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बिहार स्टेट पी.सी.एस.

  • 20 Nov 2025
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सशस्त्र सीमा बल का 16वाँ स्थापना दिवस

चर्चा में क्यों?

सशस्त्र सीमा बल (SSB) की 48वीं बटालियन ने 20 नवंबर 2025 को औपचारिक समारोह के माध्यम से अपना 16वाँ स्थापना दिवस (Raising Day) मनाया।

  • 48वाँ बटालियन मधुबनी ज़िले, बिहार के जयनगर क्षेत्र में तैनात इसके क्षेत्रीय इकाइयों में से एक है, जो भारत-नेपाल सीमा के एक खंड की सुरक्षा के लिये ज़िम्मेदार है।

मुख्य बिंदु 

  • सशस्त्र सीमा बल (SSB), गृह मंत्रालय के अधीन एक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल है, जिसका प्रमुख कार्य नेपाल और भूटान के साथ भारत की स्वतंत्र सीमा की सुरक्षा करना, सीमा पार अपराध, तस्करी तथा मानव तस्करी को रोकना है।
  • इस बल की स्थापना वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद वर्ष 1963 में विशेष सेवा ब्यूरो के रूप में की गई थी, जिसका परंपरागत कार्य सीमावर्ती जनसंख्या को प्रतिरोध के लिये तैयार करना था।
  • कारगिल समीक्षा समिति की सिफारिशों के बाद, इसे गृह मंत्रालय को हस्तांतरित किया गया और सीमा रक्षक बल का नाम दिया गया। 15 दिसंबर 2003 को इसका आधिकारिक नाम बदलकर सशस्त्र सीमा बल (SSB) कर दिया गया।
  • इसे वर्ष 2001 में भारत-नेपाल सीमा और वर्ष 2004 में भारत-भूटान सीमा की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी मिली।
  • इसकी अधिकृत शक्ति और कार्यों में सीमा सुरक्षा, खुफिया जानकारी एकत्र करना, खोज एवं बचाव, आपदा राहत, सामुदायिक संपर्क तथा सीमा पर निवारक अभियान शामिल हैं।


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बिरसा 101

चर्चा में क्यों?

विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्री ने सिकल सेल रोग के लिये भारत की पहली स्वदेशी CRISPR-आधारित जीन थेरेपी ‘बिरसा 101 का शुभारंभ किया है। 

  • बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती (15 नवंबर,2025) के उपलक्ष्य में उनके नाम पर शुरू की गई यह थेरेपी राष्ट्र को “सिकल सेल -मुक्त भारत” के लक्ष्य की दिशा में सशक्त बनाती है तथा यह मध्य और पूर्वी भारत के प्रभावित जनजातीय समुदायों को महत्त्वपूर्ण लाभ प्रदान करेगी।

मुख्य बिंदु

  • थेरेपी के बारे में:
  • CRISPR तकनीक
    • CRISPR (Clustered Regularly Interspaced Short Palindromic Repeats) बैक्टीरिया में पाया जाने वाला एक प्राकृतिक रक्षा-तंत्र है, जिसका उपयोग वायरल DNA को काटने के लिये किया जाता है। 
    • आधुनिक जीन-एडिटिंग में CRISPR-Cas9 का प्रयोग किया जाता है, जहाँ Cas9 विशिष्ट लक्षित स्थलों पर DNA को काटने हेतु आणविक कैंची की भाँति कार्य करता है। 
    • यह तकनीक सटीक, कुशल तथा कम-लागत वाले जीनोम-एडिटिंग को सक्षम बनाती है, जिसके कारण यह जैव-प्रौद्योगिकी तथा चिकित्सा अनुसंधान में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है। 
    • इसे प्रथम बार वर्ष 2012 में जीन-एडिटिंग उपकरण के रूप में प्रदर्शित किया गया, जिसका विकास जेनिफर डूडना तथा इमैनुएल चार्पेंटियर ने किया; जिन्हें रसायन-विज्ञान में वर्ष 2020 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।

सिकल सेल रोग (SCD) 

  • सिकल सेल रोग एक ऑटोसोमल रिसेसिव आनुवंशिक रक्त-विकार है, जो HBB जीन में उत्परिवर्तन के कारण उत्पन्न होता है। 
  • इससे असामान्य हीमोग्लोबिन-S बनता है, जिसके परिणामस्वरूप लाल रक्त कोशिकाएँ अर्धचंद्राकार तथा कठोर हो जाती हैं। इससे एनीमिया, तीव्र दर्द, संक्रमण तथा अंग-संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं । 
  • यह रोग मध्य तथा पूर्वी भारत के आदिवासी समुदायों में अत्यधिक प्रचलित है तथा राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन (2023–2047) के अंतर्गत एक प्रमुख फोकस-क्षेत्र है। 
  • इसके पारंपरिक उपचारों में हाइड्रॉक्सीयूरिया, रक्त-आधान तथा स्टेम-सेल प्रत्यारोपण सम्मिलित हैं।

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