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मीरा भारत की एक सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी में वरिष्ठ कार्यपालक हैं, जो नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में विशेषज्ञता रखती है। यह कंपनी एक दूरदराज़ क्षेत्र में एक बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र के निर्माण हेतु एक सरकारी अनुबंध के लिये बोली लगाने की प्रक्रिया में है। यह अनुबंध अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धात्मक है, जिसमें कई शीर्ष स्तर की कंपनियाँ भाग ले रही हैं और इस अनुबंध को जीतने से मीरा की कंपनी को उल्लेखनीय आर्थिक लाभ एवं व्यापक प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकती है।
कुछ महीने पहले मीरा के देवर राजीव को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में एक वरिष्ठ पद पर नियुक्त किया गया था, जो मंत्रालय उस अनुबंध की निगरानी और स्वीकृति के लिये उत्तरदायी है। मीरा और राजीव के बीच घनिष्ठ संबंध हैं और हालाँकि मीरा जानती है कि राजीव की पेशेवर प्रतिष्ठा मज़बूत है, वह यह भी समझती है कि उन पर सरकार की सौर ऊर्जा पहल को सफल बनाने का काफी दबाव है।
मीरा की कंपनी इस निविदा के प्रमुख दावेदारों में से एक है, लेकिन उसे पता चलता है कि राजीव निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं और यह संभावना है कि वह अपने निजी संबंध के कारण मीरा की कंपनी को परोक्ष रूप से सहायता पहुँचा सकते हैं। मीरा एक अंतर्द्वंद्व में फँसी हुई है: वह जानती है कि उसकी कंपनी इस अनुबंध को पूरा करने में सक्षम है, लेकिन साथ ही यह भी समझती है कि राजीव से पारिवारिक संबंध हितों के टकराव की धारणा को जन्म दे सकते हैं और पक्षपात के आरोप लग सकते हैं।
मीरा की दुविधा इस तथ्य से और भी बढ़ जाती है कि कंपनी के शेयरधारक आक्रामक विस्तार के लिये दबाव डाल रहे हैं तथा यह अनुबंध जीतने से कंपनी का बाज़ार मूल्य काफी बढ़ सकता है। हालाँकि, मीरा नैतिक मानकों, जनधारणाओं तथा अपनी व्यक्तिगत और व्यावसायिक प्रतिष्ठा दोनों की की शुचिता को लेकर भी गहराई से चिंतित है।
प्रश्न:
(a) इस स्थिति में प्रमुख नैतिक दुविधाएँ क्या हैं?
(b) चूँकि मीरा की राजीव से पारिवारिक संबंध है, ऐसे में बोली प्रक्रिया में अपनी भागीदारी को नैतिक और पारदर्शी बनाये रखने के लिये उसे कौन-कौन से कदम उठाने चाहिये?
(c) विशेषकर सार्वजनिक क्षेत्र के अनुबंधों में, कॉर्पोरेट प्रशासन संबंधी निर्णयों को व्यक्तिगत संबंधों से प्रभावित होने देने के क्या संभावित जोखिम हो सकते हैं और ये जोखिम कंपनी की दीर्घकालिक सफलता को किस प्रकार प्रभावित कर सकते हैं?
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