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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 20 Nov 2025
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आध्यात्मिक आर्थिक क्षेत्र

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड सरकार ने क्षेत्र की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर का लाभ उठाकर पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दो ‘आध्यात्मिक आर्थिक क्षेत्र’ बनाने की घोषणा की है।

मुख्य बिंदु

  • उत्तराखंड में दो ज़ोन (गढ़वाल और कुमाऊँ) में स्थापित किये जाएंगे, जिन्हें आध्यात्मिक एवं स्वास्थ्य आधारित पर्यटन के लिये एकीकृत केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। 
  • ये क्षेत्र योग, ध्यान, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देंगे तथा स्थानीय पर्वतीय उत्पादों एवं हस्तशिल्प को प्रोत्साहित करेंगे। 
  • प्रत्येक ज़ोन में राज्य की पारंपरिक प्रथाओं, आध्यात्मिक पहचान और स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियों को उजागर करने के लिये सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा उत्सव आयोजित किये जाएंगे।
  • सरकार ने कहा है कि इसका कार्यान्वयन वित्त वर्ष 2025-26 में शुरू होगा। 
  • इसके अतिरिक्त, उत्तराखंड के 95 ब्लॉकों में से प्रत्येक में एक गाँव को “आध्यात्मिक गाँव” के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि पर्यटन से संबंधित रोज़गार के व्यापक अवसर सृजित किये जा सकें।

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बिरसा 101

चर्चा में क्यों?

विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्री ने सिकल सेल रोग के लिये भारत की पहली स्वदेशी CRISPR-आधारित जीन थेरेपी ‘बिरसा 101 का शुभारंभ किया है। 

  • बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती (15 नवंबर,2025) के उपलक्ष्य में उनके नाम पर शुरू की गई यह थेरेपी राष्ट्र को “सिकल सेल -मुक्त भारत” के लक्ष्य की दिशा में सशक्त बनाती है तथा यह मध्य और पूर्वी भारत के प्रभावित जनजातीय समुदायों को महत्त्वपूर्ण लाभ प्रदान करेगी।

मुख्य बिंदु

  • थेरेपी के बारे में:
  • CRISPR तकनीक
    • CRISPR (Clustered Regularly Interspaced Short Palindromic Repeats) बैक्टीरिया में पाया जाने वाला एक प्राकृतिक रक्षा-तंत्र है, जिसका उपयोग वायरल DNA को काटने के लिये किया जाता है। 
    • आधुनिक जीन-एडिटिंग में CRISPR-Cas9 का प्रयोग किया जाता है, जहाँ Cas9 विशिष्ट लक्षित स्थलों पर DNA को काटने हेतु आणविक कैंची की भाँति कार्य करता है। 
    • यह तकनीक सटीक, कुशल तथा कम-लागत वाले जीनोम-एडिटिंग को सक्षम बनाती है, जिसके कारण यह जैव-प्रौद्योगिकी तथा चिकित्सा अनुसंधान में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है। 
    • इसे प्रथम बार वर्ष 2012 में जीन-एडिटिंग उपकरण के रूप में प्रदर्शित किया गया, जिसका विकास जेनिफर डूडना तथा इमैनुएल चार्पेंटियर ने किया; जिन्हें रसायन-विज्ञान में वर्ष 2020 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।

सिकल सेल रोग (SCD) 

  • सिकल सेल रोग एक ऑटोसोमल रिसेसिव आनुवंशिक रक्त-विकार है, जो HBB जीन में उत्परिवर्तन के कारण उत्पन्न होता है। 
  • इससे असामान्य हीमोग्लोबिन-S बनता है, जिसके परिणामस्वरूप लाल रक्त कोशिकाएँ अर्धचंद्राकार तथा कठोर हो जाती हैं। इससे एनीमिया, तीव्र दर्द, संक्रमण तथा अंग-संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं । 
  • यह रोग मध्य तथा पूर्वी भारत के आदिवासी समुदायों में अत्यधिक प्रचलित है तथा राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन (2023–2047) के अंतर्गत एक प्रमुख फोकस-क्षेत्र है। 
  • इसके पारंपरिक उपचारों में हाइड्रॉक्सीयूरिया, रक्त-आधान तथा स्टेम-सेल प्रत्यारोपण सम्मिलित हैं।

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