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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    आप बंगलुरु के एक प्रतिष्ठित अस्पताल, जो अपनी अत्याधुनिक सुविधाओं और उत्कृष्ट रोगी देखभाल के लिये जाना जाता है, में वरिष्ठ सर्जन हैं। अस्पताल की खरीद और बिलिंग प्रथाओं के नियमित ऑडिट के दौरान, आपको एक परेशान करने वाले परिदृश्य का पता चलता है, अस्पताल का प्रशासन एक ऐसे मामले में शामिल है जहाँ कुछ उच्च-लागत वाली चिकित्सा आपूर्ति और उपचारों को अत्यधिक मूल्य पर बेचा जा रहा है, जबकि वैकल्पिक, अधिक किफायती विकल्प उपलब्ध हैं।

    अस्पताल ने कई आपूर्तिकर्त्ताओं के साथ साझेदारी की है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि इन उच्च लागत वाली आपूर्तियों को विशेष रूप से खरीदा जाए, भले ही अन्य विकल्पों की तुलना में उनकी कीमत अधिक हो और प्रभावशीलता सीमित हो। एथिकल मेडिकल प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में, आप रोगी देखभाल और वित्तीय स्थिरता पर इन मामलों के प्रभावों के बारे में गंभीर रूप से चिंतित हैं। 

    हालाँकि, आपके अस्पताल के कुछ वरिष्ठ डॉक्टर, जो आपूर्तिकर्त्ताओं द्वारा दी जाने वाली रिश्वत से लाभान्वित हो रहे हैं, आपसे अस्पताल के संचालन को बाधित करने से बचने और अपने निजी लाभ को बनाए रखने के लिये इस मुद्दे पर चुप रहने का आग्रह करते हैं। उनका तर्क है कि बढ़ी हुई कीमतें अस्पताल के उच्च लाभ मार्जिन को बनाए रखने में मदद कर रही हैं, जो इसके अस्तित्व और निरंतर विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है।

    प्रश्न:

    1. मुख्य हितधारकों और इसमें शामिल नैतिक मुद्दों की पहचान कीजिये।

    2. अस्पताल और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली दोनों के लिये अनैतिक प्रथाओं को उजागर करने के संभावित परिणामों का विश्लेषण कीजिये।

    3. इस स्थिति में आप क्या कार्रवाई करेंगे तथा कौन-से नैतिक सिद्धांत आपके निर्णय लेने की प्रक्रिया का मार्गदर्शन करेंगे?

    06 Jun, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    परिचय:

    आप एक प्रतिष्ठित बंगलुरु अस्पताल में वरिष्ठ सर्जन हैं और एथिकल मेडिकल प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। एक नियमित ऑडिट के दौरान आपको पता चलता है कि अधिक प्रभावी और किफायती विकल्पों के बावजूद लगातार अधिक कीमत पर चिकित्सा सामग्री खरीदी जा रही है। इस व्यवस्था से आपूर्तिकर्त्ताओं से रिश्वत के माध्यम से कुछ वरिष्ठ डॉक्टरों को लाभ होता है। वे अस्पताल के मुनाफे का हवाला देते हुए आप पर चुप रहने का दबाव डालते हैं। यह समस्या न केवल वित्तीय विश्वसनीयता को प्रभावित करती है, बल्कि मरीज़ों की देखभाल और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में उनके विश्वास को भी प्रभावित करती है।

    मुख्य भाग:

    1. मुख्य हितधारकों और इसमें शामिल नैतिक मुद्दों का अभिनिर्धारण कीजिये।

    हितधारक

    भूमिका और रुचि

    मरीज़ 

    प्राथमिक प्राप्तकर्त्ता, जो किफायती, प्रभावी और नैतिक उपचार की अपेक्षा रखते हैं।

    वरिष्ठ सर्जन (आप)

    नैतिक चिकित्सा पेशेवर जो चिकित्सा प्रणाली की विश्वसनीयता और रोगी कल्याण को बनाए रखने के लिये ज़िम्मेदार है।

    अस्पताल प्रशासन

    लाभ मार्जिन पर केंद्रित, लेकिन रोगी-केंद्रित देखभाल के लिये नैतिक रूप से ज़िम्मेदार।

    वरिष्ठ डॉक्टर 

    रिश्वत के लाभार्थी, व्यक्तिगत लाभ के लिये नैतिकता से समझौता करने वाले, रिश्वत के लाभार्थी।

    एथिकल मेडिकल प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन

    चिकित्सा पेशे में नैतिक प्रथाओं और पारदर्शिता की अनुशंसा करता है।

    इसमें निम्नलिखित नैतिक मुद्दे शामिल हैं:

    • चिकित्सा नैतिकता का उल्लंघन (हिप्पोक्रेटिक शपथ); बेहतर विकल्पों की उपलब्धता के बावजूद उच्च लागत वाले और कम प्रभावी उपचारों को निर्धारित करने की प्रथा, "नुकसान न पहुँचाने" (Non-Maleficence) के सिद्धांत का उल्लंघन है।
      • यह संस्थागत और व्यक्तिगत हितों को रोगी कल्याण से ऊपर रखकर हिपोक्रेटिक ओथ/शपथ (डॉक्टर की नैतिक प्रतिज्ञा, जिसमें वह रोगी की भलाई को सर्वोपरि रखने और पूरी ईमानदारी के साथ चिकित्सा सेवा के लिये वचनबद्ध है) को कमज़ोर करता है।
    • पारदर्शिता की कमी और विश्वास का उल्लंघन:  अस्पताल और चुनिंदा आपूर्तिकर्त्ताओं के बीच गुप्त एवं विशिष्ट खरीद समझौते संस्थागत पारदर्शिता की गंभीर कमी को दर्शाते हैं। इससे संस्थान में न केवल जनविश्वास में कमी आती है, बल्कि जवाबदेही के नैतिक सिद्धांत का भी ह्रास होता है।
    • व्यावसायिक चिकित्सा देखभाल बनाम नैतिक कर्त्तव्य: अधिक लाभ कमाने की प्रवृत्ति जब रोगी-केंद्रित देखभाल की जगह ले लेती है, तब यह नैतिक दुविधा (जहाँ एक ओर संस्थागत लाभ है, तो दूसरी ओर स्वास्थ्यकर्मियों का यह नैतिक कर्त्तव्य कि वे मानव गरिमा और समान उपचार के अधिकार को प्राथमिकता दें) उत्पन्न करता है।
    • पेशेवर सत्यनिष्ठा का क्षरण: एक वरिष्ठ सर्जन और नैतिक समिति के अध्यक्ष के रूप में यदि व्यक्ति चुप रहता है, तो यह नैतिक सह-अपराध (Moral Complicity) माना जायेगा। इससे न केवल व्यक्तिगत ईमानदारी पर प्रश्न उठते हैं, बल्कि पूरी व्यवस्था की नैतिकता पर भी संदेह उत्पन्न होता है।

    2. अस्पताल और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली दोनों के लिये अनैतिक प्रथाओं को उजागर करने के संभावित परिणामों का विश्लेषण कीजिये।

    अस्पताल के लिये संभावित परिणाम:

    • कानूनी और नियामक कार्रवाई: संबंधित प्राधिकरण जाँच प्रारंभ कर सकते हैं, दंड लगा सकते हैं या लाइसेंस रद्द कर सकते हैं, जिससे अस्पताल की परिचालन-निरंतरता पर संकट उत्पन्न हो सकता है।
    • प्रतिष्ठा को नुकसान: यदि अनैतिक गतिविधियाँ सार्वजनिक हो जाती हैं, तो इससे अस्पताल की छवि बुरी तरह प्रभावित हो सकती है, जिससे जनता का विश्वास समाप्त हो सकता है और आने वाले रोगियों की संख्या में गिरावट आ सकती है।
    • तात्कालिक आर्थिक क्षति: अनैतिक आपूर्तिकर्त्ताओं से अनुबंध रद्द होने और बढ़ी हुई जाँच-पड़ताल के कारण लाभ में गिरावट आ सकती है।

    स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिये संभावित परिणाम:

    • प्रणालीगत सुधार: इस प्रकार की घटना के सार्वजनिक होने पर निजी स्वास्थ्य संस्थानों में खरीद प्रक्रिया तथा बिलिंग प्रणाली में नीतिगत-सुधार की संभावना बढ़ जाती है।
    • नैतिक मानकों की पुनर्स्थापना: यह प्रकरण चिकित्सकीय समुदाय में पेशेवर नैतिकता, रोगी अधिकारों तथा जवाबदेही के मानदंडों को सुदृढ़ कर सकता है।
    • रोगियों का विश्वास सुदृढ़ होना: यदि पारदर्शिता सुनिश्चित की जाती है और सुधारात्मक कदम उठाये जाते हैं, तो जनविश्वास पुनः स्थापित हो सकता है।
    • निवारक प्रभाव: अन्य संस्थान भी इस प्रकार की अनैतिक गतिविधियों से बचने लगेंगे, क्योंकि उन्हें उजागर होने और दण्डित होने का भय रहेगा।

    3. इस स्थिति में आप क्या कार्रवाई करेंगे तथा कौन-से नैतिक सिद्धांत आपके निर्णय लेने की प्रक्रिया का मार्गदर्शन करेंगे?

    आप क्या कदम उठाएंगे:

    • आंतरिक उपाय/कार्रवाई: सबसे पहले इस मुद्दे को अस्पताल की आचार समिति और प्रबंधन के समक्ष औपचारिक रूप से उठाया जाना चाहिये। मूल्यवृद्धि, आपूर्तिकर्त्ता अनुबंधों और उपलब्ध विकल्पों से संबंधित दस्तावेज़ी साक्ष्य एकत्र कर व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किये जाने चाहिये।
    • व्हिसलब्लोअर संरक्षण को बढ़ावा: जो कर्मचारी इस अनैतिक कार्य का विरोध कर रहे हैं, उनकी पहचान को गोपनीय रखते हुए उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिये।
    • बाह्य रिपोर्टिंग (यदि आंतरिक प्रयास विफल हों): यदि आंतरिक तंत्र निष्क्रिय सिद्ध हो, तो चिकित्सा परिषद या संबंधित नियामक संस्थाओं जैसे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया तक मामला पहुँचाया जाना चाहिये।
    • रोगी-हित संरक्षण: मरीज़ों को सूचित करना और यथासंभव उन्हें वैकल्पिक, नैतिक व कानूनी उपचार विकल्प उपलब्ध कराना प्राथमिकता होनी चाहिये।

    कार्रवाई का मार्गदर्शन करने वाले नैतिक सिद्धांत:

    • परोपकार: प्रभावी, साक्ष्य-आधारित और किफायती देखभाल की अनुशंसा करके रोगियों के सर्वोत्तम हित में कार्य करने के चिकित्सीय कर्त्तव्य को कायम रखना चाहिये, जिससे स्वास्थ्य परिणाम और रोगी की गरिमा में वृद्धि हो। 
    • नुकसान न पहुँचाने की प्रवृत्ति: ऐसे निर्णयों या प्रथाओं में मिलीभगत (सह-अपराधिता) से बचना चाहिये जो रोगियों को शारीरिक, भावनात्मक या वित्तीय नुकसान पहुँचा सकती हैं। अत्यधिक कीमत वाले और घटिया उपचारों को अस्वीकार करना इस मूलभूत चिकित्सा नैतिकता के अनुरूप है।  
    • समानता और निष्पक्षता: नैतिक कार्रवाई का लक्ष्य उन अन्यायपूर्ण प्रणालियों को नष्ट करना होना चाहिये जो रोगी के अधिकारों और सामाजिक समानता की अपेक्षा लाभ को प्राथमिकता देते हैं।
    • नैतिक नेतृत्व: संस्थागत प्रतिरोध या व्यक्तिगत जोखिम के दौरान सही तरीके से कार्य करने की शक्ति का प्रदर्शन किया जाना चाहिये। नैतिक नेतृत्व में दूसरों के लिये मिसाल कायम करना और ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देना शामिल होते हैं जहाँ सत्य एवं न्याय पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।  
    • व्यावसायिक शपथ और सामाजिक अनुबंध के प्रति निष्ठा: हिप्पोक्रेटिक ओथ/शपथ, चिकित्सा पेशेवरों और समाज के बीच अंतर्निहित सामाजिक अनुबंध के प्रति निष्ठावान बने रहना अनिवार्य है, अर्थात् मानव जीवन, विश्वास और कल्याण को अन्य सभी बातों से सर्वोपरि रखना चाहिये।  

    निष्कर्ष

    एक वरिष्ठ चिकित्सक और नैतिक नेतृत्वकर्त्ता के रूप में आपका दायित्व है कि आप पारदर्शिता, न्याय और मरीज़ों के हितों की रक्षा करें। यद्यपि इस प्रकार की अनियमितताओं को उजागर करना अल्पकालिक असुविधाएँ एवं चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकता है, परंतु दीर्घकाल में यह संस्थागत विश्वसनीयता को सुदृढ़ करता है, रोगी-केंद्रित व्यवस्था को प्रोत्साहित करता है और एक अधिक नैतिक स्वास्थ्य तंत्र की स्थापना में सहायक भी सिद्ध होता है। वास्तविक नेतृत्व मूल्यों की रक्षा करने में निहित है, भले ही यह व्यक्तिगत रूप से महंगा या असुविधाजनक हो।

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