मध्य प्रदेश
एम.पी.पी.एस.सी. - प्रकृति एवं प्रक्रिया
- 01 Aug 2021
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परिचय (Introduction):
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एम.पी.पी.एस.सी.), इंदौर द्वारा राज्य विशेष प्रशासन से सम्बंधित विभिन्न पदों सहित अन्य अधीनस्थ सेवाओं का आयोजन किया जाता है। सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले ज्यादातर अभ्यर्थी (विशेषकर हिंदी माध्यम) संघ लोक सेवा आयोग (यू.पी.एस.सी.) की परीक्षा के साथ-साथ इस आयोग द्वारा आयोजित सर्वाधिक प्रतिष्ठित ‘मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा’ में भी सम्मिलित होते हैं। प्रश्नों की प्रकृति एवं प्रक्रिया में अंतर होने के बावजूद यू.पी.एस.सी. के प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम के अध्ययन की इस परीक्षा में सार्थक भूमिका होती है, इसलिये सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र इस परीक्षा में भी सफल होते हैं।
आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाएँ:
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मध्य प्रदेश में राज्य आधारित सरकारी, अर्द्ध-सरकारी, न्यायिक, राज्य वन सेवा एवं अन्य अधीनस्थ सेवाओं का आयोजन मुख्य रूप से मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एम.पी.पी.एस.सी.), इंदौर द्वारा किया जाता है।
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आयोग द्वारा आयोजित सर्वाधिक लोकप्रिय परीक्षा ‘मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा’ एवं ‘मध्य प्रदेश राज्य वन सेवा परीक्षा’ है। वर्ष 2017 में आवेदन पत्र के प्रारूप में परिवर्तन किया गया जिससे अभ्यर्थी अब इन दोनों परीक्षाओं के लिये कॉमन ऑनलाइन आवेदन पत्र भर सकते हैं , बशर्ते कि वे राज्य वन सेवा परीक्षा में भी बैठने की अर्हता रखते हों।
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‘मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा’ के लिये सामान्य शैक्षणिक योग्यता जहाँ किसी भी विषय के साथ स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण होना है, वहीं ‘मध्य प्रदेश राज्य वन सेवा परीक्षा’ के लिये सामान्यत: विज्ञान विषय के साथ स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। स्नातक के अंतिम वर्ष में अध्ययनरत अभ्यर्थी भी आवेदन पत्र भरने के पात्र (कुछ शर्तों के साथ) होते हैं।
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‘मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा’ को प्रायः ‘एम.पी.पी.सी.एस.’ के नाम से भी जाना जाता है।
एम.पी.पी.सी.एस. परीक्षा- प्रकृति एवं प्रक्रिया
परीक्षा की प्रकृति:
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आयोग द्वारा आयोजित इस प्रतियोगी परीक्षा में सामान्यत: क्रमवार तीन स्तर सम्मिलित हैं-
1 : प्रारंभिक परीक्षा – वस्तुनिष्ठ प्रकृति
2 : मुख्य परीक्षा - वर्णनात्मक प्रकृति
3 : साक्षात्कार - मौखिक
- वर्ष 2019 में आयोग द्वारा एम.पी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा की प्रकृति एवं पाठ्यक्रम में महत्त्वपूर्ण बदलाव किया गया। जो राज्य सेवा परीक्षा वर्ष 2020 से लागू होंगे|
परीक्षा की प्रक्रिया:
प्रारंभिक परीक्षा की प्रक्रिया:
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सर्वप्रथम आयोग द्वारा इन परीक्षाओं से सम्बंधित विज्ञप्ति जारी की जाती है उसके पश्चात ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू होती है। फॉर्म भरने की प्रक्रिया संबंधी विस्तृत जानकारी ‘विज्ञप्ति’ के अंतर्गत ‘ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?’ शीर्षक में दी गयी होती है।
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विज्ञप्ति में उक्त परीक्षा से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विवरण दिया गया होता है। अत: फॉर्म भरने से पहले इसका अध्ययन करना लाभदायक रहता है।
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फॉर्म भरने की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद सामान्यतः 1 से 2 माह पश्चात् प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की जाती है।
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यह प्रारंभिक परीक्षा एक ही दिन आयोग द्वारा निर्धारित राज्य के विभिन्न केन्द्रों पर सम्पन्न होती है।
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आयोग द्वारा आयोजित इस प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) होती है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक प्रश्न के लिये दिये गए चार संभावित विकल्पों (a, b, c और d) में से एक सही विकल्प का चयन करना होता है।
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प्रश्न से सम्बंधित इस चयनित विकल्प को आयोग द्वारा दिये गए ओ.एम.आर. शीट में उसके सम्मुख दिये गए सम्बंधित गोले (सर्किल) में उचित स्थान पर केवल काले बॉल पॉइंट पेन से भरना होता है।
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एम.पी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इस परीक्षा में गलत उत्तर के लिये किसी भी प्रकार की नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान नहीं है।
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यदि किसी प्रश्न का अभ्यर्थी एक से अधिक उत्तर देता हैं, तो उस उत्तर को गलत माना जाएगा।
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प्रश्नपत्र दो भाषाओं (हिंदी एवं अंग्रेजी) में दिये गए होते हैं, अभ्यर्थी इन दोनों में से किसी भी भाषा में अपनी सहजता के आधार पर प्रश्नों का उत्तर दे सकते हैं।
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आयोग द्वारा वर्ष 2012 में इस प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति में बदलाव किया गया जिसके अनुसार, द्वितीय प्रश्नपत्र में पूछे जाने वाले वैकल्पिक विषय (वस्तुनिष्ठ) के स्थान पर ‘सामान्य अभिरुचि परीक्षण’ (जनरल एप्टिट्यूड टेस्ट) के प्रश्नपत्र को अपनाया गया।
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वर्तमान में आयोग की इस प्रारंभिक परीक्षा में दो अनिवार्य प्रश्नपत्र (क्रमशः ‘सामान्य अध्ययन’ एवं ‘सामान्य अभिरुचि परीक्षण’) पूछे जाते हैं, जिसकी परीक्षा एक ही दिन दो विभिन्न पालियों में दो-दो घंटे की समयावधि में सम्पन्न होती है। ‘सामान्य अभिरुचि परीक्षण’ के प्रश्नपत्र को ‘सीसैट’ (सिविल सर्विस एप्टिट्यूड टेस्ट) के नाम से भी से जाना जाता है।
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प्रथम प्रश्नपत्र ‘सामान्य अध्ययन’ का है, जिसमें प्रश्नों की कुल संख्या 100 एवं अधिकतम अंक 200 निर्धारित हैं।
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द्वितीय प्रश्नपत्र ‘सामान्य अभिरुचि परीक्षण’ का है, जिसमें प्रश्नों की कुल संख्या 100 एवं अधिकतम अंक 200 निर्धारित हैं।
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वर्ष 2017 से ‘मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा’ एवं ‘मध्य प्रदेश राज्य वन सेवा परीक्षा’ के लिये एक ही (कॉमन) प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की जाएगी जबकि मुख्य परीक्षा पूर्व की भाँति अलग-अलग आयोजित होगी।
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‘मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा’ के लिये यह प्रारंभिक परीक्षा 200 अंकों की होती है क्योंकि इसमें ‘सामान्य अभिरुचि परीक्षण’ के प्रश्नपत्र में प्राप्त अंकों को कट-ऑफ निर्धारण में नहीं जोड़ा जाता है, जबकि ‘मध्य प्रदेश राज्य वन सेवा परीक्षा’ के लिये यह परीक्षा कुल 400 अंकों की होती है क्योंकि इसमें ‘सामान्य अभिरुचि परीक्षण’ के प्रश्नपत्र में प्राप्त अंकों को कट-ऑफ निर्धारण में जोड़ा जाता है।
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वर्ष 2015 से आयोग ने ‘मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा’ के इस चरण में ‘सामान्य अभिरुचि परीक्षण’ के प्रश्नपत्र को केवल क्वालिफाइंग कर दिया है। अर्थात इस प्रश्नपत्र में आयोग द्वारा निर्धारित क्वालिफाइंग अंक प्राप्त करने वाले तथा सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र में निर्धारित कट-ऑफ स्तर को प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी ही मुख्य परीक्षा के लिये सफल घोषित किये जाएंगे।
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प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिये सामान्यत: 75–80% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, किन्तु कभी-कभी प्रश्नों के कठिनाई स्तर को देखते हुए यह प्रतिशत कम भी हो सकता है।
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प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति क्वालिफाइंग होती है। इसमें प्राप्त अंकों को मुख्य परीक्षा या साक्षात्कार के अंकों के साथ नहीं जोड़ा जाता है।
नोट:
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मुख्य परीक्षा की पात्रता के लिये अभ्यर्थी को प्रारंभिक परीक्षा के प्रत्येक प्रश्नपत्र में न्यूनतम 40% अंक प्राप्त करना अनिवार्य है।
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राज्य के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/ अन्य पिछड़ा वर्ग एवं विकलांग श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिये न्यूनतम अर्हकारी अंक 30% निर्धारित किया गया है।
मुख्य परीक्षा की प्रक्रिया:
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मुख्य परीक्षा में प्रवेश पाने वाले अभ्यर्थियों की संख्या विज्ञापन में प्रदर्शित की गई सेवा तथा पदों के विभिन्न प्रवर्गों से भरी जाने वाली कुल रिक्तियों की संख्या से 15 गुना होगी तथा समान अंक प्राप्त (वर्गवार/श्रेणीवार) अभ्यर्थियों को भी मुख्य परीक्षा हेतु अर्ह घोषित किया जाएगा।
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प्रारंभिक परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों के लिये मुख्य परीक्षा का आयोजन आयोग द्वारा निर्धारित राज्य के विभिन्न केन्द्रों पर किया जाता है।
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वर्ष 2014 में एम.पी.पी.एस.सी. की इस मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में आमूलचूल परिवर्तन किया गया। इससे पूर्व इस मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के साथ-साथ दो वैकल्पिक विषयों के प्रश्नपत्र भी पूछे जाते थे, जिन्हें अब हटा दिया गया है।
- अब इस मुख्य परीक्षा में छ: अनिवार्य प्रश्नपत्र [सामान्य अध्ययन प्रथम प्रश्नपत्र, सामान्य अध्ययन द्वितीय प्रश्नपत्र, सामान्य अध्ययन तृतीय प्रश्नपत्र, सामान्य अध्ययन चतुर्थ प्रश्नपत्र, सामान्य हिंदी एवं व्याकरण (पंचम प्रश्नपत्र) तथा ‘हिन्दी निबंध एवं प्रारूप लेखन’ (षष्ठम प्रश्नपत्र)] पूछे जाएंगे। इसकी विस्तृत जानकारी के अंतर्गत ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दी गई है।
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मुख्य परीक्षा की प्रकृति वर्णनात्मक/विश्लेषणात्मक होगी, इसमें प्रश्नों का स्वरुप अत्यंत लघु, लघु एवं दीर्घउत्तरीय या निबंधात्मक प्रकृति का होगा। इन सभी प्रश्नों के उत्तर को आयोग द्वारा दी गयी उत्तर-पुस्तिका में अधिकतम तीन घंटे (षष्ठम प्रश्नपत्र ‘निबंध लेखन’ के लिए दो घंटे की समय सीमा) की समय सीमा में लिखना होता है।
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मुख्य परीक्षा कुल 1400 अंकों की होती है।
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सामान्य अध्ययन के क्रमशः तीन प्रश्नपत्र (सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र, सामान्य अध्ययन द्वितीय प्रश्नपत्र एवं सामान्य अध्ययन तृतीय प्रश्नपत्र) में प्रत्येक के लिये अधिकतम 300-300 अंक निर्धारित हैं।
- सामान्य अध्ययन चतुर्थ प्रश्नपत्र एवं सामान्य हिंदी एवं व्याकरण (पंचम प्रश्नपत्र) के लिये 200-200 अंक निर्धारित हैं।
- ‘हिन्दी निबंध एवं प्रारूप लेखन’ (षष्ठम प्रश्नपत्र) के लिये 100 अंक निर्धारित हैं।
- सामान्य हिंदी एवं व्याकरण तथा ‘हिन्दी निबंध एवं प्रारूप लेखन’ के प्रश्नपत्र को छोड़कर सामान्य अध्ययन के चारों प्रश्नपत्र हिंदी तथा अंग्रेजी माध्यम में उपलब्ध होंगे। अभ्यर्थी केवल उसी भाषा में परीक्षा दे सकेगा जो उसने अपने मुख्य परीक्षा के आवेदन पत्र में माध्यम के रूप में चयनित किया है।
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सामान्य अध्ययन के प्रथम एवं, द्वितीय प्रश्नपत्र दो खंडों (‘अ’ एवं ‘ब’) में विभाजित रहेंगे। प्रत्येक खंड 150 अंकों का होगा | प्रत्येक खंड पाठ्यक्रम के अनुसार 05 इकाइयों में विभाजित है | प्रत्येक इकाई से 3 अति लघु उत्तरीय, 2 लघु उत्तरीय एवं 1 दीर्घउत्तरीय या निबंधात्मक प्रकृति के प्रश्न रहेंगे। आयोग द्वारा प्रश्नों की संख्या में आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जा सकता है।
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सामान्य अध्ययन का तृतीय प्रश्नपत्र 10 इकाइयों में विभाजित है | प्रत्येक इकाई से 3 अति लघु उत्तरीय, 2 लघु उत्तरीय एवं 1 दीर्घउत्तरीय या निबंधात्मक प्रकृति के प्रश्न रहेंगे। आयोग द्वारा प्रश्नों की संख्या में आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जा सकता है।
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सामान्य अध्ययन का चतुर्थ प्रश्नपत्र 5 इकाइयों में विभाजित है जिसमें प्रथम से चतुर्थ इकाई तक प्रत्येक इकाई से 5 अति लघु उत्तरीय, 2 लघु उत्तरीय एवं 1 दीर्घउत्तरीय या निबंधात्मक प्रकृति के प्रश्न रहेंगे। प्रश्न की पांचवी इकाई में संपूर्ण पाठ्यक्रम से 2 केस स्टडी की समीक्षात्मक टीप लिखनी होगी | आयोग द्वारा प्रश्नों की संख्या में आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जा सकता है।
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पंचम प्रश्नपत्र ‘सामान्य हिंदी एवं व्याकरण ‘ का होगा। इसका उत्तर अभ्यर्थियों को अनिवार्य रूप से हिंदी में देना होगा। इसमें 25 लघु स्तरीय, 2 प्रश्न अलंकारो से , 2 उप-प्रश्न हिंदी से अंग्रेजी एवं अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद तथा लघु स्तरीय संक्षिप्त टिप्पणियाँ सम्मिलित रहेंगी। आयोग द्वारा प्रश्नों की संख्या में आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जा सकता है।
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षष्ठम प्रश्नपत्र ‘हिन्दी निबंध एवं प्रारूप लेखन’ का होगा। यह प्रश्नपत्र तीन खण्डों में विभाजित होगा।
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परीक्षा के इस चरण में सफलता प्राप्त करने के लिये सामान्यत: 60-65% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। हालाँकि पाठ्यक्रम में बदलाव के कारण यह प्रतिशत कुछ कम या ज़्यादा भी हो सकता है।
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पूर्व की भाँति ही इन प्रश्नपत्रों में प्राप्त किये गए अंक मेधा सूची में जोड़े जाएंगे।
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परीक्षा के सभी विषयों में कम से कम शब्दों में की गई संगठित, सूक्ष्म और सशक्त अभिव्यक्ति को श्रेय मिलेगा।
साक्षात्कार की प्रक्रिया:
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मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों को सामान्यत: एक माह पश्चात् आयोग के समक्ष साक्षात्कार के लिये उपस्थित होना होता है।
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साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है। इसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है। यह प्रक्रिया अभ्यर्थियों की संख्या के अनुसार एक से अधिक दिनों तक चलती है।
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वर्ष 2014 में एम.पी.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 175 अंक निर्धारित किया गया (पूर्व में यह 250 अंकों का होता था)।
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मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर अंतिम रूप से मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) तैयार की जाती है।
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सम्पूर्ण साक्षात्कार समाप्त होने के सामान्यत: एक सप्ताह पश्चात अन्तिम रूप से चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी की जाती है।
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उपरोक्त वर्णित प्रत्येक प्रश्नपत्र में 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य है। अनुसूचित जाति / जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग तथा नि:शक्त श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम अर्हकारी अंक 30 प्रतिशत होगे।