रैपिड फायर
ई-ज़ीरो एफआईआर
- 21 May 2025
- 3 min read
स्रोत: पी.आई.बी
केंद्रीय गृह मंत्री ने साइबर वित्तीय अपराधों की जाँच की दक्षता में सुधार लाने तथा 'साइबर सुरक्षित भारत' के विज़न को पूरा करने की दिशा में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के तहत दिल्ली में एक पायलट परियोजना के रूप में ई-ज़ीरो एफआईआर (e-Zero FIR) पहल की शुरूआत की।
- ज़ीरो एफआईआर: किसी भी पुलिस स्टेशन में, चाहे उसका क्षेत्राधिकार कुछ भी हो, किसी संज्ञेय अपराध के लिये ज़ीरो एफआईआर दर्ज की जा सकती है तथा जाँच के लिये उसे उचित क्षेत्राधिकार में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
- ई-ज़ीरो एफआईआर, ज़ीरो एफआईआर का इलेक्ट्रॉनिक संस्करण है और यह BNSS की धारा 173(1) और 1(ii) के प्रावधानों के अनुरूप है।
- ई-ज़ीरो एफआईआर की मुख्य विशेषताएँ:
- स्वतः एफआईआर पंजीकरण: राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) या हेल्पलाइन 1930 के माध्यम से दर्ज की गई 10 लाख रुपए से अधिक की साइबर वित्तीय अपराधों की शिकायतें स्वतः रूप से ज़ीरो एफआईआर में परिवर्तित हो जाएंगी।
- शिकायतकर्त्ता 3 दिनों के भीतर साइबर अपराध पुलिस स्टेशन में जाकर ज़ीरो FIR को नियमित FIR में परिवर्तित कर सकते हैं।
- एकीकरण: शुरू की गई नई प्रक्रिया में I4C के NCRP सिस्टम, दिल्ली पुलिस के e-FIR सिस्टम और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अपराध तथा अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (CCTNS) का एकीकरण शामिल है।
- स्वतः एफआईआर पंजीकरण: राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) या हेल्पलाइन 1930 के माध्यम से दर्ज की गई 10 लाख रुपए से अधिक की साइबर वित्तीय अपराधों की शिकायतें स्वतः रूप से ज़ीरो एफआईआर में परिवर्तित हो जाएंगी।
- FIR (प्रथम सूचना रिपोर्ट): FIR किसी संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) (पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है और मजिस्ट्रेट की मंजूरी के बिना जाँच शुरू कर सकती है) के बारे में पुलिस को दर्ज की जाने वाली पहली औपचारिक शिकायत है।
- यह आपराधिक न्याय प्रक्रिया आरंभ करती है।
- यह BNSS, 2023 की धारा 173 के तहत विनियमित हैं।
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