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स्टेट पी.सी.एस.

  • 13 Aug 2025
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राजस्थान Switch to English

देश का पहला ड्रोन-आधारित क्लाउड सीडिंग प्रयोग

चर्चा में क्यों?

राजस्थान के राज्य कृषि विभाग ने क्षेत्र में जल संकट को दूर करने और रामगढ़ झील को पुनर्जीवित करने के लिये पहली बार ड्रोन-आधारित क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम वर्षा) प्रयोग शुरू किया है।

मुख्य बिंदु

क्लाउड सीडिंग प्रयोग के बारे में: 

  • उद्देश्य: 
    • इस प्रयोग का लक्ष्य वर्षा-मेघों में विशेष रसायनों का छिड़काव कर वर्षा को प्रेरित करना है, जिससे क्षेत्र की कृषि गतिविधियों को लाभ मिल सके। 
      • यह 60-दिवसीय पायलट परियोजना बादलों में जल-बूँदों के निर्माण को बढ़ावा देकर क्षेत्र में जल की कमी से निपटने का प्रयास है, जो क्षेत्रीय जल-अभाव को दूर करने हेतु चल रहे व्यापक प्रयास का हिस्सा है।
  • प्रयुक्त प्रौद्योगिकी: 
    • क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित प्लेटफॉर्म ‘हाइड्रो ट्रेस’ द्वारा संचालित है, जो वास्तविक समय के आँकड़े, उपग्रह चित्रण और सेंसर नेटवर्क का उपयोग कर सही समय पर सही बादलों को लक्षित करता है।
  • अनुमोदन: 

क्लाउड सीडिंग

  • यह एक मौसम परिवर्तन तकनीक है, जिसके माध्यम से वर्षा की मात्रा बढ़ाने के लिये बादलों में सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड या शुष्क बर्फ जैसे रसायनों का छिड़काव किया जाता है। 
  • ये रसायन जल-बूँदों के निर्माण हेतु नाभिक का कार्य करते हैं, जिससे वर्षा होती है। 
  • यह तकनीक उच्च वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की स्थिति में वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक हो सकती है।
  • क्लाउड सीडिंग से जल की उपलब्धता में वृद्धि होने के साथ-साथ आर्थिक, पर्यावरणीय तथा मानव स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी प्राप्त हो सकते हैं।

 


राजस्थान Switch to English

अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस पर HIV-एड्स जागरूकता अभियान

चर्चा में क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस (12 अगस्त 2025) पर राजस्थान राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी ने जयपुर में एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें राज्य के युवाओं में HIV-एड्स जागरूकता को बढ़ावा देने के लिये एक गहन सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) अभियान शुरू किया गया।

मुख्य बिंदु 

अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के बारे में: 

  • स्थापना: संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1999 में
  • प्रारंभिक प्रस्ताव: वर्ष 1991 में विश्व युवा मंच, वियना में युवा प्रतिभागियों द्वारा
  • आधिकारिक प्रस्ताव: युवाओं के लिये ज़िम्मेदार मंत्रियों का विश्व सम्मेलन, लिस्बन (1998)
  • पहली बार मनाया गया: 12 अगस्त, 2000
  • वर्ष 2025 की थीम: SDG और उससे आगे के लिये स्थानीय युवा कार्य”
    • चूँकि 65% से अधिक सतत् विकास लक्ष्य स्थानीय शासन से जुड़े हैं, इसलिये युवाओं की भागीदारी आवश्यक है।
  • उद्देश्य:
    • विश्व में युवा मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करना
    • सतत् विकास में युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना
    • समाज में युवाओं के योगदान का उत्सव मनाना

एड्स

  • एड्स एक दीर्घकालिक, जीवन-घातक स्थिति है, जो मानव इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (HIV) के कारण होती है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है तथा CD4 कोशिकाओं (श्वेत रक्त कोशिकाएँ, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के लिये महत्त्वपूर्ण हैं) को निशाना बनाता है। 
  • यह सुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित रक्त तथा संक्रमित सुई/सीरिंज के उपयोग से फैलता है।
  • यद्यपि इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, किंतु एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) वायरस को नियंत्रित कर सकती है और CD4 कोशिकाओं को पुनः स्थापित करने में मदद करती है।
  • ग्लोबल एड्स अपडेट 2023 में नए संक्रमणों में आई गिरावट पर प्रकाश डाला गया है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक एड्स को समाप्त करना है। 
  • भारत में 2.5 मिलियन से अधिक लोग HIV से पीड़ित हैं तथा वर्ष 2010 से नए संक्रमणों में 44% की कमी आई है। 

राष्ट्रीय युवा दिवस

  • भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस हर वर्ष 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है।
  • वर्ष 1984 से यह दिवस इस उद्देश्य से मनाया जा रहा है कि युवा, विवेकानंद द्वारा अपनाये गये मूल्यों, सिद्धांतों और आदर्शों को अपने जीवन में उतारें।
  • स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में हुआ था। 
  • वे भारत के महान संन्यासियों में से एक माने जाते हैं, जिन्होंने पश्चिमी जगत को हिंदू धर्म से परिचित कराया। 
  • श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य के रूप में उन्होंने औपनिवेशिक भारत में राष्ट्रीय एकीकरण के लिये प्रयास किया और उन्हें देश में हिंदू धर्म को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया जाता है।

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उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश: दूसरी तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था

चर्चा में क्यों?

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के मामले में भारत में दूसरा सबसे तेज़ी से वृद्धि करने वाला राज्य बन गया है, जिसकी विकास दर 5.5% से बढ़कर 8.9% हो गई है।

  • तमिलनाडु 11.19% की GSDP वृद्धि दर के साथ शीर्ष स्थान पर है। अरुणाचल प्रदेश और मेघालय जैसे छोटे राज्यों ने भी 9.66% की उल्लेखनीय वृद्धि दर दर्ज की है।

मुख्य बिंदु 

उत्तर प्रदेश की आर्थिक स्थिति के बारे में:


उत्तर प्रदेश Switch to English

डॉ. विक्रम साराभाई की 106वीं जयंती

चर्चा में क्यों?

डॉ. विक्रम साराभाई (12 अगस्त 1919 – 30 दिसंबर 1971), जिन्हें व्यापक रूप से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक के रूप में जाना जाता है, की 106वीं जयंती 12 अगस्त, 2025 को श्रद्धापूर्वक मनाई गई।

प्रमुख बिंदु

डॉ. विक्रम साराभाई के बारे में: 

  • प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
    • 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद, गुजरात में एक संपन्न जैन परिवार में जन्मे साराभाई अंबालाल और सरला देवी की आठ संतानों में से एक थे।
    • इन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से भौतिकी एवं गणित में स्नातक उपाधि प्राप्त की।
    • भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बंगलूरू में नोबेल पुरस्कार विजेता सी.वी. रमन के निर्देशन में पीएचडी पूरी की, जिसका शोध प्रबंध "कॉस्मिक किरणों का समय वितरण" शीर्षक से वर्ष 1942 में प्रकाशित हुआ।
  • संस्थानिक धरोहर: डॉ. साराभाई ने कई संस्थानों की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई है जो भारत के वैज्ञानिक और औद्योगिक परिदृश्य को आकार देने में महत्त्वपूर्ण रही हैं जैसे:
    • भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL), अहमदाबाद: वर्ष 1947 में स्थापित, PRL के साथ ही संस्थाओं के निर्माण की दिशा में साराभाई की यात्रा की शुरुआत हुई
    • भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), अहमदाबाद: इसके निर्माण में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।
    • सामुदायिक विज्ञान केंद्र, अहमदाबाद: इसे विज्ञान शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 1966 में स्थापित किया गया।
    • दर्पण एकेडमी फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स, अहमदाबाद: इसे इन्होंने अपनी पत्नी मृणालिनी स्वामीनाथन के साथ मिलकर स्थापित किया।
    • विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC), तिरुवनंतपुरम: भारत के अंतरिक्ष अभियानों का प्रमुख केंद्र।
  • भारतीय अंतरिक्ष और परमाणु कार्यक्रमों में योगदान: 
    • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO): उन्होंने सामाजिक विकास के लिये अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए ISRO की स्थापना में भूमिका निभाई। 
    • सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविज़न एक्सपेरीमेंट (SITE): NASA के साथ मिलकर तैयार किये गए SITE से ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण होने के साथ दूरदर्शन के कृषि दर्शन जैसे कार्यक्रमों का आधार तैयार हुआ।
    • आर्यभट्ट उपग्रह: इनके नेतृत्व में भारत के पहले उपग्रह, आर्यभट्ट का निर्माण आरंभ किया गया, जिसे वर्ष 1975 में रूसी कॉस्मोड्रोम से प्रक्षेपित किया गया।
    • परमाणु ऊर्जा आयोग: होमी भाभा की मृत्यु के बाद इसके अध्यक्ष बने तथा परमाणु विज्ञान को आगे बढ़ाने में भूमिका निभाई।
  • पुरस्कार और सम्मान: 

उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश की MSME औद्योगिक संपदा प्रबंधन नीति 2025

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) औद्योगिक संपदा प्रबंधन नीति 2025 को अपनी मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य भूमि आवंटन को सरल बनाकर तथा उद्योगों के लिये सुविधाओं में सुधार कर औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करना है।

  • यह नई नीति वर्ष 1978 से जारी 19 पुराने सरकारी आदेशों का स्थान लेगी।

मुख्य बिंदु 

नीति की मुख्य विशेषताएँ

  • भूमि आवंटन: 
    • औद्योगिक संपदाओं में भूमि, शेड और भूखंडों का आवंटन लीज़/किराये के आधार पर नीलामी या ई-नीलामी के माध्यम से किया जाएगा।
    • सफल बोलीदाता आरक्षित मूल्य का 10% बयाना राशि के रूप में जमा करेंगे, शेष राशि एकमुश्त या एक से तीन वर्षों की किस्तों में चुकानी होगी। तत्काल भुगतान करने पर 2% की छूट मिलेगी।
  • SC/ST उद्यमियों के लिये आरक्षण: 
    • सभी भूखंडों और शेड का 10% अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उद्यमियों के लिये आरक्षित रहेगा।
    • यदि कोई पात्र आवेदक आगे नहीं आता है, तो निरंतर विकास सुनिश्चित करने के लिये भूखंडों को अन्य श्रेणियों में पुनः आवंटित किया जा सकता है।
  • मूल्य संरचना: 
    • यह नीति वित्त वर्ष 2025-26 के लिये मध्यांचल, पश्चिमांचल, बुंदेलखंड और पूर्वांचल सहित विभिन्न क्षेत्रों में औद्योगिक भूखंडों के लिये निश्चित आरक्षित मूल्य प्रस्तुत करती है।
    • प्रत्येक वर्ष 1 अप्रैल से दरों में 5% की वार्षिक वृद्धि होगी।
  • एंकर इकाइयों के लिये अधिमान्य दरें:
    • उन एंकर इकाइयों को विशेष दरों पर भूमि मिल सकती है, जिनसे औद्योगिक संपदाओं में MSME की महत्त्वपूर्ण वृद्धि होने की उम्मीद है।
  • बुनियादी सुविधाएँ: 
    • औद्योगिक संपदाओं को आवश्यक सुविधाओं से युक्त किया जाएगा, जिनमें सामान्य सुविधा केंद्र, विद्युत उपकेंद्र, अग्निशमन केंद्र, महिला छात्रावास, शयनगृह, शिशुगृह, पर्यावरण अनुकूल पार्क, प्रशिक्षण संस्थान और स्वास्थ्य सेवाएँ शामिल होंगी।
  • मानक संचालन प्रक्रिया (SOPs): 
    • भूमि आवंटन, संपत्ति हस्तांतरण, पुनरोद्धार,उप-पट्टे और सरेंडर के लिये SOPs का क्रियान्वयन उद्योग आयुक्त एवं निदेशक की देखरेख में किया जाएगा।

वर्गीकरण

सूक्ष्म

लघु

मध्यम

विनिर्माण और सेवा उद्यम

निवेश: 2.5 करोड़ रुपए तक

वार्षिक कारोबार: 10 करोड़ रुपए तक

निवेश: 25 करोड़ रुपए तक

वार्षिक कारोबार: 100 करोड़ रुपए तक

निवेश: 125 करोड़ रुपए तक

वार्षिक कारोबार: 500 करोड़ रुपए तक


मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना

चर्चा में क्यों?

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 14 अगस्त 2025 को मध्य प्रदेश के किसानों के खातों में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत वर्ष 2025-26 की दूसरी किस्त के रूप में 17,500 करोड़ रुपए अंतरित करेंगे।

  • मार्च 2025 तक इस योजना के तहत 83 लाख से अधिक लाभार्थियों को कुल 17,500 करोड़ रुपए प्रदान किये जा चुके थे, जिससे राज्य के कृषक समुदाय को सहायता मिली।

मुख्य बिंदु

मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के बारे में 

  • परिचय
    • सितंबर 2020 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान करना है।

    • मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना को PM किसान सम्मान निधि योजना के तहत मिलने वाले 6,000 रुपए के अतिरिक्त, सालाना 6,000 रुपए और प्रदान करके छोटे एवं सीमांत किसानों को सशक्त बनाने के लिये तैयार किया गया है। 
      • यह लाभ 2,000 रुपए की तीन किस्तों में दिया जाता है।
  • पात्रता मापदंड:
    • किसानों को PM किसान सम्मान निधि योजना (अनिवार्य ई-KYC) के तहत पंजीकृत होना चाहिये।
    • आवेदक मध्य प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिये।
    • किसान के पास कृषि योग्य भूमि होनी चाहिये जहाँ वह कृषि कार्य कर सके।
    • अपात्र किसानों में आयकरदाता, निर्वाचित प्रतिनिधि और सरकारी कर्मचारी शामिल हैं।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)

  • शुरुआत: दिसंबर 2018
  • प्रकार: केंद्रीय क्षेत्रक योजना (100% वित्तपोषण भारत सरकार द्वारा)
  • उद्देश्य: पूरे भारत में भूमि-धारक किसान परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करना
  • सहायता राशि: प्रतिवर्ष 6,000 रुपए (2,000 रुपए की 3 समान किस्तों में)
  • भुगतान: 100% प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) आधार-आधारित सत्यापन और वास्तविक समय भुगतान निगरानी के माध्यम से
  • पात्रता: सभी भूमि-धारक किसान परिवार (कुछ अपवादों के साथ)
  • लाभार्थी पहचान: दिशा-निर्देशों के अनुसार राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा
  • क्रियान्वयन एजेंसी: कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (DA&FW)


राजस्थान Switch to English

लेसर फ्लोरिकन संरक्षण संकट

चर्चा में क्यों?

राजस्थान के नसीराबाद और अजमेर से आवारा कुत्तों को अनियंत्रित रूप से अरवार संरक्षण रिज़र्व के वन क्षेत्र में छोड़ा जाना, लेसर फ्लोरिकन के लिये गंभीर खतरा बन गया है।

मुख्य बिंदु

  • जनसंख्या में गिरावट: लेसर फ्लोरिकन (Sypheotides indicus), जो कभी राजस्थान के वर्षा-आधारित घासभूमि क्षेत्रों में सामान्य रूप से पाया जाता था, की संख्या में 97% की विनाशकारी गिरावट आई है।
  • वर्ष 2025 में अजमेर, केकड़ी और शाहपुरा के प्रजनन स्थलों पर केवल एक नर पक्षी देखा गया, जबकि वर्ष 2020 में इनकी संख्या 39 थी।
  • बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) द्वारा किये गए परिदृश्य सर्वेक्षण में इस प्रजाति की घटती संख्या को रेखांकित किया गया, जिसमें एकमात्र नर बंदनवाड़ा के पास देखा गया।

लेसर फ्लोरिकन (Sypheotides indicus)

  • यह भारत में पाई जाने वाली तीन स्थानिक बस्टर्ड प्रजातियों में से एक है, अन्य दो प्रजातियाँ हैं- बंगाल फ्लोरिकन (गंभीर रूप से संकटग्रस्त) और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गंभीर रूप से संकटग्रस्त)।
    • यह बस्टर्ड परिवार का सबसे छोटा पक्षी है तथा अपने विशेष उछलते हुए प्रजनन प्रदर्शन के लिये प्रसिद्ध है।
  • स्थानीय भाषा में इसे ‘तनमोर’ या ‘खामोर’ कहा जाता है, जो ‘मोर’ शब्द से व्युत्पन्न है।
  • यह मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात में मनाया जाता है।
  • संरक्षण की स्थिति:
  • IUCN स्थिति: गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered)
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I
  • CITES: परिशिष्ट II


मध्य प्रदेश Switch to English

मेगा टिंकरिंग दिवस 2025

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रव्यापी नवाचार अभियान के अंतर्गत नीति आयोग के अटल इनोवेशन मिशन (AIM), ने ‘मेगा टिंकरिंग दिवस 2025’ का आयोजन किया, जो भारत के नवाचार परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।

मुख्य बिंदु

  • परिचय: 
    • इस राष्ट्रव्यापी आयोजन में भारत के सभी 35 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 10,000 से अधिक अटल टिंकरिंग लैब्स (ATLs) को जोड़ा गया।
    • इस कार्यक्रम में 9,467 ATL-युक्त विद्यालयों के 4,73,350 विद्यार्थियों ने भाग लिया और अपनी प्रयोगशालाओं में उपलब्ध सामान्य सामग्रियों का उपयोग कर एक ‘डू-इट-योरसेल्फ’ (DIY) वैक्यूम क्लीनर बनाने की व्यवहारिक गतिविधि में भाग लिया।
  • कार्यक्रम प्रारूप:
    • वर्चुअल एवं सामूहिक आयोजन: यह आयोजन पूरे भारत में विद्यालयों में वर्चुअल रूप से और एक साथ किया गया, जिसमें उत्तर (लेह, लद्दाख, कारगिल, कश्मीर), दक्षिण (कन्याकुमारी), पश्चिम (भुज, कच्छ), पूर्व (मणिपुर, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश) और आकांक्षी ज़िले (विरुधुनगर) शामिल थे।
    • सहयोगात्मक शिक्षण: ऑनलाइन प्रारूप ने छात्रों को भौगोलिक दूरियों के बावजूद वास्तविक समय में सहयोग करने में सक्षम बनाया।

अटल नवाचार मिशन 

  • परिचय: 
    • वर्ष 2016 में नीति आयोग द्वारा प्रारम्भ किया गया, AIM का उद्देश्य विद्यार्थियों में समस्या-समाधान की सोच विकसित कर नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करना तथा विश्वविद्यालयों एवं शोध संस्थानों में उद्यमिता पारितंत्र को सशक्त बनाना है।
  • AIM 2.0: 
    • इसका उद्देश्य AIM की सफलता के आधार पर भारत के नवाचार और उद्यमिता पारितंत्र को विस्तारित तथा मज़बूत करने के लिये नई पहलों को आगे बढ़ाना एवं उनका संचालन करना है।


मध्य प्रदेश Switch to English

भोजपुर मंदिर में स्वच्छता अभियान

चर्चा में क्यों?

10 अगस्त, 2025 को मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड ने राष्ट्रीय गौरव और पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी का संदेश फैलाते हुए संभावित यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भोजपुर मंदिर (भोजेश्वर महादेव मंदिर) में एक सफल स्वच्छता अभियान का आयोजन किया। 

  • यह कार्यक्रम "आज़ादी का उत्सव, स्वच्छता के संग" थीम पर आयोजित किया गया, जिसमें लोगों को स्वच्छता के साथ आज़ादी का उत्सव मनाने के लिये प्रोत्साहित किया गया।

मुख्य बिंदु

अभियान के बारे में: 

  • पर्यावरण जागरूकता: प्रतिभागियों ने पर्यावरण-अनुकूल अपशिष्ट निपटान, विशेषकर फूलों और प्रसाद के निपटान, स्वच्छता को बढ़ावा देने तथा विरासत के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया।
  • आध्यात्मिक जागरूकता: भगवद्गीता से कर्म योग की शिक्षाएँ साझा की गईं, जिसमें सामाजिक, पर्यावरणीय और आध्यात्मिक चेतना का सम्मिश्रण था।

भोजेश्वर महादेव मंदिर 

  • अवस्थिति: भोजपुर, ज़िला रायसेन, मध्य प्रदेश
  • ऐतिहासिक महत्त्व: 11वीं शताब्दी में परमार वंश के राजा भोज द्वारा निर्मित, भगवान शिव को समर्पित। वर्ष 2024 में इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया।
  • वास्तुकला:
    • शैली: भूमिजा, शिखर पर द्रविड़ प्रभाव।
    • भूमिजा शैली की यह वास्तुकला बाद में उदयेश्वर और बीजामंडल जैसे मंदिरों को भी प्रभावित करती है।
  • उल्लेखनीय विशेषताएँ:
    • लिंगम: विशाल आकार का (2.3 मीटर ऊँचा और 5.4 मीटर परिधि)।
    • शिखर: ऊँचा, जटिल नक्काशी और उभारों से युक्त।
    • अपूर्ण संरचना: अधूरा मंडप और छत।
  • अद्वितीय तत्व:
    • समीपवर्ती चट्टानों पर उकेरे गए रेखाचित्र, जो इच्छित मंदिर के संरचना को दर्शाते हैं।
    • स्थल के चारों ओर नक्काशीदार चिनाई ब्लॉक और मिट्टी के रैंप।
  • मंदिर की विशिष्टता:
    • विशाल आकार, जटिल नक्काशी और विशाल लिंगम परमार वंश की स्थापत्य प्रतिभा को प्रदर्शित करते हैं।
    • राजा भोज और परमार वंश के धार्मिक, सांस्कृतिक संरक्षण तथा स्थापत्य दृष्टिकोण का परिचायक।
    • भोजेश्वर मंदिर आकार और भव्यता की दृष्टि से चोल वंश के बृहदेश्वर मंदिर (तंजावुर) के समकक्ष है।
    • यदि यह पूर्ण हो गया होता, तो भोजेश्वर का शिखर 100 मीटर की ऊँचाई के साथ बृहदेश्वर के 59.82 मीटर ऊँचे शिखर से अधिक ऊँचा होता।


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