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स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम

  • 06 Feb 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम, स्टार्टअप इंडिया पहल, DPIIT, स्टार्टअप इकोसिस्टम को समर्थन पर राज्यों की रैंकिंग, मेक इन इंडिया, इन्वेस्ट इंडिया।

मेन्स के लिये:

स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम और प्रारंभिक चरण में सीड फंड की आवश्यकता।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS) के तहत 477.25 करोड़ रुपए की मंज़ूरी दी है, जो स्टार्टअप इंडिया पहल के अंतर्गत एक प्रमुख योजना है।

  • सीड फंडिंग (Seed Funding) एक स्टार्टअप या नए व्यवसाय में निवेश का एक प्रारंभिक चरण है। सीड फंडिंग का लक्ष्य कंपनी को एक ऐसे बिंदु तक पहुँचाने में मदद करना है जहाँ यह अतिरिक्त वित्तपोषण को सुरक्षित कर सकता है या आत्मनिर्भर बनने के लिये राजस्व उत्पन्न कर सकता है। 

स्टार्टअप इंडिया पहल:

  • स्टार्टअप इंडिया पहल में नवाचार को बढ़ावा देने और उभरते उद्यमियों को अवसर प्रदान करने के लिये देश में एक मज़बूत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की परिकल्पना की गई है।
  • इस पहल के तहत जनवरी 2016 में प्रधानमंत्री द्वारा 19 कार्य बिंदुओं की एक कार्ययोजना का अनावरण किया गया था।
    • इस कार्ययोजना ने भारत में स्टार्टअप के लिये एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण हेतु रोडमैप निर्धारित किया।
  • स्टार्टअप इंडिया पहल फ्लैगशिप योजनाओं जैसे- स्टार्टअप्स हेतु फंड ऑफ फंड्स (FFS), SISFS और स्टार्टअप्स के लिये क्रेडिट गारंटी स्कीम (CGSS) को उनके व्यापार चक्र के विभिन्न चरणों में सहायता प्रदान करती है।

स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS): 

  • परिचय: 
    • इस योजना की घोषणा 16 जनवरी, 2021 को स्टार्टअप इंडिया इंटरनेशनल समिट में की गई थी। 
    • उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) ने वर्ष 2021-22 से शुरू होने वाले 4 वर्षों की अवधि हेतु  945 करोड़ रुपए के परिव्यय को मंज़ूरी दी है ताकि स्टार्टअप को विचार अथवा सिद्धांत के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाज़ार प्रवेश और व्यावसायीकरण हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके। 
  • निष्पादन और निगरानी: 
    • DPIIT द्वारा एक विशेषज्ञ सलाहकार समिति (EAC) का गठन किया गया है, जो स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम के समग्र निष्पादन और निगरानी के लिये ज़िम्मेदार होगा। 
    • EAC बीज निधियों के आवंटन के लिये इनक्यूबेटरों का मूल्यांकन और चयन करेगी, प्रगति की निगरानी करेगी तथा स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम के उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में निधियों के कुशल उपयोग हेतु सभी आवश्यक उपाय करेगी। 

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  • पात्रता:
    • DPIIT (वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय) द्वारा मान्यता प्राप्त एक ऐसा स्टार्टअप जो आवेदन के समय से 2 वर्ष से अधिक पहले शामिल नहीं किया गया हो। 
    • स्टार्टअप ने केंद्रीय या राज्य सरकार की किसी अन्य योजना के तहत 10 लाख रुपए से अधिक की मौद्रिक सहायता प्राप्त नहीं की हो। 
    • सामाजिक प्रभाव, अपशिष्ट प्रबंधन, जल प्रबंधन, वित्तीय समावेशन, शिक्षा, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, ऊर्जा, गतिशीलता, रक्षा, अंतरिक्ष, रेलवे, तेल और गैस, वस्त्र आदि जैसे क्षेत्रों में अभिनव समाधान प्रदान करने वाले स्टार्टअप को प्राथमिकता दी जाएगी। 
  • अनुदान और समर्थन: 
    • यह अगले 4 वर्षों में 300 इनक्यूबेटरों के माध्यम से अनुमानतः 3,600 उद्यमियों को समर्थन देगा। 
    • समिति द्वारा चयनित पात्र इनक्यूबेटरों को 5 करोड़ रुपए तक का अनुदान प्रदान किया जाएगा। 
    • चयनित इनक्यूबेटर स्टार्टअप विचार अथवा सिद्धांत के प्रमाण या प्रोटोटाइप विकास या उत्पाद परीक्षणों के सत्यापन के लिये 20 लाख रुपए तक का अनुदान प्राप्त करेंगे। 
    • परिवर्तनीय डिबेंचर या ऋण से जुड़ी प्रतिभूतियों के माध्यम से व्यवसायों को बाज़ार में प्रवेश, व्यावसायीकरण अथवा स्केलिंग के लिये 50 लाख रुपए तक की सहायता दी जाएगी।

सीड फंड की आवश्यकता: 

  • उद्यम के विकास के प्रारंभिक चरणों में उद्यमियों के लिये पूंजी की आसान उपलब्धता की आवश्यकता होती है।
  • भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम सीड और 'प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट' विकास चरण में पूंजी की कमी से ग्रस्त है
  • पूंजी की आवश्यकता को देखते हुए कई चरणों पर अच्छे व्यावसायिक अवधारणाओं वाले स्टार्टअप अक्सर खुद को मेक-या-ब्रेक की स्थिति में पाते हैं।
  • अवधारणा के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाज़ार में प्रवेश और व्यावसायीकरण के लिये प्रारंभिक चरण में आवश्यक महत्त्वपूर्ण पूंजी की समस्या के कारण कई नवीन व्यावसायिक विचार क्रियान्वित नही हो पाते हैं।
  • स्टार्टअप के लिये पेश किया गया सीड फंड कई स्टार्टअप्स के व्यावसायिक विचारों को साकार करने में प्रभावी हो सकता है जिससे रोज़गार सृजन हो सकता है।

स्टार्टअप्स से संबंधित अन्य पहलें: 

  • स्टार्टअप नवाचार से संबंधित चुनौतियाँ: यह किसी भी स्टार्टअप के लिये अपनी नेटवर्किंग और फंड जुटाने के प्रयासों का लाभ उठाने का एक शानदार अवसर है।
  • राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार: यह उन उत्कृष्ट स्टार्टअप्स और पारिस्थितिकी तंत्र के समर्थकों को पहचानने और पुरस्कृत करने का प्रयास करता है जो नवाचार एवं प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देकर आर्थिक गतिशीलता में योगदान दे रहे हैं।
  • स्टार्टअप इकोसिस्टम के समर्थन पर राज्यों की रैंकिंग: यह संबंधित स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के व्यापक विकास के लिये राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों के समर्थन को बढ़ाने हेतु डिज़ाइन किया गया एक उन्नत मूल्यांकन उपकरण है।
  • SCO स्टार्टअप फोरम: स्टार्टअप इकोसिस्टम को सामूहिक रूप से विकसित और बेहतर बनाने के लिये अक्तूबर 2020 में पहली बार शंघाई सहयोग संगठन (SCO) द्वारा SCO स्टार्टअप फोरम लॉन्च किया गया था।
  • प्रारंभ: ‘प्रारंभ’ शिखर सम्मेलन का उद्देश्य दुनिया भर के स्टार्टअप्स और युवा प्रतिभाओं को नए विचार, नवाचार एवं आविष्कार को बढ़ावा देने हेतु मंच प्रदान करना है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. जोखिम पूंजी से क्या तात्पर्य है? (2014) 

(a) उद्योगों को उपलब्ध कराई गई अल्पकालिक पूंजी
(b) नए उद्यमियों को उपलब्ध कराई गई दीर्घकालिक प्रारंभिक पूंजी 
(c) उद्योग को हानि उठाते समय उपलब्ध कराई गई निधियाँ
(d) उद्योगों के प्रतिस्थापन और नवीकरण के लिये उपलब्ध कराई गई निधियाँ

उत्तर: (b) 

व्याख्या : 

  • जोखिम पूंजी नई या बढ़ती कंपनी हेतु एक प्रकार की फंडिंग है। यह सामान्यतः उद्यम पूंजी फर्मों द्वारा प्रदान किया जाता है जो उच्च जोखिम वाले वित्तीय पोर्टफोलियो विकसित करने में विशेषज्ञ होते हैं।
  • जोखिम पूंजी के साथ जोखिम पूंजी फर्म स्टार्टअप में इक्विटी के बदले स्टार्टअप कंपनी को फंडिंग प्रदान करती है।
  • जो लोग इस पैसे का निवेश करते हैं उन्हें उद्यम पूंजीदाता (Venture capitalist- VC) कहा जाता है। उद्यम पूंजी निवेश को ज़ोखिम पूंजी के रूप में भी संदर्भित किया जाता है, क्योंकि इसमें उद्यम सफल नहीं होने पर धन हानि का ज़ोखिम होता है और निवेश की संवृद्धि के लिये मध्यम से लंबी अवधि की आवश्यकता होती है।

अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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