राजस्थान
लेसर फ्लोरिकन संरक्षण संकट
- 13 Aug 2025
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चर्चा में क्यों?
राजस्थान के नसीराबाद और अजमेर से आवारा कुत्तों को अनियंत्रित रूप से अरवार संरक्षण रिज़र्व के वन क्षेत्र में छोड़ा जाना, लेसर फ्लोरिकन के लिये गंभीर खतरा बन गया है।
मुख्य बिंदु
- जनसंख्या में गिरावट: लेसर फ्लोरिकन (Sypheotides indicus), जो कभी राजस्थान के वर्षा-आधारित घासभूमि क्षेत्रों में सामान्य रूप से पाया जाता था, की संख्या में 97% की विनाशकारी गिरावट आई है।
- वर्ष 2025 में अजमेर, केकड़ी और शाहपुरा के प्रजनन स्थलों पर केवल एक नर पक्षी देखा गया, जबकि वर्ष 2020 में इनकी संख्या 39 थी।
- बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) द्वारा किये गए परिदृश्य सर्वेक्षण में इस प्रजाति की घटती संख्या को रेखांकित किया गया, जिसमें एकमात्र नर बंदनवाड़ा के पास देखा गया।
लेसर फ्लोरिकन (Sypheotides indicus)
- यह भारत में पाई जाने वाली तीन स्थानिक बस्टर्ड प्रजातियों में से एक है, अन्य दो प्रजातियाँ हैं- बंगाल फ्लोरिकन (गंभीर रूप से संकटग्रस्त) और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गंभीर रूप से संकटग्रस्त)।
- यह बस्टर्ड परिवार का सबसे छोटा पक्षी है तथा अपने विशेष उछलते हुए प्रजनन प्रदर्शन के लिये प्रसिद्ध है।
- स्थानीय भाषा में इसे ‘तनमोर’ या ‘खामोर’ कहा जाता है, जो ‘मोर’ शब्द से व्युत्पन्न है।
- यह मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात में मनाया जाता है।
- संरक्षण की स्थिति:
- IUCN स्थिति: गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered)
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I
- CITES: परिशिष्ट II