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उत्तर प्रदेश

डॉ. विक्रम साराभाई की 106वीं जयंती

  • 13 Aug 2025
  • 23 min read

चर्चा में क्यों?

डॉ. विक्रम साराभाई (12 अगस्त 1919 – 30 दिसंबर 1971), जिन्हें व्यापक रूप से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक के रूप में जाना जाता है, की 106वीं जयंती 12 अगस्त, 2025 को श्रद्धापूर्वक मनाई गई।

प्रमुख बिंदु

डॉ. विक्रम साराभाई के बारे में: 

  • प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
    • 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद, गुजरात में एक संपन्न जैन परिवार में जन्मे साराभाई अंबालाल और सरला देवी की आठ संतानों में से एक थे।
    • इन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से भौतिकी एवं गणित में स्नातक उपाधि प्राप्त की।
    • भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बंगलूरू में नोबेल पुरस्कार विजेता सी.वी. रमन के निर्देशन में पीएचडी पूरी की, जिसका शोध प्रबंध "कॉस्मिक किरणों का समय वितरण" शीर्षक से वर्ष 1942 में प्रकाशित हुआ।
  • संस्थानिक धरोहर: डॉ. साराभाई ने कई संस्थानों की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई है जो भारत के वैज्ञानिक और औद्योगिक परिदृश्य को आकार देने में महत्त्वपूर्ण रही हैं जैसे:
    • भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL), अहमदाबाद: वर्ष 1947 में स्थापित, PRL के साथ ही संस्थाओं के निर्माण की दिशा में साराभाई की यात्रा की शुरुआत हुई
    • भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), अहमदाबाद: इसके निर्माण में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।
    • सामुदायिक विज्ञान केंद्र, अहमदाबाद: इसे विज्ञान शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 1966 में स्थापित किया गया।
    • दर्पण एकेडमी फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स, अहमदाबाद: इसे इन्होंने अपनी पत्नी मृणालिनी स्वामीनाथन के साथ मिलकर स्थापित किया।
    • विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC), तिरुवनंतपुरम: भारत के अंतरिक्ष अभियानों का प्रमुख केंद्र।
  • भारतीय अंतरिक्ष और परमाणु कार्यक्रमों में योगदान: 
    • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO): उन्होंने सामाजिक विकास के लिये अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए ISRO की स्थापना में भूमिका निभाई। 
    • सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविज़न एक्सपेरीमेंट (SITE): NASA के साथ मिलकर तैयार किये गए SITE से ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण होने के साथ दूरदर्शन के कृषि दर्शन जैसे कार्यक्रमों का आधार तैयार हुआ।
    • आर्यभट्ट उपग्रह: इनके नेतृत्व में भारत के पहले उपग्रह, आर्यभट्ट का निर्माण आरंभ किया गया, जिसे वर्ष 1975 में रूसी कॉस्मोड्रोम से प्रक्षेपित किया गया।
    • परमाणु ऊर्जा आयोग: होमी भाभा की मृत्यु के बाद इसके अध्यक्ष बने तथा परमाणु विज्ञान को आगे बढ़ाने में भूमिका निभाई।
  • पुरस्कार और सम्मान: 
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