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प्रश्न :
आप प्रमुख उत्तर भारतीय शहर (जो यमुना नदी के किनारे स्थित है) में नगर निगम आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं। यह नदी शहर की जीवनरेखा है, जो घरेलू, औद्योगिक तथा कृषि उपयोग के लिये जल प्रदान करती है। हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में यमुना नदी अशोधित सीवेज, औद्योगिक अपशिष्टों और धार्मिक सामग्री के विसर्जन के कारण अत्यधिक प्रदूषित हो गई है। हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण की एक हालिया रिपोर्ट में आपके निगम की सीवेज ट्रीटमेंट के लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहने और अवैध औद्योगिक अपशिष्टों को अनुमति देने के लिये आलोचना की गई है।
कार्यभार ग्रहण करते ही आप पाते हैं कि कई वस्त्र व रंगाई इकाइयाँ रात के समय गुप्त रूप से नदी में अशोधित अपशिष्ट उत्सर्जित कर रही हैं। आपके अधिकार क्षेत्र में आने वाले कई सीवेज उपचार संयंत्र या तो काम नहीं कर रहे हैं या अपनी क्षमता से बहुत कम पर काम कर रहे हैं, जिसका एक कारण रखरखाव के अनुबंधों में व्याप्त भ्रष्टाचार है। धार्मिक संगठन सांस्कृतिक परंपराओं का हवाला देते हुए नदी में मूर्तियाँ और पुष्पांजलि विसर्जित करना जारी रखे हुए हैं और इनके विरुद्ध किसी भी प्रकार की रोक का विरोध कर रहे हैं और जन-भावनाओं को भड़का रहे हैं।
पर्यावरण कार्यकर्त्ता एक अभियान चला रहे हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित कर रहा है, जबकि स्थानीय मीडिया ने त्वचा रोगों के बढ़ते मामलों और जलीय जीवन के नुकसान को सीधे नदी की स्थिति से जोड़ना शुरू कर दिया है। वहीं, राजनीतिक नेतागण आपको आगामी चुनावों तक प्रवर्तन में धीमी गति से आगे बढ़ने की सलाह देते हैं और चेतावनी देते हैं कि उद्योगों या धार्मिक समूहों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई से अशांति भड़क सकती है। इस बीच, सरकार ने आपको नदी पुनरुद्धार के लिये एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया है।
- इस मामले से जुड़े नैतिक मुद्दों का अभिनिर्धारण कीजिये और उन पर चर्चा कीजिये।
- आप पर्यावरणीय दायित्व को राजनीतिक और सांस्कृतिक दबावों के साथ किस प्रकार संतुलित करेंगे?
- आप औद्योगिक अनुपालन में जवाबदेही तथा सीवेज ट्रीटमेंट के संचालन में पारदर्शिता किस प्रकार सुनिश्चित करेंगे?
- सतत् नदी प्रबंधन के लिये प्रमुख उपायों का सुझाव दीजिये और आपका मार्गदर्शन करने वाले नैतिक मूल्यों की विवेचना कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- संदर्भ स्थापित करने के लिये स्थिति का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
- इस मामले में शामिल नैतिक मुद्दों का अभिनिर्धारण कीजिये और उनकी विवेचना कीजिये।
- पर्यावरणीय दायित्व को राजनीतिक और सांस्कृतिक दबावों के साथ संतुलित करने के उपायों पर चर्चा कीजिये।
- औद्योगिक अनुपालन में उत्तरदायित्व और सीवेज ट्रीटमेंट कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के तंत्रों पर प्रकाश डालिये।
- नदी प्रबंधन के स्थायी प्रबंधन के लिये प्रमुख उपायों का सुझाव दीजिये और मार्गदर्शक नैतिक मूल्यों का उल्लेख कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
यमुना नदी शहर की जीवनरेखा है, जो घरेलू, कृषि तथा औद्योगिक आवश्यकताओं की पूर्ति करती है तथा जिसका गहन सांस्कृतिक महत्त्व भी है। किंतु बिना शुद्ध किया गया सीवेज, औद्योगिक अपशिष्ट और अनियंत्रित धार्मिक अर्पणों/अनुष्ठानों के कारण इसकी गंभीर प्रदूषण-स्थिति एक जटिल नैतिक एवं प्रशासनिक चुनौती प्रस्तुत करती है।
मुख्य भाग:
A. नैतिक मुद्दे
- पर्यावरणीय नैतिकता - वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिये नदी के पारिस्थितिक स्वास्थ्य की रक्षा करने का कर्त्तव्य (अंतर-पीढ़ीगत समता)।
- जन स्वास्थ्य उत्तरदायित्व - बढ़ती त्वचा संबंधी बीमारियाँ और पारिस्थितिक क्षरण, गैर-हानिकारकता के सिद्धांत का पालन करने की माँग करते हैं।
- ईमानदारी और भ्रष्टाचार-विरोधी - सीवेज ट्रीटमेंट कार्यों में कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार जनता के विश्वास को कम करते हैं।
- कानून का शासन बनाम राजनीतिक दबाव - चुनावी विचारों के बावजूद पर्यावरणीय कानूनों को बनाए रखना।
- सांस्कृतिक संवेदनशीलता बनाम स्थिरता - पारिस्थितिक क्षति को रोकते हुए परंपराओं का सम्मान करने की आवश्यकता।
- पारदर्शिता और जवाबदेही - नागरिकों के समक्ष पर्यावरणीय आँकड़ों का सच्चाई से खुलासा करने का दायित्व।
B. राजनीतिक और सांस्कृतिक दबावों के साथ पर्यावरणीय कर्त्तव्य का संतुलन
- हितधारक जुड़ाव - जैव-निम्नीकरणीय मूर्तियों और निर्दिष्ट विसर्जन टैंकों जैसे पर्यावरण-अनुकूल अनुष्ठानों को बढ़ावा देने के लिये धार्मिक नेताओं के साथ सहयोग करना चाहिये।
- चरणबद्ध प्रवर्तन - अचानक आर्थिक झटकों से बचने के लिये औद्योगिक अनुपालन को धीरे-धीरे सख्त करना चाहिये, अपशिष्ट जल उपचार उन्नयन के लिये सब्सिडी प्रदान की जानी चाहिये।
- राजनीतिक मार्गदर्शन - प्रदूषण नियंत्रण को सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधार से जोड़ने वाले आँकड़े प्रस्तुत किये जाने चाहिये और चुनावों से पहले इसे शासन की सफलता के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिये।
- जन जागरूकता - अभियानों के माध्यम से नदी पुनरुद्धार को सांस्कृतिक गौरव से जोड़ा जाना चाहिये, पर्यावरण संरक्षण को एक साझा सामुदायिक मूल्य बनाया जाना चाहिये।
C. जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना
- औद्योगिक अनुपालन:
- निष्कासन बिंदुओं पर GPS-सक्षम प्रवाह मीटर और CCTV स्थापित किये जाने चाहिये।
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर रात्रिकालीन औचक निरीक्षण किया जाना चाहिये।
- आगे के उल्लंघनों को रोकने के लिये उल्लंघनकर्त्ताओं का सार्वजनिक रूप से नाम बताते हुए उन्हें दंडित किया जाना चहिये।
- सीवेज ट्रीटमेंट संचालन:
- सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्रों (STP) के लिये तृतीय-पक्ष तकनीकी ऑडिट अनिवार्य किया जाना चहिये।
- STP क्षमता और प्रदर्शन का एक वास्तविक समय सार्वजनिक डैशबोर्ड लॉन्च किया जाना चहिये।
- भ्रष्ट अनुबंधों को रद्द किया जाना चहिये और पारदर्शी ई-खरीद के माध्यम से नई निविदाएँ प्रदान की जानी चहिये।
D. सतत् नदी प्रबंधन के लिये प्रमुख उपाय
अल्पकालिक
- मौजूदा STP की मरम्मत की जानी चाहिये और उनका अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिये।
- अवैध औद्योगिक उत्सर्जन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिये।
- मूर्ति विसर्जन के लिए वैकल्पिक सुविधाएँ प्रदान की जानी चाहिये।
मध्यम अवधि
- उन्नत उपचार तकनीकों के साथ STP का उन्नयन किया जाना चाहिये।
- उद्योगों के लिए शून्य-तरल उत्सर्जन मानदंड लागू किया जाना चाहिये।
- नदी निगरानी में निवासी कल्याण संघों और स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों को शामिल किया जाना चाहिये।
दीर्घकालिक
- आर्द्रभूमि और हरित बफर ज़ोन के माध्यम से नदी तट की पारिस्थितिकी को पुनर्स्थापित किया जाना चाहिये।
- नदी स्वास्थ्य संकेतकों को नगर नियोजन और पर्यावरणीय प्रभाव आकलन में एकीकृत किया जाना चाहिये।
- स्कूलों और समुदायों में सतत् पर्यावरण शिक्षा को संस्थागत बनाया जाना चाहिये।
कार्यवाई का मार्गदर्शन करने वाले नैतिक मूल्य
- सत्यनिष्ठा - भ्रष्टाचार और राजनीतिक हस्तक्षेप का विरोध करना चाहिये।
- जवाबदेही - पारदर्शी कार्य निष्पादन रिपोर्टिंग।
- पर्यावरण प्रबंधन - ट्रस्टी के रूप में प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा करनी चाहिये।
- सहानुभूति - सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान करते हुए उनका स्थायित्व सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
- साहस - राजनीतिक दबाव के बावजूद निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिये।
- न्याय - सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि प्रदूषक उपचार की लागत वहन करें।
निष्कर्ष:
पर्यावरणीय नैतिकता के जनक एल्डो लियोपोल्ड ने कहा था, "कोई कार्य तब सही है जब वह जैविक समुदाय की अखंडता, संधारणीयता और सुंदरता को बनाए रखता है और तब गलत है जब वह इसके विपरीत होता है।" यमुना इस समुदाय का एक हिस्सा है और उसका संरक्षण एक नैतिक आवश्यकता है। मेरे प्रयास — चाहे वह औद्योगिक नियंत्रण हों या सांस्कृतिक अनुकूलन, उसकी पारिस्थितिक अखंडता को मज़बूत करेंगे तथा समुदाय में संरक्षण की भावना को प्रोत्साहित करेंगे।
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