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दृष्टि आईएएस ब्लॉग

UPSC प्रिलिम्स से ठीक पहले कैसे करें तनाव को नियंत्रित और कैसे बढ़ाएँ एकाग्रता?

  • 06 May, 2025

UPSC सिविल सेवा परीक्षा (CSE) भारत की सबसे चुनौतीपूर्ण और प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक है। यह विश्व भर में सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। इसमें लाखों अभ्यर्थी कुछ प्रतिष्ठित पदों के लिये संघर्ष करते हैं जिससे अभ्यर्थियों पर दबाव (विशेषकर प्रिलिम्स परीक्षा के दौरान) बना रहता है। परीक्षा से पूर्व के अंतिम माह में मानसिक द्वंद्व की स्थिति हो सकती है और इस दौरान एकाग्रता तथा तनाव को प्रबंधित करना, अध्ययन के सामान ही आवश्यक हो जाता है।

यदि आप तैयारी के अंतिम चरण में हैं और असहज महसूस कर रहे हैं तो यह स्मरण रहना चाहिये कि इस स्थिति में आप अकेले नहीं हैं।  इस क्रम में रणनीतिक योजना, स्थिरता, अनुशासन एवं संरचित अध्ययन कार्यक्रम ही तनाव मुक्त UPSC परीक्षा की तैयारी की कुंजी है। 

यह ब्लॉग तनाव पर काबू पाने तथा निर्णायक अंतिम माह में एकाग्रता बनाए रखने पर केंद्रित है।

अंतिम माह के तनाव की प्रकृति को समझना

सबसे पहले यह स्वीकार करना चाहिये कि इस स्तर पर तनाव सामान्य है। इंडियन जर्नल ऑफ साइकियाट्री में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, परीक्षा से संबंधित तनाव से 70% से अधिक भारतीय छात्र प्रभावित होते हैं। 

इस बात को समझने से आपको यह बोध होगा कि आपके साथ कुछ विपरीत स्थिति नहीं है। तनाव के बेहतर प्रबंधन से आप सही मायने में अधिक एकाग्र रह सकते हैं।

रणनीतिक रिवीज़न योजना

  • अधिक महत्त्व वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता देना: सबसे अधिक महत्त्व वाले विषयों एवं टॉपिक्स पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये। उदाहरण के लिये, राजव्यवस्था, पर्यावरण, अर्थव्यवस्था एवं आधुनिक इतिहास का प्रिलिम्स परीक्षा में लगातार महत्त्व बना हुआ है। 
    • हालाँकि कम महत्त्व वाले विषयों को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिये क्योंकि ये आवश्यक अंक हासिल करने में मूल्यवान सिद्ध हो सकते हैं।
  • माइक्रो-प्लानिंग: अपने दैनिक अध्ययन कार्यक्रम को प्रति घंटे के लक्ष्यों में विभाजित करना चाहिये। इससे छोटे, प्राप्त करने योग्य लक्ष्य निर्धारित करने में मदद मिलने के साथ प्रेरणा का उच्च स्तर बना रहता है।

पारंपरिक पढ़ाई पर्याप्त नहीं है; आपको सक्रिय स्मरण के साथ बीच-बीच में रिवीज़न की आवश्यकता है।

  • क्विक रिवीज़न सामग्री: अपनी तैयारी को बेहतर करने के साथ प्रमुख तथ्यों का रिवीज़न करने के क्रम में AI विशेषताओं वाले दृष्टि लर्निंग ऐप जैसे ऐप्स का उपयोग किया जा सकता है।
    • अपने रिवीज़न को सरल और त्वरित बनाने के लिये संक्षिप्त नोट्स बनाने चाहिये।

मॉक टेस्ट का अभ्यास करना

मॉक टेस्ट दोधारी तलवार की तरह हैं। अगर इनका अभ्यास सावधानी से किया जाए तो इनसे आपका आत्मविश्वास बढ़ सकता है अन्यथा इससे आप असहज भी हो सकते हैं।

  • परीक्षा के माहौल का अनुकरण करना: परीक्षा (सुबह की पारी) के समय अनुरूप ही मॉक टेस्ट देना चाहिये।
  • मॉक के बाद विश्लेषण: अंकों से संबंधित चिंता करने के बजाय, अपनी गलतियों को समझने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये। 
    • मॉक टेस्ट में कम स्कोर, विफलता नहीं है - यह फीडबैक है हर असफलता से सीख मिलती है।
  • गुणवत्ता पर अधिक ध्यान: 50 टेस्टों को बिना सोचे-समझे हल करने की अपेक्षा बेहतर विश्लेषण के साथ 20 टेस्ट हल करना, सही रणनीति है।

तैयारी के लिये अनुशंसित प्रामाणिक स्रोत:

मेडिटेशन

तनाव प्रबंधन का आशय तनाव को नज़रअंदाज़ करना नहीं है बल्कि इससे सक्रियता से निपटना है।

  • प्रतिदिन 10 मिनट मेडिटेशन करना: यहाँ तक ​​कि थोड़े समय तक ही माइंडफुलनेस अभ्यास से भी तनाव को कम (जैसा कि JAMA इंटरनल मेडिसिन के मेटा-विश्लेषण द्वारा समर्थित है) किया जा सकता है।

Headspace या Calm जैसे ऐप आपको आसान, छोटी अवधि के ध्यान के माध्यम से मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं। श्वास व्यायाम, योग, दैनिक सैर, माइंडफुल मेडिटेशन एवं मस्तिष्क-प्रशिक्षण अभ्यास से एकाग्रता बनाए रखने के साथ तनाव मुक्त रहने में काफी सहायता मिल सकती है।

स्वस्थ जीवनशैली विकल्प

तनाव प्रबंधन के क्रम में भौतिक पक्ष को कम नहीं समझना चाहिये:

  • 6-7 घंटे की नींद: नींद की कमी से संज्ञानात्मक प्रदर्शन में कमी आती है।
  • हल्का और पौष्टिक भोजन: जंक फूड से बचना चाहिये; इससे आलस आता है।
  • व्यायाम: 20-30 मिनट की हल्की जॉगिंग, योग या स्ट्रेचिंग से आपके मस्तिष्क को सुकून मिल सकता है।

याद रखें, मस्तिष्क का तनाव = खराब प्रदर्शन । स्वस्थ शरीर, सक्रिय मस्तिष्क को ईंधन देता है।

भावनात्मक ऊर्जा का प्रबंधन करना

परीक्षा पूर्व अंतिम माह में आपका भावनात्मक स्वास्थ्य काफी अधिक महत्त्व रखता है।

  • नकारात्मकता से बचना: निराशावादी साथियों के साथ बातचीत को सीमित रखना चाहिये। समूहगत चिंता बेहतर तैयारी में भी असंतुलन का कारण बन सकती है।
  • सकारात्मक कल्पना: कल्पना कीजिये कि आप परीक्षा हॉल में आत्मविश्वास से पूर्ण हैं। खेल मनोविज्ञान शोध के अनुसार, मानसिक अभ्यास से प्रदर्शन की चिंता कम होती है।
  • तनाव लेने के बजाय योजना बनाना: पाठ्यक्रम और स्रोतों की विस्तृत शृंखला के संदर्भ में अव्यवस्थित रूप से तनाव न लें। इसके बजाय, अपने पाठ्यक्रम की योजना बनाएँ और कठिनाई स्तर के अनुसार विषयों को कवर करें। 

एक उपयोगी कथन: "मैंने अच्छी तैयारी की है। मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूँगा। मैं तैयार हूँ।"

डिजिटल डिटॉक्स: अत्यधिक फैक्ट/जानकारी का संतुलन

सोशल मीडिया, यूट्यूब पर "अंतिम क्षण की रणनीति" वाले वीडियो और साथियों के बीच होने वाली चर्चाओं से FOMO (छूट जाने का डर) तथा भ्रम पैदा हो सकता है। हमेशा बहुत सारे संसाधन तथा बहुत कम समय होगा, इसलिये अपने विकल्पों को समझदारी तथा सोच-समझकर चुनें।

  • डिजिटल उपकरणों पर सीमाएँ: समाचार या सोशल ऐप्स के लिये स्वयं को प्रतिदिन केवल 30 मिनट का समय दें।
  • समसामयिक विषयों हेतु एक स्रोत का अनुसरण करना: अनेक संकलनों के बजाय मासिक पत्रिकाओं का ही उपयोग करें।

मनोवैज्ञानिक बैरी श्वार्ट्ज ने द पैराडॉक्स ऑफ चॉइस में बताया है कि बहुत अधिक जानकारी, निर्णय में थकान का कारण बनती है

उस पर ध्यान केंद्रित करना, जिसे आप नियंत्रित कर सकते हैं

कटऑफ पूर्वानुमान, प्रतिस्पर्द्धा के स्तर या अन्य लोग किस तरह से तैयारी कर रहे हैं, इस बारे में चिंता करना व्यर्थ है। हालाँकि पछताने से बेहतर है कि पहले से तैयारी कर ली जाए, लेकिन उन क्षेत्रों की तैयारी पर अधिक ध्यान देना चाहिये जो आपके नियंत्रण में हैं, जैसे:

  • रिवीज़न
  • टेस्ट प्रैक्टिस
  • स्वास्थ्य
  • मनोवृत्ति

परीक्षा के दिन की तैयारी स्वयं करना

इसमें निम्नलिखित शामिल होना चाहिये:

  • परीक्षा के लिये अपने केंद्र का स्थान और अन्य आवश्यक बातें पहले से जान लें।
  • दो रात पहले अच्छी नींद लें।
  • आवश्यक सामान पहले ही पैक कर लें: प्रवेश पत्र, पहचान पत्र, स्टेशनरी सामान।
  • अंतिम क्षण की घबराहट से बचने के लिये एक सरल चेकलिस्ट का पालन करें।

परीक्षा के दिन के सुखद अनुभव की कल्पना करने से कॉर्टिसोल (तनाव हार्मोन) का स्तर काफी कम हो जाता है।

निष्कर्ष

UPSC CSE की मैराथन में अंतिम माह निर्णायक होता है। इस दौरान कठिन अध्ययन के बजाए  संतुलित अध्ययन महत्त्वपूर्ण होता है।

तनाव तो रहेगा ही - यह इस बात का संकेत है कि आप परवाह करते हैं। लेकिन संरचित रिवीज़न, मॉक टेस्ट, माइंडफुलनेस, स्वस्थ दिनचर्या तथा भावनात्मक अनुशासन के साथ आप लहर से बह जाने के बजाय उस पर सवार हो सकते हैं।

आपने जो मेहनत की है, उस पर विश्वास रखिये। शांत रहिये। ध्यान केंद्रित रखिये। प्रारंभिक परीक्षा यात्रा का अंत नहीं है - यह एक बहुत बड़ी मंजिल की ओर एक मील का पत्थर है


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