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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत की परमाणु ऊर्जा में निजी निवेश

  • 26 Feb 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

परमाणु ऊर्जा, भारत के ऊर्जा लक्ष्य, परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE), राष्ट्रीय थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC), परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB)

मेन्स के लिये:

भारत की परमाणु ऊर्जा से संबंधित विकास, भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ाने के तरीके।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

भारत निजी कंपनियों को लगभग 26 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करने हेतु आमंत्रित करके अपने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति लाने के लिये तैयार है, जो इसकी ऊर्जा नीति में एक महत्त्वपूर्ण विस्थापन का प्रतीक है।

  • इस कदम का उद्देश्य गैर-कार्बन उत्सर्जक स्रोतों से विद्युत् ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देना और नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने के भारत के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ संरेखित करना है।

निजी निवेश पहल भारत के ऊर्जा लक्ष्यों के साथ किस प्रकार संरेखित है?

  • भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक अपनी गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित विद्युत उत्पादन क्षमता को मौजूदा 42% से बढ़ाकर 50% करना है।
  • परमाणु ऊर्जा उत्पादन में निजी निवेश का समावेश इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देगा, जिससे देश में अक्षय ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण को बढ़ावा मिलेगा।
    • सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में लगभग 440 बिलियन रुपए (5.3 बिलियन डॉलर) के निवेश के लिये रिलायंस इंडस्ट्रीज़, टाटा पाॅवर, अदानी पाॅवर और वेदांता लिमिटेड जैसी प्रमुख कंपनियों के साथ समझौता वार्ता कर रही है।
  • सरकार का लक्ष्य इस निवेश के माध्यम से वर्ष 2040 तक 11,000 MW (मेगावाट) नवीकरणीय परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता जोड़ना है।
  • इस पहल से भारत के ऊर्जा मिश्रण में विविधता आने, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होने और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि की उम्मीद है।

भारत के ऊर्जा लक्ष्य

  • शुद्ध शून्य उत्सर्जन: भारत का लक्ष्य वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करना है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा: भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक अपनी 50% विद्युत ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करना है।
  • गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा: भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट की गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना है।
  • हरित हाइड्रोजन: भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 5 मिलियन टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना है।
  • CO2 उत्सर्जन: भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक CO2 उत्सर्जन को 1 बिलियन टन तक कम करना है।

निवेश योजना किस प्रकार क्रियान्वित होगी?

  • निजी कंपनियाँ परमाणु संयंत्रों में निवेश करने, भूमि एवं जल का अधिग्रहण करने और निर्माण गतिविधियों के लिये ज़िम्मेदार होंगी।
  • हालाँकि कानूनी प्रावधानों के अनुसार, परमाणु स्टेशनों के निर्माण, संचालन और प्रबंधन के साथ-साथ ईंधन प्रबंधन का अधिकार राज्य संचालित न्यूक्लियर पाॅवर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) के पास होगा।
  • निजी कंपनियों को विद्युत ऊर्जा के विक्रय से राजस्व उत्पन्न करने की उम्मीद है, जबकि NPCIL शुल्क के लिये परियोजनाओं का संचालन करेगा।

नोट:

  • भारत की समेकित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में विदेशी निवेश पर रोक लगाती है।
    • इसके विपरीत, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों और अन्य संबंधित सुविधाओं के लिये परमाणु उपकरण तथा पार्ट-पुर्जों के निर्माण के लिये उद्योग में FDI पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
  • 'परमाणु ऊर्जा' का विषय भारत के परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 द्वारा शासित है और भारत सरकार परमाणु सुविधाओं के विकास, संचालन एवं प्रतिबंध/सेवामुक्ति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • हाल ही में नीति आयोग (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया) पैनल ने भारत सरकार से भारत के परमाणु क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की अनुमति देने की अनुशंसा की।

भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  • मौजूदा ऊर्जा परिदृश्य:
    • वर्तमान में भारत की कुल संस्थापित ऊर्जा क्षमता 428 गीगावॉट है जिसमें वर्ष 2030 तक 810 गीगावॉट के साथ दोगुना वृद्धि होने की उम्मीद है।
      • भारत के ऊर्जा मिश्रण में परमाणु ऊर्जा का योगदान लगभग 3% है।
  • वर्तमान परमाणु ऊर्जा परिदृश्य:
    • भारत 22 परमाणु ऊर्जा रिएक्टर का संचालन करता है जिनकी कुल क्षमता 6.8 गीगावॉट है जिसका देश के ऊर्जा मिश्रण में लगभग 3% का योगदान है।
    • अतिरिक्त 11 परमाणु ऊर्जा संयंत्र निर्माणाधीन हैं, जिनका लक्ष्य कुल क्षमता में 8,700 मेगावाट की वृद्धि करना है।
    • सरकार ने वर्ष 2031 तक महत्त्वपूर्ण क्षमता विस्तार के लक्ष्य के साथ दस स्वदेशी दाबयुक्त भारी जल रिएक्टर (PHWR) को भी मंज़ूरी दी जिनकी क्षमता 700 मेगावाट है।

  • प्रमुख संगठन और विनियामक ढाँचा:
    • प्रमुख संगठन:
      • परमाणु ऊर्जा विभाग, भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम (NPCIL) और राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड प्रमुख संगठन हैं जो भारत में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
        • ये तीनों केंद्र सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन हैं।
        • सभी परमाणु ऊर्जा संयंत्रों (इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR), DEA के स्वामित्व वाले PFBR वेरिएंट के आतिरिक्त) का सवामित्व NPCIL के पास और साथ ही यह इन सभी का संचालक भी है। यह भारत में सभी परमाणु व्यवसाय के लिये प्राथमिक संपर्क के रूप में भूमिका निभाता है।
        • NTPC कोयले से विद्युत का उत्पादन करने वाला प्रमुख उत्पादक है और इसकी क्षमता 70GW है तथा यह पुराने कोयला संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने हेतु परमाणु रिएक्टरों को अपनाने का आह्वान करता है।
    • नियामक निरीक्षण:
      • परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड साइट चयन, निर्माण, संचालन और डीकमीशनिंग सहित परमाणु सुरक्षा तथा नियामक प्रक्रियाओं की देखरेख करता है।
        • AERB का उत्तरदायित्व विभिन्न क्षेत्रों में परमाणु अनुप्रयोगों की देखरेख करने तक विस्तारित है।
  • परमाणु दायित्व और बीमा:
    • भारत ने वर्ष 2016 में परमाणु क्षति के लिये पूरक क्षतिपूर्ति (CSC) पर अभिसमय की पुष्टि की जिससे विश्व में घटित होने वाली परमाणु दुर्घटनाओं के लिये क्षतिपूर्ति व्यवस्था की स्थापना हुई।
    • परमाणुवीय नुकसान के लिये सिविल दायित्‍व अधिनियम (Civil Liability for Nuclear Damage Act- CLND), 2010 संचालकों के लिये देनदारियाँ निर्धारित करता है और संभावित नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिये बीमा की अनिवार्यता करता है।
    • भारतीय सामान्य बीमा निगम और अन्य बीमाकर्त्ताओं द्वारा समर्थित भारतीय परमाणु बीमा पूल (INIP), आपूर्तिकर्त्ताओं को देयता दावों से बचाने के लिये 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कवरेज प्रदान करता है।
  • चुनौतियाँ:
    • सुरक्षा एवं संरक्षा मानक:
      • भारत के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की विशेषकर प्राकृतिक अथवा मानव जनित आपदाओं की स्थिति में सुरक्षा की कमी और संरक्षा मानकों के संबंध में आलोचना की जाती है।
      • उन पर रेडियोधर्मी संदूषण, जलवायु परिवर्तन और क्षरण का भी आरोप लगाया जाता है जिससे श्रमिकों का स्वास्थ्य तथा पर्यावरण प्रभावित होता है।
        • उदाहरणार्थ तमिलनाडु में स्थित कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र और कर्नाटक में स्थित कैगा परमाणु ऊर्जा संयंत्र को इन मुद्दों का सामना करना पड़ा।
    • परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन:
      • भारत ने अपने परमाणु अपशिष्ट के प्रबंधन और निपटान के लिये कोई व्यापक तथा दीर्घकालिक योजना विकसित नहीं की है। इसके रेडियोधर्मी पदार्थों के लिये पर्याप्त भंडारण और परिवहन सुविधाओं का भी अभाव है।
    • भूमि अधिग्रहण:
      • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिये भूमि सुरक्षित करने में महत्त्वपूर्ण बाधाएँ आती हैं, जिससे कुडनकुलम (तमिलनाडु) और कोव्वाडा (आंध्र प्रदेश) जैसी परियोजनाओं में देरी होती है।
    • सार्वजनिक धन की कमी:
      • जीवाश्म ईंधन और नवीकरणीय ऊर्जा के विपरीत, परमाणु ऊर्जा को पर्याप्त सब्सिडी नहीं मिली है, जिससे यह ऊर्जा बाज़ार में कम प्रतिस्पर्धी हो गई है।
  • विस्तार के अवसर:
    • भारत का लक्ष्य अपने ऊर्जा मिश्रण में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी 3% से बढ़ाकर 9-10% करना है।
    • परमाणु क्षेत्र विदेशी और निजी कंपनियों के लिये, विशेष रूप से बिजली संयंत्रों के गैर-परमाणु भागों एवं निर्माण तथा सेवा क्षेत्र में, अवसर प्रदान करता है।
    • स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) प्रौद्योगिकी साझाकरण और साझेदारी की क्षमता के साथ, लागत-बचत तथा निर्माण समय को कम करने का एक आशाजनक अवसर प्रस्तुत करते हैं।
    • परमाणु ऊर्जा ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन और परिवहन क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन का समर्थन कर सकती है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों तथा हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं के लिये एक स्वच्छ ऊर्जा स्रोत प्रदान किया जा सकता है।
    • पुराने कोयला संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के साथ, परमाणु ऊर्जा भारत की बढ़ती ऊर्जा माँगों को पूरा करने और इसके स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में, क्यों कुछ परमाणु रिऐक्टर "आई.ए.ई.ए. सुरक्षा उपायों" के अधीन रखे जाते हैं जबकि अन्य इस सुरक्षा के अधीन नहीं रखे जाते? (2020)

(a) कुछ यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य थोरियम का
(b) कुछ आयातित यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य घरेलू आपूर्ति का
(c) कुछ विदेशी उद्यमों द्वारा संचालित होते हैं और अन्य घरेलू उद्यमों द्वारा
(d) कुछ सरकारी स्वामित्व वाले होते हैं और अन्य निजी स्वामित्व वाले

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • परमाणु सुविधाओं को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के सुरक्षा उपायों के तहत रखा जाता है यदि यूरेनियम का स्रोत, जो परमाणु रिएक्टर के लिये विखंडनीय सामग्री है, भारतीय क्षेत्र के बाहर से है या यदि नए रिएक्टर संयंत्र विदेशी सहयोग से स्थापित किये गए हैं।
  • यह सुनिश्चित करने हेतु है कि आयातित यूरेनियम को सैन्य उपयोग के लिये नहीं भेजा गया है और यह सुनिश्चित किया गया है कि आयातित यूरेनियम का उपयोग नागरिक उद्देश्यों के लिये परमाणु ऊर्जा उत्पन्न करने हेतु किया जाता है।
  • वर्तमान में 22 परिचालन रिएक्टर हैं, जिनमें से 14 अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के सुरक्षा उपायों के तहत हैं क्योंकि इनमें आयातित ईंधन का उपयोग किया जाता है।
  • सुरक्षा उपाय समझौते के तहत, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के पास यह सुनिश्चित करने का अधिकार और दायित्व है कि विशेष उद्देश्य के लिये राज्य के क्षेत्र, अधिकार क्षेत्र अथवा नियंत्रण में सभी परमाणु सामग्री पर सुरक्षा उपाय लागू किये जाते हैं।

अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।


मेन्स:

प्रश्न. प्रश्न. ऊर्जा की बढ़ती हुई ज़रूरतों के परिप्रेक्ष में क्या भारत को अपने नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार करना जारी रखना चाहिये? नाभिकीय ऊर्जा से संबंधित तथ्यों और भयों की विवेचना कीजिये। (2018)

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