छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ में फ्लाई ऐश के बढ़ते दुष्प्रभाव
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कोरबा जैसे ज़िलों में ताप विद्युत संयंत्रों और कोयला खदानों से निकलने वाली फ्लाई ऐश के कारण लगातार बने हुए पर्यावरणीय तथा जन-सुरक्षा खतरों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
मुख्य बिंदु
- फ्लाई ऐश के बारे में:
- फ्लाई ऐश कोयला दहन से उत्पन्न एक सूक्ष्म-कणीय अवशेष है; इसमें सिलिका, एल्युमिना, आयरन ऑक्साइड तथा भारी धातुएँ होती हैं।
- यह औद्योगिक उप-उत्पाद के रूप में वर्गीकृत है तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के फ्लाई ऐश उपयोग दिशानिर्देशों के तहत विनियमित किया जाता है।
- इसका मुख्य रूप से सीमेंट, ईंटों, खदान बैकफिलिंग, सड़क निर्माण और भूमि सुधार में उपयोग किया जाता है।
- अप्रबंधित फ्लाई ऐश से श्वसन संबंधी समस्याएँ, भू-जल प्रदूषण तथा मृदा की उर्वरता में कमी होती है।
- भारत का लक्ष्य 100% फ्लाई ऐश का उपयोग करना है, लेकिन छत्तीसगढ़ सहित कई राज्य इस लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
- कोरबा माइंस:
- छत्तीसगढ़ में कोरबा ज़िले को इसके विशाल कोयला भंडार तथा ताप विद्युत संयंत्रों की सघनता के कारण “भारत की विद्युत राजधानी” के रूप में जाना जाता है।
- इसमें कोरबा कोलफील्ड स्थित है, जिसका संचालन मुख्य रूप से SECL (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) द्वारा किया जाता है तथा यह गेवरा, दीपका और कुसमुंडा जैसी प्रमुख खदानों के साथ भारत के सबसे बड़े ओपन-कास्ट कोयला-खनन समूहों में से एक है।
- गेवरा खदान उत्पादन की दृष्टि से एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदानों में से एक है, जिससे कोरबा भारत की घरेलू कोयला आपूर्ति में महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता बन गया है तथा यह कई राज्य और केंद्रीय विद्युत संयंत्रों के लिये एक प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता है।
- इस क्षेत्र के कोयले में उच्च राख सामग्री (30–40%) पाई जाती है, जिसके परिणामस्वरूप फ्लाई ऐश का उत्पादन भी अत्यधिक होता है। इससे वायु प्रदूषण, धूल-उत्सर्जन, भूमि-क्षरण तथा भारी वाहनों की निरंतर आवाजाही के कारण सड़कों की दुर्दशा जैसी समस्याएँ बनी रहती हैं।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
विश्व मत्स्य दिवस 2025
चर्चा में क्यों?
भारत ने 21 नवंबर, 2025 को विश्व मत्स्य दिवस मनाया, जिसमें सततता, नीली अर्थव्यवस्था के संवर्द्धन तथा मत्स्यपालकों की आजीविका में संरचनात्मक सुधार को केंद्रित करते हुए गतिविधियों का संचालन किया गया।
मुख्य बिंदु
- विश्व मत्स्य दिवस के बारे में:
- प्रतिवर्ष 21 नवंबर को मनाए जाने वाले इस दिवस की उत्पत्ति वर्ष 1997 में विश्व मत्स्य मंच के गठन से संबद्ध है, जब 18 देशों के प्रतिनिधि नई दिल्ली में सतत् मत्स्यन तथा मत्स्यपालक समुदायों के संरक्षण एवं संवर्धन के उद्देश्य से सम्मिलित हुए थे, फलस्वरूप भारत इस वैश्विक आयोजन का उद्गम-स्थल बन गया।
- विषय:
- वर्ष 2025 का विषय है ‘भारत की जलजनित अर्थव्यवस्था में बदलाव: समुद्री खाद्य वस्तुओं के निर्यात में मूल्यवर्धन’।
- रैंकिंग:
- भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य-उत्पादक देश है तथा विश्व के शीर्ष झींगा उत्पादकों में शामिल है।
- कुल मत्स्य उत्पादन वर्ष 2013–14 के 96 लाख टन से बढ़कर वर्ष 2024–25 में 195 लाख टन हो गया।
- समुद्री उत्पादों का निर्यात 11.08% बढ़ा, जो अक्टूबर 2024 में 0.81 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर अक्टूबर 2025 में 0.90 अरब अमेरिकी डॉलर पहुँच गया।
- प्रमुख पहल:
- सरकार ने सुरक्षित, पारदर्शी और वैश्विक मानकों के अनुरूप समुद्री खाद्य आपूर्ति शृंखला सुनिश्चित करने हेतु राष्ट्रीय मत्स्य एवं जलीय कृषि अनुरेखण ढाँचा (National Framework on Traceability in Fisheries & Aquaculture) प्रारंभ किया है।
- EEZ नियमों के तहत मत्स्य-संसाधनों के सतत् उपयोग से पर्यावरणीय रूप से उत्तरदायी गहरे समुद्र में मत्स्यन को प्रोत्साहन मिलता है, जिसमें मत्स्य सहकारी समितियों और FFPOs को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे लघु स्तर के मत्स्यपालकों के लिये आय के अवसर सृजित होते हैं।
- ReALCRaft एक डिजिटल मंच है, जो ऑनलाइन पंजीकरण, लाइसेंसिंग, ई-पेमेंट तथा पोत डेटा अपडेट की सुविधा देता है और एकीकृत निरीक्षणों के माध्यम से पेपरलेस मत्स्य प्रशासन सुनिश्चित करता है।
नभमित्र (NABHMITRA) 20 मीटर से कम आकार वाले छोटे पोतों हेतु दो-तरफा उपग्रह संचार प्रणाली है, जो वास्तविक समय में ट्रैकिंग, SOS अलर्ट और मौसम अपडेट प्रदान करती है, जिससे मत्स्यपालकों की सुरक्षा तथा तटीय प्राधिकरणों के साथ समन्वय में सुधार होता है।
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