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याला ग्लेशियर के मृत होने की घोषणा

  • 20 May 2025
  • 3 min read

स्रोत: डाउन टू अर्थ

इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) द्वारा नेपाल के लांगटांग घाटी स्थित याला ग्लेशियर के तेजी से पिघलने की स्मृति में एक श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया। जलवायु परिवर्तन के कारण यह ग्लेशियर वर्ष 2040 तक विलुप्त होने की कगार पर है।

  • यह श्रद्धांजलि संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय ग्लेशियर संरक्षण वर्ष 2025 में नेपाल की भूमिका का हिस्सा है तथा नेपाल द्वारा आयोजित सागरमाथा संबाद (पर्वत संवाद) शिखर सम्मेलन 2025 का भी हिस्सा है।
  • याला ग्लेशियर: याला ग्लेशियर, नेपाल की लांगटांग घाटी में हिंदू कुश हिमालय (HKH) क्षेत्र के अंतर्गत स्थित है। यह नेपाल का पहला ग्लेशियर है जिसे "मृत" (डेड ग्लेशियर) घोषित किया गया है, क्योंकि 1970 के दशक से अब तक इसका 66% हिस्सा कम हो चुका है
    • ग्लेशियरों को तब "मृत" घोषित कर दिया जाता है जब वे अपने भार के कारण गति या हलचल नहीं दिखाते हैं।
    • यह एशिया का पहला ग्लेशियर है जिस पर जलवायु स्मारक पट्टिका लगी हुई है, जिस पर अंग्रेज़ी, नेपाली और तिब्बती भाषाओं में संदेश लिखे हुए हैं।

HinduKush_Himalayan_region

  • हिमनद (ग्लेशियर): ग्लेशियर बर्फ और बर्फ की चादरों का एक बड़ा, लंबे समय तक रहने वाला द्रव्यमान है जिसका निर्माण भूमि पर होता है तथा गुरुत्वाकर्षण के कारण धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ता है।
    • हिमनद मुख्य रूप से अंटार्कटिका (91%) और ग्रीनलैंड (8%) में पाए जाते हैं, जबकि 1% से भी कम उत्तरी अमेरिका, एशिया, यूरोप, अफ्रीका, न्यूज़ीलैंड और इंडोनेशिया में मौजूद हैं। ऑस्ट्रेलिया में कोई हिमनद नहीं है।
    • वर्ष 2000 और 2023 के बीच, ग्लेशियरों से 6,542 बिलियन टन बर्फ पिघली है, जिससे वैश्विक समुद्र के स्तर में 18 मिमी की वृद्धि हुई, समुद्र के स्तर में प्रति मिलीमीटर वृद्धि से  2-3 लाख अतिरिक्त लोग बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे।
    • महासागरों के गर्म होने के बाद ग्लेशियरों का पिघलना समुद्र स्तर में वृद्धि का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।

और पढ़ें: 2025 ग्लेशियरों के संरक्षण का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष होगा 

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