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BioE3 मिशन के तहत अंतरिक्ष में जीवन की स्थिरता का अध्ययन

  • 03 Jun 2025
  • 3 min read

स्रोत: पी.आई.बी

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने घोषणा की कि भारत अंतरिक्ष में मानव जीवन की स्थिरता का अध्ययन करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अपना पहला जैविक प्रयोग करेगा।

BioE3 मिशन के तहत अंतरिक्ष में प्रस्तावित प्रयोग:

  • अंतरिक्ष में खाद्य सूक्ष्म शैवाल: यह प्रयोग सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण और अंतरिक्ष विकिरण के खाद्य सूक्ष्म शैवाल के विकास पर पड़ने वाले प्रभाव की जाँच करेगा, जो लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों के लिये पोषक तत्त्वों से भरपूर संभावित खाद्य स्रोत है।
    • इन शैवालों का उपयोग अंतरिक्ष में भोजन के रूप में किया जा सकता है तथा ये CO₂ को ग्रहण करके तथा O₂ को उत्सर्जित कर वायु को स्वच्छ करने में भी मदद करते हैं।
  • स्पाइरुलिना और साइनोबैक्टीरिया: यह यूरिया और नाइट्रेट आधारित मीडिया का उपयोग करते हुए सूक्ष्मगुरुत्व स्थितियों में स्पाइरुलिना और सिनेकोकस जैसे साइनोबैक्टीरिया की वृद्धि और प्रोटिओमिक प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करेगा।
    • इससे वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि अंतरिक्ष में जीवन को बनाए रखने के लिये  लंबी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान मानव अपशिष्ट से कार्बन और नाइट्रोजन का पुनर्चक्रण कैसे किया जाए।
    • स्पाइरुलिना, जो प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर नीला-हरा शैवाल है, का भी "सुपरफूड" के रूप में परीक्षण किया जा रहा है।

BioE3 नीति (2024)

  • BioE3 नीति चक्रीय जैव उद्योग और भारत के नेट ज़ीरो लक्ष्य का समर्थन करने के लिये उच्च प्रदर्शन वाले जैव उद्योग को बढ़ावा देना है । 
    • यह नवोन्मेष, बायो-मिथाइल हब, कुशल कार्यबल विकास और प्रयोगशाला प्रौद्योगिकी समाधान पर केंद्रित है।

और पढ़ें: भारत में BioE3 नीति और जैव प्रौद्योगिकी 

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