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राजस्थान

देश का पहला ड्रोन-आधारित क्लाउड सीडिंग प्रयोग

  • 13 Aug 2025
  • 13 min read

चर्चा में क्यों?

राजस्थान के राज्य कृषि विभाग ने क्षेत्र में जल संकट को दूर करने और रामगढ़ झील को पुनर्जीवित करने के लिये पहली बार ड्रोन-आधारित क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम वर्षा) प्रयोग शुरू किया है।

मुख्य बिंदु

क्लाउड सीडिंग प्रयोग के बारे में: 

  • उद्देश्य: 
    • इस प्रयोग का लक्ष्य वर्षा-मेघों में विशेष रसायनों का छिड़काव कर वर्षा को प्रेरित करना है, जिससे क्षेत्र की कृषि गतिविधियों को लाभ मिल सके। 
      • यह 60-दिवसीय पायलट परियोजना बादलों में जल-बूँदों के निर्माण को बढ़ावा देकर क्षेत्र में जल की कमी से निपटने का प्रयास है, जो क्षेत्रीय जल-अभाव को दूर करने हेतु चल रहे व्यापक प्रयास का हिस्सा है।
  • प्रयुक्त प्रौद्योगिकी: 
    • क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित प्लेटफॉर्म ‘हाइड्रो ट्रेस’ द्वारा संचालित है, जो वास्तविक समय के आँकड़े, उपग्रह चित्रण और सेंसर नेटवर्क का उपयोग कर सही समय पर सही बादलों को लक्षित करता है।
  • अनुमोदन: 

क्लाउड सीडिंग

  • यह एक मौसम परिवर्तन तकनीक है, जिसके माध्यम से वर्षा की मात्रा बढ़ाने के लिये बादलों में सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड या शुष्क बर्फ जैसे रसायनों का छिड़काव किया जाता है। 
  • ये रसायन जल-बूँदों के निर्माण हेतु नाभिक का कार्य करते हैं, जिससे वर्षा होती है। 
  • यह तकनीक उच्च वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की स्थिति में वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक हो सकती है।
  • क्लाउड सीडिंग से जल की उपलब्धता में वृद्धि होने के साथ-साथ आर्थिक, पर्यावरणीय तथा मानव स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी प्राप्त हो सकते हैं।

 

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