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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अहमदाबाद बना भारत का पहला विश्व विरासत शहर; जापान का ‘मेन ओनली’ द्वीप भी शामिल

  • 12 Jul 2017
  • 7 min read

संदर्भ
भारत के गुजरात में स्थित शहर अहमदाबाद  को 8 जुलाई को विश्व विरासत समिति के 41वें सत्र के दौरान यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल कर लिया गया। अहमदाबाद विश्व विरासत सूची में शामिल होने वाला भारत का पहला और एशिया का तीसरा शहर है। अन्य दो शहर श्रीलंका में गाले और नेपाल में भक्तपुर हैं। इस बार विश्व धरोहर शहरों की सूची में स्थान पाने के लिए अहमदाबाद के अलावा दिल्ली और मुम्बई भी शामिल थे। 

प्रमुख बिंदु

  • इस शहर की स्थापना 1411 में तत्कालीन गुजरात के शासक अहमद शाह ने करवाई थी।
  • पोलैंड के क्राको शहर में आयोजित यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी की 41वीं बैठक में अहमदाबाद को विश्व धरोहर  शहर घोषित किया गया। 
  • अहमदाबाद महानगर पालिका ने 31 मार्च 2011 को यूनेस्को वर्ल्ड हैरिटेज सेंटर में अहमदाबाद को सांस्कृतिक शहरों की श्रेणी में विश्व धरोहर शहर का दर्जा देने के लिये आवेदन किया था।
  • यूनेस्को के इस फैसले को 20 देशों का समर्थन मिला। अहमदाबाद को इन देशों का समर्थन इसलिये मिला क्योंकि यह शहर मुस्लिम, हिंदू और जैन समुदाय के धर्मनिरपेक्ष अस्तित्व को दर्शाता है। 
  • 1915 से 1930 के बीच इस शहर में रहे महात्मा गांधी से संबंधित अनेक स्थान भी यहां मौजूद हैं। 
  • सुंदर दीवारों वाले इस शहर में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित 26 संरचनाएं हैं। 
  • अहमदाबाद में दस ऐतिहासिक दरवाजे हैं और यह शहर वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण माना जाता है।  
  • विश्व विरासत का दर्जा हासिल करने की दिशा में अहमदाबाद की यात्रा 1984 में शुरू हुई, जब फोर्ड फाउंडेशन द्वारा विरासत संरचनाओं के संरक्षण के लिये पहला अध्ययन शुरू किया गया था।
  • अहमदाबाद साबरमती नदी के पूर्वी तट पर बसा है और लंबे समय तक गुजरात की राजधानी रहा। 

अहमदाबाद के परकोटा क्षेत्र में बने ओटले (चबूतरे), पोल व उनकी गलियां, पोलों में रहने वाले लोगों के रहन- सहन को शामिल किया गया था। लकड़ी व स्थानीय ईंटों से तैयार किए गए पोलों के मकान अपनी बनावट और नक्काशी के लिये अनूठी पहचान रखते हैं। इन पोलों के मकान के आंगन की खासियत यह है कि वह वातावरण को नियंत्रित रखने में मददगार साबित होता है। पोलों की गलियों का आपसी जुड़ाव भी अनूठा है।
पुराने अहमदाबाद शहर के 5.5 किमी. क्षेत्र में 600 पोलों या आसपास के इलाकों में लगभग 100 वर्ष पुराने लकड़ी के घरों में रहने वाली लगभग चार लाख की आबादी को जीवित विरासत माना जाता है।

  • यहाँ सल्तनत काल की स्थापत्य विरासत देखने को मिलती है, जिसमें भद्र का दुर्ग,  पुराने शहर की दीवारें और द्वार तथा और कई मस्जिदों और मकबरों के अलावा बाद में बने महत्त्वपूर्ण हिंदू और जैन मंदिर शामिल हैं।
  • पिछले तीन वर्षों में भारत के पाँचनिर्मित विरासत स्थल यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल हुए हैं।
  • भारत में अब 28 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और एक मिश्रित स्थल के साथ कुल 36 विश्व विरासत  स्थल हैं। 
  • भारत का एशिया और प्रशांत क्षेत्र में विश्व विरासत संपत्ति की सूची में चीन के बाद दूसरा तथा विश्व में सातवां स्थान है।

क्या हैं विश्व धरोहर?
मानवता के लिये अत्यंत महत्त्व के स्थान, जिन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिये बचाकर रखना आवश्यक समझा जाता है, उन्हें विश्व धरोहर  के रूप में जाना जाता है। ऐसे महत्त्वपूर्ण स्थलों के संरक्षण की पहल यूनेस्को द्वारा की जाती है। विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर संरक्षण को लेकर एक अंतर्राष्ट्रीय संधि  1972 में लागू की गई। विश्व धरोहर समिति इस संधि के तहत निम्न तीन श्रेणियों में आने वाली संपत्तियों को शामिल करती है:
1. प्राकृतिक धरोहर स्थल: ऐसी धरोहर जो भौतिक या भौगोलिक प्राकृतिक निर्माण का परिणाम या भौतिक और भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत सुंदर या वैज्ञानिक महत्त्व की जगह या भौतिक और भौगोलिक महत्त्व वाली जगह या किसी विलुप्ति के कगार पर खड़े जीव या वनस्पति का प्राकृतिक आवास हो सकती है। 
2. सांस्कृतिक धरोहर स्थल:  इस श्रेणी की धरोहरों में स्मारक, स्थापत्य की इमारतें, मूर्तिकारी, चित्रकारी, स्थापत्य की झलक वाले शिलालेख, गुफा आवास और वैश्विक महत्त्व वाले स्थान, इमारतों का समूह, अकेली इमारतें या आपस में संबद्ध इमारतों का समूह, स्थापत्य में किया मानव का काम या प्रकृति और मानव के संयुक्त प्रयास का प्रतिफल, जो कि ऐतिहासिक, सौंदर्य, जातीय, मानवविज्ञान या वैश्विक दृष्टि से महत्त्व की हो, शामिल की जाती हैं।
3. मिश्रित धरोहर स्थल: इस श्रेणी के अंतर्गत वह धरोहर स्थल आते हैं, जो प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों ही रूपों में महत्त्वपूर्ण होते हैं।

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