छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ पीसीएस मुख्य परीक्षा का पाठ्यक्रम
- 01 May 2025
- 33 min read
छत्तीसगढ़ राज्य सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा का पाठ्यक्रम अभ्यर्थियों का मूल्यांकन विभिन्न विषयों में व्यापक स्तर पर करने के लिये तैयार किया गया है, जिसमें भाषा, निबंध लेखन, सामान्य अध्ययन तथा दर्शनशास्त्र शामिल हैं, साथ ही छत्तीसगढ़ के इतिहास, संस्कृति तथा प्रशासन पर विशेष ध्यान दिया गया है।
कवर किये गए विषयों पर स्पष्टता प्रदान करने के लिये विस्तृत पाठ्यक्रम नीचे दिया गया है।
प्रश्न पत्र- I (भाषा)
अंक: 200
अवधि: 3 घंटे
भाग -1 सामान्य हिन्दी
- भाषा-बोध, संक्षिप्त लेखन, पर्यायवाची एवं विलोम शब्द, समोच्चरित शब्दों के अर्थ भेद, वाक्यांश के लिये एक सार्थक शब्द, संधि एवं संधि- विच्छेद, सामासिक पदरचना एवं समास विग्रह, तत्सम एवं तद्भव शब्द, शब्द शुद्धि, वाक्य शुद्धि, उपसर्ग एवं प्रत्यय, मुहावरे एवं लोकोक्ति (अर्थ एवं प्रयोग), पत्र लेखन। हिंदी साहित्य के इतिहास में काल विभाजन एवं नामकरण एवं उनकी रचनाएँ। अपठित गद्यांश, शब्द युग्म, प्रारूप लेखन, विज्ञापन, प्रपत्र, परिपत्र, पृष्ठांकन, अधिसूचना, टिप्पणी लेखन, शासकीय एवं अर्द्धशासकीय पत्र, प्रतिवेदन, पत्रकारिता, अनुवाद कार्य (हिंदी से अंग्रेज़ी तथा अंग्रेज़ी से हिंदी)।
अनुभाग-2 सामान्य अंग्रेज़ी:-
Comprehension, Precis Writing, Re arrangement and Correction of Sentences, Synonyms, Antonyms, Filling the Blanks, Correction of Spellings, Vocabulary and usage, Idioms and Phrases, Tenses, Prepositions, Active Voice and Passive voice, Parts of Speech.
भाग-3 छत्तीसगढ़ी भाषा :-
- छत्तीसगढ़ी का ज्ञान, छत्तीसगढ़ी भाषा का विकास एवं इतिहास, छत्तीसगढ़ी भाषा का साहित्य एवं प्रमुख साहित्यकार, छत्तीसगढ़ी का व्याकरण, शब्द साधन - संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, वाच्य, अव्यय (क्रिया विशेषण, संबंध बोधक, विस्मयादी बोधक), कारक, काल, लिंग, वचन, शब्द रचना की विधियाँ, उपसर्ग, प्रत्यय संधि (अ) हिंदी में संधि (ब) छत्तीसगढ़ी में संधि, समास, छत्तीसगढ़ी, राजभाषा आयोग, छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास में समाचार पत्रों पत्रिकाओं, आकाशवाणी व सिनेमा की भूमिका, लोक व्यवहार में छत्तीसगढ़ी, छत्तीसगढ़ी भाषा का सामान्य परिचय-नामकरण, छत्तीसगढ़ी भाषा का परिचय, छत्तीसगढ़ी में क्रियाओं के वर्तमान-भूत, पूर्ण+अपूर्ण वर्तमान, भविष्य काल के रूप, काल, लिखना - क्रिया के भूतकाल के रूप, पूर्ण+अपूर्ण भूतकाल, पढना-क्रिया के भविष्यकाल के रूप, पूर्ण+अपूर्ण भविष्यकाल,पाद-टिप्पणी।
प्रश्न पत्र-2 (निबंध)
अंक: 200
अवधि: 3 घंटे
भाग |
निबंध |
शब्द-सीमा |
प्रति निबंध अंक |
कुल मार्क |
कवर करने योग्य मुख्य पहलू |
भाग-1: अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे |
4 में से 2 |
750 शब्द |
50 |
100 |
|
भाग-2: छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय मुद्दे |
4 में से 2 |
750 शब्द |
50 |
100 |
प्रश्न पत्र-3 (सामान्य अध्ययन - I)
अंक: 200
अवधि: 3 घंटे
भाग - 01: भारत का इतिहास
- प्रागैतिहासिक काल, सिंधु सभ्यता, वैदिक सभ्यता, जैन धर्म तथा बौद्ध धर्म, मगध साम्राज्य का उदय, मौर्य राजनय और अर्थव्यवस्था, शुंग, सातवाहन काल, गुप्त साम्राज्य, गुप्त-वाकाटक काल में कला, स्थापत्य, साहित्य तथा विज्ञान का विकास, दक्षिण भारत में प्रमुख राजवंश।
- मध्यकालीन भारतीय इतिहास, सल्तनत और मुगल काल, विजयनगर राज्य, भक्ति आंदोलन, सूफीवाद, क्षेत्रीय भाषाओं में साहित्य का विकास, मराठों का अभ्युदय, यूरोपीयनों का आगमन और ब्रिटिश सर्वोच्चता स्थापित होने होने के कारक, ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार- युद्ध एवंकूटनीति।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था-कृषि, भूमि राजस्व प्रणाली - स्थायी बंदोबस्त, रैयतवारी, महलवारी, हस्तशिल्प उद्योगों का पतन, राज्यों के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी के संबंध, प्रशासनिक ढाँचे में परिवर्तन, वर्ष 1858 के उपरांत शहरी अर्थव्यवस्था, रेलवे का विकास, औद्योगीकरण, संवैधानिक विकास।
- सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन - ब्रह्म समाज, आर्य समाज, प्रार्थना समाज, राम कृष्ण मिशन, राष्ट्रवाद का उदय, वर्ष 1857 का विद्रोह, भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस की स्थापना, बंगाल का विभाजन और स्वदेशी आंदोलन, सांप्रदायिकता का उदय और विकास, क्रांतिकारी आंदोलन, होम रूल आंदोलन, गांधीवादी आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, मज़दूर, किसान और आदिवासी आंदोलन, दलितों में सुधार आंदोलन, मुस्लिमों में सुधार, अलीगढ़ आंदोलन, आज़ाद हिंद फौज़, स्वतंत्रता और भारत का विभाजन, रियासतों का विलीनीकरण
भाग - 02: संविधान और लोक प्रशासन
- भारत का संवैधानिक विकास (1773-1950), संविधान का निर्माण और मूल विशेषताएँ, प्रस्तावना, संविधान की प्रकृति।
- मूलभूत अधिकार और कर्त्तव्य। राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत। संघीय कार्यपालिका, व्यवस्थापिका, न्यायपालिका। संवैधानिक उपचार का अधिकार, जनहित याचिका, न्यायिक सक्रियता, न्यायिक पुनर्विलोकन, महान्यायवादी। राज्य कार्यपालिका, व्यवस्थापिका, न्यायपालिका, महाधिवक्ता। संघ-राज्य संबंध- विधायी, प्रशासनिक एवं वित्तीय। अखिल भारतीय सेवाएँ, संघ एवं राज्य लोक सेवा आयोग। आपात उपबंध, संवैधानिक संशोधन। मूल ढाँचे की अवधारणा। छत्तीसगढ़ शासन - व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका।
- लोक प्रशासन- अर्थ, प्रशासन, प्रकृति और महत्त्व। उदारीकरण के अधीन लोक प्रशासन और निज़ी प्रशासन। नवीन लोक प्रशासन, विकास प्रशासन और तुलनात्मक प्रशासन। लोक प्रशासन में नए आयाम। राज्य बनाम बाज़ार। विधि का शासन। संगठन - सिद्धांत, दृष्टिकोण और संरचना। प्रबंधन- नेतृत्व, नीति निर्धारण, निर्णय निर्माण। प्रशासनिक प्रबंधन के उपकरण - समन्वय, प्रत्यायोजन, संचार, पर्यवेक्षण और अभिप्रेरणा। प्रशासनिक सुधार। सुशासन, ई-गवर्नेंस, नौकरशाही। ज़िला प्रशासन। भारत में प्रशासन पर नियंत्रण - संसदीय, वित्तीय न्यायिक और कार्यकारी। लोकपाल और लोकायुक्त। सूचना का अधिकार। पंचायतें और नगर पालिकाएँ। संसदीय- राष्ट्रपति, एकात्मक-संघात्मक शासन। शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत।
- छत्तीसगढ़ का प्रशासनिक ढाँचा।
भाग - 03: छत्तीसगढ़ का इतिहास
- प्रागैतिहासिक काल, वैदिक काल से गुप्त काल तक छत्तीसगढ़ का इतिहास, प्रमुख राजवंश - राजर्षितुल्य कुल, नल, शरभपुरीय, पांडु, सोमवंशी आदि। कलचुरी एवं उनका प्रशासन, मराठों के अधीन छत्तीसगढ़, ब्रिटिश संरक्षण में छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ के पूर्व रियासतें और जमिन्दारियाँ, सामंती राज, 1857 की क्रांतियाँ, छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता आंदोलन, श्रमिक, कृषक एवं जनजातीय आंदोलन, छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण।
प्रश्न पत्र-4 (सामान्य अध्ययन - II)
अंक: 200
अवधि: 3 घंटे
भाग - 01: सामान्य विज्ञान
- रसायन विज्ञान: रासायनिक अभिक्रिया की दर और रासायनिक साम्य - रासायनिक अभिक्रिया की दर का प्रारंभिक ज्ञान। तीव्र एवं मंद रासायनिक अभिक्रियाएँ। धातुएँ - आवर्त सारणी में धातुओं की स्थिति और सामान्य गुण। धातु, खनिज अयस्क, खनिज एवं अयस्क में अंतर।
- धातुकर्म अयस्कों का सांद्रण, निस्तापन एवं भर्जन, प्र्गलन एवं शोधन। ताँबे और लोहे का धातुकर्म। धातुओं का संक्षारण। मिश्रधातु। अधातु - आवर्त सारणी में अधातु की स्थिति और सामान्य गुण।
- कुछ महत्त्वपूर्ण कार्बनिक यौगिक, कुछ सामान्य कृत्रिम बहुलक, पॉलिथीन और पॉलीविनाइल क्लोराइड। टेफ्लॉन साबुन और डिटर्जेंट।
- भौतिक विज्ञान: प्रकाश - प्रकाश की प्रकृति, प्रकाश का परावर्तन, परावर्तन का नियम, समतल एवं वक्र सतह से परावर्तन, समतल, उत्तल एवं अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब निर्माण, फोकस दूरी एवं वक्रता त्रिज्या के बीच संबंध, गैसों में विद्युत विसर्जन, सूर्य में ऊर्जा की उत्पत्ति के कारण, विद्युत एवं उसके प्रभाव - विद्युत तीव्रता, विभव- विभवांतर, विद्युत धारा, ओम का नियम।
- प्रतिरोध, विशिष्ट प्रतिरोध, प्रभावित करने वाले कारक, प्रतिरोध का संयोजन एवं संबंधित संख्यात्मक प्रश्न, धारा का ऊष्मीय प्रभाव एवं उसका उपयोग, शक्ति एवं व्ययित विद्युत ऊर्जा की गणना (आंकिक), विद्युत प्रयोगों में रखी जाने वाली सावधानियाँ, प्रकाश-विद्युत प्रभाव, सौर सेल, संरचना, पी.एन. जंक्शन, डायोड।
- जीवविज्ञान:
- परिवहन: पौधों और जानवरों में खनिजों और जल का परिवहन [मानव के संदर्भ में], रुधिर की संरचना और कार्य, हृदय की संरचना और कार्यप्रणाली, [प्रारंभिक ज्ञान], प्रकाश संश्लेषण- परिभाषा, प्रक्रिया के मुख्य चरण, प्रकाश प्रतिक्रिया और अंधकार अभिक्रिया।
- श्वसन - परिभाषा, श्वास और श्वासोच्छ्वास, श्वसन के प्रकार, एरोबिक और एनारोबिक श्वसन, जंतुओं के श्वसन अंग, मानव का श्वसन तंत्र और श्वसन प्रक्रिया, मानव का पाचन तंत्र और पाचन प्रक्रिया [सामान्य जानकारी], नियंत्रण और समन्वय - मानव का तंत्रिका तंत्र।
- मानव मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की संरचना और कार्य, पौधों और जंतुओं में समन्वय, फाइटोहॉर्मोन, अंतःस्रावी ग्रंथियाँ हार्मोन और उनके कार्य।
- प्रजनन एवं वृद्धि - प्रजनन के प्रकार अलैंगिक प्रजनन, विखंडन, मुकलन एवं पुनरुद्भवन, कृत्रिम वर्द्धी प्रजनन, स्तरीकरण, कलाम लगाना, ग्राफ्टिंग, अनिषेक प्रजनन, पौधों में लैंगिक प्रजनन, पुष्प की संरचना एवं प्रजनन प्रक्रिया, [सामान्य जानकारी] परागण, निषेचन।
- मानव प्रजनन तंत्र एवं प्रजनन प्रक्रिया, [सामान्य जानकारी], आनुवंशिकी एवं विकास - आनुवंशिकता एवं भिन्नताएँ।
- आनुवंशिकता का मूल आधार गुणसूत्र और DNA [प्रारंभिक जानकारी]
भाग - 02: योग्यता परीक्षण, तार्किक योग्यता एवं बुद्धिमत्ता परीक्षण
- परिमेय संख्याओं का जोड़ना, घटाना एवं गुणा करना, भाग देना। दो परिमेय संख्याओं के बीच परिमेय संख्या ज्ञात करना। अनुपात और समानुपात की परिभाषा, गुण, योगानुपात, अंतरानुपात, एकान्तरानुपात, व्युत्क्र्मानुपात आदि व उनके अनुप्रयोग।
- वाणिज्य गणित - बैंकिंग, बचत खाता, सावधि जमा खाता एवं आवर्ती जमा खाते पर ब्याज की गणना।
- आयकर की गणना (केवल वेतनभोगी व्यक्तियों के लिये तथा गृह भाडा भत्ता को छोड़कर) गुणनखंड, लघुत्तम समापवर्त्य एवं महत्तम समापवर्तक।
- वैदिक गणित - जोड़ना, घटाना, गुणा, भाग और बीजांक से उत्तर की जाँच। वर्ग, वर्गमूल, घन, घनमूल, विकुलम और इसके अनुप्रयोग।
- बीजगणित में वैदिक गणित विधियों का अनुप्रयोग, भारतीय गणितज्ञ का परिचय और उनका कृतित्व - आर्यभट्ट, यशस्वी मिहिर, ब्रह्मगुप्त, भास्कराचार्य, श्रीनिवास रामानुजन के संदर्भ में। गणितीय संक्रियाएँ, मूल संख्यात्मक क्रियाएँ (संख्याएँ और उनके संबंध, परिमाण का क्रम आदि)।
- डेटा व्याख्या (चार्ट, ग्राफ, टेबल, डेटा पर्याप्तता आदि) और डेटा का विश्लेषण। अंकगणितीय माध्य, माध्यिका, बहुलक, प्रायिकता। प्रायिकता पर योग और गुणन प्रमेय से संबंधित प्रश्न।
- व्यवहारिक गणित - लाभ और हानि, प्रतिशत, ब्याज और औसत। समय, गति, दूरी, नदी और नाव। सादृश्य परीक्षण, विषम शब्द, शब्दों के विषम युग्म, कोडिंग और डिकोडिंग परीक्षण, संबंध परीक्षण, वर्णमाला परीक्षण, गणितीय संचालन, शब्दों का तार्किक विश्लेषण, छूटे हुए अंक या शब्द प्रविष्टि, अभिकथन और कारण, स्थिति प्रतिक्रिया परीक्षण, आकृति श्रेणी, तथ्यों का लुप्त होना, सामान्य मानसिक योग्यता।
भाग - 03: एप्लाइड एवं व्यवहारिक विज्ञान
- ग्रामीण भारत में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका, कंप्यूटर का बुनियादी ज्ञान, संचार एवं प्रसारण में कम्प्यूटर, आर्थिक विकास के लिए सॉफ्टवेयर विकास, आईटी के व्यापक अनुप्रयोग।
- ऊर्जा संसाधन: ऊर्जा की मांग, नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन, देश में परमाणु ऊर्जा का विकास और उपयोग। वर्तमान में भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का विकास, कृषि की उत्पत्ति, कृषि विज्ञान की प्रगति और उसका प्रभाव, भारत में फसल विज्ञान, उर्वरक, भारत में कीटों और रोगों का नियंत्रण परिदृश्य।
- जैव-विविधता एवं उसका संरक्षण - सामान्य परिचय - परिभाषा, प्रजातियाँ एवं आनुवंशिक विविधता, भारत का जैव-भौगोलिक वर्गीकरण, जैव-विविधता का महत्त्व - रचनात्मक एवं विनाशकारी अनुप्रयोग, सामाजिक, नैतिक एवं वैकल्पिक दृष्टि का महत्त्व, वैश्विक, राष्ट्रीय एवं स्थानीय स्तर पर जैव-विविधता, भारत एक विशाल जैव-विविधता वाले राष्ट्र के रूप में, जैव-विविधता के हॉटस्पॉट, जैव-विविधता के लिये संकट, आवास की क्षति, वन्य जीवन को क्षति, मानव एवं वन्य पशु संघर्ष, भारत की संकटग्रस्त, संकटापन्न एवं स्थानिक प्रजातियाँ, जैव-विविधता का संरक्षण, टोपोलॉजिकल एवं नॉनटोपोलॉजिकल संरक्षण।
- पर्यावरण प्रदूषण - कारण, प्रभाव और नियंत्रण उपाय - वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, सागरीय प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि/ध्वनि प्रदूषण, तापीय प्रदूषण, परमाणु प्रदूषण।
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन - शहरी एवं औद्योगिक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन: कारण, प्रभाव एवं नियंत्रण, प्रदूषण नियंत्रण में मानव की भूमिका।
प्रश्न पत्र-5 (सामान्य अध्ययन - III)
अंक: 200
अवधि: 3 घंटे
भाग - 01: भारत एवं छत्तीसगढ़ का अर्थशास्त्र
- राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति आय, भारतीय अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तन (GDP और कार्यशक्ति), सार्वजनिक और निज़ी क्षेत्रों की भूमिका में परिवर्तन और नवीनतम योजना के कुल योजना परिव्यय में उनका हिस्सा, आर्थिक सुधार, गरीबी और बेरोज़गारी की समस्याएँ, परिमाण और उन्हें सुधारने के लिये पहल, मौद्रिक नीति- भारतीय बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों की संरचना और 1990 के दशक से उनमें सुधार।
- RBI द्वारा ऋण का विनियमन। सार्वजनिक राजस्व, सार्वजनिक व्यय, सार्वजनिक ऋण, राजकोषीय घाटे का पैटर्न और अर्थव्यवस्था पर उनका प्रभाव।
- CG के संदर्भ में - अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों की जनसांख्यिकीय विशेषताएँ और सामाजिक पिछड़ापन।
- साक्षरता और व्यावसायिक संरचना, आय और रोज़गार के क्षेत्रीय वितरण में परिवर्तन। महिलाओं का सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सशक्तीकरण।
- बाल श्रम समस्या, ग्रामीण विकास, राज्य वित्त एवं बजट संबंधी नीति-कर संरचना, केंद्रीय करों में हिस्सेदारी, राजस्व एवं पूंजी खाते में व्यय पैटर्न तथा योजना एवं गैर-योजना व्यय।
- सार्वजनिक ऋण संरचना - विश्व बैंक ऋण सहित आंतरिक और बाह्य ऋण, छत्तीसगढ़ में ग्रामीण ऋण के संस्थागत और गैर-संस्थागत स्रोत।
- सहकारी समितियों की संरचना एवं विकास तथा कुल ऋण में उनकी हिस्सेदारी, पर्याप्तता एवं समस्या।
भाग- 02: भारत का भूगोल
- भारत की भौतिक विशेषताएँ, स्थान एवं विस्तार, भूगर्भिक संरचना, भौतिक विभाग, अपवाह तंत्र, जलवायु, मृदा, वनस्पति एवं वन का महत्त्व, भारतीय वन नीति, वन संरक्षण, मानवीय विशेषताएँ - जनसंख्या, जनगणना, जनसंख्या वृद्धि, घनत्व एवं वितरण।
- जन्म दर, मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, प्रवास, साक्षरता, व्यावसायिक संरचना, शहरीकरण, कृषि - भारतीय कृषि की विशेषताएँ, कृषि खाद्य फसलें, अनाज, दालें, तिलहन और अन्य फसलें, उत्पादन और वितरण, सिंचाई के साधन और इसका महत्त्व, कृषि का आधुनिकीकरण, कृषि की समस्या और नियोजन, सिंचाई बहुउद्देशीय परियोजनाएँ, हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, नीली क्रांति।
- खनिज संसाधन- खनिज भण्डारण, खनिज का उत्पादन एवं वितरण, ऊर्जा संसाधन- कोयला, पेट्रोलियम, ताप विद्युत ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा, ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्त्रोत, उद्योग- भारत में उद्योगों का विकास एवं संरचना, वृहद, मध्यम, लघु एवं लघुत्तम स्तर, कृषि, वन एवं खनिज आधारित उद्योग।
भाग - 03: छत्तीसगढ़ का भूगोल
- छत्तीसगढ़ की भौतिक विशेषताएँ, अवस्थिति एवं विस्तार, भूगर्भिक संरचना, भौतिक विभाग, अपवाह तंत्र, जलवायु, मृदा, वनस्पति एवं वन्य जीवन, वनों का महत्त्व, वन्य जीवन प्रबंधन, राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य, राज्य वन नीति, वन संरक्षण।
- मानव विशेषताएँ - जनसंख्या, जनसंख्या वृद्धि, घनत्व एवं वितरण, जन्म दर, मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, प्रवास, लिंगानुपात, आयु वर्ग, अनुसूचित जाति जनसंख्या, साक्षरता, व्यावसायिक संरचना, शहरीकरण, परिवार कल्याण कार्यक्रम।
- कृषि - कृषि खाद्य फसलें, अनाज, दलहन, तिलहन एवं अन्य फसलें, उत्पादन एवं वितरण, सिंचाई के साधन एवं उसका महत्त्व, महत्त्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाएँ, कृषि की समस्या एवं कृषकों के लाभ हेतु राज्य योजनाएँ, खनिज संसाधन- छत्तीसगढ़ में विभिन्न प्रकार के खनिज भण्डारण, खनिज का उत्पादन एवं वितरण।
- ऊर्जा संसाधन- कोयला, ताप विद्युत ऊर्जा, ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्त्रोत, उद्योग- छत्तीसगढ़ में उद्योगों का विकास एवं संरचना, वृहद, मध्यम एवं लघु उद्योग, कृषि, वन एवं खनिज आधारित उद्योग, परिवहन एवं पर्यटन के साधन।
प्रश्न पत्र-6 (सामान्य अध्ययन-IV)
अंक: 200
अवधि: 3 घंटे
भाग - 01: दर्शनशास्त्र
- दर्शन की प्रकृति, धर्म और संस्कृति के बीच इसका संबंध, भारतीय और पश्चिमी दर्शन में अंतर, वेद और उपनिषद-ब्राह्मण, आत्मा, ऋत, गीता का दर्शन - स्थितप्रज्ञ' स्वधर्म, कर्मयोग, चार्वाक का दर्शन-ज्ञानमीमांसा, तत्वमीमांसा, सुखवाद' जैन दर्शन - जीव का स्वरूप, अनेकांतवाद, स्यादवाद, पंचमहाव्रत, बुद्ध का दर्शन प्रतीत्यसमुत्पाद, अष्टांग मार्ग, अनात्मवाद, क्षणिकवाद, सांख्य का दर्शन - सत्कार्यवाद' प्रकृति और पुरुष का स्वरूप, विकासवाद।
- योग दर्शन - अष्टांग योग, न्याय दर्शन - प्रमा, अप्रमा, असत्कार्यवाद, वैशेषिक का दर्शन - परमाणुवाद, मीमांसा दर्शन - धर्म, अपूर्व का सिद्धांत, अद्वैत वेदांत दर्शन - ब्रह्म, माया, जगत, मोक्ष' कौटिल्य - सप्तांग सिद्धांत, मंडल सिद्धांत, गुरुनानक - सामाजिक-नैतिक दर्शन, गुरु घासीदास - सतनाम पंथ की विशेषताएँ, वल्लभाचार्य - पुष्टिमार्ग, स्वामी विवेकानंद - व्यावहारिक वेदांत, सार्वभौम धर्म, श्री अरबिंदो - समग्र योग, अतिमानस महात्मा गांधी - अहिंसा 'सत्याग्रह, ग्यारह व्रत, भीमराव अम्बेडकर - सामाजिक सिद्धांत, दीन दयाल उपाध्याय - एकात्म मानव दर्शन, प्लेटो - सद्गुण, अरस्तू - कारणता सिद्धांत, संत एंसेल्म - ईश्वर सिद्धि हेतु सत्तामूलक तर्क, देकार्त - संदेह पद्धति, मैं सोचता हूँ इसलिये मैं हूँ, स्पिनोज़ा - द्रव्य 'सर्वेश्वरवाद' लाइबनिट्ज - चिदगुणवाद पूर्व स्थापित सामंजस्य का सिद्धांत लॉक - ज्ञानमीमांसा' बर्कले - सत्ता अनुभवमूलक है, ह्यूम - संशयवाद, कांट - आलोचना, हेगेल - बोध एवं सत्ता, द्वंद्वात्मक प्रत्ययवाद' ब्रैडली - प्रत्ययवाद।
- मूर - वस्तुवाद, ए.जे. एयर - सत्यापन सिद्धांत, जॉन डेवी - व्यवहारवाद, सार्त्र - अस्तित्ववाद, धर्म का अभिप्राय, धर्म दर्शन का स्वरुप, धार्मिक सहिष्णुता 'धर्मनिरपेक्षता' बुराई की समस्या, नैतिक मूल्य और नैतिक दुविधा, प्रशासन में नैतिक तत्व - ईमानदारी 'ज़िम्मेदारी, पारदर्शिता, लोक सेवकों के लिये आचार संहिता, भ्रष्टाचार - अर्थ, प्रकार, कारण और प्रभाव, भ्रष्टाचार को दूर करने के उपाय। व्हिसलब्लोअर की प्रासंगिकता।
भाग - 02: समाजशास्त्र
- समाजशास्त्र- अर्थ, क्षेत्र और प्रकृति, इसके अध्ययन का महत्त्व। अन्य सामाजिक विज्ञानों के साथ संबंध। प्राथमिक अवधारणाएँ - समाज, समुदाय, संघ, संस्था, सामाजिक समूह, लोक-रीति और रीति-रिवाज़। व्यक्ति और समाज - सामाजिक अंतःक्रियाएँ, स्थिति और भूमिका, संस्कृति और व्यक्तित्व, समाजीकरण। हिंदू सामाजिक संगठन - धर्म, आश्रय, वर्ण, पुरुषार्थ।
- सामाजिक स्तरीकरण - जाति और वर्ग, सामाजिक प्रक्रियाएँ - सामाजिक संपर्क, सहयोग, संघर्ष, प्रतिस्पर्द्धा, सामाजिक नियंत्रण और सामाजिक परिवर्तन - सामाजिक नियंत्रण के स्रोत और एजेंसियाँ, सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाएँ और कारक।
- भारतीय सामाजिक समस्याएँ, सामाजिक विघटन नियमहीनता और अलगाव, विषमता' सामाजिक शोध एवं प्रविधियाँ - सामाजिक अनुसंधान का उद्देश्य, सामाजिक घटनाओं के अध्ययन में वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग, वस्तुनिष्ठता की समस्या।
- तथ्य संकलन की प्रविधियाँ एवं उपकरण - अवलोकन, साक्षात्कार, प्रश्नावली, अनुसूची।
भाग - 03: छत्तीसगढ़ का सामाजिक परिदृश्य
- जनजातीय सामाजिक संगठन: विवाह, परिवार, समुदाय, युवा समूह, जनजातीय विकास: इतिहास, कार्यक्रम और नीतियाँ, संवैधानिक प्रणाली, छत्तीसगढ़ की विशेष पिछड़ी जनजातियाँ, अन्य जनजातियाँ, अनुसूचित जातियाँ और छत्तीसगढ़ के अन्य पिछड़े वर्ग। छत्तीसगढ़ की जनजातियों में प्रचलित मुख्य आभूषण, विशेष परंपराएँ।
- जनजातीय समस्याएँ: छत्तीसगढ़ की लोक कला, प्रवास और संस्कृतिकरण, छत्तीसगढ़ का लोक साहित्य और प्रमुख लोक कलाकार, छत्तीसगढ़ के लोक गीत, लोक कथाएँ, लोक रंगमंच, मुहावरे, हाना, लोकोक्तियाँ, पहेलियाँ, गायन, साहित्य, संगीत और कला संस्थान; इन क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ राज्य पुरस्कार, छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, छत्तीसगढ़ के प्रमुख मेले और त्यौहार, राज्य में संरक्षित पुरातात्विक स्मारक स्थल और उत्खनित स्थल।
- छत्तीसगढ़ शासन द्वारा चिह्नांकित पर्यटन स्थल, राष्ट्रीय उद्यान, अभ्यारण्य एवं बस्तर के जलप्रपात एवं गुफाएँ, छत्तीसगढ़ के प्रमुख संत।
प्रश्न पत्र-7 (सामान्य अध्ययन - V)
अंक: 200
अवधि: 3 घंटे
भाग - 01: कल्याणकारी, विकासात्मक कार्यक्रम एवं कानून
- सामाजिक एवं महत्त्वपूर्ण विधान: भारतीय समाज, सामाजिक परिवर्तन के साधन के रूप में सामाजिक विधान। मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993, भारतीय संविधान एवं आपराधिक विधि (दंड प्रक्रिया संहिता) के अंतर्गत महिलाओं को प्राप्त सुरक्षा (CRPC)। घरेलू हिंसा से स्त्री का संरक्षण अधिनियम 2005, सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989, सूचना का अधिकार अधिनियम 2005, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988।
- छत्तीसगढ़ के संदर्भ में: छत्तीसगढ़ में प्रचलित विभिन्न नियम या अधिनियम तथा उनका छत्तीसगढ़ के निवासियों पर कल्याणकारी एवं विकासात्मक प्रभाव।
- छत्तीसगढ़ सरकार की कल्याणकारी योजनाएँ: छत्तीसगढ़ शासन द्वारा समय-समय पर प्रचलित कल्याणकारी, जनोपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण योजनाएँ
भाग- 02: अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय खेल, आयोजन एवं संगठन
- संयुक्त राष्ट्र और उससे संबद्ध संगठन। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और एशियाई बैंक, सार्क, ब्रिक्स, अन्य द्विपक्षीय और क्षेत्रीय समूह, विश्व व्यापार संगठन और भारत पर इसका प्रभाव। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल और प्रतियोगिताएँ।
भाग - 03: अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थाएँ एवं मानव विकास में उनका योगदान
- कुशल मानव संसाधनों की उपलब्धता, मानव संसाधनों की रोज़गारपरकता एवं उत्पादकता। रोज़गार के विभिन्न चलन। मानव संसाधन विकास में विभिन्न संस्थाओं एवं परिषदों की भूमिका यथा- उच्च शिक्षा एवं राष्ट्रीय अनुसंधान आयोग, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, राष्ट्रीय शैक्षिक योजनाएँ एवं प्रशासन विश्वविद्यालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, मुक्त विश्वविद्यालय, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, राष्ट्रीय शिक्षा शिक्षक परिषद, राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा परिषद, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय प्रबंध संस्थान, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, पॉलिटेक्निक एवं आईटीआई की भूमिका, मानव संसाधन विकास में शिक्षा, अर्थात सार्वभौमिक / समान प्रारंभिक शिक्षा, उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा की गुणवत्ता, बालिकाओं की शिक्षा से संबंधित मुद्दे, वंचित वर्ग, निःशक्त जन से संबंधित मुद्दे।