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समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम

  • 26 Nov 2025
  • 38 min read

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

कर्नाटक में एक पायलट परियोजना के रूप में शुरू समेकित बाल विकास सेवाएँ (ICDS) कार्यक्रम ने अपने 50 वर्ष पूरे कर लिये हैं। शुरुआत में लागू करने वाले राज्यों में शामिल कर्नाटक से आगे बढ़ते हुए, यह विश्व का सबसे बड़ा सामुदायिक स्तर पर आधारित प्रारंभिक बाल विकास कार्यक्रम बन गया है।

समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम क्या है?

  • परिचय: ICDS एक केंद्रीय प्रायोजित प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे 2 अक्तूबर, 1975 को लॉन्च किया गया था। यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MoWCD) के अंतर्गत संचालित है और इसका उद्देश्य 0–6 वर्ष के बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली स्त्रियों के पोषण, स्वास्थ्य तथा प्रारंभिक शिक्षा के परिणामों में सुधार करना है।
  • उद्देश्य: बच्चों (0–6 वर्ष) के स्वास्थ्य और पोषण स्तर में सुधार करना।
    • मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास के लिये आधार तैयार करना।
    • बाल मृत्यु दर, रोग-प्रवृत्ति, कुपोषण और विद्यालय छोड़ने की दर को कम करना।
    • बाल विकास के लिये विभिन्न विभागों के बीच समन्वय को मज़बूत करना।
  •  ICDS के तहत प्रदान की जाने वाली सेवाएँ:

  • महत्त्व: ICDS प्रारंभिक बाल विकास के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह कुपोषण से निपटता है और स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करता है।
    • यह गर्भवती और स्तनपान कराने वाली स्त्रियों के लिये सुरक्षा जाल प्रदान करता है, मृत्यु दर को कम करता है तथा मातृ स्वास्थ्य का समर्थन करता है।
    • सामुदायिक स्तर पर पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं को एकीकृत करके यह मानव संसाधन को मज़बूत करता है, पीढ़ीगत गरीबी को कम करता है तथा महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।

मिशन सक्षम आँगनवाड़ी एवं पोषण 2.0

  • परिचय: वित्त वर्ष 2021-22 में सक्षम आँगनवाड़ी एवं पोषण 2.0 को भारत के प्रमुख एकीकृत पोषण समर्थन कार्यक्रम के रूप में लॉन्च किया गया। यह ICDS, पोषण अभियान, किशोरी बालिकाओं के लिये योजना और राष्ट्रीय क्रेच (शिशुगृह) योजना जैसी प्रमुख बाल एवं मातृ कल्याण योजनाओं को एकीकृत करता है।
    • यह कार्यक्रम 15वीं वित्त आयोग की अवधि (2021–26) के दौरान कार्यान्वयन के लिये  स्वीकृत हुआ है और इसका उद्देश्य पोषण, प्रारंभिक बाल देखभाल तथा महिलाओं व बच्चों के लिये समग्र समर्थन को मज़बूत करना है।
  • प्रमुख कार्यक्षेत्र:
    • आकांक्षी ज़िलों और पूर्वोत्तर में बच्चों (6 महीने-6 वर्ष), गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और किशोरियों (14-18 वर्ष) के लिये पूरक पोषण।
    • 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ECCE), 0-3 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये प्रारंभिक गतिविधियाँ।
    • आधुनिक सक्षम आँगनवाड़ी केंद्रों सहित आँगनवाड़ी अवसंरचना का उन्नयन।
    • पोषण अभियान, कुपोषण मुक्त भारत के लिये राष्ट्रीय अभिसरण मिशन।
  • विशेष फोकस क्षेत्र: मातृ पोषण और शिशु एवं छोटे बच्चों के आहार (IVCF) में सुधार, साथ ही आयुष स्वास्थ्य पद्धतियों द्वारा समर्थित SAM और MAM के लिये उपचार प्रोटोकॉल शुरू करना।
    • यह योजना पोषण ट्रैकर के माध्यम से वास्तविक समय पोषण निगरानी को मज़बूत करती है तथा किशोरियों के लिये योजना (SAG) के माध्यम से किशोरियों के पोषण को प्राथमिकता देती है, जो प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में 14-18 वर्ष की आयु की लड़कियों को लक्षित करती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

ICDS क्या है?
ICDS (इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज़) एक केंद्र प्रायोजित प्रमुख कार्यक्रम है, जो बच्चों (0–6 वर्ष) और गर्भवती/धात्री माताओं के लिये एकीकृत सेवाओं का पैकेज प्रदान करता है—पूरक पोषण, प्री-स्कूल शिक्षा, टीकाकरण, स्वास्थ्य जाँच, रेफरल सेवाएँ तथा स्वास्थ्य एवं पोषण शिक्षा।

मिशन सक्षम आँगनवाड़ी एवं पोषण 2.0 क्या है?
यह पुनर्गठित अम्ब्रेला कार्यक्रम है, जिसमें ICDS, पोषण अभियान, किशोरियों की योजना और राष्ट्रीय क्रेच योजना को सम्मिलित किया गया है। इसका उद्देश्य पोषण, प्रारंभिक बाल देखभाल एवं शिक्षा (ECCE), आँगनवाड़ी अवसंरचना और किशोर पोषण को सुदृढ़ करना है, जिसे अभिसरण और डिजिटल मॉनिटरिंग (पोषण ट्रैकर) के माध्यम से लागू किया जाता है।

पोषण ट्रैकर कार्यक्रम की डिलीवरी में किस प्रकार मदद करता है?
पोषण ट्रैकर पोषण संकेतकों की रियल-टाइम मॉनिटरिंग, लाभार्थियों की ट्रैकिंग और RCH डेटा के साथ अभिसरण को सक्षम बनाता है, जिससे लक्ष्य निर्धारण, सेवा प्रदायगी और जवाबदेही में सुधार होता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स:

प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-से 'राष्ट्रीय पोषण मिशन' के उद्देश्य हैं? (2017)

  1. गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण के बारे में ज़ागरूकता पैदा करना।  
  2. छोटे बच्चों, किशोरियों और महिलाओं में एनीमिया के मामलों को कम करना।  
  3. बाजरा, मोटे अनाज और बिना पॉलिश किये चावल की खपत को बढ़ावा देना।  
  4. पोल्ट्री अंडे की खपत को बढ़ावा देना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a)  केवल 1 और 2

(b) केवल 1, 2 और 3

(c) केवल 1, 2 और 4

(d) केवल 3 और 4

उत्तर: a

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