प्रारंभिक परीक्षा
A-to-I mRNA एडिटिंग
- 21 May 2025
- 6 min read
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
चीन के शोधकर्त्ताओं ने एडेनोसिन-टू-आइनोसीन (A-to-I) mRNA एडिटिंग की प्रक्रिया को उजागर किया, विशेष रूप से गेहूँ के रोगजनक फ्यूजेरियम ग्रैमिनेरम में और इसके जैविक जटिल प्रभावों को सामने रखा।
A-to-I mRNA एडिटिंग क्या है?
- DNA: डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) जीवों का आनुवंशिक पदार्थ होता है जिसकी संरचना डबल हेलिक्स (दोहरी कुंडली) होती है। यह चार न्यूक्लियोटाइड्स से बना होता है: एडेनिन (A), थायमिन (T), साइटोसिन (C) और ग्वानिन (G), जो विशेष रूप से जोड़े बनाते हैं (A के साथ T और C के साथ G)।
- इन क्षारकों का अनुक्रम प्रोटीन और राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) के निर्माण का निर्देश देता है।
- मैसेंजर RNA (mRNA): यह एक प्रकार का सिंगल-स्ट्रैंडेड RNA है जो प्रोटीन संश्लेषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ट्रांसक्रिप्शन की प्रक्रिया के दौरान DNA से प्राप्त होता है।
- mRNA एक संदेशवाहक के रूप में कार्य करता है, जो कोशिका के नाभिक में स्थित DNA से आनुवंशिक निर्देशों को कोशिकाद्रव्य तक पहुँचाता है, जहाँ प्रोटीन का निर्माण होता है।
- कोशिका द्रव्य में, कोशिका की प्रोटीन निर्माण प्रणाली (मुख्यतः राइबोसोम) mRNA अनुक्रम को डिकोड करती है।
- तीन बेस का प्रत्येक सेट (जिसे कोडॉन कहा जाता है) एक विशिष्ट अमीनो एसिड से मेल खाता है। फिर ये अमीनो एसिड आपस में जुड़कर प्रोटीन का निर्माण करते हैं, जो शरीर के कार्यो में योगदान देते हैं।
- A-to-I mRNA एडिटिंग: यह एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें मैसेंजर RNA (mRNA) में न्यूक्लियोटाइड एडिनोसिन (A) को एंजाइम द्वारा आइनोसीन (I) में परिवर्तित किया जाता है।
- इस एडिटिंग प्रक्रिया में ADARs (एडिनोसिन डीएमीनेसेस ऐक्टिंग ऑन RNA) नामक एंजाइम का उपयोग होता है।
- प्रोटीन संश्लेषण पर प्रभाव: A-to-I mRNA एडिटिंग के परिणामस्वरूप आइनोसीन को ट्रांसलेशन के दौरान राइबोसोम द्वारा ग्वानीन (G) के रूप में संदर्भित किया जाता है, जिससे प्रोटीन के अमीनो एसिड अनुक्रम में संभावित रूप से परिवर्तन हो सकता है।
नोट: ट्रांसक्रिप्शन का आशय जीन के DNA अनुक्रम की RNA प्रतिलिपि बनाने की प्रक्रिया से है। जीनोमिक्स में ट्रांसलेशन प्रक्रिया के तहत मैसेंजर RNA (mRNA) में एनकोड जानकारी द्वारा प्रोटीन संश्लेषण के दौरान अमीनो एसिड का योजन निर्देशित होता है।
RNA एडिटिंग बनाम DNA एडिटिंग:
- RNA एडिटिंग: यह DNA से संश्लेषित होने के बाद लेकिन प्रोटीन उत्पादन को निर्देशित करने से पूर्व मैसेंजर RNA (mRNA) में त्रुटियों को सुधारने की प्रक्रिया है।
- इस प्रक्रिया के तहत mRNA अनुक्रम में त्रुटियों के बावजूद कोशिकाओं को सामान्य, कार्यात्मक प्रोटीन का उत्पादन करने की क्षमता मिलती है।
- RNA एडिटिंग तथा DNA एडिटिंग: RNA एडिटिंग से RNA में अस्थायी परिवर्तन होता है जबकि DNA एडिटिंग से जीनोम में स्थायी परिवर्तन होता है।
- इस अस्थायी प्रकृति के कारण, प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न होने पर चिकित्सक उपचार रोक सकते हैं, जिससे दीर्घकालिक जोखिम कम हो जाता है।
- आरएनए संपादन मानव शरीर में स्वाभाविक रूप से पाए जाने वाले ADAR एंजाइमों पर निर्भर करता है, जिससे जीवाणु प्रोटीन का उपयोग करने वाले DNA संपादन उपकरणों की तुलना में प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं की संभावना कम हो जाती है।
- इसलिये RNA संपादन बार-बार उपचार के लिये तथा प्रतिरक्षा संवेदनशीलता वाले रोगियों के लिये संभावित रूप से अधिक सुरक्षित है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. भारत में कृषि के संदर्भ में प्रायः समाचारों में आने वाले ‘जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सीक्वेंसिंग)’ की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017)
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