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प्रश्न :
प्रश्न. नैतिक शासन के संदर्भ में, संयम का गुण असमानता और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे मुद्दों को सुलझाने में निर्णय-निर्माण का मार्गदर्शन कैसे कर सकता है? (150 शब्द)
03 Jul, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- नैतिक सिद्धांत का उपयोग करके संयम के बारे में जानकारी देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- असमानता को दूर करने और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने में मितव्ययिता की भूमिका बताइये।"
- उपर्युक्त निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
असमानता और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे मुद्दों से निपटने में संयम का नैतिक सिद्धांत (अर्थात् संयम, नियंत्रण तथा संतुलन की क्षमता) महत्त्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करता है। यह सिद्धांत अरस्तू के "गोल्डन मीन" (संतुलन का सिद्धांत) में निहित है, जो अत्यंतताओं के बीच संतुलन खोजने का समर्थन करता है।
मुख्य भाग:
असमानता को संबोधित करने में संयम:
- न्यायसंगत संपत्ति वितरण: संयम का सिद्धांत संपत्ति के समान वितरण को प्रोत्साहित करता है, जिससे धन की असमानता को कम करने में मदद मिलती है।
- उदाहरण के लिये स्वीडन की प्रगतिशील कर प्रणाली सुनिश्चित करती है कि संपन्न नागरिक अधिक कर दें, जिसे बाद में सार्वजनिक सेवाओं जैसे स्वास्थ्य और शिक्षा के लिये पुनः वितरित किया जाता है, जिससे सामाजिक समानता को बढ़ावा मिलता है।
- समावेशी आर्थिक विकास: संयम ऐसा विकास मॉडल सुझाता है जिससे समाज के सभी वर्गों हेतु लाभकारी हो, न कि केवल संपन्न वर्ग के लिये।
- भारत में प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) इसका उदाहरण है, जिसने करोड़ों असंगठित लोगों को बैंकिंग सुविधाएँ देकर वित्तीय बहिष्करण को कम किया तथा समावेशी आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया।
- सामाजिक सुरक्षा तंत्र: संयम एक संतुलित दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है, जिसमें आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और कल्याणकारी कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जाती है।
- उदाहरणस्वरूप नॉर्वे की सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली सभी को समान चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करती है, जिससे स्वास्थ्य असमानताओं में कमी आती है तथा कोई भी व्यक्ति आर्थिक कमी के कारण पीछे नहीं छूटता।
- अवसरों तक न्यायपूर्ण पहुँच को प्रोत्साहन: आर्थिक उदारवाद की अतिशयता को कम करके, संयम वंचित समूहों के लिये अवसर उत्पन्न करने में मदद करता है।
- उदाहरणतः शिक्षा और रोज़गार में सकारात्मक कार्रवाई की नीतियाँ हाशिये पर पड़े समुदायों के उत्थान में मदद करती हैं तथा सभी के लिये अधिक समानता सुनिश्चित करती हैं।
पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने में संयम:
- संतुलित संसाधन उपयोग: संयम प्राकृतिक संसाधनों के ज़िम्मेदार उपयोग को बढ़ावा देता है, जिससे अल्पकालिक लाभ के लिये उनका अत्यधिक दोहन रोका जा सके।
- नीदरलैंड्स की जल प्रबंधन प्रणाली जैसे बाढ़ सुरक्षा उपायों और सतत् कृषि पद्धतियाँ इस बात का उदाहरण हैं कि किस प्रकार विकास और पारिस्थितिक संरक्षण के बीच संतुलन साधा जा सकता है।
- हरित प्रौद्योगिकियों को अपनाना:औद्योगिक विस्तार को संयमित कर पर्यावरण-अनुकूल प्रौद्योगिकियों को अपनाना संयम का ही एक रूप है।
- कोपेनहेगन का वर्ष 2025 तक कार्बन-न्यूट्रल बनने का लक्ष्य, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा और साइक्लिंग इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल है, यह दिखाता है कि संयम कैसे सतत् शहरी विकास को प्रेरित कर सकता है।
- उपभोग में संतुलन: संयम अनावश्यक उपभोग को कम करने की प्रेरणा देता है, जिससे अपशिष्ट में कमी और संसाधनों का संरक्षण होता है।
- जापान की रीसाइक्लिंग पहलें और सर्कुलर इकॉनमी पर ज़ोर, पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी को बढ़ावा देने में संयम की भूमिका को दर्शाते हैं।
- आर्थिक और पर्यावरणीय नीतियों में संतुलन: संयम ऐसी नीतियों को जन्म देता है जो आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण दोनों के बीच संतुलन बनाए रखती हैं।
- उदाहरण के लिये जर्मनी की एनर्जीवेंडे, जो नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करती है, यह उदाहरण प्रस्तुत करती है कि नीति निर्माण में संयम किस प्रकार आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों को बढ़ावा दे सकता है।
- दीर्घकालिक पारिस्थितिक संतुलन: संयम पर्यावरणीय चुनौतियों को दूरदृष्टि से देखने और दीर्घकालिक पारिस्थितिक संतुलन सुनिश्चित करने की सोच को प्रोत्साहित करता है।
- भारत के पंचामृत लक्ष्य, जो उत्सर्जन में कटौती और आर्थिक विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण को संतुलित करने पर केंद्रित हैं, इसका स्पष्ट उदाहरण हैं।
निष्कर्ष:
जैसा कि अरस्तू ने सटीक रूप से कहा, "न्याय का गुण संयम में निहित है, जिसे बुद्धि द्वारा नियंत्रित किया जाता है।" यह उद्धरण संयम के सार को पूरी तरह से दर्शाता है। हालाँकि संयम अकेले पर्याप्त नहीं है, इसे न्याय, बुद्धि और निष्पक्षता जैसे अन्य गुणों के साथ जोड़ा जाना चाहिये ताकि शासन के लिये वास्तव में नैतिक और सतत् दृष्टिकोण बनाया जा सके।
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