस्त्र मंत्रालय राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह समारोह के भाग के रूप में 9 दिसंबर, 2025 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में वर्ष 2023 और 2024 के लिये प्रतिष्ठित हस्तशिल्प पुरस्कार प्रदान करेगा।
मुख्य बिंदु
- वर्ष 1965 में स्थापित राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार उन असाधारण शिल्पकारों को सम्मानित करते हैं जिन्होंने उत्कृष्ट कलात्मक उत्कृष्टता के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध किया है।
- गणमान्य व्यक्ति: इस समारोह की अध्यक्षता भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू करेंगी तथा इसकी अध्यक्षता केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह करेंगे तथा पबित्रा मार्गेरिटा मुख्य अतिथि होंगे।
- शिल्प गुरु पुरस्कार: वर्ष 2002 में शुरू किये गए शिल्प गुरु पुरस्कार हस्तशिल्प क्षेत्र में सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान हैं, जो अद्वितीय कौशल और नवाचार को सम्मानित करते हैं।
- राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह: प्रतिवर्ष 8 से 14 दिसंबर तक मनाया जाने वाला यह सप्ताह प्रदर्शनी, कार्यशालाएँ, प्रदर्शन, वार्ताएँ, संपर्क और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करता है, ताकि भारत के शिल्पकारों तथा उनकी शिल्प परंपराओं का उत्सव मनाया जा सके।
- क्षेत्रीय महत्त्व: हस्तशिल्प क्षेत्र सदियों पुरानी परंपराओं को संरक्षित करता है, ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी भारत में लाखों लोगों की आजीविका का समर्थन करता है तथा राष्ट्रीय निर्यात आय में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।