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डेली न्यूज़


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

मिशन सागर

  • 28 Dec 2021
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

मिशन सागर, मोज़ाम्बिक की अवस्थिति, हिंद महासागर क्षेत्र, आसियान देश।

मेन्स के लिये:

मिशन सागर और भारत के लिये इसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आईएनएस केसरी, मोज़ाम्बिक की सरकार के प्रयासों का समर्थन करने हेतु चल रहे सूखे और महामारी की समवर्ती चुनौतियों से निपटने के लिये 500 टन खाद्य सहायता देने हेतु ‘मापुटो’ (मोज़ाम्बिक) के बंदरगाह पर पहुँच गया है।

  • भारत ने मोज़ाम्बिक को दो तेज़ इंटरसेप्टर क्राफ्ट और आत्मरक्षा सैन्य उपकरण भी दिये हैं।
  • ‘क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास’ (सागर) के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप यह आठवीं ऐसी तैनाती है तथा विदेश मंत्रालय एवं भारत सरकार की अन्य एजेंसियों के साथ निकट समन्वय में आयोजित की जा रही है।

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प्रमुख बिंदु

  • मिशन सागर:
    • मई 2020 में शुरू किया गया 'मिशन सागर' हिंद महासागर के तटवर्ती राज्यों में देशों को कोविड-19 संबंधित सहायता प्रदान करने हेतु भारत की पहल थी। इसके तहत मालदीव, मॉरीशस, मेडागास्कर, कोमोरोस और सेशेल्स जैसे देश शामिल थे।
      • मिशन सागर ’के तहत भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) और उसके तटवर्ती देशों में चिकित्सा और मानवीय सहायता भेजने के लिये अपने जहाज़ों को तैनात कर रही है।
      • इस मिशन के तहत भारतीय नौसेना ने 15 मित्र देशों को 3,000 मीट्रिक टन से अधिक खाद्य सहायता, 300 मीट्रिक टन से अधिक तरल चिकित्सा ऑक्सीजन, 900 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और 20 आईएसओ कंटेनरों की सहायता प्रदान की है।
    • नवंबर 2020 में मिशन सागर-द्वितीय के हिस्से के रूप में आईएनएस ऐरावत ने सूडान, दक्षिण सूडान, जिबूती और इरिट्रिया को खाद्य सहायता पहुँचाई।
    • मिशन सागर-III वर्तमान कोविड-19 महामारी के दौरान मित्र देशों को भारत की मानवीय सहायता और आपदा राहत सहायता का हिस्सा है।
      • यह सहायता वियतनाम और कंबोडिया को भी दी गई है। यह आसियान देशों को दिये गए महत्त्व पर प्रकाश डालता है और मौजूदा संबंधों को और मज़बूत करता है।
  • महत्त्व:
    • भारत का विस्तारित समुद्री पड़ोस:
      • यह तैनाती भारत के विस्तारित समुद्री पड़ोस के साथ एकजुटता में आयोजित की गई है और इन विशेष संबंधों के माध्यम से भारत के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया।
      • यह मित्र राष्ट्रों की आवश्यकता के समय भारत की प्रथम प्रतिक्रिया के रूप में भूमिका के अनुरूप है।
    • आतंकवाद से निपटने में उपयोगी:
      • यह उपयोगी उपकरण होगा क्योंकि मोजाम्बिक का उत्तरी क्षेत्र आतंकवाद की चपेट में है।
        • आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट, जिसे दाएश (Da’esh) के नाम से भी जाना जाता है, इसके सहयोगी मध्य अफ्रीका में तेजी से फैल गया है।
    • सामान्य समुद्री चुनौतियों से निपटना:
      • यह इस क्षेत्र में आम समुद्री चुनौतियों (राष्ट्र-राज्यों के बीच पारंपरिक समुद्री संघर्ष, पर्यावरणीय खतरों, अन्य-राज्यों द्वारा उत्पन्न खतरों, समुद्री आतंकवाद और समुद्री डकैती), अवैध समुद्री व्यापार व तस्करी  से निपटने में भी मदद करता है।
      • नवंबर (2021) में गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव के दूसरे संस्करण में यह चर्चा का एक प्रमुख विषय था, जो कि हिंद महासागर क्षेत्र के देशों को एक साथ जोड़ता है।

सागर (SAGAR) पहल:

  • सागर पहल (Security and Growth for All in the Region-SAGAR) को वर्ष 2015 में शुरू किया गया था। यह हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) के लिये भारत की रणनीतिक पहल है।
  • सागर के माध्यम से भारत अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को मज़बूत करने और उनकी समुद्री सुरक्षा क्षमताओं के निर्माण में सहायता करना चाहता है।
  • इसके अलावा भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना चाहता है और हिंद महासागर क्षेत्र में समावेशी, सहयोगी तथा अंतर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान करना सुनिश्चित करता है।
  • सागर की प्रमुख प्रासंगिकता तब सामने आती है जब समुद्री क्षेत्र को प्रभावित करने वाली भारत की अन्य नीतियों जैसे- एक्ट ईस्ट पॉलिसी, प्रोजेक्ट सागरमाला, प्रोजेक्ट मौसम, को ब्लू इकोनॉमी आदि पर 'शुद्ध सुरक्षा प्रदाता' के रूप में देखा जाता है।

स्रोत: द हिंदू

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