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मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 22 Nov 2025
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विषाणु संक्रमण प्रतिरोध अभ्यास

चर्चा में क्यों?

भारत में जूनोटिक रोगों के प्रकोप के लिये तैयारियों का मूल्यांकन करने हेतु 2 से 5 नवंबर, 2025 तक मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले में विषाणु संरक्षण प्रतिरोध अभ्यास नामक बहु-क्षेत्रीय मॉक अभ्यास का आयोजन किया गया।

मुख्य बिंदु 

  • मॉक अभ्यास के बारे में:
    • इस सांकेतिक अभ्यास में मानव और पशु दोनों में क्रीमियन-कांगो हेमोरेजिक फीवर (CCHF) के प्रकोप पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें वास्तविक समय में जाँच, रोगजनक का पता लगाने, रोकथाम तथा अंतर-एजेंसी समन्वय का परीक्षण किया गया।
    • प्रमुख हितधारकों में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC), भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR), उच्च सुरक्षा पशु रोग प्रयोगशाला (HSADL) भोपाल, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC), पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) आदि शामिल थे।
    • यह अभ्यास भारत के वन हेल्थ दृष्टिकोण (One Health approach) को सुदृढ़ करता है, जो मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य के बीच संबंधों पर ज़ोर देता है तथा एकीकृत रोग नियंत्रण एवं महामारी-तैयारी क्षमता को बढ़ाता है।
  • क्रिमियन-कांगो हेमोरेजिक फीवर (CCHF):
    • CCHF एक वायरल जूनोटिक रोग है, जो क्रिमियन-कांगो हेमोरेजिक फीवर वायरस (CCHFV) के कारण होता है। यह बुन्याविरिडे परिवार का एक नैरोवायरस है।
      • यह मुख्यतः हायलोमा कीट, संक्रमित पशुओं (भेड़, बकरी, गाय) के संपर्क या संक्रमित मानव के रक्त/ऊतक के संपर्क में आने से फैलता है।
    • CCHF अफ्रीका, मध्य पूर्व, मध्य एशिया, पूर्वी यूरोप और दक्षिण एशिया में स्थायी रूप से फैला हुआ है तथा भारत में गुजरात तथा राजस्थान में स्थानीय प्रकोप देखने को मिलता है। यह प्रकोप अक्सर पशु परिवहन और मौसमी कीट गतिविधि से संबंधित होते हैं।
    • इसकी सक्रियावस्था (इन्क्यूबेशन) 1–13 दिन की होती है। गंभीर मामलों में तेज़ बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, यकृत संबंधी लक्षण और रक्तस्राव दिखाई देते हैं। 
    • मृत्यु दर 10–40% तक होती है, जिससे यह सबसे खतरनाक वायरल हेमोरेजिक बुखार में शामिल है और सख्त संक्रमण नियंत्रण प्रोटोकॉल की आवश्यकता होती है।
    • मानव के लिये इसका कोई स्वीकृत टीका नहीं है। उपचार में प्रारंभिक पहचान, सहायक देखभाल और बैरियर नर्सिंग शामिल है तथा कभी-कभी रिबाविरिन का उपयोग किया जाता है, हालाँकि इसके लाभ के प्रमाण अलग-अलग होते हैं।

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