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भूगोल

हिंदू-कुश हिमालय क्षेत्र और जलवायु परिवर्तन

  • 18 May 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये

हिंदू-कुश हिमालय क्षेत्र

मेन्स के लिये

जलवायु परिवर्तन का हिमालय क्षेत्र पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र (International Centre for Integrated Mountain Development-ICIMOD) द्वारा हिंदू-कुश हिमालय (Hindu Kush Himalaya-HKH) क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से संबंधित अध्ययन के अनुसार, इस क्षेत्र में ग्लेशियरों की संख्या में वृद्धि हुई है।

प्रमुख बिंदु

  • हालाँकि यही अध्ययन दर्शाता है कि हिंदू-कुश हिमालय क्षेत्र वर्ष 2060 तक अपने वर्तमान ग्लेशियर क्षेत्र का आधा हिस्सा खो देगा, जिसकी अवधि पहले वर्ष 2070 आंकी गई थी।
  • विश्लेषकों के अनुसार, ग्लेशियरों की संख्या में वृद्धि का मुख्य कारण ग्लेशियरों का विखंडन (Fragmentation) है, सामान्य शब्दों में कहें तो बड़े ग्लेशियर छोटे-छोटे ग्लेशियरों में बँट रहे हैं।
  • अध्ययन में वैश्विक तापमान में लगातार हो रही वृद्धि को ग्लेशियरों के विखंडन (Fragmentation) का मुख्य कारण बताया गया है।
  • आकलन के अनुसार, पूर्वी हिमालय के ग्लेशियर मध्य तथा पश्चिमी हिमालय के ग्लेशियरों की तुलना में तेज़ी से सिकुड़ गए हैं, हालाँकि यह एक स्वाभाविक क्रिया है क्योंकि जब सतह क्षेत्र अथवा सूर्य के संपर्क में आने वाली सतह में वृद्धि होती है, तो खंडित और छोटे ग्लेशियर बड़े ग्लेशियरों की तुलना में तेज़ी से सिकुड़ते हैं।
  • ICIMOD ने इस स्थिति को काफी खतरनाक स्थिति के रूप में परिभाषित किया है।

Hindu-Kush-Himalaya

हिंदू-कुश हिमालय क्षेत्र और इसका महत्त्व

  • हिंदू-कुश हिमालय क्षेत्र को विश्व का तीसरा ध्रुव (Third Pole) माना जाता है तथा यह जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से अत्यंत सुभेद्य है। 
    • पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण यहाँ डेटा एकत्र करना कठिन है।
  • हिंदू-कुश हिमालय क्षेत्र अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, भारत, किर्गिज़स्तान, मंगोलिया, म्याँमार, नेपाल, पाकिस्तान, ताज़िकिस्तान और उज़्बेकिस्तान तक फैला है।
  • विभिन्न देशों में लगभग 3,500 वर्ग किलोमीटर में फैले इस क्षेत्र को एशिया का ‘वाटर टॉवर’ (Water Tower) भी कहा जाता है।
  • एक अनुमान के अनुसार, हिंदू-कुश हिमालय (Hindu Kush Himalaya-HKH) क्षेत्र में उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों (North and South Poles) के पश्चात् बर्फ का सबसे अधिक भंडार है।
  • उल्लेखनीय है कि नदियों के लिये जल का एक बड़ा स्रोत होने के नाते ये ग्लेशियर दुनिया भर में एक तिहाई आबादी के लिये जीवन रेखा हैं।
  • इस अध्ययन में हिंदू-कुश हिमालय (HKH) क्षेत्र को एशिया तथा विश्व के लिये एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण संपत्ति की संज्ञा दी गई है। यह जल, ऊर्जा, कार्बन भंडार और साथ ही समृद्ध जैव विविधता का प्रमुख स्रोत है।
    • उदाहरण के लिये विश्व के 200 करोड़ से अधिक लोगों अपनी जल संबंध आवश्यकता के लिये हिंदू-कुश हिमालय (HKH) क्षेत्र से शुरू होने वाली नदियों पर निर्भर हैं और इन नदियों में 500 गीगावाट की जल विद्युत क्षमता है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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