विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
वर्षान्त समीक्षा 2025: परमाणु ऊर्जा विभाग
प्रिलिम्स के लिये: नाभिकीय ऊर्जा, न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL), राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC), परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC), दाबित भारी जल रिऐक्टर (PHWR)।
मेन्स के लिये: वर्ष 2025 में परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) की प्रमुख उपलब्धियाँ।
चर्चा में क्यों?
परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) ने वर्ष 2025 के लिये अपनी वर्षान्त समीक्षा जारी की, जिसमें नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन, स्वास्थ्य सेवा (उदाहरण के लिये, कैंसर देखभाल) आदि क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति, दुर्लभ मृदा तत्त्वों के अन्वेषण में योगदान तथा उच्च-तकनीकी राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणालियों में उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया है।
सारांश
- परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) माही बांसवाड़ा परमाणु ऊर्जा परियोजना और नए दाबित भारी जल रिऐक्टरों (PHWR) के अनुमोदन जैसी परियोजनाओं के माध्यम से नाभिकीय क्षमता का तीव्र विस्तार कर रहा है और रिकॉर्ड ऊर्जा उत्पादन प्राप्त कर रहा है।
- इसने कैंसर देखभाल, स्वदेशी रेडियोफार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरणों का कीटाणुशोधन, उच्च उपज वाली फसलों, विकिरण सुविधाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणालियों में उन्नति प्राप्त की है।
वर्ष 2025 में परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं?
- नाभिकीय ऊर्जा विस्तार: राजस्थान में माही बांसवाड़ा नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र (NPP) की आधारशिला रखी गई, जिसे न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL)-राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC) संयुक्त उद्यम ASHVINI द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
- परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC) ने 10 अतिरिक्त 700 मेगावाट दाबित भारी जल रिऐक्टर (PHWR) इकाइयों को मंज़ूरी दी, जो वर्ष 2032 के लिये 22.5 गीगावाट के मौजूदा लक्ष्य से आगे के विस्तार का संकेत देती है।
- NPCIL ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में अपने इतिहास में सर्वाधिक 56,681 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन प्राप्त किया, जिससे लगभग 49 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन से परहेज़ किया गया।
- स्वास्थ्य सेवा एवं रेडियोफार्मास्यूटिकल्स: बिहार में होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन किया गया, जो पूर्वी भारत में उन्नत ऑन्कोलॉजी सेवाएँ प्रदान करेगा।
- टाटा मेमोरियल अस्पताल को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) रेज़ ऑफ़ होप एंकर सेंटर के रूप में मान्यता प्रदान की गई, जो कैंसर उपचार, अनुसंधान और क्षमता निर्माण में इसकी वैश्विक अग्रणी भूमिका की पुष्टि करती है।
- रणनीतिक और उच्च‑तकनीकी स्वायत्तता: DAE ने भारत का पहला सर्टिफाइड रेफरेंस मटीरियल (CRM) दुर्लभ मृदा तत्त्व (REEs) के लिये फेरोकार्बोनेटाइट विकसित किया, जिससे रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स और हरित प्रौद्योगिकी के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपकरण प्राप्त हुआ।
- भारत का पहला इलेक्ट्रॉनिक्स-ग्रेड (99.8% शुद्धता) बोरोन-11 संवर्धन सुविधा, जो तालचर, ओडिशा में स्थापित किया गया है, अर्द्धचालक निर्माण के लिये अत्यंत उच्च-शुद्धता सामग्री प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान: DAE की संस्थाओं ने अस्त्र मिसाइल हेतु वेपन कंट्रोल सिस्टम और अग्नि मिसाइलों के लिये इंटीग्रेटेड पावर एवं पायरो रिले यूनिट्स विकसित की हैं।
- कृषि और सामाजिक अनुप्रयोग: नई उच्च उपज और शीघ्र पकने वाली उत्परिवर्ती फसल किस्में, जैसे TBM-9 केला और RTS-43 ज्वार, अधिसूचित की गई हैं। इसके साथ ही BARC द्वारा जारी की गई किस्मों की संख्या 72 हो गई है।
- देशभर में गामा विकिरण प्रसंस्करण सुविधाओं की संख्या बढ़कर 40 हो गई है, जिससे खाद्य संरक्षण, सुरक्षा और कृषि उत्पादकता में सुधार हुआ है।
- संस्थागत उत्कृष्टता: DAE ने 18वीं अंतर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञान और खगोलीय भौतिकी ओलंपियाड (IOAA 2025) की मेज़बानी की। होमी भाभा नेशनल इंस्टिट्यूट (HBNI) ने राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) 2025 और नेचर इंडेक्स 2024-25 में शीर्ष रैंकिंग हासिल की, जो अनुसंधान उत्कृष्टता को दर्शाता है।
भारत की परमाणु ऊर्जा इकोसिस्टम
- परिचय: भारत की परमाणु ऊर्जा इकोसिस्टम एटॉमिक एनर्जी विभाग (DAE) के तहत एक राज्य-नेतृत्व वाला ढाँचा है, जिसका उद्देश्य देशी प्रौद्योगिकी और 3-स्टेज न्यूक्लियर पावर प्रोग्राम के माध्यम से ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
- वर्तमान क्षमता और लक्ष्य: भारत की वर्तमान परमाणु ऊर्जा क्षमता 8.18 GW है, और सरकार 2031–32 तक इसे 22.48 GW तक बढ़ाने का लक्ष्य रखती है।
- स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs): 2025-26 के बजट में परमाणु ऊर्जा मिशन की शुरुआत की गई है, जिसके तहत वर्ष 2033 तक 5 देशी SMRs विकसित और तैनात किये जाएंगे। स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) उन्नत रिएक्टर हैं, जिनकी क्षमता प्रति यूनिट लगभग 300 MW(e) होती है, जो पारंपरिक रिएक्टरों की उत्पादन क्षमता का लगभग एक-तिहाई है।
- भारत का 3-स्टेज न्यूक्लियर पावर प्रोग्राम: यह रणनीति थोरियम आधारित ऊर्जा की ओर संक्रमण के लिये विभिन्न प्रकार के रिएक्टरों का उपयोग करती है।
- स्टेज I: PHWRs (प्रेशर हैवी वाटर रिएक्टर) में प्राकृतिक यूरेनियम (U-238) और भारी पानी का उपयोग किया जाता है, प्रयुक्त ईंधन को प्लूटोनियम प्राप्त करने के लिये पुनःप्रक्रिया किया जाता है।
- स्टेज II: फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBRs) का उपयोग स्टेज I के प्लूटोनियम से किया जाता है और यह थोरियम से U-233 उत्पन्न करता है।
- स्टेज III: थोरियम-आधारित रिएक्टर में U-233 और थोरियम का उपयोग किया जाता है, जिसका उद्देश्य U-233 को भारत के मुख्य परमाणु ईंधन के रूप में विकसित करना है।
निष्कर्ष
सन् 2025 में, DAE ने भारत की परमाणु ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, रणनीतिक क्षमताओं, उच्च प्रौद्योगिकी, कृषि और अनुसंधान को उन्नत किया, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा, वैज्ञानिक उत्कृष्टता और सामाजिक विकास को मज़बूती मिली, साथ ही नवाचार, शिक्षा और संस्थागत प्रदर्शन में वैश्विक मान्यता भी प्राप्त हुई।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: परमाणु ऊर्जा विभाग का दायरा केवल परमाणु ऊर्जा उत्पादन तक सीमित नहीं है। वर्ष 2025 में इसकी उपलब्धियों के संदर्भ में, भारत में रणनीतिक स्वायत्तता, स्वास्थ्य नवाचार और कृषि विकास के प्रेरक के रूप में इसकी भूमिका का विश्लेषण कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. माही बांसवाड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट क्या है?
यह राजस्थान में स्थित 4-यूनिट PHWR न्यूक्लियर पावर प्लांट है, जिसे वर्ष 2025 में प्रधानमंत्री द्वारा रखा गया था तथा इसे NPCIL-NTPC संयुक्त उद्यम 'ASHVINI' द्वारा कार्यान्वित किया गया है।
2. वर्ष 2025 में किस DAE अस्पताल को IAEA द्वारा मान्यता प्रदान की गई?
टाटा मेमोरियल अस्पताल को कैंसर उपचार और अनुसंधान के लिये “Rays of Hope” एंकर सेंटर के रूप में मान्यता दी गई।
3. फेरोकार्बोनेटाइट (BARC B1401) का क्या महत्त्व है?
यह भारत का पहला दुर्लभ मृदा तत्त्व के लिये प्रमाणित संदर्भ सामग्री (Certified Reference Material) है, जो रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स और हरित प्रौद्योगिकियों में मदद करती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. भारत में, क्यों कुछ परमाणु रिएक्टर ‘‘आई.ए.ई.ए. सुरक्षा उपायों’’ के अधीन रखे जाते हैं, जबकि अन्य इस सुरक्षा के अधीन नहीं रखे जाते? (2020)
(a) कुछ यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य थोरियम का
(b) कुछ आयातित यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य घरेलू आपूर्ति का
(c) कुछ विदेशी उद्यमों द्वारा संचालित होते हैं और अन्य घरेलू उद्यमों द्वारा
(d) कुछ सरकारी स्वामित्व वाले होते हैं और अन्य निजी स्वामित्व वाले
उत्तर: (b)
मेन्स:
प्रश्न. ऊर्जा की बढ़ती हुई ज़रूरतों के परिप्रेक्ष्य में क्या भारत को अपने नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार करना जारी रखना चाहिये ? नाभिकीय ऊर्जा से संबंधित तथ्यों एवं भयों की विवेचना कीजिये। (2018)

भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत का घरेलू पूंजी बाज़ारों की ओर रुझान
प्रिलिम्स के लिये: पूंजी बाज़ार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI), म्यूचुअल फंड, प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO)
मेन्स के लिये: आर्थिक वृद्धि और वित्तीय गहराई में पूंजी बाज़ार की भूमिका, FPI पर निर्भरता में कमी का मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिरता पर प्रभाव, शेयर बाज़ारों में बढ़ती रिटेल भागीदारी की चुनौतियाँ
चर्चा में क्यों?
भारत के पूंजी बाज़ार एक संरचनात्मक परिवर्तन से गुजर रहे हैं, जिसमें घरेलू परिवारों की बचत विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) की जगह मुख्य बाज़ार तरलता स्रोत के रूप में बढ़ती जा रही है।
- जहाँ इस बदलाव ने अस्थिर वैश्विक पूंजी के जोखिम को कम किया और बाज़ार स्थिरता में सुधार किया है, वहीं इसने असमान भागीदारी, निवेशक संरक्षण और विकसित भारत 2047 की दिशा में समावेशी वृद्धि के मुद्दों को भी उजागर किया है।
सारांश
- भारत के पूंजी बाजार घरेलू नेतृत्व वाली वृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं, क्योंकि घरेलू परिवारों की बचत विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की जगह ले रही है, जिससे स्थिरता और नीति स्वायत्तता में सुधार हो रहा है।
- हालाँकि समावेशी वृद्धि को सुनिश्चित करने और विकसित भारत 2047 की दिशा में आगे बढ़ने के लिये निवेशक संरक्षण, मूल्यांकन जोखिम तथा असमान भागीदारी जैसी चुनौतियों को संबोधित करना आवश्यक है।
घरेलू धन भारतीय पूंजी बाज़ार को कैसे आकार दे रहा है?
- बाज़ार के स्वामित्व और शक्ति में बदलाव: भारतीय इक्विटी में FPI का स्वामित्व 16.9% तक घटकर 15 महीने के न्यूनतम स्तर पर आ गया है, और NIFTY 50 में यह 24.1% है।
- इसके विपरीत घरेलू म्यूचुअल फंड लगातार तिमाही-दर-तिमाही रिकॉर्ड स्तर छू रहे हैं, जो निरंतर SIP निवेश के कारण संभव हो रहा है।
- खुदरा निवेशक, डायरेक्ट इक्विटी होल्डिंग्स और म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से, अब शेयर बाजार का लगभग 19% हिस्सा रखते हैं, जो पिछले दो दशकों में सबसे उच्च स्तर है।
- यह वैश्विक रूप से चलनशील पूंजी से घरेलू बचतकर्त्ताओं की ओर बाज़ार की ताकत में बदलाव को दर्शाता है, जिससे भारतीय इक्विटीज़ बाहरी झटकों के प्रति कम संवेदनशील हो गई हैं।
- प्राथमिक बाजार और पूंजी निर्माण में तेज़ी: वर्ष 2025 में घरेलू निवेशकों का भरोसा प्राथमिक बाजार में स्पष्ट दिख रहा है, जिसमें इस वित्तीय वर्ष में 71 मेनबोर्ड प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO) से 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक जुटाए गए हैं।
- वित्त वर्ष 2025 में कॉरपोरेट निवेश की घोषणाएँ वार्षिक आधार पर 39% बढ़ीं, जिनमें लगभग 70% हिस्सेदारी निजी क्षेत्र की रही। यह मज़बूत घरेलू जोखिम लेने की क्षमता और पूंजी जुटाने में तेज़ी को दर्शाता है।
- अधिक बाज़ार स्थिरता: घरेलू बचत एक स्थिर और दीर्घकालिक आधार के रूप में काम करती है, जिससे अचानक होने वाले FPI के निवेश प्रवाह और निकासी से उत्पन्न होने वाली अस्थिरता कम होती है।
- यह 2025 के अक्तूबर में निफ्टी 50 की तेज़ी में स्पष्ट रूप से देखा गया, जहां वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद घरेलू निवेश प्रवाह ने ‘स्थिरता की ओर पलायन’ के रूप में एक सुरक्षा कवच प्रदान किया।
- RBI के लिये नीति निर्धारण की अधिक स्वतंत्रता: FPI प्रवाह पर निर्भरता कम होने से भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को मौद्रिक नीति में अधिक स्वायत्तता मिलती है।
- यह भारतीय रिज़र्व बैंक को बैंक ऋण बढ़ाने के लिये अधिक स्वतंत्रता देता है, विकास और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन बनाने में मदद करता है, तथा पूंजी के पलायन को रोकने के लिये रुपये की बार-बार रक्षा करने की आवश्यकता को कम करता है।
- हालाँकि यह नीतिगत लचीलापन घरेलू उपभोक्ताओं के निरंतर विश्वास पर निर्भर करता है और बाज़ारों में अचानक सुधार या गिरावट होने पर यह जल्दी बदल भी सकता है।
भारत में वित्तीय बाज़ार
- परिचय: वित्तीय बाज़ार वे प्लेटफॅार्म हैं जहाँ शेयर, बॉण्ड और मुद्राओं जैसी प्रतिभूतियों का लेन-देन किया जाता है।
- ये बाज़ार—जिनमें विदेशी मुद्रा, बॉण्ड, शेयर, मुद्रा और डेरिवेटिव्स बाज़ार शामिल हैं—एक देश की आर्थिक वृद्धि में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- भारत में वित्तीय बाज़ारों के घटक:
- मनी मार्केट: यह अल्पकालिक वित्तीय साधनों (एक वर्ष से कम अवधि वाले) से संबंधित होता है और बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों के बीच उधार और ऋण की सुविधा प्रदान करता है।
- पूंजी बाजार: यह दीर्घकालिक निवेशों (एक वर्ष से अधिक की परिपक्वता अवधि वाले) से संबंधित होता है। इसमें प्राथमिक बाज़ार शामिल है, जहाँ नई प्रतिभूतियाँ जारी की जाती हैं, और द्वितीयक बाज़ार, जहाँ पहले से जारी प्रतिभूतियों का लेन-देन होता है।
- विदेशी मुद्रा बाज़ार: यह मुद्रा के लेन-देन की सुविधा प्रदान करता है और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं निवेश के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- डेरिवेटिव्स बाज़ार: इसमें ऐसे वित्तीय उपकरणों का लेन-देन होता है, जैसे विकल्प और फ्यूचर्स, जिनका मूल्य किसी मूलभूत संपत्ति से प्राप्त होता है।
भारत के घरेलू-केंद्रित पूंजी बाज़ारों की ओर बदलाव से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- निवेशक तैयारी और वित्तीय साक्षरता का अंतर: लाखों नए खुदरा निवेशक शेयर बाज़ार में प्रवेश कर रहे हैं, जिनमें से कई जोखिम, बाज़ार चक्र और मूल्यांकन की सीमित समझ रखते हैं।
- बाज़ार सुधारों के दौरान, ये निवेशक अधिक नुकसान झेल सकते हैं, जिससे शेयर बाज़ार में लंबी अवधि का विश्वास कमज़ोर हो सकता है।
- मूल्यांकन की अत्यधिकता: कई IPO और नए युग की कंपनियों (New-age Companies) को उनके कमाई और बुनियादी आर्थिक आधार से कहीं अधिक कीमत पर मूल्यांकन किया जा रहा है।
- यदि बाज़ार की स्थिति बदलती है, तो ऐसे बढ़े हुए मूल्यांकन तेज़ गिरावट ला सकते हैं, जिससे छोटे निवेशकों पर असमान प्रभाव पड़ता है।
- निम्न निवेशक प्रतिफल: इनकी लोकप्रियता के बावजूद, अधिकांश सक्रिय म्यूचुअल फंड शुल्क और जोखिम को ध्यान में रखने के बाद बाज़ार से लगातार बेहतर प्रदर्शन करने में विफल रहते हैं, फिर भी वे निवेश पर हावी हैं।
- जबकि कम लागत वाले निष्क्रिय फंड का उपयोग कम ही होता है, जिससे छोटे निवेशकों के प्रतिफल कम होते हैं।
- असमान भागीदारी: इक्विटी और म्यूचुअल फंड का स्वामित्व बेहतर वित्तीय पहुँच वाले, उच्च आय वाले और शहरी परिवारों तक ही केंद्रित बना हुआ है।
- परिणामस्वरूप, बाज़ार में होने वाले लाभ का वितरण असमान होता है, जो समावेशी विकास में पूंजी बाज़ारों की भूमिका को सीमित करता है।
- कॉर्पोरेट प्रशासन संबंधी चिंताएँ: प्रवर्तक हिस्सेदारी में गिरावट दीर्घकालिक प्रतिबद्धता और अवसरवादी निकास के जोखिम पर प्रश्न उठाती है।
- ऐसे में, उन घरेलू बचतकर्त्ताओं के हितों की रक्षा के लिये, जो अब बाज़ारों का प्रमुख आधार बन चुके हैं, अधिक सुदृढ़ कॉर्पोरेट प्रशासन और पारदर्शिता की आवश्यकता है।
भारत के पूंजी बाज़ारों को सुदृढ़ करने हेतु किन उपायों की आवश्यकता है?
- पहुँच एवं सूचना असममिति का समाधान: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के निवेशक संरक्षण ढाँचे को मज़बूत बनाना। इसके लिये सेबी (सूचीबद्धता (लिस्टिंग) बाध्यताएँ और प्रकटीकरण अपेक्षाएँ) विनियम, 2015 के तहत मात्र प्रकटीकरण से आगे बढ़कर, उपयुक्तता-आधारित विक्रय, सरलीकृत उत्पादों और वितरकों विशेष रूप से प्रथम-बार निवेशकों के लिये, पर सख्त निगरानी पर ध्यान देना आवश्यक है।
- कम लागत वाले निष्क्रिय निवेश को प्रोत्साहन: सक्रिय फंडों से शुल्क-पश्चात खराब प्रतिफल की समस्या के समाधान हेतु, म्यूचुअल फंड सही है अभियान के माध्यम से कम व्यय अनुपात और निवेशक जागरूकता द्वारा सूचकांक फंडों और ETF को प्रोत्साहित करना।
- वित्तीय साक्षरता और विश्वास को मज़बूत करना: वित्तीय शिक्षा के लिये राष्ट्रीय रणनीति (NSFE) के तहत वित्तीय शिक्षा का विस्तार करना, जिसमें छोटे निवेशकों, महिलाओं और प्रथम-बार बाजार प्रतिभागियों पर केंद्रित पहुँच शामिल हो।
- कॉर्पोरेट प्रशासन सुधारों को गहरा करना: कंपनी अधिनियम, 2013, सेबी LODR मानदंडों, स्वतंत्र निदेशकों और प्रबलित प्रकटीकरण के माध्यम से मज़बूत प्रशासन को लागू करना, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रवर्तक हिस्सेदारी में गिरावट वास्तविक पूंजी निर्माण को दर्शाए न कि मूल्य निष्कर्षण को।
- डेटा-आधारित समावेश नीतियों को अपनाना: भारतीय रिज़र्व बैंक, सेबी और राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के आँकड़ों का लाभ उठाना और जन धन-आधार-मोबाइल (JAM) व डिजिटल इंडिया ढाँचों के साथ समन्वय स्थापित करना, ताकि वित्तीय पहुँच में मौजूद अंतरालों की पहचान की जा सके और अल्प-प्रतिनिधित्व वाले निवेशकों के लिये लक्षित हस्तक्षेपों को डिज़ाइन किया जा सके।
निष्कर्ष
घरेलू बचतों की ओर हुआ यह बदलाव बाज़ार स्थिरता को मज़बूत करता है और बाह्य जोखिमों को कम करता है, किंतु समावेशन, साक्षरता और संरक्षण के अभाव में यह स्थिरता निर्बल सिद्ध हो सकती है। विकसित भारत 2047 के मार्ग पर वृद्धि और विश्वास को बनाए रखने के लिये शासन को गहरा करना तथा निवेशकों के परिणामों में सुधार करना अनिवार्य है।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: चर्चा कीजिये कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेश से घरेलू परिवारों की बचतों की ओर हुआ बदलाव भारत के पूंजी बाज़ारों को किस प्रकार पुनः आकार दे रहा है। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. भारत में घरेलू पूंजी बाज़ारों की ओर यह बदलाव किसके कारण हो रहा है?
बढ़ती घरेलू बचतें, SIP अंतर्वाह के रिकॉर्ड स्तर और बढ़ी हुई खुदरा भागीदारी अस्थिर FPI प्रवाहों के स्थान पर बाज़ार तरलता के मुख्य स्रोत के रूप में उभर रही हैं।
2. इस बदलाव ने बाज़ार स्थिरता में कैसे सुधार किया है?
घरेलू बचतें दीर्घकालिक पूंजी उपलब्ध कराती हैं, जिससे अचानक विदेशी पूंजी के प्रवेश और निकास से होने वाली अस्थिरता कम होती है।
3. नए खुदरा निवेशकों के समक्ष कौन-सी चुनौतियाँ हैं?
सीमित वित्तीय साक्षरता, अधिमूल्यित IPO में जोखिम और सक्रिय फंडों से शुल्क-पश्चात खराब प्रतिफल से नकारात्मक जोखिम बढ़ जाते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स
प्रश्न. रुपए की परिवर्तनीयता से क्या तात्पर्य है? (2015)
(a) रुपए के नोटों के बदले सोना प्राप्त कर सकना
(b) रुपए के मूल्य को बाज़ार की शक्तियों द्वारा निर्धारित होने देना
(c) रुपए को अन्य मुद्राओं में और अन्य मुद्राओं को रुपये में परिवर्तित करने की स्वतंत्र रूप से अनुज्ञा प्रदान करना
(d) भारत में मुद्राओं के लिए अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार विकसित करना
उत्तर: (c)
मेन्स
प्रश्न. क्या आप इस मत से सहमत हैं कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की स्थायी संवृद्धि तथा निम्न मुद्रास्फीति के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है? अपने तर्कों के समर्थन में कारण दीजिये। (2019)

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन
प्रिलिम्स के लिये: राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM), सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC), AIRAWAT, मॉनसून, प्रत्युष, जीनोम सीक्वेंसिंग, प्रोटीन फोल्डिंग, सेमीकंडक्टर, नैनोमटेरियल्स।
मेन्स के लिये: नेशनल सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) की मुख्य विशेषताएँ और इसके तहत विभिन्न उपलब्धियाँ। उच्च-प्रदर्शन संगणन (हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग- HPC) के अनुप्रयोग।
चर्चा में क्यों?
भारत ने वर्ष 2030 तक अपने उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (HPC) प्रणालियों के पूर्ण स्वदेशीकरण का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्तमान में इनमें स्वदेशी घटकों की हिस्सेदारी लगभग 50% है, जिसके दशक के अंत तक 70% से अधिक होने की संभावना है।
- देश का लक्ष्य राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) के तहत मार्च, 2026 तक 90 पेटाफ्लॉप्स (PF) की कंप्यूटिंग क्षमता स्थापित करना है।
सरांश
- भारत की राष्ट्रीय मानक प्रबंधन योजना का उद्देश्य स्वदेशी उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (NHC) क्षमता का निर्माण करना है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक लगभग पूर्ण स्वदेशीकरण हासिल करना है।
- प्रमुख उपलब्धियाँ: रुद्र सर्वर, त्रिनेत्र नेटवर्क, ऐरावत AI सुपरकंप्यूटर। NSM 2.0 का लक्ष्य रणनीतिक स्वायत्तता के लिये ISM के साथ स्वदेशी CPUs/GPUs और एक्सस्केल कंप्यूटिंग है।
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) क्या है?
- परिचय: NSM को वर्ष 2015 में भारत सरकार की एक प्रमुख पहल के रूप में लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य देश को उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग क्षमताओं से सशक्त बनाना था।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा संयुक्त रूप से संचालित, पुणे स्थित सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC) और बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) द्वारा कार्यान्वित।
- उद्देश्य:
- आत्मनिर्भरता: स्वदेशी सुपरकंप्यूटिंग डिज़ाइन, विकास और विनिर्माण हासिल करना।
- अनुसंधान एवं सुलभता: अनुसंधान एवं विकास के लिये सुपरकंप्यूटिंग को बढ़ावा देना तथा इसे देशभर के वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी समुदायों के लिये सुलभ बनाना।
- राष्ट्रीय प्रासंगिकता: शैक्षणिक, अनुसंधान एवं विकास तथा सरकारी संस्थानों के माध्यम से राष्ट्रीय महत्त्व के अनुप्रयोगों का विकास करना।
- तीन चरणों वाली रणनीतिक कार्यान्वयन प्रक्रिया:
- चरण I: विभिन्न संस्थानों में छह सुपरकंप्यूटर स्थापित कर बुनियादी सुपरकंप्यूटिंग अवसंरचना के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें पर्याप्त घरेलू असेंबली शामिल थी, इसका उद्देश्य देश के भीतर कंपोनेंट असेंबली का एक इकोसिस्टम विकसित करना था।
- चरण II: स्थानीय सॉफ्टवेयर स्टैक के विकास के साथ सुपरकंप्यूटरों के स्वदेशी निर्माण की ओर प्रगति की गई और इसमें भारत से लगभग 40% मूल्यवर्धन प्राप्त किया गया।
- तीसरा चरण: इसमें भारत के भीतर प्रमुख घटकों के डिज़ाइन, विकास और निर्माण सहित पूर्ण स्वदेशीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- NSM के तहत स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास:
- त्रिनेत्र नेटवर्क: सी-डैक (C-DAC) द्वारा विकसित स्वदेशी उच्च-गति संचार नेटवर्क त्रिनेत्र कंप्यूटिंग नोड्स के बीच डेटा ट्रांसफर और संचार को सुदृढ़ बनाने के लिये तैयार किया गया है।
- त्रिनेत्र-POC: प्रमुख अवधारणाओं को सत्यापित करने हेतु विकसित एक प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट (POC) प्रणाली।
- त्रिनेत्र-A: 100 गीगाबिट प्रति सेकंड की नेटवर्क क्षमता, C-DAC पुणे में 1 पेटाफ्लॉप (PF) परम रुद्र में सफलतापूर्वक तैनात और परीक्षित।
- PF का अर्थ है कि एक कंप्यूटर प्रति सेकंड एक क्वाड्रिलियन (10¹⁵) फ्लोटिंग-पॉइंट संक्रियाएँ कर सकता है।
- त्रिनेत्र-B: 200 गीगाबिट प्रति सेकंड क्षमता वाला उन्नत संस्करण, जिसे C-DAC बेंगलुरु में 20 PF परम रुद्र सुपरकंप्यूटर में तैनात किया जाना प्रस्तावित है।
- रुद्र सर्वर: पहला स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित HPC सर्वर, रुद्र, स्वदेशी रूप से विकसित सिस्टम सॉफ्टवेयर स्टैक के साथ — भारत में अपनी तरह का पहला सर्वर जो वैश्विक स्तर पर उपलब्ध HPC-श्रेणी के सर्वरों के समकक्ष है।
- त्रिनेत्र नेटवर्क: सी-डैक (C-DAC) द्वारा विकसित स्वदेशी उच्च-गति संचार नेटवर्क त्रिनेत्र कंप्यूटिंग नोड्स के बीच डेटा ट्रांसफर और संचार को सुदृढ़ बनाने के लिये तैयार किया गया है।
- प्रमुख स्थापनाएँ:
- परम रुद्र (2024): प्रधानमंत्री ने पुणे, दिल्ली और कोलकाता में तैनात तीन परम रुद्र सुपरकंप्यूटरों का लोकार्पण किया, जो भौतिकी, पृथ्वी विज्ञान और ब्रह्मांड विज्ञान में उन्नत अध्ययनों को सुविधाजनक बनाते हैं।
- परम प्रवेग (2022): भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु में 3.3 पेटाफ्लॉप्स की कंप्यूटिंग शक्ति के साथ स्थापित — एक भारतीय शैक्षणिक संस्थान में सबसे बड़ा सुपरकंप्यूटर।
- परम शिवाय (2019): राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन द्वारा स्वदेशी रूप से निर्मित पहला सुपरकंप्यूटर, प्रधानमंत्री द्वारा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) BHU, वाराणसी में उद्घाटित।
- उपलब्धियाँ:
- अवसंरचना का विस्तार: IISc, IIT, C-DAC तथा टीयर-II और टीयर-III शहरों के संस्थानों सहित शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान संगठनों और R&D प्रयोगशालाओं में 35 पेटाफ्लॉप्स की संयुक्त गणन क्षमता वाले कुल 34 सुपरकंप्यूटर तैनात किये गए हैं।
- उपयोगिता दक्षता: सुपरकंप्यूटिंग प्रणालियों ने 85% से अधिक की समग्र उपयोगिता दर प्राप्त की है, जिसमें कई प्रणालियाँ 95% से अधिक दर्ज कर रही हैं, जो गणनात्मक क्षमता में उच्च दक्षता का प्रदर्शन करती हैं।
- मानव संसाधन विकास: सुपरकंप्यूटिंग के प्रति जागरूकता और दक्षता बढ़ाने के हेतु पुणे, खड़गपुर, चेन्नई, पलक्कड़ और गोवा में पाँच प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किये गए हैं।
- HPC और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) कौशलों में 22,000 से अधिक व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया है, जिससे उच्च स्तर के पेशेवर HPC-जागरूक मानव संसाधन विकसित किये गए हैं।
ऐरावत AI कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म
- परिचय: सरकार द्वारा प्रारंभित परियोजना, ऐरावत, AI अनुसंधान और ज्ञान समाकलन के लिये एक सामान्य कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती है।
- उपयोगकर्ता आधार: NKN के तहत प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्रों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं, वैज्ञानिक समुदाय, उद्योग, स्टार्ट-अप और संस्थानों द्वारा उपयोग की जाती है।
- तकनीकी विशिष्टताएँ: 200 पेटाफ्लॉप्स मिश्रित परिशुद्धता AI मशीन के साथ प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट विकसित किया गया है, जिसे 790 AI पेटाफ्लॉप्स की शिखर गणना क्षमता तक विस्तारित किया जा सकता है।
- वैश्विक मान्यता: अंतर्राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग सम्मेलन (ISC 2023), जर्मनी में शीर्ष 500 वैश्विक सुपरकंप्यूटिंग सूची में 75वाँ स्थान प्राप्त कर ऐरावत ने भारत को विश्व के शीर्ष AI सुपरकंप्यूटिंग राष्ट्रों में स्थापित किया।
भारत में उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (HPC) प्रणालियों के प्रमुख अनुप्रयोग क्या हैं?
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क्षेत्र |
भारत में HPC के प्रमुख अनुप्रयोग |
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मौसम पूर्वानुमान एवं जलवायु मॉडलिंग |
HPC उच्च-रिज़ॉल्यूशन मॉडलों को शक्ति प्रदान करता है, जिससे सटीक मानसून पूर्वानुमान और चक्रवात ट्रैकिंग संभव होती है। प्रत्युष और मिहिर 1 कि.मी. तक का रिज़ॉल्यूशन प्रदान कर सकते हैं, जो आपदा प्रबंधन में सहायक है। |
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औषधि आविष्कार एवं जैव-सूचना विज्ञान |
जीनोम अनुक्रमण, प्रोटीन फोल्डिंग, आणविक गतिकी और वर्चुअल ड्रग स्क्रीनिंग को गति प्रदान करता है। उदाहरण: कोविड-19 मॉडलिंग। |
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कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं मशीन लर्निंग |
परम सिद्धि-AI जैसी सुविधाएँ सटीक चिकित्सा और पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण के लिये विशाल डेटासेट सँभालती हैं। |
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पदार्थ विज्ञान एवं नैनोप्रौद्योगिकी |
उन्नत सामग्रियों, सेमीकंडक्टर और नैनोसामग्रियों के विकास को सक्षम बनाती है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और विनिर्माण में आत्मनिर्भरता का समर्थन करती है। |
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रक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा |
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये रणनीतिक सिमुलेशन, साइबर सुरक्षा और उच्च-ऊर्जा भौतिकी अनुसंधान का समर्थन करती है। |
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अन्य उभरते क्षेत्र |
नवीकरणीय ऊर्जा मॉडलिंग, तेल/गैस अन्वेषण और अन्य बड़े पैमाने की प्रणाली सिमुलेशन का समर्थन करती है। |
निष्कर्ष
भारत का नेशनल सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) स्वदेशी हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (HPC) क्षमताओं को बढ़ावा देकर रणनीतिक रूप से आत्मनिर्भरता प्राप्त करने, महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास (R&D) को सशक्त बनाने तथा वैश्विक सुपरकंप्यूटिंग तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता में अग्रणी स्थिति हासिल करने का प्रयास कर रहा है।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. नेशनल सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और तकनीकी उन्नति के लिये महत्त्वपूर्ण है। इसके देशीकरण (इंडिजेनाइजेशन) में प्रगति तथा वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास पर इसके प्रभाव की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. नेशनल सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) क्या है?
NSM भारत सरकार की वर्ष 2015 की एक पहल है, जिसका उद्देश्य देशी हाई‑परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (HPC) सिस्टम विकसित करना, कंप्यूटिंग क्षमता का विस्तार करना और सुपरकंप्यूटिंग अवसंरचना के माध्यम से राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास (R&D) को मज़बूत करना है।
2. NSM के संदर्भ में त्रिनेत्र (Trinetra) क्या है?
त्रिनेत्र (Trinetra) C-DAC का स्वदेशी हाई‑स्पीड इंटरकनेक्ट नेटवर्क है, जो PARAM Rudra सिस्टम्स में तैनात किया गया है। यह नेटवर्क 100–200 Gbps की गति से नोड्स के बीच संचार सक्षम करता है, जिससे सुपरकंप्यूटर में डेटा ट्रांसफर और कंप्यूटिंग प्रदर्शन अत्यंत तेज़ और कुशल बन जाता है।
3. AIRAWAT AI प्लेटफॉर्म क्या है?
AIRAWAT भारत की राष्ट्रीय AI कंप्यूटर अवसंरचना है, जो AI/ML अनुसंधान के लिये 200–790 पेटाफ्लॉप्स की कंप्यूटिंग शक्ति प्रदान करती है। यह Top500 वैश्विक सुपरकंप्यूटिंग सूची में 75वें स्थान पर है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)
प्रिलिम्स
प्रश्न. राष्ट्रीय नवप्रवर्तक प्रतिष्ठान-भारत (नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन इंडिया- एन.आई.एफ.) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2015)
- NIF केंद्र सरकार के अधीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की एक स्वायत्त संस्था है।
- NIF अत्यंत उन्नत विदेशी वैज्ञानिक संस्थाओं के सहयोग से भारत की प्रमुख (प्रीमियर) वैज्ञानिक संस्थाओं में अत्यंत उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान को मज़बूत करने की एक पहल है।
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (a)
मेन्स
प्रश्न. अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास संबंधी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होगीं?(2021)
प्रश्न. भारतीय विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिक अनुसंधान का स्तर गिरता जा रहा है, क्योंकि विज्ञान में कैरियर उतना आकर्षक नहीं है जितना कि वह कारोबार संव्यवसाय, इंजीनियरी या प्रशासन में है, और विश्वविद्यालय उपभोक्ता-उन्मुखी होते जा रहे हैं। समालोचनात्मक टिप्पणी कीजिये। (2014)


