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विक्रम एक तेजी से बढ़ते महानगरीय शहर में शहरी योजनाकार हैं। उनके विभाग को एक पुराने औद्योगिक क्षेत्र को आधुनिक आवासीय पड़ोस में पुनर्विकास करने की देखरेख का काम सौंपा गया है। इस परियोजना का उद्देश्य शहर के जीर्ण-शीर्ण हिस्से को पुनर्जीवित करना और सैकड़ों परिवारों को किफायती आवास प्रदान करना है। हालाँकि, जिस क्षेत्र में यह पुनर्विकास होना है, वहाँ एक जीवंत लेकिन निम्न-आय वाली समुदाय वर्षों से निवास कर रहा है। जबकि स्थानीय सरकार ने वादा किया है कि यह परियोजना आर्थिक अवसर और बेहतर जीवन स्तर लाएगी, विक्रम ने कुछ चिंताजनक तथ्य उजागर करने शुरू कर दिये हैं। वहाँ रहने वाले कई लोग दशकों से उस क्षेत्र में बसे हुए हैं और उनकी सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान उस जगह से जुड़ी हुई है। वे छोटे व्यवसाय भी चलाते हैं जो उनकी जीविका के लिये आवश्यक हैं।
पुनर्विकास योजना में उनके घरों और व्यवसायों को तोड़ने, उन्हें उस क्षेत्र से हटाकर शहर के एक अलग हिस्से में पुनर्वासित करने का प्रस्ताव है, जो उनके वर्तमान समुदाय और समर्थन प्रणाली से काफी दूर है। इसके अलावा, यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार किस प्रकार विस्थापित परिवारों के लिये किफायती आवास सुनिश्चित करेगी या उन्हें उचित मुआवज़ा दिया जाएगा या नहीं। विक्रम यह भी जानते हैं कि इस परियोजना के पीछे बड़े आर्थिक हित छिपे हैं। कई प्रभावशाली रियल एस्टेट डेवलपर्स को इस पुनर्विकास से भारी लाभ होने की संभावना है, और उनके दबाव ने योजना प्रक्रिया को काफी प्रभावित किया है। विक्रम, जो शुरू में इस परियोजना की संभावनाओं को लेकर उत्साहित थे, अब गहरी उलझन में हैं।
एक ओर, यह परियोजना आर्थिक विकास ला सकती है, लेकिन दूसरी ओर, यह एक हाशिये पर खड़े समुदाय को भारी सामाजिक नुकसान पहुँचा सकती है। जैसे-जैसे परियोजना आगे बढ़ती है, विक्रम पर उनके वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बिना और जाँच-पड़ताल के इसे मंज़ूरी देने का दबाव डाला जा रहा है, क्योंकि किसी भी देरी से फंडिंग खतरे में पड़ सकती है तथा शहर की समग्र विकास योजना प्रभावित हो सकती है।
विक्रम जानते हैं कि यदि वे आपत्ति उठाते हैं या योजना की समीक्षा की मांग करते हैं तो उनके करियर को नुकसान पहुँचाया जा सकता है। लेकिन साथ ही वे यह भी महसूस करते हैं कि सिर्फ आर्थिक विकास और रियल एस्टेट के लाभ के लिये एक संवेदनशील समुदाय को विस्थापित करना नैतिक रूप से गलत है। यह स्थिति विक्रम को एक गहरे नैतिक द्वंद्व में डाल देती है, जहाँ एक ओर एक शहरी योजनाकार के रूप में उनकी व्यावसायिक ज़िम्मेदारी है, वहीं दूसरी ओर एक नागरिक के रूप में उनकी सामाजिक और नैतिक ज़िम्मेदारी।
प्रश्न:
- इस स्थिति में प्रमुख नैतिक दुविधाएँ क्या हैं?
- विक्रम को इस स्थिति में हितों के टकराव को कैसे संभालना चाहिये, जिसमें शक्तिशाली डेवलपर्स परियोजना के लिये दबाव डाल रहे हैं तथा हाशिए पर पड़े समुदाय को विस्थापित कर रहे हैं?
- क्या आर्थिक विकास किसी समुदाय के विस्थापन को उचित ठहरा सकता है? ऐसी विकास परियोजनाओं की योजना बनाते समय नीति निर्माताओं को किन नैतिक सिद्धांतों का मार्गदर्शन करना चाहिये