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स्टेट पी.सी.एस.

  • 07 Aug 2025
  • 1 min read
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उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश ने छात्रों के लिये भरण-पोषण भत्ता बढ़ाया

चर्चा में क्यों?

प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत, उत्तर प्रदेश सरकार ने दिव्यांग छात्रों के लिये भरण-पोषण भत्ते को 2,000 रुपए से बढ़ाकर 4,000 रुपए प्रति माह कर दिया है, जिससे राज्य के 28 आवासीय विद्यालयों में नामांकित 2,650 छात्रों को लाभ मिलेगा।

उत्तर प्रदेश सरकार के आँकड़ों के अनुसार, हर वर्ष 50 लाख से अधिक छात्र राज्य की छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजनाओं से लाभान्वित होते हैं, जिनमें से लगभग 14 से 15 लाख छात्र अनुसूचित जाति से संबंधित होते हैं।

मुख्य बिंदु

  • अयोग्यता मानदंड
    • अब 40 वर्ष से अधिक आयु के छात्र छात्रवृत्ति के पात्र नहीं होंगे, जबकि पहले आवेदन के लिये कोई अधिकतम आयु सीमा नहीं थी।
    • जो छात्र उत्तर प्रदेश से बाहर के राज्य बोर्डों से हाईस्कूल परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं, उन्हें अब छात्रवृत्ति नहीं मिलेगी; हालाँकि, CBSE और ICSE जैसे केंद्रीय बोर्डों से उत्तीर्ण छात्रों को यह लाभ मिलता रहेगा।
    • उत्तर प्रदेश से बाहर स्थित विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित उत्तर प्रदेश के परिसरों में पढ़ने वाले छात्रों को भी संशोधित योजना के अंतर्गत छात्रवृत्ति से वंचित कर दिया गया है।
  • अनिवार्य डिजिलॉकर
    • छात्रवृत्ति आवेदकों के लिये अब डिजिलॉकर पंजीकरण अनिवार्य होगा, जिससे स्वचालित आधार-आधारित डाटा सत्यापन संभव हो सकेगा और धोखाधड़ी की घटनाएँ रोकी जा सकेंगी।
  • अनुसूचित जाति के छात्रों के लिये राशि में वृद्धि
    • अनुसूचित जाति (SC) के छात्रों के लिये वार्षिक छात्रवृत्ति राशि में 500 रुपए की वृद्धि की जाएगी, जिससे कुल राशि 3,500 रुपए प्रति वर्ष हो जाएगी।
  • विशेष छूट:
    • प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत अस्वच्छ पेशों (जैसे, मैला ढोने, कच्चे चमड़े से संबधित कार्य आदि) से जुड़े परिवारों के बच्चों के लिये आय सीमा की बाध्यता समाप्त कर दी गई है, जिससे उन्हें छात्रवृत्ति योजना का लाभ मिल सके।

नोट:

  • दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुसार, 21 प्रकार की दिव्यांगताएँ मान्यता प्राप्त हैं, जिनमें दृष्टि बाधिता, श्रवण बाधिता, वाणी एवं भाषा विकार, बौद्धिक दिव्यांगता, बहु दिव्यांगता, सेरेब्रल पाल्सी और बौनापन आदि शामिल हैं।


बिहार Switch to English

बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना

चर्चा में क्यों?

युवाओं को उच्च शिक्षा के साथ सशक्त बनाने के लिये, बिहार सरकार ने 300 करोड़ रुपए की तीसरी किस्त आवंटित की है, जिससे बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना (BSCCY) के तहत कुल आवंटन 900 करोड़ रुपए हो गया है।

मुख्य बिंदु 

  • योजना की मुख्य विशेषताएँ:
    • पात्र छात्र 4% वार्षिक ब्याज दर पर 4 लाख रुपए तक का शिक्षा ऋण प्राप्त कर सकते हैं।
    • महिला, दिव्यांग और ट्रांसजेंडर छात्रों के लिये ब्याज दर सिर्फ 1% है।
    • ऋण की अदायगी पाठ्यक्रम पूरा होने के एक वर्ष बाद या नौकरी मिलने के छह महीने बाद शुरू होती है, जो भी पहले हो।
    • 2 लाख रुपए तक के ऋण को अधिकतम 60 किस्तों में चुकाया जा सकता है, जबकि 2 लाख रुपए से अधिक के ऋण को 84 किस्तों में चुकाना होता है।
    • शीघ्र भुगतान पर 0.25% की अतिरिक्त ब्याज छूट प्रदान की जाती है।
    • आवेदन मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना (MNSSBY) पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन किये जा सकते हैं।
  • आवेदन एवं पात्रता:
    • आवेदक बिहार का स्थायी निवासी होना चाहिये तथा 12वीं कक्षा या समकक्ष उत्तीर्ण होना चाहिये।
    • आवेदक की आयु 25 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिये (विशेष मामलों में छूट उपलब्ध है)।
    • इस योजना में इंजीनियरिंग, चिकित्सा, प्रबंधन, नर्सिंग, पॉलिटेक्निक, BA, BSc, BCom आदि सहित कई पाठ्यक्रम शामिल हैं।
    • ऋण का उपयोग पाठ्यक्रम शुल्क, लैपटॉप खरीदने या अन्य आवश्यक अध्ययन-संबंधी खर्चों के लिये किया जा सकता है।
    • केवल सरकारी मान्यता प्राप्त संस्थानों में प्रवेश प्राप्त छात्र ही पात्र हैं।

बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम लिमिटेड (BSEFC)

  • यह मार्च 2018 में कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत की गई थी और यह 100% बिहार सरकार के स्वामित्व में है।
  • इस निगम का मुख्य उद्देश्य "बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना" को निम्नलिखित लक्ष्यों के साथ लागू करना है:
    • उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों के सकल नामांकन अनुपात को बढ़ाना
    • विद्यार्थियों को रोज़गार के अवसरों तक पहुँचने में सक्षम बनाना
    • इस योजना के लिये कार्यान्वयन एजेंसी/सुविधा प्रदाता के रूप में कार्य करना


राजस्थान Switch to English

राजस्थान के सरकारी अस्पताल में CAR-T सेल थेरेपी सुविधा

चर्चा में क्यों?

जयपुर स्थित SMS अस्पताल, राजस्थान का पहला सरकारी अस्पताल बन जाएगा जहाँ CAR-T सेल थेरेपी की सुविधा के साथ एक समर्पित क्लिनिकल हेमेटोलॉजी (DCH) विभाग स्थापित किया जाएगा।

मुख्य बिंदु 

  • SMS अस्पताल के बारे में:
    • इस अस्पताल में क्लीनिकल हीमेटोलॉजी विभाग (DCH) की स्थापना हीमेटोलॉजिकल कैंसर और रक्त संबंधी विकारों (जिसमें ब्लीडिंग डिसऑर्डर तथा बोन मैरो ट्रांसप्लांट शामिल हैं) के उपचार हेतु की गई है।
    • यह नया विभाग अब CAR-T सेल थेरेपी जैसी उन्नत उपचार सुविधा प्रदान करेगा, जो अब तक केवल राज्य के निजी अस्पतालों में ही उपलब्ध थी। 
    • हालाँकि यह विभाग वर्तमान में SMS अस्पताल में संचालित है, परंतु इसे बेहतर ढाँचे और सुविधाओं के लिये भविष्य में स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
  • CAR-T सेल थेरेपी:
    • परिचय;
      • CAR-T सेल थेरेपी (Chimeric Antigen Receptor T-Cell Therapy) भारत की पहली स्वदेशी जीन थेरेपी है, जो कैंसर के उपचार के लिये विकसित की गई है।
      • यह नवीन चिकित्सा आनुवंशिक संशोधनों पर आधारित थेरेपी है, जो विशेष रूप से रक्त कैंसर जैसे कुछ प्रकार के कैंसर के लिये आशाजनक उपचार प्रदान करती है।
      • इस प्रक्रिया में रोगी की टी-कोशिकाएँ (प्रतिरक्षा कोशिकाएँ) रक्त से निकाली जाती हैं और उन्हें आनुवंशिक रूप से संशोधित किया जाता है ताकि वे कैंसर कोशिकाओं की पहचान कर उन्हें नष्ट कर सकें।
      • संशोधित कोशिकाओं को चिमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (CAR) टी-कोशिकाएँ कहा जाता है, जिन्हें शरीर में पुनः प्रविष्ट कर B -कोशिकाओं को लक्षित किया जाता है और पुनरावृत्ति को रोका जाता है।
      • यह थेरेपी भारत में अंतर्राष्ट्रीय लागत के दसवें हिस्से में विकसित की गई है, जिससे यह भारतीय रोगियों के लिये अधिक सुलभ बन गई है।
    • महत्त्व:
      • भारत की CAR-T सेल थेरेपी एक अतिरिक्त और रोगी-विशिष्ट उपचार विकल्प प्रदान करती है, क्योंकि संशोधित टी-कोशिकाएँ शरीर में बनी रहती हैं तथा कैंसर की पुनरावृत्ति के विरुद्ध दीर्घकालिक प्रतिरक्षा प्रदान करती हैं।
      • यह एक रोगी-विशिष्ट उपचार है, जो पारंपरिक कीमोथेरेपी की तुलना में अधिक सटीक और प्रभावी है।
      • उल्लेखनीय है कि जयपुर की 82 वर्षीय महिला देश में CAR-T थेरेपी प्राप्त करने वाली सबसे वृद्ध महिला बन गई हैं।
  • NexCAR19:
    • वर्ष 2023 में NexCAR19 भारत की पहली अनुमोदित स्वदेशी CAR-T सेल थेरेपी बनी, जिसे IIT बॉम्बे, टाटा मेमोरियल सेंटर और इम्यूनोएक्ट (IIT बॉम्बे में स्थापित एक स्टार्टअप) के सहयोग से विकसित किया गया था।


उत्तर प्रदेश Switch to English

निवेश मित्र पोर्टल 3.0

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश के निवेश मित्र पोर्टल 3.0 प्रक्रियात्मक विलंब तथा लालफीताशाही को कम करके व्यापार करने में सुगमता को बढ़ाने के उद्देश्य से विकसित किया गया है।

मुख्य बिंदु

  • निवेश मित्र 3.0 के बारे में:
    • निवेश मित्र 3.0 एक उन्नत, डिजिटल सिंगल-विंडो प्लेटफॉर्म है जिसे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निवेश प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, अनुमोदन में तीव्रता लाने और एकीकरण, स्वचालन तथा AI-संचालित उपकरणों के माध्यम से व्यापार सुगमता बढ़ाने के लिये लॉन्च किया गया है।
  • विशेषताएँ:
    • एकीकृत डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र: यह केंद्र और राज्य सरकार के पोर्टलों के साथ बेहतर अंतर-संचालन प्रदान करता है तथा सभी विभागों में निवेशक सेवाओं के लिये एक समन्वित और एकीकृत इंटरफ़ेस उपलब्ध कराता है।
    • संशोधित सामान्य आवेदन प्रपत्र (CAF): गतिशील आवेदन प्रपत्र अब कई भाषाओं में उपलब्ध है और उपयोगकर्त्ता प्रोफाइल के अनुकूल है, जिससे निवेशकों के लिये आवश्यक अनुमोदनों की पहचान करना तथा कुशलतापूर्वक आवेदन करना आसान हो जाता है।
    • GIS-सक्षम भूमि बैंक: निवेशक भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) प्रौद्योगिकी का उपयोग करके केंद्रीकृत, वास्तविक समय भूमि डाटा तक पहुँच सकते हैं, जिससे कुशल भूमि चयन और नोडल एजेंसियों के साथ सहयोग संभव हो सकेगा।
    • स्मार्ट डैशबोर्ड और रियल-टाइम एनालिटिक्स: यह पोर्टल ज़िलावार KPI रैंकिंग, औद्योगिक पार्क रेटिंग और कार्रवाई योग्य जानकारी प्रदान करता है, जिससे निवेशकों तथा प्रशासन दोनों को प्रगति की निगरानी एवं निर्णय लेने में सहायता मिलती है।
    • AI-संचालित बहुभाषी चैटबॉट: कृत्रिम बुद्धिमत्ता-आधारित चैटबॉट त्वरित, बहुभाषी समर्थन और शिकायत निवारण प्रदान करते हैं, जिससे प्रतिक्रिया समय एवं उपयोगकर्त्ता अनुभव में काफी सुधार होता है।
    • उन्नत शिकायत निवारण: संपूर्ण शिकायत और फीडबैक प्रक्रिया स्वचालित है तथा पारदर्शिता तथा तीव्र समाधान के लिये डिजिटल चैनलों के माध्यम से संचालित की जाती है।
    • सेवा वितरण समयसीमा में कमी: इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य सेवा वितरण की समय सीमा में 30–50% तक की कटौती करना, प्रक्रियागत देरी को न्यूनतम करना तथा भौतिक दस्तावेज़ीकरण और सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने की आवश्यकता को कम करना है।
    • अनुपालन में कमी और विनियमन में ढील: 45 विभागों में 4,600 से अधिक सुधारों को एकीकृत करके, जिसमें फॉर्मों का सरलीकरण और कानूनी आवश्यकताओं का विनियमन शामिल है, निवेश मित्र 3.0 का लक्ष्य एक अधिक व्यापार-अनुकूल वातावरण बनाना है।
    • व्यापक विभागीय कवरेज: यह प्रणाली श्रम, अग्निशमन, आवास, शहरी नियोजन और पर्यावरण मंजूरी सहित 44 से अधिक विभागों की 525 से अधिक सेवाओं को कवर करती है।


उत्तर प्रदेश Switch to English

लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन के 100 वर्ष पूरे

चर्चा में क्यों? 

1 अगस्त 2025 को लखनऊ स्थित चारबाग रेलवे स्टेशन ने अपने 100 वर्ष पूरे कर लिये। इसकी विशिष्ट वास्तुकला और ऐतिहासिक विरासत लखनऊ की अलग पहचान का प्रतीक हैं।

मुख्य बिंदु

  • इतिहास और वास्तुकला: 
    • चारबाग रेलवे स्टेशन का निर्माण मुगल, राजस्थानी और अंग्रेज़ी स्थापत्य का सुंदर संगम है।
    • इसकी आधारशिला वर्ष 1914 में बिशप जॉर्ज हर्बर्ट द्वारा रखी गई थी तथा निर्माण कार्य वर्ष 1923 में पूर्ण हुआ।
    • इस भवन को J.H. हॉर्निमैन द्वारा भारतीय-अंग्रेज़ स्थापत्य शैली के समन्वय से निर्मित किया गया था।
    • 1 अगस्त 1925 को ईस्ट इंडिया रेलवे के एजेंट सी.एल. कॉल्विन ने इसी भवन के बुर्ज के भीतर एक स्मृति-पेटिका (casket) स्थापित की, जिसमें उस समय का एक सिक्का और एक समाचार-पत्र रखा गया। यह भवन की नींव पूर्ण होने की स्मृति के रूप में किया गया था।
  • स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका: 


छत्तीसगढ़ Switch to English

छत्तीसगढ़ में Ni-Cu-PGE भंडार की खोज

चर्चा में क्यों?

छत्तीसगढ़ के महासमुंद ज़िले में निकल, ताँबा और प्लैटिनम समूह तत्त्वों (Ni-Cu-PGE) का एक महत्त्वपूर्ण भंडार खोजा गया है।

मुख्य बिंदु

  • खोज के बारे में: 
    • डेक्कन गोल्ड माइंस लिमिटेड (DGML) को छत्तीसगढ़ में भालूकोना-जमनीडीह ब्लॉक के लिये 30 वर्ग किमी का कंपोजिट लाइसेंस प्रदान किया गया, जिससे अन्वेषण और खनन की अनुमति मिल गई।
    • माफिक-अल्ट्रामैफिक चट्टान संरचनाओं के भीतर 700 मीटर विस्तृत खनिज क्षेत्र की पहचान की गई है।
    • भू-भौतिकीय सर्वेक्षणों से 300 मीटर गहराई तक सल्फाइड खनिज की उपस्थिति का पता चलता है, जो पर्याप्त संसाधन क्षमता का संकेत देता है।
  • अन्वेषण प्रक्रिया:
    • भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने इस क्षेत्र में G4-स्तरीय अन्वेषण किया था और निकल, क्रोमियम तथा PGE के संकेतों की पहचान की है। 
    • इन निष्कर्षों की बाद में छत्तीसगढ़ भूविज्ञान एवं खनिज निदेशालय (DGM) द्वारा पुष्टि की गई, जिसके पश्चात् इस खंड की ई-नीलामी करवाई गई।
  • महत्त्व
    • इस महत्त्वपूर्ण खनिजों की खोज से आत्मनिर्भर भारत पहल को विशेष रूप से आगे बढ़ाने, प्रमुख संसाधनों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने तथा महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में सतत् विकास के लिये भारत के रणनीतिक लक्ष्यों को समर्थन मिलेगा।
    • निकल और PGE जैसे खनिजों की खोज हरित तथा उच्च तकनीक प्रौद्योगिकियों की ओर वैश्विक प्रवृत्ति के अनुरूप है, जो भविष्य के नवाचार एवं औद्योगिक विकास के लिये आवश्यक सामग्री प्रदान करती है।
  • छत्तीसगढ़ की खनिज नीलामी
    • राज्य सरकार द्वारा अब तक ग्रेफाइट, निकल, क्रोमियम, PGEs, लिथियम, ग्लॉकोनाइट, फॉस्फोराइट, ग्रेफाइट-वैनाडियम जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों वाले 51 खनिज खंडों की सफलतापूर्वक नीलामी की जा चुकी है।
    • इसके अतिरिक्त, केंद्रीय खनन मंत्रालय के अधीन छह टिन ब्लॉक नीलामी की प्रतीक्षा में हैं।
    • छत्तीसगढ़ भूविज्ञान एवं खनिज निदेशालय (DGM) ने शैक्षणिक, अनुसंधान और उद्योग संस्थानों के साथ सहयोग को बढ़ावा देने के लिये एक महत्त्वपूर्ण खनिज प्रकोष्ठ (Critical Mineral Cell) की स्थापना की है।
    • इस पहल का उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना और महत्त्वपूर्ण खनिजों के अन्वेषण को सुव्यवस्थित करना है।
  • प्लैटिनम समूह तत्त्व (PGEs)
    • PGE छह धातु तत्त्वों का एक समूह है- प्लैटिनम (Pt), पैलेडियम (Pd), रोडियम (Rh), रूथेनियम (Ru), ऑस्मियम (Os) और इरिडियम (Ir)। 
    • ये तत्त्व आम तौर पर खनिज निक्षेपों में एक साथ पाए जाते हैं तथा अक्सर मैफिक और अल्ट्रामैफिक चट्टानों में पाए जाने वाले निकल तथा ताँबे के निक्षेपों के साथ या उनके उप-उत्पादों के रूप में जुड़े होते हैं।
    • प्रमुख Ni-Cu-PGE भंडार दक्षिण अफ्रीका, रूस और कनाडा जैसे स्थानों में खनन किये जाते हैं।
    • महत्त्व
      • Ni-Cu-PGE भंडार वैश्विक स्तर पर अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि ये उच्च-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के लिये अनिवार्य हैं।
      • निकल का उपयोग स्टेनलेस स्टील और उच्च-शक्ति मिश्रधातुओं के निर्माण में होता है।
      • विद्युत अवसंरचना के लिये ताँबा महत्त्वपूर्ण है।
      • उत्प्रेरक कन्वर्टर्स (वाहनों में प्रदूषण नियंत्रण के लिये), इलेक्ट्रॉनिक्स, चिकित्सा उपकरण और आभूषणों के निर्माण में PGE अपरिहार्य हैं।
      • इनका सामरिक महत्त्व बढ़ता ही जा रहा है, क्योंकि ये इलेक्ट्रिक वाहन बैटरियों और नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में भी मूलभूत घटक हैं।


मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश में स्वर्ण अयस्क की खोज

चर्चा में क्यों?

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) द्वारा किये गए सर्वेक्षण के दौरान, मध्य प्रदेश के जबलपुर ज़िले की सिहोरा तहसील के महगवाँ और केवलारी क्षेत्रों में स्वर्ण अयस्क भंडार की खोज की गई।

मुख्य बिंदु

  • सर्वेक्षण और निष्कर्ष:
    • यद्यपि इस क्षेत्र में लौह अयस्क प्रचुर मात्रा में है, लेकिन पहली बार स्वर्ण अयस्क की भी जानकारी मिली है; भूवैज्ञानिकों को लौह अयस्क के साथ-साथ सीमित मात्रा में स्वर्ण अयस्क भी मिला है।
    • जबलपुर में सोने का भंडार अनुमानतः 100 हेक्टेयर में फैला हुआ है तथा विशेषज्ञों का अनुमान है कि इसकी मात्रा लाखों टन तक पहुँच सकती है।
    • प्रारंभिक मृदा नमूने से इस क्षेत्र में ताँबे और अन्य मूल्यवान धातुओं की उपस्थिति का भी पता चला है।
  • अन्य स्वर्ण परियोजनाओं से निकटता:
    • जबलपुर में सोने की खोज इसलिये भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह कटनी ज़िले के धिमरखेड़ा क्षेत्र में स्थित इमलिया स्वर्ण और बेस मेटल खंड परियोजना के समीप है। 
    • यह भौगोलिक निकटता दर्शाती है कि महगवाँ और केवलारी जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में भी इमलिया जैसी खनिज संरचना मिल सकती है।
      • इमलिया स्वर्ण खदान, जिसे 50 वर्षों के लिये पट्टे पर दिया गया है, इस पूरे क्षेत्र को खनिज दृष्टि से समृद्ध बनाता है।
  • महत्त्व
    • सोने की खोज से मध्य प्रदेश में खनिज अन्वेषण में वृद्धि हो सकती है, जिससे क्षेत्र में पहले से ज्ञात लौह अयस्क और मैंगनीज़ के भंडार में सोना भी शामिल हो जाएगा।
    • यह खोज स्थानीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने और जबलपुर को भारत के प्रमुख खनिज समृद्ध क्षेत्रों में स्थापित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

मध्य प्रदेश में खनिज संसाधन

  • मध्य प्रदेश भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ प्रसिद्ध पन्ना खदानों से हीरा निकाला जाता है।
  • यह राज्य कॉपर कंसंट्रेट, डायास्पोर, पाइरोफिलाइट, मैंगनीज़ अयस्क, चूना पत्थर और मृदा (अन्य) का भी प्रमुख उत्पादक है।
  • राज्य में देश के 90% हीरा, 74% डायास्पोर, 55% लेटेराइट, 48% पाइरोफिलाइट, 41% मोलिब्डेनम, 27% डोलोमाइट, 19% ताँबे का अयस्क, 18% फायर क्ले, 12% मैंगनीज़ तथा 8% रॉक फॉस्फेट अयस्क संसाधन मौजूद हैं।


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