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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 03 Jun, 2025
  • 32 min read
प्रारंभिक परीक्षा

भारत ने मालदीव की सहायता के लिये 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ट्रेजरी बिल पारित किया

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

भारत ने वर्ष 2019 में शुरू हुए विशेष गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट (G2G) ढाँचे के तहत 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ट्रेजरी बिल को आगे बढ़ाकर (नवीनीकृत करके) मालदीव को वित्तीय सहायता दी है।

भारत-मालदीव द्विपक्षीय संबंधों के महत्त्वपूर्ण आयाम क्या हैं?

  • ऐतिहासिक संबंध: भारत ने वर्ष 1965 में मालदीव को मान्यता दी और वर्ष 1972 में माले में अपना मिशन स्थापित किया। दोनों देशों ने  SAARC की स्थापना में भाग लिया  हैं और वे SAFTA समझौते के हस्ताक्षरकर्त्ता भी हैं।
  • व्यापार और अर्थव्यवस्था: भारत और मालदीव ने वर्ष 1981 में एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिससे द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिला। 
    • वर्ष 2024 में, भारत ने मालदीव को 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता और 3,000 करोड़ रुपए की द्विपक्षीय मुद्रा अदला-बदली प्रदान की, जिससे उसकी आर्थिक सहायता मज़बूत हुई। 
    • इसके अतिरिक्त, SBI ने मालदीव के लिये 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ट्रेजरी बिल जारी किये।
    • वर्ष 2022 में भारत मालदीव का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना, जबकि वर्ष 2023 में वह उसका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया।
    • वर्ष 2022 में भारतीय व्यापारिक यात्रियों के लिये ए वीज़ा-मुक्त प्रवेश से वाणिज्यिक संबंधों में और वृद्धि हुई। 
    • वर्ष 2024 में भारत और मालदीव ने सीमा पार व्यापार के लिये स्थानीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु एक रूपरेखा को अंतिम रूप दिया है।
  • पर्यटन और संस्कृति: पर्यटन मालदीव के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 25% और कुल रोज़गार का 70% योगदान देता है। भारत वर्ष 2020 से मालदीव के लिये शीर्ष पर्यटक स्रोत बना हुआ है। वर्ष 2022 में हुई  'ओपन स्काई संधि' (Open Skies Treaty-OST) ने दोनों देशों के बीच हवाई संपर्क को और सशक्त बनाया। 
  • रक्षा साझेदार: भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति और SAGAR (अब महासागर - MAHASAGAR) पहल के तहत भारत ने मालदीव को कई महत्त्वपूर्ण रक्षा सहायता प्रदान की है, जिनमें ऑपरेशन कैक्टस (1988) शामिल है।
    • भारत ने रक्षा अवसंरचना के विकास, संयुक्त सैन्य अभ्यास (एकुवेरिन, एकथा, दोस्ती) और मालदीव की राष्ट्रीय रक्षा सेना के 70% से अधिक कर्मियों को प्रशिक्षण देने में भी अहम भूमिका निभाई है।

Maldives

नोट

  • आठ डिग्री चैनल भारतीय मिनिकॉय (लक्षद्वीप समूह का हिस्सा) को मालदीव से अलग करता है।

ट्रेजरी बिल (T-बिल) क्या हैं?

  • T-बिल भारत सरकार द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के माध्यम से जारी किये जाने वाले अल्पकालिक ऋण उपकरण हैं।
    • ये सरकारी प्रतिभूतियों (G-Secs) का हिस्सा होती हैं और अल्पकालिक निधि एकत्रित करने में सहायता करती हैं।
    • ये शून्य-कूपन प्रतिभूतियाँ (Zero-Coupon Securities) होती हैं, अर्थात् इन पर आवधिक ब्याज भुगतान नहीं होता। इसके बजाय, इन्हें अंकित मूल्य से कम पर जारी किया जाता है और परिपक्वता पर पूर्ण अंकित मूल्य पर भुनाया जाता है।
      • G-Sec केंद्रीय या राज्य सरकारों द्वारा जनता से निधि उधार लेने के लिये जारी किये जाने वाले व्यापार योग्य ऋण उपकरण हैं, जिनमें एक निर्दिष्ट तिथि पर मूलधन चुकाने का संविदात्मक दायित्व होता है।

Government_Securities

  • इन्हें 91, 182 और 364 दिनों की परिपक्वता अवधि के साथ जारी किया जाता है तथा इन्हें उनके अंकित मूल्य से कम मूल्य पर बेचा जाता है। निवेशकों को लाभ क्रय मूल्य और परिपक्वता राशि के अंतर से प्राप्त होता है।
  • इन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की नीलामी के माध्यम से प्रतिस्पर्द्धी और गैर-प्रतिस्पर्द्धी बोली प्रक्रिया द्वारा जारी किया जाता है तथा इनकी अल्पकालिक अवधि के कारण इनकी तरलता (liquidity) अधिक होती है।
  • T-बिल्स से प्राप्त लाभ अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (Short-Term Capital Gains) के रूप में कर योग्य होता है, और इन पर मिलने वाला निश्चित प्रतिफल मुद्रास्फीति के कारण प्रभावित हो सकता है।

India_Maldives_Relations

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, 'खुला बाज़ार प्रचालन' किसे निर्दिष्ट करता है? (2013) 

(a)  अनुसूचित बैंकों द्वारा RBI से ऋण लेना
(b) वाणिज्यिक बैंकों द्वारा उद्योग और व्यापार क्षेत्रों को ऋण देना
(c) RBI द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय और विक्रय
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (c)


प्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से गैर-वित्तीय ऋण में सम्मिलित है? (2020)

  1. परिवारों का बकाया गृह ऋण
  2.  क्रेडिट कार्डों पर बकाया राशि 
  3.  राजकोष बिल

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रारंभिक परीक्षा

न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग

स्रोत: TH1, TH2

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय जैविक विज्ञान केंद्र (NCBS-TIFR) द्वारा किये गए शोध और अन्य अध्ययनों से पता चलता है, कि न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग, लक्षण प्रकट होने से बहुत पहले ही शुरू हो सकते हैं, जो रक्त वाहिकाओं की शिथिलता और मस्तिष्क में असामान्य प्रोटीन गतिविधि के कारण होते हैं ।

  • यह नई समझ प्रत्यक्ष न्यूरॉन क्षति से ध्यान हटाकर प्रारंभिक संवहनी और आणविक परिवर्तनों की ओर ले जाती है, जिससे शीघ्र निदान और रोकथाम का मार्ग प्रशस्त होता है। 

न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग क्या हैं?

  • परिचय:
    • न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग विकारों का एक समूह है जिसमें मस्तिष्क और तंत्रिका कोशिकाएँ (न्यूरॉन्स) समय के साथ धीरे-धीरे टूटने लगती हैं या मर जाती हैं। 
      • यह याददाश्त, गति, बोलने की क्षमता और शरीर के अन्य प्रमुख कार्यों में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
    • ये बीमारियाँ आमतौर पर समय के साथ बढ़ती जाती हैं और वर्तमान में इनका कोई पूर्ण इलाज नहीं है, हालाँकि उपचार से लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
  • सामान्य उदाहरण:
  • एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (ALS), जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में तंत्रिका कोशिकाओं (मोटर न्यूरॉन्स) को प्रभावित करता है, जो स्वैच्छिक मांसपेशी गति को नियंत्रित करते हैं।
    • हंटिंगटन रोग,जिसके कारण मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाएँ समय के साथ क्षय होने लगती हैं।
    • गिलियन-बैरे सिंड्रोम, एक गंभीर स्वप्रतिरक्षी विकार है जो परिधीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। 

न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों के प्रारंभिक कारणों के बारे में हालिया शोध क्या है?

परिचय:

  • संवहनी (वैस्कुलर) डिसफंक्शन और ब्लड-ब्रेन बैरियर (BBB): BBB मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं की परत में पाए जाने वाले सघन रूप से जुड़े कोशिकाओं द्वारा निर्मित एक सुरक्षात्मक परत है, जो मस्तिष्क में प्रवेश करने वाले पदार्थों को नियंत्रित करती है। TDP-43 प्रोटीन की क्षति के कारण इस अवरोधक परत को हानि पहुँचता है, जिससे हानिकारक पदार्थों का रिसाव होने लगता है। यह रिसाव मस्तिष्क में सूजन और न्यूरॉन्स (तंत्रिका कोशिकाओं) की क्षति का कारण बनता है।
    • चूहों पर किये गए अध्ययनों से पता चला है कि ये रक्तवाहिकीय परिवर्तन लक्षण प्रकट होने से पहले ही शुरू हो जाते हैं, जो संकेत देते हैं कि न्यूरोडिजेनेरेशन (तंत्रिका अपक्षय) की प्रारंभिक अवस्था में रक्त वाहिकाओं की क्षति एक प्रमुख कारण हो सकती है।
  • इंट्रासेल्युलर झिल्ली संकेत तंत्र की विफलता (एसिट प्रोटीन डिसफंक्शन): न्यूरॉन्स (तंत्रिका कोशिकाएँ) झिल्ली संपर्क स्थलों पर निर्भर करते हैं, जो प्लाज़्मा झिल्ली और एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (ER) के बीच स्थित होते हैं, ताकि वसा (lipids) तथा कैल्शियम जैसे आवश्यक अणुओं का आदान-प्रदान किया जा सके। ये अणु कोशिकीय संकेतों के लिये अत्यंत आवश्यक होते हैं।
    • एसिट (Esyt) प्रोटीन इस प्रक्रिया को कैल्शियम से जुड़कर (binding calcium) नियंत्रित करता है। जब Esyt का कार्य बाधित हो जाता है, तो यह संकेत तंत्र (Signaling) टूट जाता है, जिससे न्यूरॉन के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और संभावित रूप से अपघटन (degeneration) की प्रक्रिया आरंभ हो सकती है।

न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों में योगदान देने वाले प्रमुख कारक क्या हैं?

  • आनुवंशिक कारक: कुछ विशिष्ट जीनों में उत्परिवर्तन (mutations) सामान्य तंत्रिका कोशिकाओं की कार्यप्रणाली और उसकी प्रक्रिया को बाधित कर देते हैं, जिससे अपघटन (degeneration) की संभावना बढ़ जाती है। ये उत्परिवर्तन वंशानुगत भी हो सकते हैं या स्वतः उत्पन्न भी हो सकते हैं।
  • प्रोटीन विकृतियाँ: अल्ज़ाइमर रोग में एमाइलॉइड-बीटा या पार्किंसन रोग में अल्फा-साइन्यूक्लिन जैसे विकृत (misfolded) प्रोटीन एकत्र होकर कोशिकीय कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप करते हैं, जिससे तंत्रिका में कोशिका विषाक्तता (neuronal toxicity) और क्रमिक क्षति उत्पन्न होती है।
  • ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस: अत्यधिक मुक्त कण (free radicals) तंत्रिका कोशिका के DNA, प्रोटीन और झिल्ली को नुकसान पहुँचाते हैं। जब एंटीऑक्सीडेंट सुरक्षा प्रणाली इस दबाव को झेल नहीं पाती, तब न्यूरॉन की मृत्यु प्रक्रिया तेज़ हो जाती है।
  • माइटोकॉन्ड्रियल डिसफंक्शन: क्षतिग्रस्त माइटोकॉन्ड्रिया अपर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न करते हैं और हानिकारक उपउत्पाद (byproducts) उत्सर्जित करते हैं, जिससे न्यूरॉन का अस्तित्व प्रभावित होता है तथा अध:पतन को बढ़ावा मिलता है।
  • दीर्घकालिक सूजन: मस्तिष्क में निरंतर सूजन प्रतिरक्षा कोशिकाओं को सक्रिय करती है, जो न्यूरॉन्स को नुकसान पहुँचा सकती हैं, जिससे रोग की प्रगति बढ़ जाती है।
  • पर्यावरणीय कारक: कीटनाशकों, भारी धातुओं या संक्रमण जैसे विषैले तत्त्वों के संपर्क से कोशिकीय तनाव और क्षति उत्पन्न हो सकती है, जिससे तंत्रिका अपघटन (neurodegeneration) का खतरा बढ़ जाता है।
  • उम्र बढ़ना: उम्र बढ़ने की स्वाभाविक प्रक्रिया से कोशिकीय मरम्मत और अपशिष्ट निवारण तंत्र कमज़ोर हो जाते हैं, जिससे न्यूरॉन समय के साथ क्षति और हानि के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।

न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग बनाम न्यूरोलॉजिकल विकार

  • तंत्रिका संबंधी विकार एक व्यापक श्रेणी के विकार हैं जो तंत्रिका तंत्र — जैसे मस्तिष्क, मेरुरज्जु तथा परिधीय तंत्रिकाओं को प्रभावित करते हैं। ये विकार तीव्र या दीर्घकालिक हो सकते हैं।
    • उदाहरण: स्ट्रोक, मिर्गी और मेनिन्जाइटिस। 
    • कई तंत्रिका संबंधी विकार समय रहते हस्तक्षेप करने पर उपचार योग्य या प्रतिवर्ती होते हैं। उदाहरण: स्ट्रोक (इस्केमिक स्ट्रोक)
  • न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग तंत्रिका संबंधी विकारों की एक उप-श्रेणी हैं, जिसकी विशेषता है न्यूरॉनों की संरचना या कार्य में क्रमिक और अपरिवर्तनीय हानि। यह हानि आमतौर पर असामान्य प्रोटीन संचय, आनुवंशिक कारकों या ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण होती है।
    • ये रोग मुख्यतः लाइलाज होते हैं और इनका लक्षणात्मक प्रबंधन किया जाता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. भावी माता-पिता के अंड या शुक्राणु उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं में आनुवंशिक परिवर्तन किये जा सकते हैं।
  2. व्यक्ति का जीनोम जन्म से पूर्व प्रारंभिक भ्रूणीय अवस्था में संपादित किया जा सकता है।
  3. मानव प्रेरित बहुशक्त स्टेम (pluripotent stem) कोशिकाओं को एक शूकर के भ्रूण में अंतर्वेशित किया जा सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


चर्चित स्थान

न्यू कैलेडोनिया

स्रोत: द हिंदू 

न्यू कैलेडोनिया के लिये एक नया राजनीतिक समझौता स्थापित करने का फ्राँस का हालिया प्रयास असफल रहा है, जिससे इस क्षेत्र के भविष्य के विषय में अनिश्चितता बढ़ गई है। यह वर्षों की अशांति और वर्ष 2018 से वर्ष 2021 के बीच आयोजित तीन जनमत संग्रहों के बाद हुआ है जिसमें स्वतंत्रता को अस्वीकार कर दिया गया था। 

न्यू कैलेडोनिया (New Caledonia):

  • भूगोल: यह ऑस्ट्रेलिया से लगभग 1,500 किमी. पूर्व में दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत महासागर में एक फ्राँसीसी विदेशी क्षेत्र है।
    • इसमें ग्रांडे टेरे (राजधानी नौमिया के साथ), लॉयल्टी द्वीप (ओवेआ, लिफौ, तिगा, मारे), बेलेप द्वीपसमूह, आइल ऑफ पाइंस और दूरस्थ द्वीप शामिल हैं।

New_Celedonia

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: मूल रूप से कनक (न्यू कैलेडोनिया के स्वदेशी मेलानेशियाई निवासी) द्वारा बसाए गए इस शहर को वर्ष 1853 में फ्राँस ने ज़ब्त कर लिया था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कनक लोगों को फ्राँसीसी नागरिकता प्राप्त हुई, लेकिन 1960 के दशक में प्रवासन के कारण उनकी संख्या कम हो गई और स्वतंत्रता आंदोलन शुरू हो गया।
    • मैटिगनॉन समझौते (1988) और नौमिया समझौते (1998) ने 3 स्वतंत्रता जनमत संग्रह का वादा किया था। सभी वोट फ्राँस के पक्ष में थे, हालाँकि वर्ष 2021 के जनमत संग्रह का स्वतंत्रता समर्थक समूहों द्वारा बहिष्कार किया गया था।
  • नदियाँ और जलवायु: सबसे लंबी नदी डायहोट (100 किमी.) है। इसकी जलवायु उपोष्णकटिबंधीय है, पूर्वी तट पर पश्चिमी तट की तुलना में काफी अधिक वर्षा होती है।
  • जैवविविधता: यह स्थान दुर्लभ वनस्पति प्रजाति अम्बोरेल्ला ट्राइकोपोडा (Amborella trichopoda) और कागु जैसे स्थानिक पक्षियों का निवास स्थान है।

समुद्रपार प्रदेश (Overseas Territory):

  • यह एक ऐसे क्षेत्र या भूमि को संदर्भित करता है जो किसी देश की मुख्य भूमि से भौगोलिक रूप से अलग होती है, लेकिन फिर भी उस देश की संप्रभुता और प्रशासन के अंतर्गत रहती है।

और पढ़ें: न्यू कैलेडोनिया में जनमत संग्रह 


रैपिड फायर

अंतर्राष्ट्रीय ग्लेशियर संरक्षण सम्मेलन

स्रोत: द हिंदू

ताजिकिस्तान ने UNESCO और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के सहयोग से दुशांबे (ताजिकिस्तान) में पहले संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय ग्लेशियर संरक्षण सम्मेलन की मेज़बानी की, जिसके परिणामस्वरूप दुशांबे ग्लेशियर घोषणा को अंगीकृत किया गया।

  • परिचय: हिमनद (ग्लेशियर) बर्फ के धीमी गति से बहने वाले विशाल पिंड होते हैं, जो सदियों से जमी हुई बर्फ के संपीडन (दबने) से बनते हैं।
    • ये मुख्यतः ध्रुवीय क्षेत्रों (ग्रीनलैंड, कनाडाई आर्कटिक, अंटार्कटिका) में पाए जाते हैं, जहाँ सौर विकिरण बहुत कम होती है, वहीं उष्णकटिबंधीय ग्लेशियर भूमध्य रेखा के निकट स्थित ऊँचाई वाले क्षेत्रों, जैसे कि एंडीज़ पर्वत में पाए जाते हैं।

ग्लेशियरों का महत्त्व: 

  • स्वच्छ जल: पृथ्वी के कुल जल का केवल 3% भाग ही स्वच्छ जल है और उसमें से लगभग 70% स्वच्छ जल ग्लेशियरों में संग्रहित होता है।
  • नदी प्रणालियाँ: हिंदू कुश हिमालय (HKH) को “एशिया का जल टॉवर” कहा जाता है और ये सिंधु नदी प्रणाली के जल प्रवाह का लगभग 40% योगदान करते हैं।
  • जलवायु अभिलेख: ग्लेशियरों में लगभग 8,00,000 वर्षों तक के जलवायु अभिलेख संरक्षित रहते हैं, जो वैज्ञानिकों को ऐतिहासिक तापमान वृद्धि और गिरावट के पैटर्न का अध्ययन करने में मदद करते हैं।
  • मानसून प्रभाव: हिमालयी ग्लेशियरों और हिंद महासागर के बीच तापमान का अंतर दक्षिण-पश्चिम मानसून के वायु प्रवाह को संचालित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • ग्लेशियर रिट्रीट: नेपाल के लांगटांग क्षेत्र का याला ग्लेशियर पूरी तरह से पिघल चुका है, वहीं वेनेज़ुएला स्लोवेनिया के बाद ऐसा दूसरा देश बन गया है जहाँ सभी ग्लेशियर पिघल चुके हैं।

उठाए गए कदम:

Earth's_Water

और पढ़ें: 2025 ग्लेशियरों के संरक्षण का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष


रैपिड फायर

BioE3 मिशन के तहत अंतरिक्ष में जीवन की स्थिरता का अध्ययन

स्रोत: पी.आई.बी

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने घोषणा की कि भारत अंतरिक्ष में मानव जीवन की स्थिरता का अध्ययन करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अपना पहला जैविक प्रयोग करेगा।

BioE3 मिशन के तहत अंतरिक्ष में प्रस्तावित प्रयोग:

  • अंतरिक्ष में खाद्य सूक्ष्म शैवाल: यह प्रयोग सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण और अंतरिक्ष विकिरण के खाद्य सूक्ष्म शैवाल के विकास पर पड़ने वाले प्रभाव की जाँच करेगा, जो लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों के लिये पोषक तत्त्वों से भरपूर संभावित खाद्य स्रोत है।
    • इन शैवालों का उपयोग अंतरिक्ष में भोजन के रूप में किया जा सकता है तथा ये CO₂ को ग्रहण करके तथा O₂ को उत्सर्जित कर वायु को स्वच्छ करने में भी मदद करते हैं।
  • स्पाइरुलिना और साइनोबैक्टीरिया: यह यूरिया और नाइट्रेट आधारित मीडिया का उपयोग करते हुए सूक्ष्मगुरुत्व स्थितियों में स्पाइरुलिना और सिनेकोकस जैसे साइनोबैक्टीरिया की वृद्धि और प्रोटिओमिक प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करेगा।
    • इससे वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि अंतरिक्ष में जीवन को बनाए रखने के लिये  लंबी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान मानव अपशिष्ट से कार्बन और नाइट्रोजन का पुनर्चक्रण कैसे किया जाए।
    • स्पाइरुलिना, जो प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर नीला-हरा शैवाल है, का भी "सुपरफूड" के रूप में परीक्षण किया जा रहा है।

BioE3 नीति (2024)

  • BioE3 नीति चक्रीय जैव उद्योग और भारत के नेट ज़ीरो लक्ष्य का समर्थन करने के लिये उच्च प्रदर्शन वाले जैव उद्योग को बढ़ावा देना है । 
    • यह नवोन्मेष, बायो-मिथाइल हब, कुशल कार्यबल विकास और प्रयोगशाला प्रौद्योगिकी समाधान पर केंद्रित है।

और पढ़ें: भारत में BioE3 नीति और जैव प्रौद्योगिकी 


रैपिड फायर

ओसाका वर्ल्ड एक्सपो, 2025

स्रोत: द हिंदू

भारत ने 2025 ओसाका वर्ल्ड एक्सपो में एक सांस्कृतिक वक्तव्य दिया है, जहाँ भारत ने "करुणा और समावेशिता (Compassion and Inclusivity)" की थीम के तहत प्राचीन ज्ञान को आधुनिक नवाचार के साथ सम्मिलित करते हुए अपनी सभ्यतागत सांस्कृतिक मूल्यों और सॉफ्ट पावर को प्रदर्शित किया है।

  • ओसाका वर्ल्ड एक्सपो 2025: जापान में आयोजित इस एक्सपो का थीम "डिजाइनिंग फ्यूचर सोसाइटी फॉर अवर लाइव्स" (हमारे जीवन के लिये भविष्य के समाज की रूपरेखा) है। यह एक "लिविंग लैब" के रूप में कार्य करेगा, जहाँ सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप साझा ज्ञान और अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों के लिये नवाचारी समाधान सह-निर्मित किये जाएंगे।
  • भारत का पवेलियन: यह मंडप संस्कृति मंत्रालय के तहत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) द्वारा प्रस्तुत किया गया है। यह भारत की सभ्यतागत गाथा का एक आधुनिक “सूत्रधार” (वाचक) बनने का प्रयास है।
  • मंडप के प्रमुख तत्त्व: मंडप का केंद्रीय रूपांकन अजंता गुफाओं का 'बोधिसत्व पद्मपाणि' है, जो महायान बौद्ध धर्म में करुणा और ज्ञान का प्रतीक है। यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक नवाचारों के समन्वय को दर्शाता है।
    • लोटस कोर्टयार्ड में 2,000 वर्ष पुरानी यूनेस्को में सूचीबद्ध अजंता गुफाओं से प्राप्त बोधिसत्व रूपों और भित्तिचित्रों को प्रदर्शित किया गया है।
    • 'वननेस लाउंज' में एक पुनर्कल्पित बोधि वृक्ष को दर्शाया गया है, जो आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है।
    • 'वॉल ऑफ लाइफ' योग और आयुर्वेद के माध्यम से आंतरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
    • यह मंडप विदेश नीति में भारत की सॉफ्ट पावर के उपयोग को दर्शाता है तथा वैश्विक साझेदारी को बढ़ावा देने के लिये आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक उपलब्धियों को शामिल करता है।

और पढ़ें: सॉफ्ट पावर


रैपिड फायर

नया बौना ग्रह और प्लैनेट नाइन

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स 

खगोलविदों ने नेपच्यून से परे सौर मंडल के बाहरी किनारे पर एक नया बौना ग्रह खोजा है, जिसका नाम 2017 OF201 है। यह खोज काल्पनिक "प्लैनेट नाइन" की खोज के दौरान की गई है और यह नेपच्यून से परे के क्षेत्रों के बारे में हमारी समझ में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

  • 2017 OF201: 2017 OF201 एक 700 किलोमीटर चौड़ा बौना ग्रह है, जिसकी कक्षा 25,000 वर्ष पुरानी है। इसकी कक्षा सूर्य और पृथ्वी की दूरी से 1,600 गुना दूर तक फैली हुई है, जो ऊर्ट क्लाउड (सौर गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र की बाहरी सीमा) तक पहुँचती है।
    • इसकी कक्षा अन्य ट्रांस-नेप्च्यूनियन वस्तुओं (TNOs) के समूहबद्ध पैटर्न से भिन्न है, जिसके कारण कुछ वैज्ञानिकों ने प्लैनेट नाइन के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव का सुझाव दिया है या इन कक्षीय व्यवहारों के लिये वैकल्पिक व्याख्याओं पर विचार किया है।
  • महत्त्व: यह खोज इस बात का संकेत देती है कि नेप्च्यून की कक्षा से परे कुइपर बेल्ट (Kuiper Belt) बेल्ट में सैकड़ों ऐसी ही बर्फीली वस्तुएँ मौजूद हो सकती हैं।
    • कुइपर बेल्ट सूर्य की परिक्रमा करने वाले बर्फीले पिंडों (Icy Bodies) और बौने ग्रहों का एक विशाल, डोनट के आकार का क्षेत्र है जो नेपच्यून से दूर स्थित है। इसे अक्सर ”आउटर सोलर सिस्टम एस्टेरॉइड बेल्ट (बाहरी सौर मंडल का क्षुद्रग्रह बेल्ट)कहा जाता है।
  • प्लैनेट नाइन: प्लैनेट नाइन परिकल्पना के अनुसार, नेपच्यून से दूर एक विशाल, अब तक अज्ञात ग्रह मौजूद हो सकता है जो दूर स्थित ट्रांस-नेप्च्यूनियन वस्तुओं (TNOs) पर असामान्य गुरुत्वाकर्षण प्रभाव डाल रहा है।
    • यह सिद्धांत अत्यधिक दूर स्थित TNOs जैसे सेडना और 2012 VP113 की समूहबद्ध कक्षाओं पर आधारित है, जो एक अदृश्य गुरुत्वाकर्षणीय प्रभाव की ओर संकेत करती हैं।

  • बौने ग्रह: बौना ग्रह (Dwarf Planet) एक ऐसा खगोलीय पिंड होता है जो सूर्य की परिक्रमा करता है, अपने गुरुत्वाकर्षण के कारण लगभग गोल आकार में होता है, लेकिन यह अपने कक्षीय पथ (orbit) में मौजूद मलबा हटा पाने में सक्षम नहीं हैं तथा यह किसी अन्य ग्रह का उपग्रह (जैसे चंद्रमा) नहीं होता।
    • ग्रहों के विपरीत, ग्रह (Planet) अपने कक्षीय क्षेत्र मौजूद अपनी कक्षा से मलबा हटा पाने में सक्षम हैं, जबकि बौने ग्रह अपने मार्ग में अन्य वस्तुओं के साथ कक्षा साझा करते हैं।

और पढ़ें: बौना ग्रह सेरेस


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