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शासन व्यवस्था

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना

  • 29 Nov 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान), प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना।

मेन्स के लिये:

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना के लाभ, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना संबंधी मुद्दे।

चर्चा में क्यों?

अधिकांश अर्थशास्त्री सभी कृषि सब्सिडी को प्रत्यक्ष आय सहायता अर्थात् किसानों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण में बदलने की वकालत करते हैं।

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजना:

  • उद्देश्य: इस योजना को लाभार्थियों तक सूचना एवं धन के तीव्र प्रवाह एवं वितरण प्रणाली में धोखाधड़ी को कम करने के लिये सहायता के रूप में परिकल्पित किया गया है।
  • कार्यान्वयन: इसे भारत सरकार द्वारा 1 जनवरी, 2013 को सरकारी वितरण प्रणाली में सुधार करने हेतु एक मिशन के रूप में शुरू किया गया था।
    • महालेखाकार कार्यालय की सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (PFMS) के पुराने संस्करण यानी ‘सेंट्रल प्लान स्कीम मॉनीटरिंग सिस्टम’ को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के लिये एक प्लेटफॉर्म के रूप में चुना गया था।
  • DBT के घटक: प्रत्यक्ष लाभ योजना के क्रियान्वयन के प्राथमिक घटकों में लाभार्थी खाता सत्यापन प्रणाली; RBI, NPCI, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा सहकारी बैंकों के साथ एकीकृत, स्थायी भुगतान एवं समाधान मंच शामिल है (जैसे बैंकों के कोर बैंकिंग समाधान, RBI की निपटान प्रणाली और NPCI की आधार पेमेंट प्रणाली आदि)।
  • DBT के तहत योजनाएँ: DBT के तहत 53 मंत्रालयों की 310 योजनाएँ हैं। कुछ महत्त्वपूर्ण योजनाएँ हैं:
  • आधार अनिवार्य नहीं: DBT योजनाओं में आधार अनिवार्य नहीं है। चूंँकि आधार विशिष्ट पहचान प्रदान करता है और इच्छित लाभार्थियों को लक्षित करने में उपयोगी है, इसलिये आधार को प्राथमिकता दी जाती है और लाभार्थियों को आधार के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।

DBT के लाभ:

  • सेवाओं के कवरेज का विस्तार: एक मिशन-मोड दृष्टिकोण में, इसने सभी परिवारों के लिये बैंक खाते खोलने, सभी के लिये आधार का विस्तार करने और बैंकिंग तथा दूरसंचार सेवाओं के कवरेज को बढ़ाने का प्रयास किया।
  • तत्काल और आसान मनी ट्रांसफर: इसने आधार पेमेंट ब्रिज बनाया ताकि सरकार से लोगों के बैंक खातों में तत्काल धन हस्तांतरण किया जा सके।
    • इस दृष्टिकोण ने न केवल सभी ग्रामीण और शहरी परिवारों को सीधे अपने बैंक खातों में सब्सिडी प्राप्त करने के लिये विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत विशिष्ट रूप से जोड़ने की अनुमति दी, बल्कि आसानी से धन भी हस्तांतरित किया।
  • वित्तीय सहायता: ग्रामीण भारत में, DBT ने सरकार को कम लेन-देन लागत वाले किसानों को प्रभावी ढंग से और पारदर्शी रूप से वित्तीय सहायता प्रदान करने की अनुमति दी है।
  • वित्त का हस्तांतरण और सामाजिक सुरक्षा: शहरी भारत में, PM आवास योजना और LPG पहल योजना पात्र लाभार्थियों को धन हस्तांतरित करने के लिये DBT का सफलतापूर्वक उपयोग करती है। विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाएँँ और राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिये DBT आर्किटेक्चर का उपयोग करते हैं।
  • नए अवसरों का द्वार: मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिये स्वरोज़गार योजना (Self Employment Scheme for Rehabilitation of Manual Scavengers- SRMS) जैसे पुनर्वास कार्यक्रमों के तहत DBT नए अवसर प्रदान करता है जो समाज के सभी वर्गों की सामाजिक गतिशीलता को सक्षम बनाता है।

DBT से संबंधित चुनौतियाँ:

  • अभिगम्यता का अभाव: नामांकन करने का प्रयास करने वाले नागरिकों द्वारा सामना की जाने वाली सबसे प्रमुख समस्याओं में से एक नामांकन केंद्रों तक पहुँच/निकटता की कमी, अनुपलब्धता, या नामांकन के लिये ज़िम्मेदार अधिकारियों/संचालकों की अनियमित उपलब्धता आदि है।।
  • सुविधाओं की कमी: अभी भी कई ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्र हैं, जिनमें बैंकिंग सुविधा एवं सड़क संपर्क नहीं है। वित्तीय साक्षरता की भी आवश्यकता है जो लोगों में जागरूकता बढ़ाएगी।
  • अनिश्चितताएँ: आवेदनों को स्वीकार करने और आगे बढ़ाने में देरी जैसी समस्या है। आवश्यक दस्तावेज़ीकरण और उसमें पाई गई त्रुटियों/समस्याओं को प्राप्त करने में कठिनाई होती है।।
  • प्रक्रिया में व्यवधान: DBT के माध्यम से उनके बैंक खातों में धन प्राप्त करने के संदर्भ में सबसे प्रमुख मुद्दों में से एक भुगतान कार्यक्रम में व्यवधान है।
    • व्यवधान के कारण आधार विवरण में वर्तनी की त्रुटियांँ, लंबित KYC, बंद या निष्क्रिय बैंक खाते, आधार और बैंक खाते के विवरण में बेमेल आदि हो सकते हैं।
  • लाभार्थियों की कमी: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान), तेलंगाना सरकार के रायथु बंधु और आंध्र प्रदेश के वाईएसआर रायथु भरोसा सहित विभिन्न प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) योजनाएँ पटाईदार किसानों तक नहीं पहुँचती हैं, यानी पट्टे की भूमि पर खेती करने वालों तक नहीं पहुँचती हैं।

आगे की राह

  • नवोन्मेष का व्यवस्थितकरणः नवोन्मेष प्रणाली को सशक्त बनाना कुछ ऐसे पहलू हैं जिन पर निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता होगी।
    • यह भारत की आबादी की विविध ज़रूरतों को पूरा करने और संतुलित, न्यायसंगत तथा समावेशी विकास सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • उपलब्धता: विशेष रूप से ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं में नागरिकों के लिये नामांकन केंद्रों तक पहुँच बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है।
  • सभी के लिये एक सामान्य निकाय: लाभार्थियों को उनके मुद्दों को हल करने में मदद करने के लिये सभी स्तरों- राज्य, ज़िला और ब्लॉक में सभी DBT योजनाओं के लिये एक सामान्य शिकायत निवारण प्रकोष्ठ की स्थापना।
  • पट्टे पर देना (लीजिंग): वैसे किसान जिनके पास अपनी जमीन है अथवा वे जिन्होंने पट्टे पर ले रखा है, को समेकित जोत पर संचालन करने में मदद कर सकता है, साथ ही मालिकों को अपनी भूमि के नुकसान संबंधी ज़ोखिम के बिना गैर-कृषि रोज़गार में भी मदद करता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना के माध्यम से सरकारी प्रदेय व्यवस्था में सुधार एक प्रगतिशील कदम है, किन्तु इसकी अपनी सीमाएँ भी हैं। टिप्पणी कीजिये।(2022)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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