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स्टेट पी.सी.एस.

  • 22 Nov 2025
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उत्तर प्रदेश Switch to English

दुधवा नेशनल पार्क में विस्टाडोम जंगल सफारी

चर्चा में क्यों?

मैलानी-बिछिया मार्ग पर विस्टाडोम जंगल सफारी ट्रेन से पर्यटकों की संख्या में तीव्र वृद्धि देखी गई है, जिससे दुधवा टाइगर रिज़र्व में इको-पर्यटन को प्रोत्साहन मिला है।

मुख्य बिंदु

  • विस्टाडोम रेलवे के बारे में:
    • विस्टाडोम सफारी मई 2024 में प्रारंभ की गई, जो 107 किलोमीटर लंबे मैलानी-बिछिया नैरो-गेज मार्ग पर संचालित होती है।
    • इसमें कोचों में बड़े ग्लास विंडो, पारदर्शी छत और 360° दृश्यावलोकन की सुविधा है, जो जंगलों, दलदली क्षेत्रों एवं वन्यजीवन के सजीव दृश्य अनुभव प्रदान करते हैं।
    • उत्तर प्रदेश ईको-टूरिज़्म बोर्ड इस ट्रेन का उपयोग छात्रों के लिये साप्ताहिक शैक्षिक प्रकृति पर्यटन के रूप में कर रहा है।
  • दुधवा टाइगर रिज़र्व (DTR):
    • यह उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले में स्थित है एवं इसमें दुधवा नेशनल पार्क, किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य तथा कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य सम्मिलित हैं।
    • यह पारंपरिक तराई-भाबर पारिस्थितिकी तंत्र का प्रतिनिधित्व करता है, जो समृद्ध साल वनों, ऊँची हाथी घास, आर्द्रभूमि और दलदलों से युक्त है। यह भारत के सबसे अधिक उत्पादक वन्यजीव आवासों में से है।
    • यहाँ बाघों की उच्च संख्या पाई जाती है, साथ ही एशियाई हाथी, दलदली हिरण (बरसिंगा), सारस क्रेन, घड़ियाल और गंगा डॉल्फिन भी पाई जाती हैं।
    • यह भारत-नेपाल सीमा पार संरक्षण परिदृश्य का भी हिस्सा है, जो दोनों देशों के बीच बाघ एवं हाथियों की आवागमन के लिये एक महत्त्वपूर्ण गलियारा के रूप में कार्य करता है।

राजस्थान Switch to English

भामाशाह नीति

चर्चा में क्यों?

राजस्थान सरकार ने भामाशाह नीति 2025 को स्वीकृति दे दी है, जिसका उद्देश्य परोपकारी एवं कॉर्पोरेट योगदानों के माध्यम से विद्यालय अवसंरचना में सुधार करना है।

मुख्य बिंदु 

  • नीति के बारे में:
    • यह नीति व्यक्तिगत दानदाताओं, अनिवासी भारतीयों, कॉर्पोरेट संस्थाओं, ट्रस्टों एवं पूर्व छात्र समूहों को सरकारी विद्यालयों की अवसंरचना को सुदृढ़ करने में योगदान देने हेतु प्रोत्साहित करती है।
    • योगदान का उपयोग कक्षाएँ, प्रयोगशालाएँ, पुस्तकालय, स्मार्ट क्लास, खेल के मैदान, पेयजल इकाइयाँ, सीमा दीवारें तथा कैंपस के समग्र सुधार जैसी सुविधाओं के लिये किया जा सकता है।
    • दानदाताओं को राज्य पोर्टल के माध्यम से पट्टिका, प्रमाण-पत्र एवं डिजिटल पावती सहित आधिकारिक मान्यता प्रदान की जाएगी।
    • शिक्षा विभाग द्वारा दाता-वित्तपोषित परियोजनाओं का समय पर क्रियान्वयन, पारदर्शिता एवं निगरानी सुनिश्चित की जाएगी।
  • भामाशाह:
    • भामाशाह (1547–1600) मेवाड़ के महाराणा प्रताप के दरबार में एक प्रसिद्ध कोषाध्यक्ष, सेनापति एवं दानवीर थे।
    • उन्हें मुगल शासन के विरुद्ध महाराणा प्रताप के संघर्ष में सहयोग देने हेतु अपनी संपूर्ण संपत्ति दान करने के लिये याद किया जाता है।
    • उनकी विरासत निस्वार्थ सार्वजनिक सेवा एवं समुदाय-संचालित समर्थन का प्रतीक है, जिसका उल्लेख प्रायः राजस्थान के शासन एवं कल्याणकारी पहलों में किया जाता है।

मध्य प्रदेश Switch to English

विषाणु संक्रमण प्रतिरोध अभ्यास

चर्चा में क्यों?

भारत में जूनोटिक रोगों के प्रकोप के लिये तैयारियों का मूल्यांकन करने हेतु 2 से 5 नवंबर, 2025 तक मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले में विषाणु संरक्षण प्रतिरोध अभ्यास नामक बहु-क्षेत्रीय मॉक अभ्यास का आयोजन किया गया।

मुख्य बिंदु 

  • मॉक अभ्यास के बारे में:
    • इस सांकेतिक अभ्यास में मानव और पशु दोनों में क्रीमियन-कांगो हेमोरेजिक फीवर (CCHF) के प्रकोप पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें वास्तविक समय में जाँच, रोगजनक का पता लगाने, रोकथाम तथा अंतर-एजेंसी समन्वय का परीक्षण किया गया।
    • प्रमुख हितधारकों में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC), भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR), उच्च सुरक्षा पशु रोग प्रयोगशाला (HSADL) भोपाल, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC), पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) आदि शामिल थे।
    • यह अभ्यास भारत के वन हेल्थ दृष्टिकोण (One Health approach) को सुदृढ़ करता है, जो मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य के बीच संबंधों पर ज़ोर देता है तथा एकीकृत रोग नियंत्रण एवं महामारी-तैयारी क्षमता को बढ़ाता है।
  • क्रिमियन-कांगो हेमोरेजिक फीवर (CCHF):
    • CCHF एक वायरल जूनोटिक रोग है, जो क्रिमियन-कांगो हेमोरेजिक फीवर वायरस (CCHFV) के कारण होता है। यह बुन्याविरिडे परिवार का एक नैरोवायरस है।
      • यह मुख्यतः हायलोमा कीट, संक्रमित पशुओं (भेड़, बकरी, गाय) के संपर्क या संक्रमित मानव के रक्त/ऊतक के संपर्क में आने से फैलता है।
    • CCHF अफ्रीका, मध्य पूर्व, मध्य एशिया, पूर्वी यूरोप और दक्षिण एशिया में स्थायी रूप से फैला हुआ है तथा भारत में गुजरात तथा राजस्थान में स्थानीय प्रकोप देखने को मिलता है। यह प्रकोप अक्सर पशु परिवहन और मौसमी कीट गतिविधि से संबंधित होते हैं।
    • इसकी सक्रियावस्था (इन्क्यूबेशन) 1–13 दिन की होती है। गंभीर मामलों में तेज़ बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, यकृत संबंधी लक्षण और रक्तस्राव दिखाई देते हैं। 
    • मृत्यु दर 10–40% तक होती है, जिससे यह सबसे खतरनाक वायरल हेमोरेजिक बुखार में शामिल है और सख्त संक्रमण नियंत्रण प्रोटोकॉल की आवश्यकता होती है।
    • मानव के लिये इसका कोई स्वीकृत टीका नहीं है। उपचार में प्रारंभिक पहचान, सहायक देखभाल और बैरियर नर्सिंग शामिल है तथा कभी-कभी रिबाविरिन का उपयोग किया जाता है, हालाँकि इसके लाभ के प्रमाण अलग-अलग होते हैं।

झारखंड Switch to English

अबुआ आवास योजना के तहत बिरहोर समुदाय को मिले घर

चर्चा में क्यों?

झारखंड के चतरा ज़िले में आठ बिरहोर परिवारों को अबुआ आवास योजना के तहत स्थायी मकान प्रदान किये गए हैं, जो वंचित आदिवासी समुदायों के लिये आवास सुरक्षा में सुधार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

मुख्य बिंदु

  • अबुआ आवास योजना के बारे में:
    • यह झारखंड की राज्य संचालित आवास योजना है, जो बेघर और वंचित परिवारों को निःशुल्क, स्थायी पक्के मकान (तीन कमरे, रसोई एवं स्नान घर) उपलब्ध कराती है।
    • इस योजना में वे परिवार सम्मिलित हैं जिन्हें पहले पीएम-आवास या अन्य आवास कार्यक्रमों के तहत लाभ नहीं मिला है।
    • प्राथमिकता वाले लाभार्थियों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति परिवार, PVTG, एकल महिलाएँ तथा आर्थिक रूप से कमज़ोर ग्रामीण परिवार शामिल हैं।
  • बिरहोर समुदाय:
    • बिरहोर झारखंड के विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) में से एक है, जो परंपरागत रूप से रस्सी निर्माण और लघु वनोपज जैसी वन-आधारित आजीविका पर निर्भर करता है।
    • समुदाय उच्च स्तर की गरीबी, कम साक्षरता तथा औपचारिक आवास और कल्याणकारी योजनाओं तक सीमित पहुँच जैसी चुनौतियों का सामना करता है।

उत्तराखंड Switch to English

बागेश्वर में सोपस्टोन खनन

चर्चा में क्यों?

सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड के बागेश्वर ज़िले में कानूनी रूप से अनुमत खनन गतिविधियों को पुनः शुरू करने की अनुमति दी है, क्योंकि वैध पट्टा और पर्यावरणीय मंज़ूरी होने पर उच्च न्यायालय सभी खनन गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगा सकता।

  • उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने फरवरी 2025 में पर्यावरणीय क्षति का हवाला देते हुए ज़िलों में खनन गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था।

मुख्य बिंदु

  • बागेश्वर में खनन:
    • बागेश्वर में सोपस्टोन खनन एक प्रमुख आर्थिक गतिविधि है, जो सैकड़ों स्थानीय लोगों के लिये रोज़गार सृजित करता है तथा क्षेत्रीय टैल्क प्रसंस्करण इकाइयों को समर्थन प्रदान करता है।
    • सोपस्टोन (टैल्क) खनन कांडा, कपकोट और विजयपुर जैसे क्षेत्रों में केंद्रित है, जहाँ उत्तराखंड के सबसे समृद्ध टैल्क भंडार मौजूद हैं।
    • आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले 5 वर्षों में बागेश्वर की खानों से लगभग 18 लाख टन सोपस्टोन निकाला गया है।
    • अत्यधिक खनन के कारण भूमि क्षरण, ढलान अस्थिरता और भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। 
      • भारी ट्रकों की आवाजाही के कारण नदी के किनारों और गाँव की सड़कों को नुकसान पहुँचा है।
  • सोपस्टोन:
    • सोपस्टोन एक नरम रूपांतरित चट्टान है, जो क्लोराइट, डोलोमाइट और मैग्नेसाइट की अलग-अलग मात्रा के साथ टैल्क से निर्मित होती है।
    • इसका उपयोग सिरेमिक, सौंदर्य प्रसाधन, फार्मास्यूटिकल्स, कागज़, खाद्य प्रसंस्करण, पेंट और विद्युत इन्सुलेटर में किया जाता है।
    • प्रमुख उत्पादक राज्य में राजस्थान (सबसे बड़ा), उत्तराखंड, कर्नाटक और तमिलनाडु शामिल हैं।
    • उत्तराखंड का निक्षेप मुख्यतः बागेश्वर, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा ज़िले में स्थित है।

उत्तर प्रदेश Switch to English

यमुना क्षेत्र पेयजल योजना

चर्चा में क्यों?

आगरा नगर निगम ने यमुना क्षेत्र पेयजल परियोजना का कार्यान्वयन प्रारंभ कर दिया है, जो आगरा में जल संकट वाले क्षेत्रों में स्वच्छ तथा उपचारित पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करेगी।

मुख्य बिंदु 

  • परियोजना के बारे में:
    • इस परियोजना का उद्देश्य खेरिया मोड़, सदर भट्टी, नुन्हाई और ट्रांस-यमुना आगरा के कुछ हिस्सों सहित लगातार जल संकट से प्रभावित क्षेत्रों में घरों तक पीने योग्य पानी की निरंतर पहुँच प्रदान करना है।
    • जल कीठम झील (सूर सरोवर) नहर प्रणाली से प्राप्त किया जाएगा और एक नई जल उपचार सुविधा में उपचारित किया जाएगा तथा फिर एक उन्नत वितरण नेटवर्क के माध्यम से आपूर्ति की जाएगी।
    • इस योजना में नई पाइपलाइनें बिछाना, पुरानी पाइपलाइनों की मरम्मत, ओवरहेड टैंक स्थापित करना तथा व्यक्तिगत जल कनेक्शन से वंचित घरों के लिये अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना शामिल है। 
  • कीठम झील:
    • कीठम झील, जिसे सूर सरोवर के नाम से भी जाना जाता है, आगरा-दिल्ली NH-2 कॉरिडोर पर स्थित एक मानव निर्मित झील है, जिसे आगरा नहर के लिये जलाशय के रूप में निर्मित किया गया है।
    • यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत अधिसूचित सूर सरोवर पक्षी अभयारण्य का हिस्सा है और इसे रामसर साइट के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।

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