रैपिड फायर
बाघ संरक्षण हेतु सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश
- 19 Nov 2025
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भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अवैध वनोन्मूलन और निर्माण गतिविधियों के उजागर होने के बाद उत्तराखंड सरकार को कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व की पूर्ण पुनर्बहाली का आदेश दिया है तथा सभी राज्यों हेतु बाघ संरक्षण और प्रबंधन संबंधी व्यापक सुधारात्मक उपाय लागू करने के निर्देश भी जारी किये हैं।
- उत्तराखंड को कॉर्बेट की पूर्ण पुनर्बहाली सुनिश्चित करनी होगी, 2 महीनों के भीतर पुनर्स्थापन योजना प्रस्तुत करनी होगी, 3 महीनों के भीतर सभी अवैध निर्माण हटाने होंगे और 1 वर्ष के भीतर अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
- राज्यों के लिये सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश:
- सभी राज्यों को यह निर्देश दिया गया है कि वे प्रत्येक टाइगर रिज़र्व के कोर और बफर क्षेत्रों की अधिसूचना छह महीनों के भीतर जारी करें और इन रिज़र्वों के आसपास इको-सेंसिटिव ज़ोन (ESZs) की घोषणा एक वर्ष के भीतर पूरी कर लें।
- तीन महीने के भीतर बाघ संरक्षण योजना तैयार करने तथा प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण बाघ आवासों में बाघ सफारी पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया गया।
- मानव–वन्यजीव संघर्ष को संभावित प्राकृतिक आपदा के रूप में मानें तथा सुदृढ़ मुआवज़ा प्रणाली सुनिश्चित करें, जिसमें केंद्रीय प्रायोजित ‘इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ वाइल्डलाइफ हैबिटैट्स’ योजना के तहत पीड़ितों को 10 लाख रुपए का अनुग्रह अनुदान शामिल है।
कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व
- परिचय: कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व एशिया का पहला राष्ट्रीय उद्यान है, जिसे वर्ष 1936 में स्थापित किया गया था। यह अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिये प्रसिद्ध है, विश्व में बाघों का सबसे अधिक घनत्व शामिल है।
- इसे हैली राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित किया गया था और बाद में वर्ष 1956 में इसका नाम बदलकर जिम कॉर्बेट के सम्मान में रखा गया, जो शिकारी से संरक्षणवादी बने तथा इसके गठन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- वर्ष 1973 में यह प्रोजेक्ट टाइगर के तहत शामिल होने वाला पहला राष्ट्रीय उद्यान बना।
- स्थान: कॉर्बेट उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी में स्थित है। यहाँ की भू-आकृति तरंगित (ऊबड़-खाबड़) है, जिसमें कई घाटियाँ शामिल हैं, जिनसे रामगंगा, पल्लैन और सोना नदी बहती है।
- यह रिज़र्व मुख्यतः भाभर और निचले शिवालिक क्षेत्र में आता है, जो अपनी छिद्रदार मृदा और गहरे भू-जल स्तर के लिये जाना जाता है।
- वनस्पति एवं जीव-जंतु: कॉर्बेट की वनस्पति में नम एवं शुष्क पर्णपाती वन, साल-प्रमुख मिश्रित वन, नदी-तटीय (रिपेरियन) वनस्पति और विभिन्न प्रकार की झाड़ी प्रजातियाँ शामिल हैं।
- यह अभयारण्य अपने खुले घास के मैदानों, जिन्हें चौर कहा जाता है, के लिये प्रसिद्ध है। ये पुरानी बस्तियों और साफ किये गए क्षेत्रों से बने हैं। ढिकाला और बिजरानी जैसे महत्त्वपूर्ण चौर समृद्ध वन्यजीवन का समर्थन करते हैं।
- बाघ और हाथी यहाँ की प्रमुख प्रजातियाँ हैं। इनके साथ तेंदुए, छोटे माँसाहारी जीव, सांभर, हॉग डियर, चीतल तथा विभिन्न प्रकार के पक्षी और सरीसृप जैसे घड़ियाल एवं मगरमच्छ भी पाए जाते हैं।
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