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भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग

  • 16 Aug 2025
  • 69 min read

प्रिलिम्स के लिये: इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन, भारत में सेमीकंडक्टर एवं डिस्प्ले निर्माण पारिस्थितिकीय तंत्र का विकास, सेमीकंडक्टर फैब।

मेन्स के लिये: भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग, इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM), सेमीकंडक्टर निर्माण का महत्त्व, चुनौतियाँ एवं आगे की राह

स्रोत : पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के अंतर्गत ओडिशा, पंजाब और आंध्र प्रदेश में 4 नये सेमीकंडक्टर परियोजनाओं को मंज़ूरी दी, जिसके साथ अब 6 राज्यों में कुल परियोजनाओं की संख्या 10 हो गयी है।

भारत के सेमीकंडक्टर बाज़ार के विकास को आकार देने वाले प्रमुख रुझान एवं अवसर क्या हैं?

  • बाज़ार का आकार: भारत का सेमीकंडक्टर उपभोग बाज़ार वर्ष 2024-25 में 52 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया है, जो वर्ष 2030 तक 103.4 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की सम्भावना है, तथा इसका कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) 13% अनुमानित है।
    • मोबाइल हैंडसेट, आईटी और औद्योगिक अनुप्रयोग कुल राजस्व का लगभग 70% हिस्सा रखते हैं, जबकि ऑटोमोबाइल और औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स में उल्लेखनीय सम्भावनाएँ हैं।
    • ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और अमेरिका सेमीकंडक्टर उद्योग में प्रमुख स्थान रखते हैं।
    • भारत में इंटीग्रेटेड सर्किट (ICs), मेमोरी चिप्स और एम्प्लीफायर के आयात में वित्त वर्ष 2016 से 2024 के बीच क्रमशः 2,000%, 4,500% और 4,800% की वृद्धि हुई है, जिनमें से लगभग एक-तिहाई आयात चीन से होता है।

  • भारत के लिये प्रमुख अवसर:
    • बड़ा बाज़ार: भारत 5G स्मार्टफोन के लिये विश्व का दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार बनकर उभरा है, जो चीन (32%) के बाद 13% हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है।
    • बढ़ती घरेलू मांग: मोबाइल उपकरणों, कंप्यूटरों और डिजिटल तकनीकों की खपत में वृद्धि, 5G के रोलआउट और AI को अपनाने के साथ मिलकर उन्नत सेमीकंडक्टर्स की मज़बूत मांग को बढ़ा रही है।
    • वैश्विक साझेदारी और समर्थन: वैश्विक सेमीकंडक्टर अग्रणी कंपनियों और अमेरिका, जापान जैसे देशों के साथ सहयोग तकनीक हस्तांतरण को सक्षम बनाता है और भारत की क्षमताओं को बढ़ाता है।
      • सेमिकॉन इंडिया कार्यक्रम और विनिर्माण व डिजिटलाइज़ेशन के विस्तार से भारत के सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूती मिलती है।

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) क्या है?

  • परिचय: ISM, जिसे वर्ष 2021 में स्वीकृति दी गई थी, का उद्देश्य भारत की वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स वैल्यू चेन में उपस्थिति को बढ़ाना और इसे एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है। 
    • यह इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के अंतर्गत संचालित है।
  • उद्देश्य: चिप डिज़ाइन स्टार्टअप्स को सहयोग प्रदान करना, स्वदेशी IP और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देना एवं अनुसंधान, नवाचार तथा उद्योग-शैक्षणिक सहयोग को प्रोत्साहित करना।
    • आयात पर निर्भरता कम करके भारत की वैश्विक सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में उपस्थिति को सुदृढ़ करना।
  • मिशन का फोकस:
    • चिप निर्माण फैब्स की स्थापना।
    • पैकेजिंग और परीक्षण इकाइयों (ATMP/OSAT) का निर्माण।
    • चिप डिज़ाइन स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन।
    • इंजीनियरों और तकनीकी प्रतिभा का प्रशिक्षण।
    • वैश्विक सेमीकंडक्टर निवेश को आकर्षित करना।
  • ISM के अंतर्गत प्रमुख योजनाएँ:
    • सेमीकंडक्टर फैब्स योजना: वेफ़र फैब्रिकेशन (फैब्स) इकाइयों के लिये 50% तक वित्तीय सहायता।
    • डिस्प्ले फैब्स योजना: AMOLED/LCD डिस्प्ले फैब्स के लिये 50% तक वित्तीय सहायता, जिससे घरेलू स्तर पर नवाचार को प्रोत्साहन मिले।
    • कंपाउंड सेमीकंडक्टर एवं ATMP/OSAT योजना: कंपाउंड सेमीकंडक्टर, MEMS/सेंसर, सिलिकॉन फोटोनिक्स और डाउनस्ट्रीम पैकेजिंग/परीक्षण सुविधाओं के लिये 50% तक सहायता।
    • डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना: सेमीकंडक्टर डिज़ाइन स्टार्टअप्स और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) को उत्पाद विकास के विभिन्न चरणों में प्रति कंपनी 15 करोड़ रुपए तक की वित्तीय सहायता।

भारत में भारतीय सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने से संबंधित पहल

  • उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना: बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और आईटी हार्डवेयर के लिये PLI, जिससे घरेलू उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा मिल सके।
  • इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्टर के विनिर्माण को प्रोत्साहित करने की योजना (SPECS): इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्टर विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ किया गया।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (EMC एवं EMC 2.0): इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिये अवसंरचना और पारिस्थितिकी तंत्र का विकास किया।
  • सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया को वरीयता) आदेश, 2017: सरकारी खरीद में घरेलू रूप से निर्मित उत्पादों को प्राथमिकता प्रदान करता है।
  • कर सुधार: शुल्क का तार्किकीकरण, पूंजीगत वस्तुओं पर बुनियादी सीमा शुल्क की छूट और अन्य प्रोत्साहन।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति: लागू कानूनों/विनियमों के अधीन इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति प्रदान करता है।

भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग के समक्ष विद्यमान प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • अवसंरचना तथा नवाचार संबंधी चुनौतियाँ: सेमीकंडक्टर विनिर्माण में क्लीनरूम के भीतर 500 से 1,500 तक जटिल चरण शामिल होते हैं, जिनके लिये उन्नत अवसंरचना, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी तथा कुशल मानव संसाधन की आवश्यकता होती है।
    • फैब सेटअप, अनुसंधान एवं विकास तथा उपकरणों की उच्च लागत, भारत के कमज़ोर अर्द्धचालाक अनुसंधान और आयातित घटकों व IP पर निर्भरता—ये सभी कारक नवाचार एवं तकनीकी आत्मनिर्भरता को सीमित करते हैं।
  • कुशल कार्यबल अंतराल: भारत में वर्तमान में लगभग 2,20,000 सेमीकंडक्टर पेशेवर कार्यरत हैं, लेकिन अनुमान है कि वर्ष 2027 तक सेमीकंडक्टर मूल्य शृंखला में 2,50,000 से 3,50,000 कुशल श्रमिकों की कमी होगी।
  • प्रौद्योगिकी और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा: ताइवान और दक्षिण कोरिया वैश्विक अर्द्धचालक/सेमी कंडक्टर उत्पादन (चिप फाउंड्रीज का लगभग 80%) पर प्रभुत्व रखते हैं, ASML (नीदरलैंड) EUV लिथोग्राफी तकनीक को नियंत्रित करता है, जबकि एनवीडिया (Nvidia) और ARM चिप डिज़ाइन में अग्रणी हैं—इन परिस्थितियों से भारत की उन्नत प्रौद्योगिकियों तक पहुँच सीमित हो जाती है।
  • पर्यावरणीय एवं विनियामक चुनौतियाँ: सेमीकंडक्टर विनिर्माण में खतरनाक रसायनों, विषैली धातुओं तथा उच्च ऊर्जा का उपयोग होता है, जिससे पर्यावरणीय जोखिम उत्पन्न होता है और अनुपालन लागत बढ़ जाती है। 
    • जटिल विनियमन, बौद्धिक संपदा अधिकार संबंधी मुद्दे, निर्यात नियंत्रण तथा नीतिगत अनिश्चितता, निर्माताओं के लिये परिचालन संबंधी चुनौतियों को बढ़ाते हैं।

भारत को अपने सेमीकंडक्टर उद्योग को सुदृढ़ करने हेतु क्या कदम उठाने चाहिये?

  • कौशल विकास: कुशल कार्यबल तैयार करने के लिये चिप डिज़ाइन, निर्माण और परीक्षण में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम स्थापित करना।
  • अनुसंधान एवं विकास तथा स्वदेशी बौद्धिक संपदा को बढ़ावा देना: अनुसंधान एवं विकास में निवेश बढ़ाना, स्वदेशी उत्पाद डिज़ाइन का समर्थन करना तथा बौद्धिक संपदा का विकास करना, जिससे स्टार्टअप और लघु कंपनियाँ वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने में सक्षम हो सकें।
  • प्रोत्साहन और नीति समर्थन: निवेश आकर्षित करने और सेमीकंडक्टर विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) और राज्य स्तरीय नीतियों (जैसे, UP सेमीकंडक्टर नीति 2024) जैसी सरकारी पहलों को सुदृढ़ करना।
  • चिप डिप्लोमेसी और निश फोकस: अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ("चिप डिप्लोमेसी") को बढ़ावा देना और MEMS तथा सेंसर्स जैसी निश तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करके भारत को वैश्विक बाज़ार के विशेष क्षेत्रों में स्थापित करना।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी और रणनीतिक अवसर: निजी निवेश और सहयोग को प्रोत्साहित करना, जैसे कि गुजरात में Tata-PSMC fab
    • भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र में विस्तार के लिये भू-राजनीतिक परिवर्तनों (अमेरिका-चीन तनाव) का लाभ उठाना।

निष्कर्ष

भारत का अर्द्धचालक क्षेत्र  ISM, PLI और SEMICON इंडिया जैसी पहलों, बढ़ती घरेलू मांग तथा वैश्विक साझेदारियों के कारण तेजी से विकसित हो रहा है। भारत को अर्द्धचालक निर्माण और डिज़ाइन का वैश्विक केंद्र बनाने के लिये बुनियादी अवसंरचना, प्रौद्योगिकी और कौशल को सुदृढ़ करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण होगा।

semi-conductor

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र की विकास क्षमता का परीक्षण कीजिये तथा इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के संदर्भ में विद्यमान प्रमुख चुनौतियों को नियंत्रित करने हेतु सुझाव दीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न: निम्नलिखित में से किस लेज़र प्रकार का उपयोग लेज़र प्रिंटर में किया जाता है? (2008) 

(a) डाई लेज़र
(b) गैस लेज़र
(c) सेमीकंडक्टर लेज़र
(d) एक्सीमर लेज़र 

उत्तर: (c)


प्रश्न: भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. फोटोवोल्टिक इकाइयों में इस्तेमाल होने वाले सिलिकॉन वेफर्स के निर्माण में भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा देश है। 
  2.  सौर ऊर्जा शुल्क भारतीय सौर ऊर्जा निगम द्वारा निर्धारित किये जाते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्नः अतिसूक्ष्म प्रौद्योगिकी (नैनोटेक्नोलॉजी) 21वी शताब्दी की प्रमुख प्रौद्योगिकियों में से एक क्यों है? अतिसूक्ष्म विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर भारत सरकार के मिशन की प्रमुख विशेषताओं तथा देश के विकास के प्रक्रम में इसके प्रयोग के क्षेत्र का वर्णन कीजिये। (2016)

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