बिहार
पटना उच्च न्यायालय के नए मुख्य न्यायाधीश नियुक्त
- 30 Jul 2025
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चर्चा में क्यों?
बिहार के राज्यपाल ने न्यायमूर्ति विपुल एम. पंचोली को पटना के राजभवन में पटना उच्च न्यायालय के 45वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई।
- उन्होंने न्यायमूर्ति कृष्णन विनोद चंद्रन का स्थान लिया, जिन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया था। इससे पहले, न्यायमूर्ति विपुल पंचोली ने गुजरात उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में तथा गुजरात उच्च न्यायालय और पटना उच्च न्यायालय दोनों में न्यायाधीश के रूप में कार्य किया था।
मुख्य बिंदु
पटना उच्च न्यायालय के बारे में
- निर्माण:
- पटना उच्च न्यायालय की स्थापना वर्ष 1912 में भारत के गवर्नर-जनरल द्वारा जारी एक घोषणा के तहत की गई थी, जिसने बिहार और उड़ीसा को एक अलग प्रांत का दर्जा दिया।
- इस उच्च न्यायालय भवन की आधारशिला 1 दिसंबर 1913 को भारत के वायसराय और गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग द्वारा रखी गई थी।
- इस उच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश सर एडवर्ड मेनार्ड डेस चैंप्स चैमियर थे, जिन्होंने मार्च 1916 से अक्तूबर 1917 तक कार्य किया।
- स्वतंत्रता के बाद:
- वर्ष 1950 में भारत के गणतंत्र बनने के बाद, पटना उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र बढ़ा दिया गया, जिससे उसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट जारी करने की अनुमति मिल गई।
- स्वतंत्र भारत में पटना उच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश सर क्लिफोर्ड मोनमोहन अग्रवाल थे, जिन्होंने जनवरी 1948 से जनवरी 1950 तक कार्य किया।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संरचना और नियुक्ति
- संरचना:
- प्रत्येक उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित अन्य न्यायाधीश होते हैं।
- राष्ट्रपति, उच्च न्यायालय के कार्यभार के आधार पर उसके सदस्यों की संख्या निर्धारित करते हैं।
- नियुक्ति:
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 217 के तहत राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश और संबंधित राज्य के राज्यपाल के परामर्श के बाद की जाती है।
- न्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिये संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से भी परामर्श किया जाता है।
- दो या अधिक राज्यों के लिये एक ही उच्च न्यायालय होने की स्थिति में, राष्ट्रपति द्वारा सभी संबंधित राज्यों के राज्यपालों से परामर्श किया जाता है।
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को शपथ उस राज्य के राज्यपाल द्वारा दिलाई जाती है।
- योग्यताएँ:
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उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने वाले व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यताएँ होनी चाहिये:
- वह भारत का नागरिक होना चाहिये।
- उसे भारत के क्षेत्र में दस वर्षों तक न्यायिक पद पर कार्य करना चाहिये, या
- उसे दस वर्षों तक किसी उच्च न्यायालय (या लगातार उच्च न्यायालयों) में अधिवक्ता होना चाहिये।
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- न्यूनतम आयु:
- संविधान में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिये न्यूनतम आयु निर्धारित नहीं की गई है।
- न्यायाधीशों का कार्यकाल:
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक पद पर रह सकते हैं।
भारत में उच्च न्यायालय
- स्थिति:
- भारत की न्यायिक प्रणाली में उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय से नीचे तथा अधीनस्थ न्यायालयों से ऊपर कार्य करता है।
- उच्च न्यायालय राज्य का सर्वोच्च न्यायिक निकाय है। (भारत में कुल 25 उच्च न्यायालय हैं)।
- संवैधानिक प्रावधान:
- प्रत्येक राज्य के लिये उच्च न्यायालय:
- भारत का संविधान, प्रत्येक राज्य के लिये एक उच्च न्यायालय का प्रावधान करता है (अनुच्छेद 214)।
- संयुक्त उच्च न्यायालय का प्रावधान:
- अनुच्छेद 231 में प्रावधान है कि संसद, कानून द्वारा दो या अधिक राज्यों के लिये अथवा दो या अधिक राज्यों और एक केंद्रशासित क्षेत्र के लिये एक उच्च न्यायालय की स्थापना कर सकती है।
- क्षेत्राधिकार:
- प्रादेशिक क्षेत्राधिकार राज्य के क्षेत्राधिकार के साथ सह-समाप्त होता है (या एक सामान्य उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार संबंधित राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों के क्षेत्राधिकार के साथ सह-समाप्त होता है)।
- अनुच्छेद 214 से 231:
- ये अनुच्छेद उच्च न्यायालयों के संगठन, स्वतंत्रता, अधिकार क्षेत्र, शक्तियों और प्रक्रियाओं से संबंधित हैं।
- प्रत्येक राज्य के लिये उच्च न्यायालय: