ध्यान दें:



डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारत की परमाणु आपूर्ति शृंखला को सशक्त बनाना

  • 08 Sep 2025
  • 78 min read

प्रिलिम्स के लिये: परमाणु क्षेत्र, स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर, प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर, हल्के जल रिएक्टर (LWR), दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर, परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB), भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (NPCIL) 

मेन्स के लिये: भारत के विकास के लिये परमाणु ऊर्जा का महत्त्व और भारत के परमाणु क्षेत्र के आधुनिकीकरण में प्रमुख चुनौतियाँ। भारत के परमाणु क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिये आवश्यक उपाय।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

भारत अपने असैन्य परमाणु क्षेत्र में कानूनी सुधार लागू करने की योजना बना रहा है, ताकि नियंत्रित निजी और विदेशी निवेश की अनुमति दी जा सके, आपूर्तिकर्ता दायित्व का समाधान किया जा सके, तथा वैश्विक मानदंडों के अनुरूप काम किया जा सके - जिसमें LWR और SMR के माध्यम से कम कार्बन परमाणु क्षमता के विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

परमाणु ऊर्जा

  • परिचय: यह प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से बने नाभिक, परमाणुओं के केंद्र, से मुक्त होने वाली ऊर्जा का एक रूप है। 
    • इस ऊर्जा का उत्पादन दो तरीकों से किया जा सकता है: फिशन – जब परमाणु के नाभिक कई भागों में विभाजित होते हैं – या फ्यूजन – जब नाभिक एक साथ मिलते हैं। 
    • यह निम्न-कार्बन, उच्च-घनत्व वाली ऊर्जा का स्रोत है, जो बेस-लोड पावर प्रदान करता है और ऊर्जा सुरक्षा तथा सतत् विकास में योगदान देता है। 
  • भारत में स्थिति: भारत की वर्तमान परमाणु ऊर्जा क्षमता 8.18 GW है, जिसे वर्ष 2031-32 तक 22.48 GW और वर्ष 2047 तक 100 GW तक बढ़ाने की योजनाएँ हैं। 
    • वर्तमान में भारत 20 से अधिक परमाणु रिएक्टर संचालित करता है, जिनका प्रबंधन भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (NPCIL) द्वारा किया जाता है और एक दर्जन से अधिक नए परियोजनाओं की योजना बनाई गई है। 
    • कलपक्कम में प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर जैसी प्रमुख परियोजनाएँ भारत की बढ़ती परमाणु क्षमताओं को प्रदर्शित करती हैं। 
  • सरकारी समर्थन: केंद्रीय बजट 2025-26 में परमाणु ऊर्जा मिशन के लिये 20,000 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं, जिसका लक्ष्य ऊर्जा अवसंरचना में विविधता लाने के लिये वर्ष 2033 तक पाँच भारत स्मॉल रिएक्टर (BSR) स्थापित करना है।

भारत के लिये परमाणु ऊर्जा का क्या महत्त्व है? 

  • विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करना: परमाणु ऊर्जा निरंतर 24/7 बिजली उपलब्ध कराकर भारत की तेज़ी से बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। 
    • स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) और माइक्रोरिएक्टर दूरदराज़ के क्षेत्रों में पारंपरिक ग्रिड पर निर्भर हुए बिना स्वच्छ ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं। 
    • परमाणु ऊर्जा संयंत्र प्राकृतिक आपदाओं या भू-राजनीतिक व्यवधानों के दौरान भी स्थिर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं और पारंपरिक ग्रिड के प्रभावित होने की स्थिति में एक विश्वसनीय विकल्प प्रदान करते हैं। 
  • नेट-जीरो लक्ष्यों की प्राप्ति: भारत की जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करने और वर्ष 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने की रणनीति में परमाणु ऊर्जा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 
  • औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना: परमाणु ऊर्जा उच्च-क्षमता और ऊर्जा-गहन क्षेत्रों जैसे इस्पात, सीमेंट तथा डेटा सेंटर्स का समर्थन कर सकती है, जिन्हें स्थिर विद्युत आपूर्ति की आवश्यकता होती है। 
    • SMR दूरस्थ औद्योगिक संचालन, हाइड्रोजन उत्पादन और बड़े पैमाने पर समुद्री जल शोधन परियोजनाओं को भी सक्षम बना सकते हैं। 
  • रणनीतिक स्थिति को सुदृढ़ करना: स्वदेशी तकनीकी उपलब्धियाँ, जैसे प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (कल्पक्कम), भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को प्रदर्शित करती हैं। ये रणनीतिक कमज़ोरियों को कम करती हैं और वैश्विक ऊर्जा तथा प्रौद्योगिकी साझेदारियों में देश की सौदेबाज़ी क्षमता को बढ़ाती हैं।

स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) 

  • परिचय: SMR अगली पीढ़ी के परमाणु रिएक्टर हैं, जिनकी प्रति यूनिट विद्युत उत्पादन क्षमता 300 मेगावाट (MW(e)) तक होती है, जो पारंपरिक परमाणु रिएक्टरों के लगभग एक-तिहाई के बराबर है। 
  • विशेषताएँ: इन्हें तीन प्रमुख विशेषताओं द्वारा परिभाषित किया गया है: 
    • स्मॉल (Small): पारंपरिक परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों की तुलना में बहुत छोटे, इसलिये सीमित स्थान वाली स्थापना हेतु उपयुक्त हैं। 
    • मॉड्यूलर (Modular): फैक्ट्री में असेंबली और परिवहन के लिये डिज़ाइन किये गए, सिस्टम तथा घटकों को पहले से असेंबल करके पूरे यूनिट के रूप में स्थापना स्थल पर ले जाया जा सकता है। 
    • रिएक्टर (Reactors): ऊर्जा उत्पादन के लिये न्यूक्लियर फिशन का उपयोग करके ताप उत्पन्न  करते हैं।

भारत के परमाणु क्षेत्र के आधुनिकीकरण से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? 

  • आपूर्ति शृंखला और गुणवत्ता नियंत्रण चुनौतियाँ: मध्यम और निम्न स्तरीय आपूर्तिकर्त्ताओं में गुणवत्ता मानक, आधुनिक प्रक्रियाएँ और पर्याप्त क्षमता की कमी है, जिससे लाइट वॉटर रिएक्टर (LWR) व SMR जैसी उन्नत तकनीकों के समर्थन में अंतर उत्पन्न होता है। इसके परिणामस्वरूप, विशेषीकृत सिस्टमों के लिये एक ही विदेशी कंपनी पर निर्भरता बढ़ जाती है। 
    • गुणवत्ता आश्वासन (QA) से संबंधित समस्याएँ और पुरानी विशेषज्ञता के कारण परियोजनाओं में देरी तथा उत्पादन में रुकावटें होती हैं, क्योंकि योग्य QA पेशेवरों की कमी रहती है। 
  • साइबरसुरक्षा की चुनौतियाँ: वैश्विक विक्रेता भारत के परमाणु क्षेत्र में कमज़ोर साइबर सुरक्षा के बारे में चेतावनी देते हैं, जिससे महत्त्वपूर्ण संयंत्र डेटा का नुकसान और साइबर हमलों तथा रैंसमवेयर के प्रति संवेदनशीलता का जोखिम बढ़ जाता है। 
  • नियामक बाधाएँ: परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) डिज़ाइन प्रमाणन की निगरानी करता है, जबकि NPCIL गुणवत्ता नियंत्रण का प्रबंधन करता है, जिससे सप्लाई चेन में समन्वय की चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं। 
  • क्षमता संबंधी चुनौतियाँ: नियंत्रण और उपकरण जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में स्वदेशीकरण प्रयास मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड जैसी एक ही सार्वजनिक क्षेत्र की संस्था पर निर्भर हैं, जिसकी क्षमता ‘सीमित’ बताई गई है। 
  • कानूनी ढाँचे में कमी: परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 भारत की परमाणु परियोजनाओं में निजी भागीदारी को सीमित करता है, जिससे निवेश, प्रौद्योगिकी विकास और प्रगति की गति धीमी पड़ती है। 
    • अस्पष्ट बीमा नियमों, ‘परमाणु क्षति’ की अस्पष्ट परिभाषाओं और सिविल मुकदमों के जोखिम के कारण विदेशी तथा घरेलू आपूर्तिकर्त्ताओं को असीमित देयता का डर है।

भारत के परमाणु क्षेत्र के आधुनिकीकरण हेतु क्या उपाय आवश्यक हैं? 

  • आपूर्ति शृंखला को सुदृढ़ करना: LWR और SMR के लिये विनिर्माण प्रक्रियाओं तथा गुणवत्ता मानकों पर मध्यम एवं निम्न स्तर के परमाणु आपूर्तिकर्त्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिये एक राष्ट्रीय गुणवत्ता उन्नयन कार्यक्रम लागू करना। 
    • इसके साथ ही घरेलू क्षमता का विस्तार करने हेतु मुख्य उपकरणों और विशेष प्रणालियों के लिये नए विक्रेताओं को विकसित और प्रमाणित करना। 
  • गुणवत्ता नियंत्रण में वृद्धि: 24/7 कवरेज के लिये योग्य QA पेशेवरों की नियुक्ति कर जनशक्ति में वृद्धि करना, आंतरिक QA का समर्थन करने हेतु थर्ड-पार्टी इंस्पेक्शन (TPI) का उपयोग करना और सभी महत्त्वपूर्ण आपूर्तिकर्त्ता स्थलों पर पूर्णकालिक QA टीमों की तैनाती करना। 
  • साइबर सुरक्षा में मौजूद कमियों को दूर करना: नियंत्रण प्रणालियों और महत्वपूर्ण डेटा को साइबर हमलों से सुरक्षित रखने के लिये, परमाणु पारिस्थितिकी तंत्र के अंतर्गत संयंत्र संचालकों और आपूर्तिकर्त्ताओं सहित सभी को शामिल करते हुए एक उन्नत साइबर सुरक्षा ढाँचा लागू करना। 
  • विधायी ढाँचे का आधुनिकीकरण: वैश्विक मानकों के अनुरूप, निवेशकों की चिंताओं का समाधान करने, तथा विदेशी सहयोग और निवेश को प्रोत्साहित करने हेतु विद्युत अधिनियम, परमाणु ऊर्जा अधिनियम तथा परमाणु क्षति के लिये नागरिक दायित्व अधिनियम में प्रमुख संशोधनों सहित नीतिगत तथा कानूनी सुधारों को पारित करने को प्राथमिकता दें। 
  • रणनीतिक विकास और प्रतिस्पर्द्धात्मकता: प्रौद्योगिकी तत्परता सुनिश्चित करने हेतु प्रोटोटाइप प्रदर्शनों के लिये स्पष्ट समयसीमा के साथ स्वदेशी SMR विकास को आगे बढ़ाकर SMR रणनीति को क्रियान्वित करना। 
    • क्षमता, प्रतिस्पर्द्धात्मकता और गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिये योग्य भारतीय आपूर्तिकर्त्ताओं हेतु वैश्विक निर्यात को सुविधाजनक बनाना। 

निष्कर्ष 

भारत के परमाणु क्षेत्र का आधुनिकीकरण ऊर्जा सुरक्षा, औद्योगिक विकास और रणनीतिक स्वायत्तता के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। आपूर्तिकर्त्ता आधार को सशक्त बनाना, गुणवत्ता मानकों को लागू करना, साइबर सुरक्षा को बेहतर बनाना, और स्वदेशी स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) को आगे बढ़ाना, ये सभी प्रयास विश्वसनीयता, प्रतिस्पर्द्धा क्षमता और लचीलापन बढ़ाएंगे। यह भारत को स्थायी और निम्न-कार्बन ऊर्जा सुनिश्चित करने में मदद करेगा साथ ही एक मज़बूत औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को भी प्रोत्साहित करेगा।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत के परमाणु क्षेत्र के आधुनिकीकरण में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं और उनका समाधान कैसे किया जा सकता है? 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स

प्रश्न. भारत में, क्यों कुछ परमाणु रिएक्टर "आई. ए. ई. ए. सुरक्षा उपायों" के अधीन रखे जाते हैं जबकि अन्य इस सुरक्षा के अधीन नहीं रखे जाते? (2020) 

(a) कुछ यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य थोरियम का 

(b) कुछ आयातित यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य घरेलू आपूर्ति का  

(c) कुछ विदेशी उद्यमों द्वारा संचालित होते हैं और अन्य घरेलू उद्यमों द्वारा 

(d) कुछ सरकारी स्वामित्व वाले होते हैं और अन्य निजी स्वामित्व वाले 

उत्तर: (b)

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017) 

  1. परमाणु सुरक्षा शिखर-सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में आवधिक रूप से किये जाते हैं। 
  2. विखंडनीय सामग्रियों पर अंतर्राष्ट्रीय पैनल, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरण का एक अंग है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 

(b) केवल 2 

(c) 1 और 2 दोनों 

(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)


मेन्स

प्रश्न. ऊर्जा की बढ़ती हुई जरूरतों के परिप्रेक्ष्य में क्या भारत को अपने नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार करना जारी रखना चाहिये? नाभिकीय ऊर्जा से संबंधित तथ्यों एवं भयों की विवेचना कीजिये। (2018)

प्रश्न. भारत में नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी की संवृद्धि और विकास का विवरण प्रस्तुत कीजिये। भारत में तीव्र प्रजनक रियेक्टर कार्यक्रम का क्या लाभ है? (2017)

close
Share Page
images-2
images-2