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त्साराप चू संरक्षण रिज़र्व

  • 20 May 2025
  • 3 min read

स्रोत: डी.टी.ई.

हिमाचल प्रदेश (HP) ने उच्च हिमालयी जैव विविधता की रक्षा और हिम तेंदुए के आवासों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 36A(1) के तहत त्सारप चू संरक्षण रिज़र्व को अधिसूचित किया है।

त्सारप चू संरक्षण रिज़र्व:

  • परिचय: यह भारत का सबसे बड़ा संरक्षण रिज़र्व है (क्षेत्रफल 1585 वर्ग किलोमीटर), जो स्पीति घाटी में स्थित है और यह राज्य का पाँचवाँ संरक्षण रिज़र्व है, जो दर्लाघाट, नैना देवी, पॉटर हिल और शिल्ली रिज़र्व के साथ जुड़ता है।
    • यह उत्तर में लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश, पूर्व में किब्बर वन्यजीव अभयारण्य एवं मलांग नाला, दक्षिण में कब्जिमा नाला और पश्चिम में चंद्रताल वन्यजीव अभयारण्य से घिरा हुआ है।
  • महत्त्व: यह क्षेत्र पारिस्थितिक रूप से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह चारप नाला के जलग्रहण क्षेत्र में स्थित है और किब्बर वन्यजीव अभयारण्य तथा चंद्रताल वन्यजीव अभयारण्य (हिमाचल प्रदेश) के बीच एक महत्त्वपूर्ण वन्यजीव गलियारे के रूप में कार्य करता है।
  • वनस्पति एवं जीव:
    • यह क्षेत्र हिम तेंदुए (“पहाड़ों का भूत”) की उच्च घनता के लिये जाना जाता है, और अन्य प्रमुख जीवों में तिब्बती भेड़िया, भरल (नीली भेड़), हिमालयन आइबेक्स, कियांग (जंगली गधा) और तिब्बती अर्गाली शामिल हैं।
      • यहाँ रोज़ फिंच, तिब्बती रेवेन और पीली चोंच वाली चौग जैसे दुर्लभ पक्षी भी पाए जाते हैं।

संरक्षण रिज़र्व:

  • संरक्षण रिज़र्व संरक्षित क्षेत्र (Protected Areas) होते हैं, जिन्हें सरकारी भूमि पर स्थापित किया जाता है और जो राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों या अन्य संरक्षित क्षेत्रों को जोड़ने वाले गलियारों या बफ़र ज़ोन के रूप में कार्य करते हैं।
  • इन रिज़र्व को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 36A के तहत अधिसूचित किया गया है, और इन्हें स्थानीय समुदायों, पंचायतों एवं संरक्षण भागीदारों के साथ समन्वित रूप से प्रबंधित किया जाता है।

Protected_Areas

और पढ़ें: भारत में संरक्षित क्षेत्रों का संरक्षण

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