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प्रश्न :
प्रश्न. क्रिप्टोकरेंसी का उदय वित्तीय स्वतंत्रता और संभावित हानि (जैसे बाजार अस्थिरता व दुरुपयोग) के बीच एक विरोधाभास प्रस्तुत करता है। भारत में क्रिप्टोकरेंसी से उत्पन्न नैतिक चुनौतियों का प्रमुख नैतिक सिद्धांतों की दृष्टि से समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। (150 शब्द)
03 Jul, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- क्रिप्टो के उदय और इसके आसपास के नैतिक मुद्दों के परिचय के साथ उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- भारत में क्रिप्टोकरेंसी द्वारा उत्पन्न नैतिक चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
- भारत में क्रिप्टोकरेंसी विनियमन को सुदृढ़ करने के उपाय सुझाइये।
- उपर्युक्त निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारत में क्रिप्टोकरेंसी कई चुनौतियाँ उत्पन्न करता है। यह एक ओर वित्तीय स्वतंत्रता और नवाचार की संभावनाएँ प्रदान करता है, तो दूसरी ओर बाज़ार में अस्थिरता, सुरक्षा खामियों और अवैध गतिविधियों के दुरुपयोग जैसे जोखिम भी उत्पन्न करता है।
ये चुनौतियाँ व्यक्तिगत स्वतंत्रता, न्याय और सामाजिक प्रभाव के संबंध में महत्त्वपूर्ण नैतिक प्रश्न उठाती हैं।
मुख्य भाग:
भारत में क्रिप्टोकरेंसी द्वारा उत्पन्न नैतिक चुनौतियाँ:
- वित्तीय स्वतंत्रता बनाम बाज़ार अस्थिरता
- उपयोगितावाद: क्रिप्टोकरेंसी कुछ लोगों को वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करती है, लेकिन इसकी सट्टा-प्रवृत्ति व्यापक हानि और असमानता को जन्म दे सकती है, जो "अधिकतम लोगों के लिये अधिकतम भलाई" के सिद्धांत के विपरीत है।
- सद्गुण नैतिकता: यह अत्यधिक जोखिम लेने से बचने के लिये संयमित रूप से क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग को प्रोत्साहित करती है, ताकि व्यक्ति और समाज दोनों को नुकसान से बचाया जा सके।
- गोपनीयता बनाम अवैध गतिविधियों के लिये दुरुपयोग
- कांटियन नैतिकता: क्रिप्टोकरेंसी गोपनीयता प्रदान करती हैं, लेकिन इनका दुरुपयोग (जैसे मनी लॉन्ड्रिंग, कर चोरी) सार्वभौमिक नैतिक कर्तव्यों का उल्लंघन करता है, जो ज़िम्मेदार उपयोग की आवश्यकता को दर्शाता है।
- रूसो का सामाजिक अनुबंध सिद्धांत: जब व्यक्ति अवैध लाभ के लिये क्रिप्टोकरेंसी का प्रयोग करते हैं, तो वे सामाजिक अनुबंध को कमज़ोर करते हैं। समाज के हित को व्यक्तिगत लाभ से ऊपर रखना चाहिये, जिसके लिये नैतिक विनियमन की आवश्यकता होती है।
- प्रौद्योगिकी तक पहुँच बनाम डिजिटल विभाजन
- रॉल्स का न्याय सिद्धांत: केवल 38% भारतीय परिवार डिजिटल साक्षर हैं, ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी असमानता को और बढ़ा सकती है तथा "न्याय का सिद्धांत" यानी निष्पक्षता का उल्लंघन करती है।
- क्षमता दृष्टिकोण (अमर्त्य सेन): नैतिक शासन का उद्देश्य यह होना चाहिये कि क्रिप्टोकरेंसी सभी के लिये सुलभ हो, जिससे व्यक्तियों की क्षमताएँ बढ़ें और किसी को भी बाहर न किया जाए।
- अवसर की समानता: यह आवश्यक है कि क्रिप्टोकरेंसी के लाभ हाशिये पर रहने वाले समुदायों तक भी पहुँचें, ताकि निष्पक्षता को बढ़ावा दिया जा सके।
- पर्यावरणीय प्रभाव बनाम तकनीकी प्रगति
- सतत् नैतिकता: क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग में ऊर्जा की अत्यधिक खपत पर्यावरणीय स्थिरता को लेकर चिंताएँ उत्पन्न करती है, जिससे तकनीकी प्रगति और पारिस्थितिक प्रभाव के बीच एक नैतिक दुविधा उत्पन्न हो जाती है।
- परिणामवाद: माइनिंग से होने वाला दीर्घकालिक पर्यावरणीय नुकसान, अल्पकालिक वित्तीय लाभ से अधिक हो सकता है, इसलिये पारिस्थितिक क्षति को कम करने के लिये नियमन आवश्यक है।
- विनियामक निगरानी बनाम नवाचार
- उदारवादी नैतिकता: क्रिप्टोकरेंसी मूलतः वित्तीय स्वतंत्रता और सरकारी नियंत्रण से मुक्ति को बढ़ावा देती है। हालाँकि यह आवश्यक है कि ऐसा संतुलन स्थापित हो जहाँ नवाचार बना रहे, लेकिन साथ ही संभावित हानि को रोकने हेतु नैतिक विनियमन भी हो।
क्रिप्टोकरेंसी द्वारा प्रस्तुत नैतिक चुनौतियों के मद्देनजर, मज़बूत नियामक उपायों को स्थापित करना महत्त्वपूर्ण है जो संभावित नुकसान को कम करते हुए उनके सकारात्मक योगदान को सुनिश्चित करते हैं।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी विनियमन को मज़बूत करने के उपाय:
- वित्तीय साक्षरता और समावेशिता को बढ़ावा देना: क्रिप्टोकरेंसी तक न्यायसंगत पहुँच सुनिश्चित करना निष्पक्षता के लिये आवश्यक है, जैसा कि रॉल्स के न्याय के सिद्धांत में दर्शाया गया है।
- डिजिटल साक्षरता और बुनियादी ढाँचे में सुधार व्यक्तियों को सशक्त बनाने और उन्हें क्रिप्टोकरेंसी पारिस्थितिकी तंत्र में भाग लेने में सक्षम बनाने की कुंजी है।
- अवैध गतिविधियों को रोकने के लिये विनियमन: क्रिप्टोकरेंसी को अवैध गतिविधियों के लिये उपयोग किये जाने से रोकने के लिये KYC विनियमन को लागू करना महत्त्वपूर्ण है, साथ ही समाज की रक्षा के नैतिक कर्त्तव्य का पालन करना भी आवश्यक है, जैसा कि कांटियन नैतिकता में कहा गया है।
- विनियमों को सामूहिक भलाई को प्राथमिकता देनी चाहिये, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि क्रिप्टोकरेंसी का दुरुपयोग मनी लॉन्ड्रिंग या कर चोरी के लिये न किया जाए, जैसा कि सामाजिक अनुबंध सिद्धांत द्वारा सुझाया गया है।
- क्रिप्टोकरेंसी खनन में पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना: सस्टेनेबिलिटी एथिक्स (सततता नैतिकता) के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी खनन के पर्यावरणीय प्रभाव को नियंत्रित करना आवश्यक है। इसके लिये हरित ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये, ताकि पारिस्थितिकीय ज़िम्मेदारी सुनिश्चित की जा सके।
- सार्वजनिक सुरक्षा की रक्षा करते हुए गोपनीयता सुनिश्चित करना: नीतिवादी नैतिकता (Deontological Ethics) के अनुसार, गोपनीयता और पारदर्शिता के बीच संतुलन बनाए रखना ज़रूरी है ताकि किसी प्रकार की हानि न हो। क्रिप्टो सिस्टम को ऐसा होना चाहिये जो उपयोगकर्त्ताओं की गोपनीयता का सम्मान करना, साथ ही सार्वजनिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना।
- विनियमनों में ऐसा संतुलन बनाया जाना चाहिये जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामूहिक भलाई दोनों को पूरा करना तथा प्रौद्योगिकी के उपयोग में नैतिक ज़िम्मेदारी को कायम रखना, जैसा कि भारतीय पौराणिक कथाओं (धर्म) में कहा गया है।
- नैतिक सीमाओं के साथ नवाचार की अनुमति देना: क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए, शोषण को रोकने और उपभोक्ता संरक्षण सुनिश्चित करने के लिये नैतिक सीमाएँ निर्धारित करना आवश्यक है, जैसा कि लिबरटेरियन एथिक्स द्वारा सुझाया गया है।
- विनियमन और जवाबदेही लागू करना: नैतिक व्यवहार को स्पष्ट नियामक ढाँचे और आचार संहिता के माध्यम से बढ़ावा दिया जाना चाहिये, सभी क्रिप्टोकरेंसी हितधारकों के बीच ज़िम्मेदारी और जवाबदेही पर जोर देना चाहिये, जैसा कि सदाचार नैतिकता द्वारा समर्थन की गई है।
- उल्लंघन के मामलों में विशुद्ध रूप से दंडात्मक उपायों के बजाय शिक्षा और क्षतिपूर्ति पर ध्यान केंद्रित करने से क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र में नैतिक जुड़ाव को बढ़ावा मिलेगा, जैसा कि रिस्टोरेटिव जस्टिस द्वारा कहा गया है।
निष्कर्ष
समाज में क्रिप्टोकरेंसी के सकारात्मक योगदान को सुनिश्चित करने के लिये संयम, न्याय और ज़िम्मेदार शासन की आवश्यकता सर्वोपरि है। जैसा कि "सच्चा नवाचार बनाने की स्वतंत्रता में नहीं, बल्कि विनियमित करने की बुद्धिमत्ता में निहित है, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रगति समाज की अखंडता से समझौता किये बिना समाज का उत्थान करती है।"
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