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नवाचारों के विकास और उपयोग के लिये राष्ट्रीय पहल

  • 07 Aug 2023
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

NIDHI, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, प्रौद्योगिकी ऊष्मायन एवं उद्यमियों का विकास (TIDE 2.0)

मेन्स के लिये:

NIDHI का महत्त्व, भारत में स्टार्टअप से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ, स्टार्टअप से संबंधित हालिया सरकारी पहल

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में राज्यसभा में एक लिखित जवाब में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने NIDHI (नवाचारों के विकास एवं उपयोग के लिये राष्ट्रीय पहल) के माध्यम से भारत के नवाचार क्षेत्र में उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology- DST) ने वर्ष 2016 में NIDHI कार्यक्रम शुरू किया था। इसमें स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिये अन्य प्रमुख संस्थाओं के साथ सहयोग भी शामिल है।

नवाचारों के विकास और उपयोग के लिये राष्ट्रीय पहल (NIDHI): 

  • परिचय:
    • यह एक अभूतपूर्व पहल है जिसे नवाचार को बढ़ावा देने, स्टार्टअप का समर्थन करने और भारत में एक संपन्न उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने के लिये अभिकल्पित किया गया है।
    • इसमें विभिन्न घटक शामिल हैं जो देश भर में नवाचार-संचालित उद्यमों को बढ़ावा देने तथा उनमें तेज़ी लाने के लिये एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करते हैं।
  • निधि कार्यक्रम के घटक:
    • निधि-प्रयास (युवा और महत्त्वाकांक्षी इनोवेटर्स और स्टार्टअप को बढ़ावा देना और उनमें तेज़ी लाना):
      • यह नवीन विचारों को मूर्त प्रोटोटाइप में परिवर्तित करने पर केंद्रित है।
      • यह प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट स्तर पर सलाह और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
    • निधि उद्यमी-इन-रेज़िडेंस (EIR) कार्यक्रम:
      • यह उद्यमिता अपनाने वाले छात्रों को फेलोशिप/छात्रवृत्ति प्रदान करता है।
      • इसका उद्देश्य युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करना है।
    • निधि सीड सपोर्ट प्रोग्राम:
      • यह स्टार्टअप्स को प्रारंभिक चरण की सीड फंडिंग प्रदान करता है।
      • स्टार्टअप्स को नवाचार क्षेत्र में आगे बढ़ने में सक्षम बनाता है।
    • निधि त्वरक कार्यक्रम:
      • यह स्टार्टअप्स की निवेश तत्परता (Investment Readiness) को गति प्रदान करता है।
      • स्टार्टअप्स को विकास और स्केलिंग के लिये आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराता है।
    • टेक्नोलॉजी बिज़नेस इन्क्यूबेटर्स (TBI) और उत्कृष्टता केंद्र (CoE): 
      • यह स्टार्टअप्स को इनक्यूबेट करने के लिये अत्याधुनिक बुनियादी ढाँचे की स्थापना करता है।
      • प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देता है।
    • NIDHI-समावेशी प्रौद्योगिकी बिज़नेस इन्क्यूबेटर्स (iTBI) कार्यक्रम:
      • टियर II और टियर III शहरों में इनोवेशन और स्टार्टअप इनक्यूबेशन इकोसिस्टम को मज़बूत करता है।
      • iTBI कार्यक्रम ने भौगोलिक, लैंगिक और विशेष योग्यता वाले व्यक्तियों के संदर्भ में उद्यमशीलता समावेशन को बढ़ाने में मदद की है।
  • प्रमुख अभिकर्त्ता और सहयोगी:
    • वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)
      • NIDHI अत्याधुनिक इनक्यूबेशन सुविधाओं को आकार देने और विकसित करने के लिये CSIR के साथ मिलकर सहयोग करती है।
      • यह उन्नत इनक्यूबेशन सुविधाओं की संकल्पना और विकास में सक्रिय भूमिका निभाती है।
      • प्रौद्योगिकी और उत्पादों का समर्थन करना जिससे समाज, उद्योग और देश को लाभ होता है।
    • जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT):
      • जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में स्टार्टअप, उद्यमियों और नवप्रवर्तकों को प्रोत्साहित करने के लिये NIDHI ने DBT and BIRAC के साथ साझेदारी की है।
      • रणनीतिक सहयोग के माध्यम से वे ट्रांसलेशनल (स्थानांतरण) अनुसंधान चलाते हैं और किफायती बायोटेक समाधानों के निर्माण की सुविधा प्रदान करते हैं।
      • किफायती उत्पादों और प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में स्टार्टअप्स, उद्यमियों और नवप्रवर्तकों का समर्थन करता है।
      • BIRAC इनक्यूबेशन कार्यक्रम के माध्यम से हुई प्रगति में देश भर में BIRAC के BioNEST और E-YUVA (मूल्य वर्द्धित नवोन्मेषी ट्रांसलेशनल (स्थानांतरण) अनुसंधान के लिये युवाओं को सशक्त बनाना) योजनाओं के माध्यम से समर्थित 75 इनक्यूबेशन केंद्रों की स्थापना, बायोटेक इग्निशन ग्रांट (BIG) के तहत समर्थित लगभग 900 नवीन परियोजनाएँ शामिल हैं। 
    • रक्षा मंत्रालय (MoD):
      • MoD के रक्षा उत्कृष्टता के लिये इनोवेशन (iDEX) के साथ सहयोग करते हुए NIDHI नवाचार के लिये एक गतिशील पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान देती है।
      • यह साझेदारी रक्षा और एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों में प्रगति के लिये उद्योगों, स्टार्टअप और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को शामिल करती है।
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY):
    • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR):
      • ICAR के राष्ट्रीय कृषि नवाचार कोष के साथ सहयोग करते हुए, निधि कृषि-तकनीक स्टार्टअप को सशक्त बनाती है।
      • उनके संयुक्त प्रयास कृषि-व्यवसाय इनक्यूबेटर (ABI) केंद्र स्थापित करते हैं, जो कृषि में  नवीन समाधान खोजते हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग:

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology- DST) की स्थापना 3 मई, 1971 को नेशनल साइंस फाउंडेशन (NSF), USA के मॉडल पर की गई थी।
  • यह वित्त पोषण प्रदान करता है और नीतियाँ भी बनाता है तथा अन्य देशों के साथ वैज्ञानिक कार्यों का समन्वय करता है।
  • यह वैज्ञानिकों और वैज्ञानिक संस्थानों को सशक्त बनाता है तथा स्कूल कॉलेज, पी.एच.डी., पोस्टडॉक छात्रों, युवा वैज्ञानिकों, स्टार्टअप एवं विज्ञान व प्रौद्योगिकी में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों से जुड़े हितधारकों के साथ एक उच्च वितरित प्रणाली के तहत भी काम करता है।

भारत के इनोवेशन और स्टार्टअप इकोसिस्टम की स्थिति:

  • वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII), 2022 के अनुसार भारत वैश्विक स्तर पर शीर्ष नवीन अर्थव्यवस्थाओं में से 132 देशों में से 40वें स्थान पर है।
  • 31 मई, 2023 तक भारत वैश्विक स्तर पर स्टार्टअप्स के लिये तीसरे सबसे बड़े पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में उभरा है। 
  • जून 2023 तक भारत में कुल 108 यूनिकॉर्न थी  जिनकी नेटवर्थ  कुल मूल्यांकन 340.80 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
    • यूनिकॉर्न की कुल संख्या में से 44 यूनिकॉर्न 2021 में बने  और 21 यूनिकॉर्न 2022 में बने
  • अनुसंधान एवं विकास पर भारत का सकल घरेलू व्यय (GERD) वर्ष 2017-18 में सकल घरेलू उत्पाद का 0.65% प्रतिशत था जो वैश्विक औसत 2.2% से कम है और इज़राइल (4.9%), दक्षिण कोरिया (4.5%) और जापान (3.2%) जैसे अग्रणी नवप्रवर्तकों की तुलना में बहुत कम है।
  • भारत को अपनी नवाचार और स्टार्टअप यात्रा में फंडिंग, राजस्व सृजन और सहायक बुनियादी ढाँचे जैसे मुद्दों का सामना करना पड़ता है।
  • भारत का सार्वजनिक क्षेत्र देश में कुल अनुसंधान एवं व्यय विकास का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा प्रदान करता है, जबकि निजी क्षेत्र केवल एक-चौथाई योगदान करता है। यह वैश्विक प्रवृत्ति के विपरीत है, जहाँ निजी क्षेत्र अनुसंधान एवं विकास व्यय में प्रमुख भूमिका में है।

भारत में स्टार्ट-अप तथा इनोवेशन को प्रोत्साहित करने से संबंधित अन्य पहल:

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न. उद्यम पूंजी का क्या अर्थ है? (2014)

(a) उद्योगों को अल्पकालीन पूंजी प्रदान की गई
(b) नए उद्यमियों को प्रदान की जाने वाली दीर्घकालिक स्टार्ट-अप पूंजी
(c) घाटे के समय उद्योगों को धनराशि प्रदान की जाती है
(d) उद्योगों के प्रतिस्थापन और नवीनीकरण के लिये प्रदान की गई धनराशि

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • वेंचर कैपिटल किसी नए या बढ़ते व्यवसाय के लिए फंड का एक रूप है। यह आमतौर पर उद्यम पूंजी फर्मों से आता है जो उच्च जोखिम वाले वित्तीय पोर्टफोलियो बनाने में विशेषज्ञ हैं।
  • उद्यम पूंजी के साथ, उद्यम पूंजी फर्म स्टार्टअप में इक्विटी के बदले स्टार्टअप कंपनी को फंडिंग देती है।
  • जो लोग इस पैसे का निवेश करते हैं उन्हें उद्यम पूंजीपति (VC) कहा जाता है। उद्यम पूंजी निवेश को जोखिम पूंजी या रोगी जोखिम पूंजी के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इसमें उद्यम सफल नहीं होने पर धन खोने का जोखिम शामिल होता है और निवेश को फलीभूत होने में मध्यम से लंबी अवधि का समय लगता है।
  • अतः विकल्प (B) सही उत्तर है।

स्रोतः पी.आई.बी.

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