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उत्तराखंड में हाथी सफ़ारी पुनः शुरू
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिज़र्व में सात वर्षों के अंतराल के बाद हाथी सफारी पुनः शुरू कर दी गई है।
मुख्य बिंदु
- पृष्ठभूमि: वर्ष 2018 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत उच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के कारण सफारी पर रोक लगा दी गई थी; हालाँकि बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने प्रतिबंध हटा दिया तथा नियामक तैयारियों के बाद सफारी को फिर से शुरू करने की अनुमति दे दी।
- पर्यटन अनुभव: हाथी सफारी धीमी गति वाला उन्नत वन अनुभव प्रदान करती है, जिससे वन्यजीवों का बेहतर अवलोकन संभव होता है और जैवविविधता के प्रति जागरूकता को बढ़ावा मिलता है।
- आर्थिक प्रभाव: इन सफारियों से पर्यावरण-पर्यटन से होने वाली आय में वृद्धि और पर्यटन पर निर्भर स्थानीय समुदायों को लाभ मिलता है।
- चुनौतियाँ और चिंताएँ: मुख्य चिंताओं में पशु कल्याण, आवास में व्यवधान तथा हाथियों का नैतिक उपयोग शामिल है, जिसके लिये सख्त कल्याण प्रोटोकॉल, सीमित सवारी एवं पशु चिकित्सा निगरानी अनिवार्य है।
- जिम कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व: उत्तराखंड में स्थित यह भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान है और प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघ संरक्षण का प्रमुख स्थल है।
- पूर्व नाम: इसका पूर्व नाम हैली नेशनल पार्क (1936) था, जिसे वर्ष 1957 में जिम कॉर्बेट के नाम पर पुनर्नामित किया गया।
- नदी: रामगंगा नदी पार्क से होकर बहती है।
- स्थान: यह नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल और अल्मोड़ा ज़िलों में फैला हुआ।
- महत्त्व: यह भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान है, जो प्रोजेक्ट टाइगर का हिस्सा है।
- वन्यजीव: बाघों, हाथियों, तेंदुओं, हिरणों और पक्षियों के लिये प्रसिद्ध।
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