लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

शासन व्यवस्था

राष्ट्रीय आयुष मिशन

  • 15 Jul 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आयुष क्षेत्र संबंधी नए पोर्टल

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय आयुष मिशन

चर्चा में क्यों?

सरकार ने राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM) को केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में वर्ष 2026 तक जारी रखने का निर्णय लिया है।

  • परियोजना की कुल लागत 4,603 करोड़ रुपए है, जिसमें से 3,000 करोड़ रुपए केंद्र सरकार द्वारा और शेष राज्य सरकारों द्वारा वहन किया जाएगा।
  • हाल ही में आयुष क्षेत्र संबंधी नए पोर्टल भी लॉन्च किये गए थे।

‘आयुष’ का अर्थ:

  • स्वास्थ्य देखभाल और उपचार की पारंपरिक एवं गैर-पारंपरिक प्रणालियाँ जिनमें आयुर्वेद (Ayurveda), योग (Yoga), प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी (Unani), सिद्ध (Siddha), सोवा-रिग्पा (Sowa-Rigpa) व होम्योपैथी (Homoeopathy) आदि शामिल हैं। 
  • भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की सकारात्मक विशेषताओं अर्थात् उनकी विविधता और लचीलापन; अभिगम्यता; सामर्थ्य, आम जनता के एक बड़े वर्ग द्वारा व्यापक स्वीकृति; तुलनात्मक रूप से कम लागत तथा बढ़ते आर्थिक मूल्य के कारण उनके स्वास्थ्य सेवा प्रदाता बनने की काफी संभावनाएँ हैं, साथ ही लोगों के बड़े हिस्से को उनकी आवश्यकता है।

प्रमुख बिंदु:

शुरुआत:

  • इस मिशन को सितंबर 2014 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत आयुष विभाग द्वारा 12वीं योजना के दौरान राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के माध्यम से कार्यान्वयन के लिये शुरू किया गया था।
  • वर्तमान में इसे आयुष मंत्रालय द्वारा लागू किया गया है।

इसके संबंध में:

  • इस योजना में भारतीयों के समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये आयुष क्षेत्र का विस्तार शामिल है।
  • यह मिशन देश में विशेष रूप से कमज़ोर और दूर-दराज़ के क्षेत्रों में आयुष स्वास्थ्य सेवाएँ/शिक्षा प्रदान करने के लिये राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों के प्रयासों का समर्थन कर स्वास्थ्य सेवाओं में अंतराल को संबोधित करता है।

राष्ट्रीय आयुष मिशन के घटक

  • अनिवार्य घटक:
    • आयुष (AYUSH) सेवाएँ
    • आयुष शैक्षणिक संस्थान
    • आयुर्वेद, सिद्ध एवं यूनानी तथा होमियोपैथी (ASU&H) औषधों का गुणवत्ता नियंत्रण
    • औषधीय पादप/पौधे
  • नम्य घटक:
    • योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा सहित आयुष स्वास्थ्य केंद्र 
    • टेली-मेडिसिन
    • सार्वजनिक निजी भागीदारी सहित आयुष में नवाचार
    • सूचना, शिक्षा तथा संचार (Information, Education and Communication- IEC) कार्यकलाप
    • स्वैच्छिक प्रमाणन स्कीम: परियोजना आधारित

अपेक्षित परिणाम:

  • आयुष सेवाओं एवं दवाओं की बेहतर उपलब्धता एवं प्रशिक्षित श्रमबल प्रदान कर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से आयुष स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुँच।
  • बेहतर सुविधाओं से व्यवस्थित अनेकों आयुष शिक्षण संस्थानों के माध्यम से आयुष शिक्षा में सुधार करना।
  • आयुष स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों का इस्तेमाल करते हुए लक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के माध्यम से संचारी/गैर-संचारी रोगों को कम करने पर ध्यान केंद्रित करना

केंद्रीय योजनाएँ

  • केंद्रीय योजनाओं को दो भागों- केंद्रीय क्षेत्रक योजना (Central Sector Schemes) और केंद्र प्रायोजित योजना (Centrally Sponsored Schemes) में विभाजित किया है।

केंद्रीय क्षेत्रक योजनाएँ (CSS) :

  • इन योजनाओं का 100 प्रतिशत वित्तपोषण केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।
  • इनका कार्यान्वयन भी केंद्रीय तंत्र द्वारा ही किया जाता है।
  • ये योजनाएँ मुख्य रूप से संघ सूची में उल्लेखित विषयों पर बनाई जाती हैं।
  • उदाहरण: भारतनेट, नमामि गंगे-राष्ट्रीय गंगा योजना आदि।

केंद्र प्रायोजित योजनाएँ:

  • ये केंद्र सरकार की ऐसी योजनाएँ हैं जिनमें केंद्र और राज्यों दोनों की वित्तीय भागीदारी होती है।
  • केंद्र प्रायोजित योजनाओं को ‘कोर ऑफ कोर स्कीम’, ‘कोर स्कीम’ और ‘वैकल्पिक स्कीमों’ में विभाजित किया गया है।
    • वर्तमान में 6 ‘कोर ऑफ कोर स्कीम्स’ हैं, जबकि 23 कोर स्कीम्स हैं।
  • इनमें से अधिकांश योजनाओं में राज्यों की विशिष्ट वित्तीय भागीदारी निर्धारित हैं। उदाहरण के लिये मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम) के मामले में राज्य सरकारों को 25% व्यय वहन करना पड़ता है।

छह ‘कोर ऑफ कोर स्कीम्स’ में शामिल हैं

स्रोत: पी.आई.बी.

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2