मध्य प्रदेश Switch to English
पात्रा नदी
चर्चा में क्यों?
पत्रा नदी, जो कभी राजा भोज से जुड़ी एक महत्त्वपूर्ण ताज़े पानी की धारा के रूप में जानी जाती थी, भोपाल में इसकी गंभीर स्थिति तथा पुनर्जीवन प्रयासों को लेकर अधिकारियों और पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा पुनः ध्यान का विषय बनी हुई है।
मुख्य बिंदु
पात्रा नदी के बारे में:
- पात्रा नदी, जिसे पात्रा नाला भी कहा जाता है, ऐतिहासिक रूप से प्राचीन भोपाल से होकर बहती थी और अपने औषधीय गुणों के लिये प्रसिद्ध थी।
- ऐसा माना जाता है कि राजा भोज इसके जल में स्नान करने के बाद एक गंभीर रोग से ठीक हो गए थे, जिससे इसका सांस्कृतिक महत्त्व और भी बढ़ गया।
- यह नदी मूलतः एक प्राकृतिक जल निकास और ताज़े पानी के वाहक के रूप में कार्य करती थी, जो ऊपरी झील (बड़ा तालाब) में मिलती थी।
- तीव्र शहरीकरण, अतिक्रमण और अनियमित अपशिष्ट निर्वहन ने नदी को प्रदूषित नाले में बदल दिया है, जिससे इसका पारिस्थितिकी स्वरूप लगभग पूरी तरह नष्ट हो गया है।
ऊपरी झील के बारे में:
- ऊपरी झील (बड़ा तालाब) भारत की सबसे पुरानी मानव-निर्मित झीलों में से एक है, जिसका निर्माण 11वीं शताब्दी में राजा भोज द्वारा कराया गया था।
- यह भोज आर्द्रभूमि का हिस्सा है, जिसे वर्ष 2002 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।
- इसके प्रमुख जल-प्रवाह स्रोतों में कोलांस नदी तथा पत्रा नदी सहित कई मौसमी जल-धाराएँ शामिल हैं।
- यह झील अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह भोपाल की 40% से अधिक जनसंख्या को पेयजल उपलब्ध कराती है तथा 200 से अधिक पक्षी प्रजातियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण आवास है।
राजा भोज
- राजा भोज (लगभग 1010–1055 ई.) मालवा के परमार वंश के सबसे प्रसिद्ध शासकों में से एक थे, जो अपनी विद्वता, शासन कौशल और लोक कल्याणकारी कार्यों के लिये प्रसिद्ध थे।
- उन्होंने ऐतिहासिक नगर भोजपाल की स्थापना की, जो बाद में आधुनिक भोपाल के रूप में विकसित हुआ, जिसे उनके जल-प्रबंधन कार्यों से जोड़ा जाता है।
- उन्हें कोलांस नदी पर बाँध बनाकर ऊपरी झील (बड़ा तालाब) के निर्माण का श्रेय दिया जाता है, जिससे क्षेत्र के जल-भूगोल संरचना में परिवर्तन आया।
- राजा भोज ने आयुर्वेद, खगोल, वास्तुकला, काव्यशास्त्र तथा व्याकरण पर कई संस्कृत ग्रंथों की रचना की या उन्हें संरक्षण दिया, जैसे समरांगण सूत्रधार (वास्तुकला) और राजमार्तण्ड (ज्योतिष)।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
सूर्यकिरण अभ्यास 2025
चर्चा में क्यों?
भारत–नेपाल संयुक्त सैन्य अभ्यास सूर्यकिरण का 19वाँ संस्करण 25 नवंबर, 2025 को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में प्रारंभ हुआ।
मुख्य बिंदु
सूर्यकिरण अभ्यास के बारे में:
- सूर्यकिरण अभ्यास भारतीय सेना और नेपाली सेना के बीच एक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास है, जो प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है तथा इसकी मेज़बानी का दायित्व दोनों देशों के बीच बारी-बारी से होता है।
- इसका उद्देश्य अंतर-संचालनीयता को बढ़ाना, सैन्य कूटनीति को मज़बूत करना और भारत-नेपाल रक्षा सहयोग में वृद्धि करना है।
- यह अभ्यास मुख्यतः सशस्त्र विद्रोह निवारण, आतंकवाद निवारण तथा दोनों सेनाओं के लिये समान वन/पहाड़ी युद्ध क्षेत्र पर केंद्रित है।
- यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के अंतर्गत आयोजित किया जाता है, जो शांति बनाए रखने, शांति के उल्लंघनों और आतंकवाद निवारण परिदृश्यों से संबंधित दायित्वों को संबोधित करता है।
वर्ष 2025 का संस्करण:
- यह संस्करण 25 नवंबर से 8 दिसंबर, 2025 तक उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में आयोजित किया जा रहा है।
- भारतीय दल में 334 कार्मिक शामिल हैं, जिनमें से अधिकांश असम रेजिमेंट से हैं, जबकि नेपाली दल में भी 334 कार्मिक शामिल हैं, जिनमें से अधिकांश देवी दत्त रेजिमेंट से हैं।
- इस संस्करण में विशिष्ट और उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया है, जैसे:
- मानव रहित हवाई प्रणाली (UAS)
- ड्रोन आधारित ISR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस एवं रीकॉन्सेंस)
- AI-सक्षम निर्णय-सहायक उपकरण
- मानव रहित लॉजिस्टिक वाहन
- सैनिक सुरक्षा प्लेटफॉर्म
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
नई चेतना 4.0 अभियान
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री के साथ मिलकर दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के तहत एक राष्ट्रीय पहल 'नई चेतना 4.0' का शुभारंभ किया।
मुख्य बिंदु
पहल के बारे में:
- नई चेतना - परिवर्तन की पहल का चौथा संस्करण विशेष रूप से ग्रामीण भारत में महिलाओं की सुरक्षा, गतिशीलता, सम्मान और सामाजिक-आर्थिक भागीदारी को सुदृढ़ करने पर केंद्रित है
- यह अभियान DAY–NRLM के तहत स्वयं सहायता समूहों (SHG) के व्यापक नेटवर्क के नेतृत्व में 25 नवंबर से 23 दिसंबर 2025 तक संपूर्ण देश में संचालित किया जाएगा।
- इसमें नशा-उन्मूलन पर विशेष ज़ोर दिया गया है, जिसे घरेलू हिंसा का प्रमुख कारण माना गया है तथा गाँव-स्तरीय अभियानों के माध्यम से हिंसा-मुक्त समुदायों को बढ़ावा दिया जाएगा।
- यह पहल शासन में महिलाओं की स्थिति, सुरक्षित सार्वजनिक स्थान, साझी घरेलू ज़िम्मेदारियाँ तथा महिलाओं की आर्थिक भूमिकाओं की मान्यता को रेखांकित करती है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM)
- इस मिशन को वर्ष 2011 में प्रारम्भ किया गया था तथा इसकी क्रियान्वयन संरचना और पहुँच को सुदृढ़ करने हेतु वर्ष 2015 में इसका पुनर्गठन किया गया।
- मिशन का क्रियान्वयन ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
- इस योजना का उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों (SHG) के माध्यम से स्वरोज़गार, कौशल विकास और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देकर ग्रामीण गरीबी को कम करना है।
- यह मुख्यतः ग्रामीण महिलाओं को SHGs में संगठित करने, उन्हें क्रेडिट लिंकिंग, क्षमता-विकास सहायता तथा बाज़ारों तक बेहतर पहुँच प्रदान करने पर केंद्रित है।
- इसमें वित्तीय समावेशन, डिजिटल साक्षरता तथा आजीविका गतिविधियों के विविधीकरण जैसे प्रमुख घटक शामिल हैं, जिनका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पारिवारिक आय में सुधार और स्थिरता सुनिश्चित करना है।
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