राजस्थान Switch to English
महाराणा प्रताप जयंती
चर्चा में क्यों?
9 मई 2025 को साहसी, स्वाभिमानी और प्रतिष्ठित योद्धाओं में से एक महाराणा प्रताप की 485वीं जयंती देशभर में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई।
मुख्य बिंदु
- महाराणा प्रताप के बारे में:
- राणा प्रताप सिंह, जिन्हें महाराणा प्रताप के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था।
- वे मेवाड़ के 13वें राजा थे और उदय सिंह द्वितीय के सबसे बड़े पुत्र थे।
- महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने मेवाड़ राज्य पर शासन किया और चित्तौड़ को अपनी राजधानी बनाया।
- उदय सिंह द्वितीय उदयपुर (राजस्थान) शहर के संस्थापक भी थे।
- हल्दीघाटी का युद्ध:
- हल्दीघाटी का युद्ध वर्ष 1576 में मेवाड़ के राणा प्रताप सिंह और आमेर के राजा मान सिंह के बीच हुआ था, जो मुगल सम्राट अकबर का सेनापति था।
- महाराणा प्रताप ने बहादुरी से युद्ध किया किंतु अंततः मुगल सेना से पराजित हुए।
- ऐसी मान्यता है कि महाराणा प्रताप के वफादार घोड़े चेतक ने युद्ध के मैदान से बाहर निकलते समय अपने प्राण त्याग दिये थे।
- पुन:नियंत्रण:
- वर्ष 1579 के बाद मेवाड़ पर मुगलों का प्रभाव कम हो गया और महाराणा प्रताप ने कुंभलगढ़, उदयपुर तथा गोगुन्दा सहित पश्चिमी मेवाड़ पर पुनः अपना प्रभुत्व स्थापित किया।
- इस अवधि के दौरान उन्होंने वर्तमान डूंगरपुर के पास एक नई राजधानी चावंड (Chavand) का निर्माण भी किया।
- देहावसान:
- 19 जनवरी, 1597 को महाराणा प्रताप का निधन हो गया। महाराणा प्रताप की मृत्यु के पश्चात् उनके पुत्र राणा अमर सिंह ने राजगद्दी ग्रहण की और वर्ष 1614 में अकबर के पुत्र सम्राट जहाँगीर की प्रभुता स्वीकार की।


झारखंड Switch to English
पारसनाथ पहाड़ी
चर्चा में क्यों?
झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा पारसनाथ पहाड़ी पर मांसाहारी भोजन, पशु हानि और पर्यटन पर प्रतिबंध लगाने के आदेश के बाद, संथाल समूह मरंग बुरु संवता सुसार बैसी (MBSSSB) ने आदिवासियों के लिये पहाड़ी के धार्मिक महत्त्व का संदर्भ देते हुए अपने पारंपरिक शिकार अनुष्ठान को जारी रखने की घोषणा की।
मुख्य बिंदु
- अनुष्ठान के बारे में:
- प्रतीकात्मक शिकार मारंग बुरु के जंगलों में होता है, जहाँ संथाल प्रतीकात्मक रूप से शिकार करते हुए (जानवरों को मारे बिना) एक रात बिताते हैं, जिसके बाद पास के गाँव में दो दिनों की जनजातीय सभा होती है।
- इस कार्यक्रम का उपयोग सामुदायिक स्तर के मामलों को संबोधित करने के लिये किया जाता है और आदिवासी समुदाय के लिये इसका दीर्घकालिक धार्मिक महत्त्व है।
- न्यायालय का आदेश:
- राज्य उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को पारसनाथ पहाड़ी पर कुछ गतिविधियों पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के प्रतिबंध को लागू करने का निर्देश दिया।
- इस पहाड़ी को वर्ष 2019 में पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया था और मंत्रालय के आदेश में मांसाहारी भोजन, जानवरों को नुकसान पहुँचाने और अत्यधिक पर्यटन पर प्रतिबंध लगाया गया।
- मंत्रालय के ज्ञापन में क्षेत्र में धार्मिक इको-पर्यटन को बढ़ावा देने की राज्य सरकार की योजना पर भी रोक लगा दी गई है, जिसका जैन समुदाय ने कड़ा विरोध किया है।
- एक सदी पुराना विवाद:
- पारसनाथ पहाड़ी (मरांग बुरु) पर जैन और आदिवासी समुदायों के बीच पूजा के अधिकार को लेकर संघर्ष एक सदी से अधिक समय से जारी है।
- 1911 की जनगणना में श्वेतांबर जैन संप्रदाय द्वारा दायर एक कानूनी मामले का दस्तावेज़ीकरण किया गया, जो प्रिवी काउंसिल तक पहुँचा, जहाँ आदिवासियों के प्रथागत अधिकारों को बरकरार रखा गया।
पारसनाथ पहाड़ियाँ
- पारसनाथ पहाड़ियाँ झारखंड के गिरिडीह ज़िले में स्थित पहाड़ियों की एक शृंखला है।
- इस पहाड़ी की सबसे ऊँची चोटी 1350 मीटर है। यह जैनियों के सबसे महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है। वे इसे सम्मेद शिखर कहते हैं।
- पहाड़ी का नाम 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ (Parshvanatha) के नाम पर रखा गया है।
- बीस जैन तीर्थंकरों ने इस पहाड़ी पर मोक्ष प्राप्त किया। उनमें से प्रत्येक के लिये पहाड़ी पर एक तीर्थ (गुमती या तुक) है।
- माना जाता है कि पहाड़ी पर स्थित कुछ मंदिर 2,000 वर्ष से अधिक पुराने हैं।
- संथाल समुदाय इसे देवता की पहाड़ी मारंग बुरु कहते हैं। वे बैसाख (मध्य अप्रैल) में पूर्णिमा के दिन शिकार उत्सव मनाते हैं।
संथाल जनजाति
- गोंड और भील के बाद यह भारत में तीसरी सबसे बड़ी अनुसूचित जनजाति है, जो अपने शांतिपूर्ण स्वभाव के लिये जानी जाती है। वे मूल रूप से खानाबदोश थे और बिहार तथा ओडिशा के संथाल परगना में बसने से पहले छोटा नागपुर पठार में निवास करते थे।
- ये झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में निवास करते हैं तथा कृषि, औद्योगिक श्रम, खनन एवं उत्खनन जैसे कार्यों में शामिल हैं।
- वे एक स्वायत्त आदिवासी धर्म में आस्था रखते हैं और पवित्र उपवनों के रूप में प्रकृति की उपासना करते हैं। उनकी भाषा को संथाली कहा जाता है जिसकी अपनी लिपि है जिसे 'OL चिकी' कहा जाता है जो आठवीं अनुसूची में अनुसूचित भाषाओं की सूची में शामिल है।
- उनके कलारूप, जैसे- फूटा कच्चा पैटर्न की साड़ी और पोशाक आदि लोकप्रिय हैं। वे कृषि और उपासना से संबंधित विभिन्न त्योहारों तथा अनुष्ठानों को मनाते हैं। संथाल घर, जिन्हें 'Olah' के नाम से जाना जाता है, बाहरी दीवारों पर बहुरंगी चित्रों से सुसज्जित अपने बड़े आकार, सफाई और आकर्षक रूप के कारण आसानी से पहचाने जा सकते हैं।


उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन (UPSDM)
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन (UPSDM) के तहत राज्य के युवाओं को वैश्विक स्तर का तकनीकी कौशल प्रदान के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), रुड़की के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
मुख्य बिंदु
- समझौता ज्ञापन के बारे में:
- इस समझौते के माध्यम से राज्य सरकार और IIT रुड़की के बीच तकनीकी सहयोग की स्थापना की गई है, जिसका लक्ष्य युवाओं को अत्याधुनिक तकनीकी दक्षता से युक्त करना है।
- युवाओं को IIT रुड़की के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में निम्नलिखित सुविधाएँ प्राप्त होंगी:
- उन्नत तकनीकी प्रशिक्षण
- नवाचार-संचालित शिक्षा
- अनुसंधान के अवसर
- स्टार्टअप सहयोग और परामर्श
- यह पहल युवाओं को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्पर्द्धा के लिये सक्षम बनाएगी, जिससे उनकी रोज़गार क्षमता में मज़बूती आएगी।
उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन (UPSDM)
- उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन की स्थापना 13 सितंबर, 2013 को उत्तर प्रदेश सरकार के व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास विभाग के तहत सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत एक सोसायटी के रूप में की गई थी।
- वर्ष 2022 तक 500 मिलियन लोगों को कुशल बनाने के लक्ष्य के साथ वर्ष 2009 में एक राष्ट्रीय कौशल विकास नीति शुरू की गई थी। राष्ट्रीय योजना के तहत, उत्तर प्रदेश राज्य का लक्ष्य 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक 4 मिलियन से अधिक युवाओं को कौशल प्रदान करना है।
- इस लक्ष्य को प्राप्त करने और राज्य के युवाओं को रोज़गारपरक कौशल प्रदान करने के लिये UPSDM की स्थापना की गई है।
- राज्य कौशल विकास नीति का लाभ उठाते हुए सभी कौशल विकास पहलों का समन्वय करना अनिवार्य है।
- इसने कौशल विकास प्रशिक्षण आयोजित करने के लिये सरकारी प्रशिक्षण भागीदारों के अलावा निजी प्रशिक्षण भागीदारों को सूचीबद्ध किया।


मध्य प्रदेश Switch to English
‘AI भारत @ MP’ कार्यशाला
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के भोपाल में “AI भारत @ एमपी” शीर्षक से दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
मुख्य बिंदु
- कार्यशाला के बारे में:
- इसका उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आधार तकनीक और डिजिटल नवाचारों के माध्यम से शासन को अधिक सक्षम, पारदर्शी और नागरिकोन्मुखी बनाना था।
- इस कार्यशाला का आयोजन मध्य प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (MPSEDC) और राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (NeGD) द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सहयोग से किया गया।
- कार्यशाला में तकनीकी सत्रों के अंतर्गत डाटा प्रोटेक्शन, साइबर सुरक्षा, डिजिटल स्वास्थ्य (ई-संजीवनी), DIKSHA प्लेटफॉर्म और डिजिटल शिक्षा जैसे विषयों पर चर्चा की गई।
- इस कार्यशाला ने मध्य प्रदेश को डिजिटल प्रशासन के एक मॉडल राज्य के रूप में प्रस्तुत किया गया।
- डिजिटल बुनियादी ढाँचे में मध्य प्रदेश की उपलब्धियाँ:
- मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जहाँ SD-WAN सक्षम स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क (SWAN) 2 Gbps की गति से संचालित हो रहा है।
- राज्य के पास 1 पेटाबाइट क्षमता वाला स्वयं का डाटा सेंटर उपलब्ध है, जो डिजिटल सेवाओं के सुरक्षित और त्वरित संचालन को सुनिश्चित करता है।
- ‘संपदा 2.0’ तथा एंड-टू-एंड सेवा ऑटोमेशन जैसे डिजिटल नवाचारों के माध्यम से राज्य डिजिटल गवर्नेंस में अग्रणी बना है।
- नीति निर्माण व नवाचार:
- प्रदेश सरकार ने AVGC (Animation, Visual Effects, Gaming & Comics), ड्रोन टेक्नोलॉजी, ग्लोबल कैप्टिव सेंटर (GCC) और सेमीकंडक्टर निर्माण जैसे क्षेत्रों के लिये नीतियाँ और दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
- इन प्रयासों से राज्य में उद्योग, निवेश और रोज़गार के नए अवसर सृजित होने के संभावना है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता ( AI)
- AI को मशीनों और प्रणालियों का ज्ञान प्राप्त करने, इसे लागू करने और बुद्धिमत्तापूर्ण व्यवहार करने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया गया है।
- “कृत्रिम बुद्धिमत्ता” शब्द का सर्वप्रथम उपयोग अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक और संज्ञानात्मक वैज्ञानिक जॉन मैककार्थी ने किया था। उन्हें AI का जनक माना जाता है।
- इसमें मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, बिग डेटा, न्यूरल नेटवर्क, कंप्यूटर विज़न, लार्ज लैंग्वेज मॉडल आदि तकनीकें शामिल हैं।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता की आदर्श विशेषता ऐसे कार्य करने और उन्हें तर्कसंगत बनाने की क्षमता है जिनमें किसी विशिष्ट लक्ष्य को प्राप्त करने की सबसे अच्छी संभावना होती है।
ई-संजीवनी:
- ई-संजीवनी देश के डॉक्टरों के मध्य टेलीमेडिसिन सेवा है, जो डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से पारंपरिक प्रत्यक्षतः परामर्श का विकल्प प्रदान करती है।
- ई-संजीवनी आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का महत्त्वपूर्ण अंग है और ई-संजीवनी एप्लिकेशन के माध्यम से 45,000 से अधिक आभा संख्या जारी की गई हैं।
- इसका उपयोग करने वाले दस अग्रणी राज्य हैं: आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, तेलंगाना और गुजरात।


मध्य प्रदेश Switch to English
मालवा उत्सव
चर्चा में क्यों?
6 से 12 मई 2025 तक इंदौर के लालबाग परिसर में आयोजित मालवा उत्सव में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सम्मिलित हुए।
मुख्य बिंदु
- मालवा उत्सव के बारे में:
- यह एक पाँच दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव था, जिसका संचालन लोक संस्कृति मंच द्वारा किया गया था।
- यह उत्सव पिछले 25 वर्षों से नियमित रूप से आयोजित किया जा रहा है।
- उद्देश्य:
- लोक संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण और प्रचार-प्रसार।
- स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों को मंच और बाज़ार उपलब्ध कराना।
- राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
- लोककलाओं और हस्तशिल्प की प्रदर्शनी:
- इस उत्सव में देश के विभिन्न प्रदेशों तथा मध्य प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों से आए लोक कलाकारों ने लोकनृत्य और संगीत प्रस्तुत किये।
- बुनकरों और हस्तशिल्प कलाकारों ने बुनकरी, मिट्टी और धातु की कलाकृतियाँ प्रदर्शित कीं।
- उत्सव में भित्तिचित्र, रेजा कार्य, बटिक प्रिंट, ताँबे व पीतल की मूर्तियाँ तथा आदिवासी चित्रकला विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं।
मध्य प्रदेश के लोक नृत्य
- काठी: यह बलाई समाज द्वारा किया जाने वाला नृत्य है, जिसमें मोर पंख से सजे वस्त्रों और बाँस की 'काठी' का प्रयोग होता है। यह नृत्य 'ढाक' वाद्य पर किया जाता है।
- गणगौर: चैत्र माह में महिलाएँ देवी पार्वती की पूजा करते हुए ताली और थाली पर नृत्य करती हैं। इसके दो रूप – थलरिया और थोला प्रसिद्ध हैं।
- फाफरिया: यह पुरुषों और महिलाओं द्वारा साथ में किया जाने वाला पुंगी की ध्वनि पर आधारित समूह नृत्य है।
- मदाल्या: इसमें महिलाएँ ढोल की थाप पर हाथ-पाँव की मुद्राओं के साथ तीव्र गति से नृत्य करती हैं।
- आदा-खड़ा: यह नृत्य विवाह, जन्म व मृत्यु जैसे अवसरों पर स्त्रियों द्वारा ढोल की थाप पर किया जाता है।
- डंडा नृत्य: यह चैत्र-वैशाख की रातों में पुरुषों द्वारा डंडे के साथ ढोल व थाली की ताल पर किया जाता है।
- मटकी: महिलाएँ सिर पर कई मटकियाँ संतुलित कर गोलाकार घुमते हुए ढोल की थाप पर नृत्य करती हैं। आड़ा-खड़ा इसका एक रूप है।
- राई: बेड़िया जनजाति द्वारा किया जाने वाला यह नृत्य शृंगार व सामाजिक विषयों पर आधारित संवादात्मक रूप में होता है। राम सहाय पाण्डेय इसके प्रमुख कलाकार हैं।
- सायरा: वर्षा के लिये भगवान इंद्र की प्रार्थना स्वरूप यह नृत्य लाठी लिये युवाओं द्वारा ढोलक व बाँसुरी के साथ किया जाता है।
- जवारा: महिलाएँ सिर पर फसल की टोकरी रखकर संतुलन बनाते हुए यह नृत्य करती हैं, जो फसलों की महत्ता को दर्शाता है।


बिहार Switch to English
बुद्ध पूर्णिमा
चर्चा में क्यों?
बिहार के मुख्यमंत्री ने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर शुभकामनाएँ दीं।
मुख्य बिंदु
- गौतम बुद्ध के बारे में:
- बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध का जन्म सिद्धार्थ गौतम के रूप में लगभग 563 ईसा पूर्व लुंबिनी में हुआ था और वे शाक्य वंश के थे।
- गौतम ने बिहार के बोधगया में एक पीपल के पेड़ के नीचे बोधि (ज्ञानोदय) प्राप्त किया था।
- बुद्ध ने अपना पहला उपदेश उत्तर प्रदेश में वाराणसी के पास सारनाथ में दिया था। इस घटना को धर्म चक्र प्रवर्तन (कानून के पहिये का घूमना) के रूप में जाना जाता है।
- उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में 80 वर्ष की आयु में 483 ईसा पूर्व में उनका निधन हो गया। इस घटना को महापरिनिर्वाण के नाम से जाना जाता है।
- उन्हें भगवान विष्णु के दस अवतारों में से आठवाँ अवतार माना जाता है।

