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अंजलि वर्मा, एक युवा तथा अत्यंत प्रेरित भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी हैं जिन्हें एक वर्ष से अधिक समय से प्रवर्तन निदेशालय (ED) में नियुक्त किया गया है। वे एक परिश्रमी और कर्त्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में जानी जाती हैं, जो विधि के पालन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिये प्रसिद्ध हैं। हाल ही में, अंजलि को शहर के एक प्रसिद्ध व्यावसायिक समूह पर छापेमारी की कार्रवाई की निगरानी का दायित्व सौंपा गया है। इस कंपनी के मालिक, जो एक प्रभावशाली उद्योगपति हैं, पर बड़े पैमाने पर कर-चोरी, धन-शोधन तथा अवैध वित्तीय लेन-देन का संदेह है।
जैसे-जैसे छापे की कार्रवाई आगे बढ़ती है, अंजलि की टीम को कई महत्त्वपूर्ण वित्तीय अनियमितताओं के प्रमाण मिलते हैं, जिनमें अदृश्य संपत्तियाँ और अघोषित विदेशी बैंक खातों की जानकारी शामिल है। लेकिन जैसे ही यह कार्रवाई अपने अंतिम चरण में पहुँचती है, अंजलि को एक गुमनाम फोन कॉल प्राप्त होता है, जिसमें यह दावा किया जाता है कि उन्हीं के एक करीबी रिश्तेदार, जो उसी व्यावसायिक समूह में एक वरिष्ठ पद पर कार्यरत हैं, इन अवैध गतिविधियों में संलिप्त हैं। हालाँकि, कॉल करने वाला कोई ठोस प्रमाण नहीं देता, केवल एक अस्पष्ट दावा करता है।
अंजलि एक नैतिक और व्यावसायिक दुविधा में हैं। वह सदैव अपने कर्त्तव्य के प्रति दृढ़ निष्ठा रखती रही हैं और सामाजिक या राजनीतिक परिणामों की परवाह किये बिना न्याय की स्थापना को प्राथमिकता देती आई हैं। परंतु अब, जब मामला उनके परिवार से जुड़ता प्रतीत हो रहा है, तो उनके व्यक्तिगत जीवन में जटिलताएँ उत्पन्न होने लगी हैं। उन्हें भय है कि यदि वह अपने रिश्तेदार की भूमिका की जाँच को आगे बढ़ाती हैं, तो इससे उनके परिवार को मानसिक आघात पहुँच सकता है और यह उनके पारिवारिक संबंधों तथा कॅरियर दोनों पर विपरीत असर डाल सकता है।
इस व्यावसायिक साम्राज्य का व्यापारिक एवं राजनीतिक दायरों में अच्छा संबंध है और अंजलि पर यह दबाव डाला जा रहा है कि इस छापे को शीघ्रता से और बिना अधिक सार्वजनिक असर के समाप्त कर दिया जाये। इसके बावजूद, अंजलि को लगता है कि अब तक मिले साक्ष्य यह दर्शाते हैं कि अपराध गंभीर हैं और इनकी गहन जाँच अनिवार्य है।
उनके प्रत्यक्ष उच्चाधिकारी ने उनसे छापे पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है और यह संकेत दिया है कि मामले को ‘बिना अनावश्यक उथल-पुथल के’ सुलझाया जाये। ऐसे में अंजलि पर जाँच की निष्पक्षता के साथ-साथ व्यक्तिगत और पेशेवर प्रभावों को संतुलित करने का बहुत दबाव है, जिसका सामना उन्हें अपने रिश्तेदार की इस मामले में संलिप्तता के लिये करना पड़ सकता है।
प्रश्न:
1. इस स्थिति में प्रमुख नैतिक दुविधाएँ क्या हैं?
सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
2. अंजलि के लिये सबसे उपयुक्त कार्रवाई क्या होगी, साथ ही यह भी चर्चा कीजिये कि नैतिक दुविधाओं को हल करने के लिये कौन-सा नैतिक कार्यढाँचा उसका मार्गदर्शन करेगा।
3. उच्च-स्तरीय जाँच में पेशेवर ईमानदारी और निष्पक्षता बनाए रखने में जाँच अधिकारियों को सहायता देने के लिये कौन-सी दीर्घकालिक रणनीतियाँ क्रियान्वित की जा सकती हैं?