राजस्थान
अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस पर HIV-एड्स जागरूकता अभियान
- 13 Aug 2025
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चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस (12 अगस्त 2025) पर राजस्थान राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी ने जयपुर में एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें राज्य के युवाओं में HIV-एड्स जागरूकता को बढ़ावा देने के लिये एक गहन सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) अभियान शुरू किया गया।
मुख्य बिंदु
अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के बारे में:
- स्थापना: संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1999 में
- प्रारंभिक प्रस्ताव: वर्ष 1991 में विश्व युवा मंच, वियना में युवा प्रतिभागियों द्वारा
- आधिकारिक प्रस्ताव: युवाओं के लिये ज़िम्मेदार मंत्रियों का विश्व सम्मेलन, लिस्बन (1998)
- पहली बार मनाया गया: 12 अगस्त, 2000
- वर्ष 2025 की थीम: “SDG और उससे आगे के लिये स्थानीय युवा कार्य”
- चूँकि 65% से अधिक सतत् विकास लक्ष्य स्थानीय शासन से जुड़े हैं, इसलिये युवाओं की भागीदारी आवश्यक है।
- उद्देश्य:
- विश्व में युवा मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करना
- सतत् विकास में युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना
- समाज में युवाओं के योगदान का उत्सव मनाना
एड्स
- एड्स एक दीर्घकालिक, जीवन-घातक स्थिति है, जो मानव इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (HIV) के कारण होती है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है तथा CD4 कोशिकाओं (श्वेत रक्त कोशिकाएँ, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के लिये महत्त्वपूर्ण हैं) को निशाना बनाता है।
- यह असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित रक्त तथा संक्रमित सुई/सीरिंज के उपयोग से फैलता है।
- यद्यपि इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, किंतु एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) वायरस को नियंत्रित कर सकती है और CD4 कोशिकाओं को पुनः स्थापित करने में मदद करती है।
- ग्लोबल एड्स अपडेट 2023 में नए संक्रमणों में आई गिरावट पर प्रकाश डाला गया है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक एड्स को समाप्त करना है।
- भारत में 2.5 मिलियन से अधिक लोग HIV से पीड़ित हैं तथा वर्ष 2010 से नए संक्रमणों में 44% की कमी आई है।
राष्ट्रीय युवा दिवस
- भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस हर वर्ष 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है।
- वर्ष 1984 से यह दिवस इस उद्देश्य से मनाया जा रहा है कि युवा, विवेकानंद द्वारा अपनाये गये मूल्यों, सिद्धांतों और आदर्शों को अपने जीवन में उतारें।
- स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में हुआ था।
- वे भारत के महान संन्यासियों में से एक माने जाते हैं, जिन्होंने पश्चिमी जगत को हिंदू धर्म से परिचित कराया।
- श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य के रूप में उन्होंने औपनिवेशिक भारत में राष्ट्रीय एकीकरण के लिये प्रयास किया और उन्हें देश में हिंदू धर्म को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया जाता है।